ब्लॉग मित्र मंडली

12/11/10

झूठ हमसे कहा न जाएगा


आज एक ग़ज़ल बिना किसी भूमिका के
 झूठ हमसे कहा जाएगा


सच कहें तो जहां सताएगा
झूठ हमसे कहा जाएगा
ख़ामुशी इख़्तियार करलें अगर
दिल भी इल्ज़ाम फ़िर लगाएगा
हमको बहकाया जा रहा है क्यों
अहले- मज़हब कोई बताएगा
क़द लबादों से है बढ़ा किसका
कौन आदाब क्यों बजाएगा
छुप ' के शीशे के घर में ; औरों से
ख़ुद को कितना कोई छुपाएगा
देख कर देखते नहीं उनको
कोई नादां ही दुख सुनाएगा
रूठती है तो रूठ जा क़िस्मत
जा , कोई और ही मनाएगा
है सलामत हमारी ग़ैरत ; फ़िर
कौन तेरे क़सीदे गाएगा
ख़ुद नहीं हम नसीब में तेरे
ख़ाक हमसे तू निभाएगा
सच कहेंगे , सुनेंगे , मानेंगे
गो जहां लाख तिलमिलाएगा
हम राजेन्द्र कर सकेंगे मना
गर अदू प्यार से बुलाएगा
-        राजेन्द्र  स्वर्णकार 

(c)copyright by : Rajendra Swarnkar

 

यहां सुनें
मेरी आवाज़ में , मेरी ही धुन में , मेरी ग़ज़ल



पसंद आने पर अवश्य बताइएगा
आपकी दुआओं से अब स्वास्थ्य बहुत अच्छा है
   आपके प्यार आशीर्वाद समर्थन के लिए  
बहुत बहुत बहुत आभार !

क्षमा करें, कहीं भी न के बराबर पहुंच पा रहा हूं
आप सब के यहां शीघ्र ही आऊंगा
कृपया , निभाते रहें !


56 टिप्‍पणियां:

केवल राम ने कहा…

बहुत शिक्षाप्रद पंक्तियाँ कही हैं , शीशे के घर में कौन खुद को कैसे छुपायेगा ...लाजबाब ..शुक्रिया

Udan Tashtari ने कहा…

आनन्द आ गया सुबह सुबह आपको सुना.

Khare A ने कहा…

wah ji wah!,

mashaallaha aap gazab ke fankaar he, meme pehli bar suna aapko
bahut anand aaya

badhai aapko

Dr Xitija Singh ने कहा…

चुप के शीशे के घर में ; औरों से
खुद को कितना कोई छुपायेगा ...
वाह!! क्या बात कही है ...

देख कर देखते नहीं उनको
कोई नादान ही दुःख सुनाएगा
बहुत खूब ...

सच कहेंगे , सुनेंगे , मानेंगे
गो जहां लाख तिलमिलाएगा ..
वाह!! ,,,

आदरणीय राजेंद्र जी... बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकारें ... हर शेर कमाल का लिखा है ... और आपकी आवाज़ में सुन कर ग़ज़ल का और आनंद आया ... आभार

Satish Saxena ने कहा…

कमाल है राजेंद्र भाई !
आपकी रचना से आपके व्यक्तित्व की झलक मिलती है ...मेरी हार्दिक शुभकामनायें !

वाणी गीत ने कहा…

झूठ हमसे कहा ना जाएगा ....
सच कहें तो जमाना सताएगा ...
चुप रहे तो दिल इलज़ाम लगाएगा ...
कई बार इसी कशमकश से गुजरते हैं लोंग ...
खूबसूरत ग़ज़ल !

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

Rajendra sir.......bahut khub!!
jhooth hamse bh nahi kaha jayega....sach me behtareen..

Shah Nawaz ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल, हर एक शेर दाद के काबिल. आपकी आवाज़ और अंदाज़ में सुन कर और भी लुत्फ़अन्दोज़ हुए... बहुत-बहुत शुक्रिया!



