ब्लॉग मित्र मंडली

18/3/11

फागुन की रुत प्यारी


सत्य धर्म रहते सदा जीवित...ज्यों प्रहलाद !
झूठ कपट की होलिका जलती ; रखना याद !!
अग्निस्नान करते भक्त प्रह्लाद, भस्म हो चुकी होलिका और विस्मित हिरण्यकश्यपु 
यह चित्र भी बचपन में बनाया था । आशा है , आपको पसंद आएगा ।
एक दोहे से शुरूआत हो ही गई है तो प्रस्तुत हैं , कुछ और दोहे
होली ऐसी खेलिए

रंगदें हरी वसुंधरा , केशरिया आकाश ! 
इन्द्रधनुषिया मन रंगें , होंठ रंगें मृदुहास !!

होली के दिन भूलिए भेदभाव अभिमान !
रामायण से मिल गले मुस्काए कुरआन !!

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख का फर्क रहे ना आज
मौसम की मनुहार की रखिएगा कुछ लाज !!

क्या होली , क्या ईद …सब पर्व दें इक सन्देश !
हृदयों से धो दीजिए… बैर अहम् विद्वेष !!

होली ऐसी  खेलिए , प्रेम का हो विस्तार !
मरुथल मन में बह उठे शीतल जल की धार !!
राजेन्द्र स्वर्णकार
(c)copyright by : Rajendra Swarnkar

कृष्ण-राधा संवाद पर आधारित मेरा यह गीत बहुत पसंद किया जाता रहा है
आज आपके लिए प्रस्तुत है
 मानो  बात हमारी
मानो  बात हमारी ,  ओ प्यारी !
फागुन की रुत प्यारी ,  ओ प्यारी !!
जा छलिया बनवारी , मुरारी !
छोड़ कलाई ; खावैगो गारी !!
मस्त महीना  , राधा ! काहे बंद किए हो किंवारी ?
सुन लइहैं मस्ती में तोहरे मुख सौं मीठी गारी !
ओ प्यारी ,  मानो  बात हमारी !!
मो संग काहे करिहो ठिठोरी ? काहे मचावत रारि ?
लोक तिहुं पै राज तिहारो ; ग्वालन जात हमारी !
मुरारी  ,  जा छलिया बनवारी   !!
लोक तिहुं को राजा ; राधा ! तोहरे दर को भिखारी !
दइदै दरश धन धन कर मोहिं , तो पै हौं बलहारी !
ओ प्यारी ,  मानो  बात हमारी !!
खेल तिहारो जानैं सकल हौं , स्वारथ को तू पुजारी !
रस पीकै उड़ि जइहैं ज्यूं भौंरो ,  सो ही छिब है तिहारी !
मुरारी  ,  जा छलिया बनवारी !!
काहे बनावै झूठी बतियां ? काहे करै तकरारि ?
नाहिं सदा जोबन रहिहै रीफागुन के दिन चारि !
ओ प्यारी ,  मानो  बात हमारी !!
कौल करो कान्हा ! मोहिं ना तूं छोड़ैगो मंझधारि !
तब हौं होरी तो संग खेलूं , मानूं बात तिहारी !
मुरारी  ,  जा छलिया बनवारी   !
भोरी राधा ! ना कछु तोहरे बिनु तोहरो बनवारी  !
ना होरी बिनु फागुन ; ना राधा बिनु कृष्ण मुरारी  !
आनन्द राजिंद सुरगसंसारि !!
राजेन्द्र स्वर्णकार
(c)copyright by : Rajendra Swarnkar

यहां सुनिए  मानो बात हमारी ओ प्यारी
(c)copyright by : Rajendra Swarnkar
प्रस्तुत है , 

