ब्लॉग मित्र मंडली

30/3/11

मेरा मरुधर देश निराला !

हार्दिक बधाई
आज राजस्थान स्थापना दिवस है ।
इस अवसर पर एक छोटा-सा गीत
मेरा मरुधर देश निराला
 है मेरा देश निराला !
मेरा मरुधर देश निराला !
यह सब रस-रंगों वाला !
यह रूपाळा-मतवाला !

महका मनभावन हर मौसम !
धोरे थिरके रुक-रुक , थम-थम !
संध्या-भोर सुरीली सजधज ,
मस्त पवन छेड़े है सरगम !
कुरजां जल्ला गोरबंद कोयलड़ी हाला-झाला !
मेरा मरुधर देश निराला !!

जाळ-बंवळ औ' खींप-खेजड़ी !
कुदरत जोड़े हाथ है खड़ी !
कण-कण में है लिखी यहां ,
मनुहार-प्यार की बारहखड़ी !
गंधर्वों जैसे हैं नर , हर नारी है सुरबाला !
मेरा मरुधर देश निराला !!

राधा-कृष्ण यहां हर टाबर !
मुस्काएं बाखळ-आंगन-घर !
मेंहदी-झूले-तीज-मगरिये !
झूमे धरती , नाचे अंबर !
सोम-सुधा, मादक-हाला ज्यूं राब-छाछ का प्याला !  
 मेरा मरुधर देश निराला !!

इंद्र रूठता है तो रूठे !
करषों की लय रुके न टूटे !
खेत-बगीचों बहा ' पसीना ,
खिला रहे हैं सिट्टे-बूटे !
यहां अमा सुरमई-सजीली लाए उछब-उजाला !
मेरा मरुधर देश निराला !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
(c)copyright by : Rajendra Swarnkar
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इस गीत में कुछ राजस्थानी शब्द सायास प्रयोग में लिए हैं ।
आशा है , आपको समझने में दुविधा नहीं होगी ।
फिर भी अर्थ देखलें
रूपाळा = सुंदर / रूपवान
कुरजां , जल्ला , गोरबंद , कोयलड़ी  = ये सभी राजस्थानी भाषा के सैंकड़ों विशेष लोकगीतों में से कुछ हैं ।
हाला-झाला की कुंडलियां बहुत प्रसिद्ध और लोकप्रिय हैं जो चाव से गाई जाती हैं ।
जाळ , बंवळ , खींप , खेजड़ी = राजस्थान में ऊगने वाले वृक्ष-वनस्पति
टाबर = नन्हे बच्चे
बाखळ = गांव का चौक / घर के अहाते का खुला भाग
मगरिये = मेले
उछब = उत्सव


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पिछली पोस्ट की अपडेट कहीं भी प्रदर्शित नहीं हो पाई थी ।
इस पोस्ट का भी भगवान ही जाने क्या होगा
फिर मेरी आंखों में इंफेक्शन हो जाने से आपसे संपर्क न के बराबर ही रहा ।
इस बीच अनेक नये मित्रों ने
को अपने आशीर्वाद और सहयोग से नवाज़ा है
सभी आत्मीयजन का हृदय से आभार !

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और हां
आज मैंने राजस्थानी भाषा का एक नया ब्लॉग बनाया है
आपके प्यार , स्नेह और सहयोग के लिए निवेदन है ।
लिंक है  http://rajasthaniraj.blogspot.com

37 टिप्‍पणियां:

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

राजस्थान स्थापना दिवस पर आपको
हार्दिक शुभकामनायें।

इस अवसर पर आपका यह गीत...‘मेरा मरुधर देश निराला’.. भावनाओं का बहुत सुंदर चित्रण है हार्दिक बधाई...

सुज्ञ ने कहा…

माटी की सौंधी सुवास भारा गीत!!
यहां देश की याद दिला दी, राजेन्द्र भाई
बहुत बहुत बधाई, राजस्थानी ब्लॉग के लिये भी।

शुभकामनाएँ

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर भावपूर्ण गीत...... बहुत बहुत बधाई....

Ratan Singh Shekhawat ने कहा…

राजस्थान स्थापना दिवस पर
हार्दिक शुभकामनायें।

Satish Saxena ने कहा…

वाकई याजस्थान शानदार परम्पराओं का स्थल है ! हार्दिक शुभकामनायें आपको और आपके देश को !

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

राजस्थान स्थापना दिवस पर बहुत बहुत बधाई

सुन्दर गीत ! यूं भी राजस्थान लोक गीतों में अपनी एक अलग पहचान रखता है
आप को और आप के परिवार को बहुत बहुत शुभकामनाएं

आशा है अब आँख का इंफ़ेक्शन ठीक हो गया होगा

mridula pradhan ने कहा…

राजस्थान स्थापना दिवस पर आपको
हार्दिक शुभकामनायें।
geet bahut khoobsurat hai.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

राजस्थान स्थापना दिवस की शुभकामनायें ...गीत बहुत सुन्दर लगा ..सारी खूबियां राजस्थान की गिना दीं ...

डॉ टी एस दराल ने कहा…

अपनी माटी से इतना प्यार है , बधाई ।
आँखें जल्दी ठीक कर लीजिये , फाइनल होने वाला है ।
शुभकामनायें ।

रचना दीक्षित ने कहा…

राजेंद्र जी आपके गीतों का तो जवाब नहीं. ये और एक मोती उसी माला में पिरोया है आपने. शुभकामनाएँ.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रियतम, सुन्दर, प्यारा,
मरुधर देश निराला।

केवल राम ने कहा…

बहुत सुंदर गीत इतिहास और वर्तमान को समेट दिया आपने इस गीत में ..आपका आभार

सदा ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर भावमय करते शब्‍द हैं इस गीत के ...बहुत-बहुत बधाई ।

amrendra "amar" ने कहा…

बहुत सुंदर भावपूर्ण गीत...... बहुत बहुत बधाई...