प्रेमरस.कॉम

उस्ताद जी ने कहा…

7/10

ख़ामुशी इख़्तियार करलें अगर
दिल भी इल्ज़ाम फ़िर लगाएगा
हमको बहकाया जा रहा है क्यों
अहले- मज़हब कोई बताएगा
====================
हर शेर बेहतरीन
लाजवाब ग़ज़ल बहुत पसंद आई

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

झूठ और सच की सही कशमकश बता दी है ...

deepti sharma ने कहा…

bahut sahi
achhi rachna hai

kabhi yaha bhi aaye
www.deepti09sharma.blogspot.com

deepti sharma ने कहा…

bahut sahi
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S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

भैया, आपकी आवाज में इस ग़ज़ल के तमाम बेशकीमती शेर और भी पुरअसर बन पड़े हैं. ख़ास कर आपका आलाप लेना... शुभां अल्लाह...
"हबीब को रहेगा इंतज़ार, कि कब राजेन्द्र,
नई ग़ज़ल कहेगा, और गा कर सुनाएगा."

निर्मला कपिला ने कहा…

वाह उमदा शेर और आवाज़ ने तो कमाल किया है। शानदार प्रस्तुति। बधाई आपको।

नीरज गोस्वामी ने कहा…

भाई जी इस खुद्दार गज़ल के साथ आपकी वापसी इस बात की गवाही दे रही है के आप बिलकुल स्वस्थ हो कर ब्लॉग जगत में फिर से छा जाने को आ गए हैं...सुस्वागतम...चिकन गुनिया आपका क्या बिगाड़ेगा...???
बेहतरीन गज़ल कही है हर अशआर में हिम्मत और जोश भरा हुआ है...आनंद आ गया.

नीरज

Archana Chaoji ने कहा…

सच कहें तो--बहुत खूब..
झूठ हमसे कहा न जायेगा...

डॉ टी एस दराल ने कहा…

उम्दा अशआर के साथ एक बेहतरीन ग़ज़ल ।
आपकी आवाज़ के जादू ने चार चाँद लगा दिए हैं ।

आशा है अब आप पूर्णतया ठीक हो गए हैं ।

Parasmani ने कहा…

ग़ज़ल पसंद आयी, आप की आवाझ भी. इस की धुन भी आप ने बनाई है?
बहोत अच्छे!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

गजल का एक-एक अशआर
सीधे दिल में उतर जाता है!
--
इस सुन्दर पोस्ट की चर्चा
आज के चर्चा मंच पर भी है!
http://charchamanch.blogspot.com/2010/11/337.html

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

गहरे उतर जानेवाली भावनाएं और उतने ही गहन स्वर -आज आप को सुन कर मन विभोर हो गया .
काव्य और संगीत का मणिकांचन योग किसी बिरले को ही मिलता है .आपकी आभारी हूँ कि यह पा सकी .
आपकी योग्यताओं और सहज-सरल का आभास बहुत सुखदायी है .हार्दिक शुभ-कामनाएं स्वीकार करें !

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

राजेन्द्र जी ,
किसने बहकाया .....?
किसने लबादों से कद बढ़ाया .....??
ये कौन छुपा शीशे के घर में .....???
और कौन मनाने आएगी .....???

हा...हा...हा......अभी सुनी नहीं ....फिर आती हूँ ...
तब तक दुआ है आपकी गैरत सलामत रहे कसीदे गाने को ....
पर ग़ज़ल कुछ खफ़ा खफ़ा सी है ....!!

jogeshwar garg ने कहा…

समझ में नहीं आ रहा है किसकी तारीफ़ करुँ, आपकी कहन की या गायन की ? दरअसल दोनों ही लाजवाब हैं.

amar jeet ने कहा…

बहुत सही हर लाइने बेहतरीन

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

ओह ...!
हर लफ्ज़ में जान डाल देती है आपकी आवाज़ .......
बस जी चाहता है के सुनती रहूँ .....

आमीन ....!!

तिलक राज कपूर ने कहा…

सच कहेंगे, सुनेंगे, मानेंगे
गो जहॉं लाख तिलमिलाएगा।

छोडिये जी जहां वालों को,
ये जहां खुद ही एक भ्रम सा है,
ये भला सच को क्‍या पचाएगा।

अश्विनी कुमार रॉय Ashwani Kumar Roy ने कहा…

“है सलामत हमारी गैरत फिर कौन तेरे कसीदे गायेगा” सच कहें तो जहां सताएगा ...झूठ हमसे कहा न जाएगा. राजेंद्रजी ! लाजवाब लिखा है आपने और उतनी ही खूबसूरती से गाया भी है. निःशब्द हो गया हूँ मैं. और क्या कहूँ....आफरीन आफरीन! अश्विनी रॉय