एक दोहा रचना राजस्थानी भाषा में  

अर्थ साथ ही दे दिया है ताकि आप तक रचना संप्रेषित हो सके । 

हिवड़ो रंगियो प्रीत सूं
मदन हिलोरा लेंवतो , सज’ सोळै सिणगार !
आयो म्हारै देश में , होळी रो त्यौंहार !!
मेरे देश में काम-तरंगित , सोलह शृंगार-सुसज्जित  होली का त्यौंहार आया है ।
तनड़ो तरसै परस नैं , प्रीत करै मनवार !
आवो प्यारा पीवजी , सांवरिया सिरदार !!
देह स्पर्श को तरस रही है , प्रीत मनुहार कर रही है । हे सांवरे सरताज , प्रिय प्रियतम ! 
आपका स्वागत है… आइए !
होळी खेलण’ मिस गयो , कान्हो राधा-द्वार !
धरती सूं आभो मिळ्यो , स्रिष्टी सूं करतार !!
होली खेलने के बहाने कन्हैया राधा के द्वार पर पहुंचे …
मानो धरा से गगन का और सृष्टि से विधाता का मिलन हुआ … ।
बाथां में कान्हो भर्’यो ; राधा हुई निहाल !
झिरमिर बरसी प्रीतड़ी , आभै रची गुलाल !!
कृष्ण कन्हैया ने बाहों में भरा तो राधिका निहाल हो गई ।
रिमझिम प्रीत बरसने लगी , आकाश में गुलाल रच गई ।
भींजी राधा प्रीत में , कान्है रै अंग लाग’ !
रूं – रूं गावण लागग्यो , सरस बसंती राग !!
कन्हैया के अंग से लग कर राधा प्रीत में भीग गई ।
रोम रोम से सुमधुर बसंती राग की स्वर लहरियां प्रस्फुटित हो उठी ।
मन भींज्यो , तन भींजग्यो , गई आतमा भींज !
नैण मिळ्या जद नैण सूं , मुळक’ हरख’ अर रींझ’ !!
मुस्कुरा कर , हर्षित नयन जब नयन से मिलन में रींझ गए, …तो
मन भीग गया , देह भीग गई , प्राण कैसे अछूते रहते … आत्मा भी भीग गई ।
फूलगुलाबी सांवरो अर राधाजी श्याम !
मोवै युगल सुहावणा , सुंदर ललित ललाम !!
रंग रंग कर नीलवर्ण कन्हैया गुलाबी और गौरवर्ण राधाजी सांवले रंग के दृष्टिगत हो रहे हैं ।
यह सुंदर , लावण्यमयी , सुहावनी  युगल छवि मोहित कर रही है ।
हिवड़ो रंगियो प्रीत सूं , छिब सूं रंगिया नैण !
होठ होठ सूं रंग दिया , कर’ चतराई सैण !!
चतुराई के साथ प्राणप्रिय साजन कान्हा ने हृदय को प्रीत से , नेत्रों को निज छवि से
और अधरों को स्वअधरों से रंग डाला । 
ओळ्यूं रंगदी काळजो , नैण रंग्या चितराम !
स्रिष्टी विधना नैं रंगी , अर राधा नैं श्याम !!
इधर नंदनंदन कृष्ण ने वृषभान लली राधिका को रंगा कि
मधुर स्मृतियों – सुधियों से अंतःस्थल रंग गया । विविध लीला रूपों से चक्षु रंग गए ।
साक्षात् विधाता ने सृष्टि को रंग डाला …
चोवै राधा नांव रस , पीवै गोकुळ गांव !
बरसाणो छाकै अमी , सिंवर सलोणो श्याम !!
पूरे ब्रह्माण्ड में हो रही राधा राधा नाम की रस वर्षा का रसपान कर’
गोकुल गांव तृ्प्त हो रहा है ।
सलोने श्याम के सुमिरन से बरसाना गांव जी भर कर अमृत छक रहा है ।
भगती रंग जमुना बहै , रंग्या बाल-नर-नार !
रसभीनी राधा रट्यां , तूठै क्रिषण मुरार !!
भक्ति – रंग की बहती यमुना में बाल वृंद नर नारी रंग गए हैं ।
रसभीनी राधा राधा रटन से कृष्ण मुरारी की सहज कृपा अनुकंपा मिल जाती है ।
राजेन्द्र स्वर्णकार
(c)copyright by : Rajendra Swarnkar