Anita ने कहा…

राजस्थान दिवस तथा भावभीने गीत के लिये हार्दिक बधाई स्वीकारें!

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

बहुत सुन्दर , मनमोहक , भावपूर्ण , लयबद्ध , प्रवाहमय गीत ...
मन मोह लिया |

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

@ आँखें जल्दी ठीक कर लीजिये , फाइनल होने वाला है ।
हा....हा...हा......
अब लंका दहन को जाना है राजेन्द्र जी .....

और गीत के शब्दों के तो अर्थ पढ़ पढ़ के मन पुलकित हो गया ..
कुरजां , जल्ला , गोरबंद ,कोयलडी , हाला झाला , बंवल , खीप,खेजड़ी ...वाह ...वाह.....
शब्दों से आपका ज्ञान भंडार पता चलता है गुरुदेव ....
हम तो बस डुबकी लगा तर गए ....

महका मनभावन हर मौसम
धोरे थिरके रुक-रुक ,थम थम
अहा ....

चलिए आपको राजस्थान दिवस की हार्दिक बधाई ....
अब नया ब्लॉग देखने के लिए राजस्थानी भी सीखनी पड़ेगी .....
डॉ साहब मदद कीजिये ....

अशोक सलूजा ने कहा…

राजेन्द्र जी ,
बहुत-बहुत बधाई ,आप को राजस्थान स्थापना दिवस के मौके पर |
हम सबका भारत जिंदाबाद !
आशीर्वाद और शुभकामनाये !

Deepak Saini ने कहा…

राजस्थान स्थापना दिवस पर आपको
हार्दिक शुभकामनायें।

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर भावमय करते शब्‍द|धन्यवाद|

abhi ने कहा…

मेरे मंझले मामा ने राजस्थान में काम किया है...बहुत समय तक वहां रहे, और यकीन मानिए दिल से ईच्छा है राजस्थान घूमने की...
देखता हूँ मौका कब मिलता है!

Rakesh Kumar ने कहा…

क्या कहने 'स्वर्णकार' भाई,क्या सुन्दर की है आपने शब्दों की जड़ाई.
पढ़ कर मन प्रसन्न हो गया,राजस्थान के भावों में न जाने कहाँ खो गया.
राजस्थान स्थापना दिवस और नवीन ब्लॉग के लिए बहुत बहुत बधाई ,
मेरे ब्लॉग पर आने में भी अब देर न करो मेरे भाई.
मिले सुर मेरा तुम्हारा,तो सुर बने न्यारा,भूलना नहीं
आपके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूँ.

Minoo Bhagia ने कहा…

waah !

Amrita Tanmay ने कहा…

Arthon ke sahare geet ko samjhana achchha laga...jai RAJSTHAN..

डॉ टी एस दराल ने कहा…

राजस्थानी भी सीखनी पड़ेगी !
जी पहले हम सीख लें , फिर सिखाने की कोशिश करेंगे ।

virendra sharma ने कहा…

chhed diyaa dil ke taaron ko ,behad saargarbhit aur ejuketiv rachnaa .
I had stayed in Narnaul(Haryana ) for as many odd years as were required to complete my family with three children ,so I know a bit of rajasthaani folk .
veerubhai .

बेनामी ने कहा…

राजस्थान स्थापना दिवस की शुभकामनायें ! बहुत आकर्षित करता है ! पधारो म्हारे देस ! राजस्थानी लहंगा ,भाषा ,और भोजन के क्या कहने !

दिगम्बर नासवा ने कहा…

Rajsthan ki mitti ki sondhi sondhi khushboo liye ye lajawaab geet aapke blog par hi milta hai ... Shukriya ...

Creative Manch ने कहा…

राजस्थान स्थापना दिवस पर belated हार्दिक शुभकामनायें।

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

राजेन्द्र भाई,
बहुत सुंदर और प्यारा गीत है।
राजस्थान स्थापना दिवस की शुभकामनाएं।
आपके नए ब्लॉग का हार्दिक स्वागत है।

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

‘मेरा मरुधर देश निराला’.. भावनाओं का बहुत सुंदर चित्रण है हार्दिक बधाई..राजस्थान स्थापना दिवस पर हार्दिक शुभकामनायें।

विशाल ने कहा…

आदरणीय राजेन्द्र जी,
राजस्थानी मिट्टी की सुगंध लिए आपकी रचना दिल को छू गयी.
कई बार राजस्थान के साथ बहुत जुड़ाव महसूस करता हूँ,क्योंकि मेरे पुरखे भी राजस्थान से ही थे.
मरुभूमि को सलाम.

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

भारतीय भाषाओं/बोलियों का हिंदी में सायास प्रयास भाषा को समृद्ध करेगा, इसमें संदेह नहीं है। बधाई।

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

राजेन्द्र जी, बहुत शानदार रचना है.

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

राजस्थान स्थापना दिवस पर आपको बधाई और प्यारे- से सुंदर गीत के लिए भी बधाई...

वाणी गीत ने कहा…

राजस्थान रा चोखा आखरां स्यूं सज्यो चोखो गीत ..
नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनाये ..

Anand Dwivedi ने कहा…

dada meri comments post nahi ho rahi hai aapke blog par pata nahi kya baat hai?
राधा कृष्ण हर टाबर मुस्काएं बाखल आँगन घर
मेहदी झूले तीज मंगरिये झूमे धरती नाचे अम्बर ..

वाह दादा .... राजस्थान स्थापना दिवस पर आपको शुभकामनायें! आशीर्वाद का आकांक्षी ही रहूँगा हमेशा !