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

कद लबादों से है बढ़ा किसका
कौन आदाब क्यों बजाएगा
वाह...उम्दा....शानदार
सच कहेंगे सुनेंगे मानेंगे
गो जहां लाख तिलमिलाएगा
हक़बयानी और खुद्दारी की दलील देता शेर
बहुत अच्छी ग़ज़ल है स्वर्णकार जी.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हृदय का सच्चा स्वर।

Sadhana Vaid ने कहा…

बहुत खूबसूरत गज़ल है राजेन्द्र जी और हर शेर असरदार है ! आपकी गज़ल ने दिल और दिमाग दोनों पर प्रभाव छोड़ा है ! आपको बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं !

देवमणि पांडेय Devmani Pandey ने कहा…

हमेशा की तरह अच्छी ग़ज़ल है।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत ही लाजवाब राजेन्द्र जी ... शीशों के घर में खुद को छुपाना आसान नहीं ... मज़ा आ गया आपका अंदाजे बयान पढ़ कर और सुन कर .....

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

very very beautiful. i can not find words in which to express myself.

स्वप्निल तिवारी ने कहा…

२सरा शेर कमाल है ..कहीं कहीं खामोशी तोडनी ही पड़ती है ..वरना दिल कोस्टा रहता है ...बहुत ही बढ़िया शेर

पांचवा शेर भी बहुत अच्छा लगा

और सातवाँ शेर ....वाह इसे कहते हैं एटीट्यूड...मुझे यही शेर हासिल ए ग़ज़ल लगा ... एक शानदार ग़ज़ल पढ़ने को मिली ...बहुत बहुत शुक्रिया ... :)

amar jeet ने कहा…

दिल की गहराइयो में उतरती रचना !
मेरे ब्लॉग में इस बार ...........उफ़ ये रियेलिटी शो

POOJA... ने कहा…

बहुत ही बढ़िया... सच, बिल्कुल सच्चाई के साथ...

Rohit Singh ने कहा…

राजेंद्र जी झूठ कहा नहीं जा सकता। सच कड़वा होता है इसलिए हमेशा कहा भी नहीं जाता। क्योंकी कहा गया भी है कि कड़वा सच नहीं बोलो, बोलना पड़े तो अप्रिय सच नहीं बोलो। है न बड़ी ही विषम परिस्थिती। सच का नतीजा क्या होता है ये भी देखा है, देखा क्या कहूं, झेला है और झेल रहा हूं। पर चलिए यही दुनिया है, दुनियादारी है।

आपकी दिवाली के मौके पर लिखी कविता पढ़ी थी, पर बिस्तर पर होने के कारण टिप्पणी नहीं कर पा रहा था।

Deepak Saini ने कहा…

किस किस की तरीफ करू,
आपकी गज़ल की या आपकी आवाज की
दोनो ही बेहतरीन है

आज पहली बार आपको सुना है
फैन हो गया हूँ

sheetal ने कहा…

jhooth hamshe kaha na jaayega,
sach kahe to zamana satayega.
bilkul sahi likh hain aapne,sach bolne waalo ko zamana jeene nahi deta.
aapki aawaz bahut khubsurat hain.
kabhi hamare dar pae bhi aaiyega,
is tarah is tarah munh mat chupaiyega.
chalte-chalte ek baar phir is behtarin ghazal ke liye badhai.

Unknown ने कहा…

हम न कर सकेंगे राजेंद्र मना
गर अदू प्यार से बुलाएगा।
बहुत बढ़िया साब! मुनव्वर राना इसे कहते हैं

तेरी मुहब्बत में चला आया हूँ 'राना'
वरना हम यूँ किसी के बुलाने से कहीं जाते नही

Asha Lata Saxena ने कहा…

भावनाओं का सैलाब लिए रचना |धुन बहुत अच्छी बनाई है |मीठी आवाज में रचना का अंदाज बहुत
भाया |बधाई
आशा

राणा प्रताप सिंह (Rana Pratap Singh) ने कहा…

बेहतरीन ग़ज़ल.. हर शेर लाज़वाब है|

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत खूब...गज़ल भी और आपकी आवाज ने तो चार चांद लगा दिए...बिल्कुल डूबकर गाया है...दिल को छूने वाला

'साहिल' ने कहा…

जितने खूबसूरत अशआर लिखे हैं, उतने ही बढ़िया सुर सजाये हैं आपने.....