यहां सुनिए  हिवड़ो रंगियो प्रीत सूं
(c)copyright by : Rajendra Swarnkar

अंत में धमाल हो जाए
हमरी बतिया मान सजन

बारहुं मास की आस प्यास ,
तब जाय कहीं होरी अइ हो !
होरी पै हमरी बरजोरी ,
कैसन हमका धमकइहो ?
कबहुं बात न मानी हमरी ,
आज की रतिया का करिहो ?
आज नचइबै दइहुं तोहिं ,
आज हौं तो सौं ना डरिहों !
तरफत डरपत जुगवा बीते ,
पल पल , तिल तिल हौं जरि हो !
आज तो हमरी बेरि अइ है ,
आज बता तूं का करिहो ?
हमरी बतिया मान सजन !
इब सोच  फिकर तूं का करि हो ?
ई नदिया मं डूब गयो
सच मान सो ही जग मं तरि हो !
राजेन्द्र स्वर्णकार
(c)copyright by : Rajendra Swarnkar

यहां सुनिए  हमरी बतिया मान सजन

(c)copyright by : Rajendra Swarnkar


होली की हार्दि मंकानाएं

65 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर होली की आप की यह पोस्ट,इस से पिछली पोस्ट तो दिखा रहा हे लेकिन यह पोस्ट क्यो नही आ रही? मैने दोवारा भी आप का लिंक डाला हे, कृप्या आप दोबारा इसे पोस्ट करे, धन्यवाद

Rakesh Kumar ने कहा…

रंगारंग प्रस्तुतिओं से बिलकुल सराबोर कर दिया आपने राजेन्द्रजी. आपके निर्मल भाव,भक्तिपूर्ण अभिव्यक्ति सराहनीय हैं .होली पर आपको और सभी ब्लोगर जन को हार्दिक शुभ कामनाएँ.

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

सत्य धर्म रहते सदा जीवित .....
झूठ कपट की होलिका जलती रखना याद .....

अभी तो इतना ही याद कर जा रही हूँ ....
और आपकी बनाई इस तस्वीर में ही मुग्ध हूँ ......
आती हूँ फिर .....

girish pankaj ने कहा…

होली पर एक साथ इतनी सुन्दर और ''रंग-दार'' रचनाएँ पढ़ कर एडवांस में ही होली मन गई. हो..ली. ऐसी बहुरंग प्रतिभा कम ही मिलाती है. जो चित्रकारी भी करे, सुन्दर लिखे और उससे मधुर गायन भी करे. स्वर्ण-सा चमकते-दमकते रहे. सभी पाठको को होली की ''रंगकामनाएं''

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

कबहूँ बात न मानी हमरी
आज की रतिया का करी हौं ...
ओये होए ....):

इतना एक साथ कैसे गा लेते हैं ....?
कितने दिनों से चल रही थी ये तैयारी ....?
आपकी प्रतिभा को तो नमन है गुरुदेव .....
किसकी तारीफ करूँ और किसकी न करूँ ....
ये मनमोहक चित्र ....ये सुमधुर आवाज़ ....
और ये अद्भुत लेखन ....
सलाम है आपको ....!!

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

और ये तस्वीर में बेटा ही है न ....?
बिलकुल बाप पर गया है .....
अब आप कहेंगे बेटा किसका है ......):

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

चित्र होलीमय...
काव्यात्मक विचार होलीमय...
एक-एक शब्द होलीमय ...
पूरी पोस्ट होलीमय है...

इसे देख कर मन भी होलीमय हो गया...
हार्दिक बधाई !

रंगपर्व होली पर असीम शुभकामनायें !

Kunwar Kusumesh ने कहा…

रंगा- रंग होली में सुन्दर दोहे और सुन्दर पैग़ाम देती आपकी रचना ने होली को और भी रंगीन बना दिया और लोगों को मदमस्त कर दिया .वाह वाह ........
होली की हार्दिक बधाई.

विशाल ने कहा…

वाह,राजेन्द्र जी.
सारे रंग डाल दिए आज तो ब्लॉग पर.
तन मन रंग दिया आपने पाठकों का.
हर एक रचना लाजवाब.
आपको भी होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.

www.navincchaturvedi.blogspot.com ने कहा…

क्या सुंदर रचना गढ़ी, क्या सुर साधा मित्र|
यूँ लगता ज्यूँ ग्रीष्म में, खस-गुलाब का इत्र||

डॉ टी एस दराल ने कहा…

एक के बाद एक , अनेक !
पूरा फागुन उंडेल दिया है आज की पोस्ट में ।
आशीर्वाद भी पूरा मिल ही गया है । :)

आपके गीत सुनकर एक राजस्थानी गीत हमें भी याद आ गया ।
ठेल देते हैं --
सासु बिको , चाहे ससुरो बिको
चाहे बिक ज्यो हरो रुमाल ,
बैठूंगी मोटर कार में !

अद्भुत रंगों से सजी आपकी पोस्ट ने होली के रंगों में सरोबार कर दिया है । बस अभी से शुरू हो रहे हैं , लाल , पीली , गुलाबी और भी जो भी रंग हों ।

समस्त परिवार सहित आपको होली की हार्दिक शुभकामनायें राजेन्द्र जी ।

***Punam*** ने कहा…

राजेन्द्रजी....
आज आपको स्वर्णकार न कह कर कान्हा कहने की इक्छा हो रही है... इतनी खूबसूरती से आपने पूरे पन्नों को रंग डाला है कि पूछिए मत..!! साथ ही भाषाओं का मेल बहुत ही स्वाभाविक है....सब कुछ होली के रंग में सराबोर है.......!!
आपको होली कि शुभकामनाएं....!!

Hari Shanker Rarhi ने कहा…

Swarnkar ji,
aapka blog waakai achchha bana hua hai. Holi par to aur rangeen ho gaya hai,aap badhai ke patra hain.

सतीश सक्सेना ने कहा…

दिल निकाल कर रख देते हो राजेंद्र भाई !

निश्छल और गहरे मन से, ढोलक पर लगती थाप का आवाहन दूर तक जाता है ......!यह सत्प्रयत्न खाली नहीं जायेंगे राजेंद्र भाई !

इस होली पर आप सपरिवार नयी ऊंचाइयां पायें यही शुभ कामना दे रहा हूँ !

सादर

सदा ने कहा…

नि:शब्‍द हूं इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये शब्‍द नहीं उतार पा रही हूं यहां, इस अनुपम प्रस्‍तुति के लिये बधाई के साथ होली की शुभकामनाएं ।।

Amit Sharma ने कहा…

आप को होली की हार्दिक शुभकामनाएं । ठाकुरजी श्रीराधामुकुंदबिहारी आप के जीवन में अपनी कृपा का रंग हमेशा बरसाते रहें।

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

सुन्दर पोस्ट के लिए धन्यवाद !आपने तो पूरा ही नहला डाला --होली है ---

मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है ---

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।
आइए इस शुभ अवसर पर वृक्षों को असामयिक मौत से बचाएं तथा अनजाने में होने वाले पाप से लोगों को अवगत कराएं।

Coral ने कहा…

बहुत सुन्दर ........

आपको और आपके परिवारजनो को होली की हार्दिक शुभकामनायें।

http://rimjhim2010.blogspot.com/2011/03/blog-post_19.html

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

होली के सारे रंग शब्दों में ढाल दिए हैं ...बहुत सुन्दर ...होली की हार्दिक शुभकामनायें

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

चित्र बहुत सुन्दर है ..आप तो चित्रकार भी हैं ..