Pradeep ने कहा…

राजेंद्र जी....प्रणाम !
अब तबियत कैसी है आपकी......आशा है सब कुशल है ....
गजल दिल में उतर गयी.......खास कर शायर (आप) के विद्रोही तेवर .......
मेरी एक पोस्ट महीने भर से आपकी राह देख रही है....एक नजर देख लीजिये ......
http://pradeep-splendor.blogspot.com/2010/10/blog-post.html

रंजना ने कहा…

वाह...वाह...वाह...लाजवाब !!!!

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

बिना भूमिका के गजल ज्‍यादा भाती है। बधाई।

---------
गायब होने का सूत्र।
क्‍या आप सच्‍चे देशभक्‍त हैं?

palash ने कहा…

बहुत सधे हुये शब्दों में इतनी गहरी बात कह दी आपने

kumar zahid ने कहा…

राजेन्द्र जी ! बहुत सुन्दर, मीठी और सुरीली आवाज है आपकी..लयकारी में कशिश और तराश की माजूदगी है..

कोई भी कहेगा..

यार! इक बार सुना है तुझको
तू बता कैसे भूला जाएगा ?

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

सच कहे तो जहाँ सताएगा,
झूठ हमसे कहा न जाएगा.

लाजवाब शेर है,'शुजाअ' का ये शेर बरबस याद आ गया:

"कुछ न बोला तो 'शुजाअ' अन्दर से तू मार जाएगा
और कुछ बोला तो फिर बाहर से मारा जाएगा."

ये अशआर भी बहुत ख़ूब है:-
# हमको बहकाया जा रहा है क्यों
अहले मज़हब कोई बताएगा?
# क़द लबादों से है बढ़ा किसका,
कोई आदाब क्यों बजाएगा.

'नीरजजी' ने इस कलाम को खुद्दार ग़ज़ल , दुरुस्त ही कहा है. आवाज़ की लोच शब्दों और भावो के साथ पूरा इन्साफ करती है. शुक्रिया इस दिलकश ग़ज़ल को पढ़वाने और सुनाने के लिए

अरुण अवध ने कहा…

वाह वाह राजेन्द्र जी ,क्या खूब ग़ज़ल कही है ,बस कमाल .......
बहुत बहुत बधाई !

Amit Chandra ने कहा…

Rajendra ji,
namskar

subse pahle to aapki tippni ke liye aabhari hu. pahli baar aana hua yaha. prantu aana itna safal hoga kabhi socha nahi tha. aapki gazal dil ke taro ko ched gai. jitni behtarin aapki rachna hai utni hi dilkash aapki awaz hai aur dono ne milkar aisa shama bandha hai ki dil jhoom gaya. aasha hai aage bhi aapka sneh bhar aashirwad yu hi hume prapt hota rahega.

डॉ.सुभाष भदौरिया ने कहा…

राजेन्द्रजी आपका ब्लाग पहले भी देखा आज भी और ग़ज़लों को सुना भी बड़ी दिलकश आवाज़ है आपकी
गीत ग़ज़ल स्वर छन्द आदि का आपका ज्ञान सराहनीय है.

Minoo Bhagia ने कहा…

kad labadon se hai badha kiska
kaun aadab bajayega ,

sunder sher hai rajendra ji

Anupriya ने कहा…

सच कहे तो जहाँ सताएगा,
झूठ हमसे कहा न जाएगा.

kya baat hai,jab se aapne post kiya hai, jab mauka milta hai sunti hun...jitni sundar panktiyan hai utni he pyari aawaz...

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

राजेंद्र जी, एक अल्प विराम के बाद आप आए और आते ही अपनी बेहतरीन प्रस्तुत से छा गये...बहुत ही भावपूर्ण,उम्दा ग़ज़ल..किस किस शेर की तारीफ करूँ .....बहुत बहुत बधाई

बेनामी ने कहा…

bohot hi khoobsurat ghazal hai....wahh...!!

iske baad wali rachna, jo shuddh hindi hai...wah bhi khoob hai. kitna gyaan hai aapko dono hi bhaashaon ka...ye kamaal ki baat hai...

of course...aap to kai bhaashaon mein likhte hain na....kya baat hai....great reading u sir...too good