डॉ० डंडा लखनवी ने कहा…

भाई राजेन्द्र स्वर्णकार जी!
दोहों में ११ और १३ मात्राओं यति-गति होती है। उसे उस रूप में करने का प्रयास किया है। यथा संभव भाषा खड़ीबोली का ध्यान रखा गया है। कृपया इसे देख लीजिए।
==============================
रंग दें हरी वसुंधरा, केशरिया आकाश।
इन्द्रधनुष सम मन रंगो, होठ रंगो मृदुहास॥
होली के दिन भूलिए, भेदभाव अभिमान।
मुस्काएं ज्यों गले मिल, गीता और कुरान॥
हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख में, भेद रहे न आज।
मौसम के मनुहार की, रखिए प्रतिदिन लाज॥
क्या होली क्या ईद सब, देते यह संदेश।
अपने मन का धोइए, बैरभाव-विव्देष॥
ऐसी होली खेलिए, बढ़े परस्पर प्यार।
मरुथल-मन में बह उठे, शीतल जल की धार॥
===================================
प्रशंसनीय लेखन के लिए बधाई।
===================
"हर तरफ फागुनी कलेवर हैं।
फूल धरती के नए जेवर हैं॥
कोई कहता है, बाबा बाबा हैं-
कोई कहता है बाबा देवर है॥"
====================
क्या फागुन की फगुनाई है।
डाली - डाली बौराई है॥
हर ओर सृष्टि मादकता की-
कर रही मुफ़्त सप्लाई है॥
=============================
होली के अवसर पर हार्दिक मंगलकामनाएं।
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

तिलक राज कपूर ने कहा…

आनन्‍द प्राप्‍त हुआ।
आपको होली की हार्दिक शुभकामनायें।

दीपक 'मशाल' ने कहा…

सभी रचनाएं एक से बढ़ कर एक हैं और आपके मिश्री जैसे श्वर के साथ तो यह मंत्रमुग्ध कर रही हैं. राजस्थानी गीत की हिन्दी लिखने से समझने में बहुत आसानी रही.. कुलमिलाकर होली का सम्पूर्ण पॅकेज मिल गया.. बहुत-बहुत बढ़ाई आपको

--
Dipak Mashal

PRAN SHARMA ने कहा…

Aapne rangon kee bauchhar khoob
kee hai ! Aanand aa gya hai .

Smart Indian - स्मार्ट इंडियन ने कहा…

सभी कृतियाँ एक से बढकर एक!
आपको, सभी परिवारजनों, मित्रों और पाठकों को होली की मंगल कामनायें!

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

# डॉ.डंडा लखनवी जी

आपकी विद्वता को प्रणाम ! :)

हमने तो प्राथमिक शिक्षा से महाविद्यालय तक पढ़ा-सुना , सीखा-समझा ,
कि 24 मात्रा वाले मात्रिक छंद दोहे में यति 13 और 11 मात्राओं पर होती हैं , जबकि सोरठे में यति 11-13 मात्राओं पर होती है ।


जबकि आप का कुछ और ही कहना है …


और हां , शुद्ध दोहे में 13-11 तथा अंत में गुरू-लघु के नियम की जानकारी ही पर्याप्त नहीं ,
गणों का क्रम भी ध्यान में रखना होता है ।
आपने अति उत्साह में दोहों को सुधारने ( ? ) के उपक्रम में गणों की व्यवस्था पर भी कोई ध्यान नहीं दिया …

… और 'होली ऐसी… ' को 'ऐसी होली… ' कहने से किस प्रकार की छंद त्रुटि का आप निवारण कर रहे हैं ?



पहले भी आपने मेरी पोस्ट पर आपकी विद्वता के प्रत्युत्तर में कही गई मेरी बात का जवाब नहीं दिया , मैं प्रतीक्षा ही करता रहा ।
मैं यही कहूंगा कि आपका जवाब ज़रूरी नहीं , लेकिन …
डॉक्टर साहब , स्वास्थ्य का ध्यान रखा करें …


बहरहाल आप आए , बहुत बहुत आभार !

***Punam*** ने कहा…

हर दिशाओं में खुशियों की बहार हो
चारों तरफ रंगों की फुहार हो !
तन भी भीगे मन भी भीगे
ऐसा मंगलमय होली का त्यौहार हो..!!

आप एवं आपके परिवार के सभी सदस्यों को
होली की शुभकामनाएं .....!!!

Bharat Bhushan ने कहा…

होली की हार्दिक शुभकामनाएँ. रंगदार पोस्ट बहुत अच्छी लगी.

Dr Xitija Singh ने कहा…

आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

आप सब को भी होली की हार्दिक मंगलकामनाएं.
सभी कवितायेँ और राजस्थानी गीत मनभावन हैं.एकता-परक कामना आपका वास्तविक होली-प्रेम है.

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

ये डॉ साहब मुस्कुरा कर किस और इशारा कर रहे हैं होली के दिन ......):

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

अरे वाह, खूब होलियाना धमाल मचाया आपने तो!
रंग-पर्व पर हार्दिक बधाई.

Suman ने कहा…

राजेन्द्र जी,
लो जी हम आ गए आपने प्यारसे
बुलाया हम न आये कैसे संभव है
जब भी समय मिलता है मै तो आपकी
पूरानी रचनाये भी आपकी आवाज में
सुनती हूँ !होली की आपको भी अनेक शुभकामनाये !

Dorothy ने कहा…

नेह और अपनेपन के
इंद्रधनुषी रंगों से सजी होली
उमंग और उल्लास का गुलाल
हमारे जीवनों मे उंडेल दे.

आप को सपरिवार होली की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर
डोरोथी.

Sushil Bakliwal ने कहा…

लाजवाब प्रस्तुति.
चित्र, दोहे, गीत, धमाल,
सबके सब बेमिसाल ।

होली की हार्दिक शुभकामनाओं सहित...

डॉ टी एस दराल ने कहा…

होली के दिन मुस्कराना ही नहीं , हम तो ठहाके लगवा कर आ रहे हैं जी ।
आखिर होली दिन ही ऐसा है --मिलने मिलाने का , खाने खिलाने का , पीने पिलाने का , और हंसने हंसाने का ।
होली की अनंत शुभकामनायें ।

Rajesh Kumari ने कहा…

holi per likhi gai har rachna adbhud hain aapki rajasthani language ki kavita padh ker to maja aa gaya.
aapko holi ki dhero shubh kamnayen.

ज्योति सिंह ने कहा…

aapki taarif jitni karoon kam hai ,itne rang bikhre pade hai ki asli holi rango ki yahi saji hai ,geet ,sandesh ,ishwar ka dhyaan aur sundar rachna .wo swar me bandhi hui .aapko holi ki badhai .

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

होली के दिन आपने सारे हथियार उठा लिए ,चित्रांकन,लेखन और गायन एक साथ -एक बड़ा होमवर्क रहा,जो आप जैसी बहुमुखी प्रतिभा के ही बूते की बात है !

होली की ज़बरदस्त शुभकामना !

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

सारी रचनाओं और चित्रों से काव्य की धारा बह रह रही है, राजस्थानी के साथ साथ हिंदी अनुवाद ने बात का मर्म सटीकता से समझा दिया, आनंद आगया.

आपको परिवार सहित होली की घणी रामराम.

वाणी गीत ने कहा…

होली के त्यौहार पर शानदार उपहार ...
कम्प्लीट गिफ्ट पॅकेज है आपकी पोस्ट ..
आपको सपरिवार शुभकामनायें !

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

राजेंद्र जी, होली की बहुत बहुत शुभकामनायें आपके लिए और आपके परिवार के लिए ... रंगों का त्यौहार आपके जीवन में खुशियों का बहार लाए ... यही कामना है ... आपकी सारी रचनाएँ अनमोल हैं ... किसी एक की तारीफ़ करना संभव नहीं है ... ऐसा लगता है जैसे पूरा होली का आनंद यहीं मिल गया !

Anita ने कहा…

मनमोहक रंगों से सजी आपकी पोस्ट का पता नहीं चला,बहुत बहुत बधाई तथा देर से सही होली मुबारक !

मनोज कुमार ने कहा…

हार्दिक शुभकामनाएं और बधाइयां।

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

भाई राजेन्द्र जी ,

सप्रेम अभिवादन |

क्या कहें .....होली के सभी रंग तो बिखरे पड़े हैं आप के ब्लाग पर ...

सुन्दर चित्र , रसभरे दोहे , मान भरा गीत , मनमोहक स्वरों में गायन ....



बस मन बँधकर रह गया !

होली की हार्दिक शुभकामनायें स्वीकारें ...

Kavita Prasad ने कहा…

आपकी शब्दों और भाषा पर पकड़ के कायल हो गए हैं... बधाई!

नीरज गोस्वामी ने कहा…

राजेंद्र भाई...स्नेह से भीग गए हम तो...आपके ब्लॉग ने तन मन पूरा रंग दिया...होली की पूरी मस्ती मिल गयी यहाँ पर...रंग पर्व की ढेरों शुभकामनाएं

नीरज

डॉ० डंडा लखनवी ने कहा…

भाई राजेन्द्र स्वर्णकार जी!
मेरा उद्देश्य आपसे सहज संवाद से रचनाओं को और निखारना है। समयाभाव के कारण आपके ब्लाग पर प्रतिदिन पहुँचना संभव नहीं होता है। इसलिए यदा-कदा मैं टिप्पणी कर देता हूँ। सुधारवादी दृष्टिकोण रचना परिमार्जन में सहायक होता हैं। इस संबंध में आप से विस्तार से वार्ता करना चाहूँगा। मैं राजस्थान के पर्यटन पर शीघ्र निकलने वाला हूँ। शायद किसी मोड़ पर आप मुलाकात हो जाय।
मेरा सचलभाष-0336089753 है।
@ आपने मेरी चूक की ओर संकेत किया-धन्यवाद। आपका कहना सही है। दोहे में 13 और 11 मात्राओं पर यति-गति होती है। मैं भी यही कहना चाहता था। टाइप करने में मुझसे चूक हुई है। संशोधनों 13 और 11 मात्राओं की ही व्यवस्था दी है।
@ सामान्य रूप से दोहों में अति प्रचलित मात्रिक व्यवस्था 13 और 11 है। इस कथन का अर्थ यह नहीं कि इसके अतिरिक्त मात्रिक व्यवस्थाएं नहीं है। व्यवस्थाएं और भी हैं।
@ दोहा मात्रिक छंद है, गणात्मक छंद नहीं है। अतएव इस छंद पदों में मात्राओं के गणना का विधान है।
@ काव्य-पद के क्रम-निर्धारण में शब्द-मैत्री, लयात्मकता, उच्चारण-प्रवाह का ध्यान रखने से रचना प्रभावी होती है।
@ आपने जानना चाहा है कि 'होली ऐसी’ को 'ऐसी होली' कहने से किस प्रकार की छंद त्रुटि हैं?
@ छंद की गणना युक्त-युक्त होते हुए भी यदि कथ्य व्याकरण सम्मत हो जाय तो वह सोने में सुहागा हो जाता है। यह एक सूक्ष्म-संकेत हैं कि विशेषण को संज्ञा एवं सर्वनाम के पूर्व रखा उत्तम है।
यथा- ’ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय।’
अन्त में.....
========================
निखरती रहे वह सतत काव्य-धारा।
जिसे आपने कागजों पर उतारा॥
========================
होली मुबारक़ हो। सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
==================================

Kailash Sharma ने कहा…

क्या सुन्दर समां बाँधा है होली का..आप की इस पोस्ट ने तो सभी इन्द्रियों को पूर्णतः अभिभूत कर दिया...आप की रचनाओं, गायन और पेंटिंग ने मन को होली के रंगों में पूरी तरह भिगो दिया...नमन है आप की बहुमुखी प्रतिभा को. होली की हार्दिक शुभकामनायें!

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

‘रंग बातें करें और बातों से ख़ुशबू आए‘

आपकी इस महफिल में उपरोक्त पंक्ति चरितार्थ हो रही है।
बहुत-बहुत बधाई, राजेंद्र जी।

होली की हार्दिक शुभकामनाएं।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

भाई श्री राजेन्द्र जी
आपका गाया हुआ मधुर लालित्यमय राजस्थानी गीत
अभी सुना और श्री कृष्ण व राधे रानी की
प्रेम केलि मे मन सानन्द डूब गया
बहुत सुन्दर और मौलिक रचनाएं लिखीं और गायीं हैं आपने ...
राजस्थान प्रांत मेरे मन के करीब है शायद किसी पिछले जनम मे ,
मैं, वहां रहा करती थी .....
राजस्थान की केसरिया पावन भूमि को देखने की इच्छा
न जाने कब पूरी होगी
आज होली की मंगल कामना सहित
आपको स स्नेह आशिष

राजस्थान भूमि की पावन भूमि को
मेरे सादर वंदन भेज रही हूँ .......
- लावण्या

JC ने कहा…

शब्द, स्वर और रंगों का चयन अति सुंदर लगा! होली की अनंत शुभकामनाएं आपको और आपके सभी परिवार के सदस्यों को!
पिलानी में पढ़ते समय ('५८ -'६२ के दौरान) होली पर राजस्थानी सहपाठियों से सुना था, "रंग बिरंगी होली आयी रे, कि सागे भेज दे..." बहुत अच्छा लगा था...

आनंद ने कहा…

दादा देर से फाग खेलने आया हूँ क्षमा परार्थी हूँ जनता हूँ कि अनुज हूँ तो क्षमा तो मिलेगी ही साथ में स्नेह भी .....
दा क्या संयोजन है एक से बढ़कर एक प्रस्तुति ...आपको सुनना आपको पढने से ज्यादा अच्छा अनुभव होता जाता जा रहा है दा धीरे-धीरे ...आप दो स्वर एक साथ कैसे मिलाते हैं..
अतुलनीय आप और अतुलनीय आपका सृजन संसार, आपको नमन !!

चैन सिंह शेखावत ने कहा…

आदरणीय राजेंद्र जी ,
नमस्कार.
आपके ब्लॉग के तो दर्शनों से ही मन तृप्त हो उठता है.
कैसी सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुतियां हैं.
क्या शब्द..क्या स्वर..क्या रंग..
अनुपम.
अद्भुत.

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" ने कहा…

holi ki haardik shubhkaamnayen....

aapne sabse upar jo holi ka sandesh diya hai, bahut behtareen laga.....

aur saath me wo pankti bhi bahut pasand aai..."radhaji aaj to holi hai darwaja kyun badn rakhti ho".....

bahut sunder.....

सुज्ञ ने कहा…

होली पर रचनाओं का गुदस्ता?, सभी रंग

दोहे और चित्र सभी श्रेष्ठ है।

POOJA... ने कहा…

हम्म... बहुत सुन्दर पोस्ट...
ज्ञानकारी...
इतना सबकुछ कैसे समेट लेते हैं... आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है...
न सिर्फ लिखना बल्कि प्रस्तुतीकरण भी... और आज तो बस... पढ़ते ही रह गए...
बहुत-बहुत धन्यवाद...

Patali-The-Village ने कहा…

सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुतियां हैं| धन्यवाद|

Urmi ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने रंग बिरंगे तस्वीरों के साथ जो बेहद पसंद आया ! इस उम्दा पोस्ट के लिए बधाई!

वीरेंद्र सिंह ने कहा…

आदरणीय राजेन्द्र जी..... सादर नमस्कार!

अति व्यस्त रहने के कारण ब्लॉग पर आने में देरी हो गई. आपके ब्लॉग पर सुंदर -सुंदर रचनाएँ पढ़कर मज़ा आ गया. होली ऐसी खेलिए, मानो बात हमारी, हिवड़ो रंगियों प्रीत सूं
और हमरी बतियाँ मान सजन ...एक से बढकर एक हैं.

बचपन में बनाया आपका चित्र और दुसरे चित्र भी बेहद उम्दा है. गौरव, वैभव और दिव्यांशु बहुत प्यारे लग रहे हैं.

इस बेहद उत्तम पोस्ट के लिए आपको बधाई.

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

क्या होली क्या ईद; सब पर्व दे एक सन्देश,
हृदयों से धो दीजिये; बैर अहम् विद्वेष.

होली एसी खेलिए; प्रेम का हो विस्तार,
मरुथल मन में बह उठे; शीतल जल की धार.

सशक्त सन्देश, आपकी सोच और व्यक्तित्व की परिचायक है यह सुन्दर रचना. बधाई.

कविता रावत ने कहा…

bhut badhiya lekha hai.
holi ke abhivyakti rango ke sang bahut khubsurat hai. badhiya.

hamarivani ने कहा…

मेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..

Amrita Tanmay ने कहा…

Rang-virangi shabdon ki holi achchhi lagi...shubhkamna