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21/9/11

हर घड़ी सांस को गंवाना है !

आज प्रस्तुत है

‘आईनों में देखिए’
वर्ष 2004 में प्रकाशित मेरे प्रथम ग़ज़ल-नज़्म संग्रह में से 
एक नज़्मनुमा ग़ज़ल


हर घड़ी सांस को गंवाना है 

ज़िंदगी दर्द का फ़साना है !
हर घड़ी सांस को गंवाना है !
जीते रहना है , मरते जाना है !
ख़ुद को खोना है , ख़ुद को पाना है !
चांद-तारे सजातसव्वुर में ,
तपते सहरा में चलते जाना है !
जलते शोलों के दरमियां जाकर ,
बर्फ के टुकड़े ढूंढ़ लाना है !
तय है अंज़ाम हर तमन्ना का ;
गोया पत्थर पॅ गुल खिलाना है !
बुत के आगे है ग़म बयां करना ,
औरपत्थर से दिल लगाना है !
दर्द बांटे किसी का क्या कोई ,
दर्द साये से भी छुपाना है !
लेके तूफ़ान ख़ुद ही कश्ती पर
बीच मंझधार उतर ही जाना है !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar


पिछली पोस्ट पर मिली आपकी बधाइयों के लिए कृतज्ञ हूं ।
आज भी आभार मानता हूं , आगे भी स्नेहाकांक्षा बनी रहेगी ।
आप सबके लिए हृदय से मंगलकामनाएं !

70 टिप्‍पणियां:

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

राजेंद्र जी, सबसे पहले तो आप जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार करें ...
आपका यह नज़्म वाकई बेहद खूबसूरत है ... जलते अंगारों से बर्फ के टुकड़े ढूँढ लाना ... वाह क्या बात है ...
उम्मीद है आज का दिन सबके साथ मिलके आनंद से गुजरेगा ...

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

राजेन्‍द्र जी,

आरज़ू चाँद सी निखर जाए,
जिंदगी रौशनी से भर जाए,
बारिशें हों वहाँ पे खुशियों की,
जिस तरफ आपकी नज़र जाए।
जन्‍मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
------
मायावी मामा?
जीवन को प्रेममय बनाने की जरूरत..

Manhoos ने कहा…

Nice .

Sunil Kumar ने कहा…

खुबसूरत अहसासों को लफ़्ज दे दिए बहुत खूब ..

Satish Saxena ने कहा…

दर्द साए से भी छुपाना है ....
बहुत ठीक कहा है आपने राजेंद्र भाई ! शुभकामनायें आपको !

वाणी गीत ने कहा…

सुन्दर रचना ...
जन्मदिन की शुभकामनायें!

Unknown ने कहा…

राजेंद्र जी जन्म दिन की बधाई और शुभकामनाये . एक खूबसूरत ग़ज़ल लिखी है आपने .जलते अंगारों से बर्फ के टुकड़े आप ही ढूंढ ला सकते है और खूबसूरत काव्य रच सकते है पुनः बधाई

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सहजता से जीवन दर्शन व्यक्त करती आपकी पंक्तियाँ।

www.navincchaturvedi.blogspot.com ने कहा…

ज़िंदगी की तमाम बातें बड़ी ही संजीदगी से बतिया रही है आप की यह खूबसूरत ग़ज़ल। इस के तमाम मिसरे जैसे किसी न किसी तज़रूबे की समीक्षा कर रहे हैं। इस जबर्दस्त मस्त मस्त ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई राजेन्द्र भाई। आप के ब्लॉग पर हर बार कुछ और नया कुछ और अच्छा पढ़ने को मिलता रहता है। एक बार फिर से बधाई।

रविकर ने कहा…

सुन्दर भावों ने बिखर, सज्जा दिया निखार |
रचना प्यारी आपकी, बहुत-बहुत आभार ||

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

बुत के आगे है गम बयां करना
और पत्थर से दिल लगाना है.

वाह राजेंद्र जी वाह ....आपकी नज्म ने तो नि:शब्द कर दिया.

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.

नीरज गोस्वामी ने कहा…

भाई जी...जुग जुग जियो और ऐसी अप्रतिम रचनाएँ रचते रहो...हमारी शुभ कामनाएं सदा आपके साथ हैं.
बेजोड़ ग़ज़ल कही है...

चाँद तारे सजा तसुव्वर में....
तय है अंजाम हर तमन्ना का...
दर्द बांटे किसी का क्या...

जैसे शेर हमेशा ज़ेहन में रहेंगे...बधाई स्वीकारें और खूब खुशियाँ प्राप्त करें

नीरज

Bharat Bhushan ने कहा…

चाँद तारे सजा तसुव्वर में,
तपते सहरा में चलते जाना है.

अच्छे बिंब के साथ यह दर्द के साथ जीने का तरीका भी है. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल-ओ-नज़्म.

Deepak Saini ने कहा…

बहुत सुंदर रचना

Deepak Saini ने कहा…

बहुत सुंदर रचना

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

हर घड़ी सांस को गवाना है ...
सच है ....
ये जन्मदिन हर वर्ष कुछ साँसे कम कर देता है ....:))
जन्मदिन मुबारक हो राजेन्द्र जी ....
दुआ है आपकी सांसे कभी कम न हो ....

जन्मदिन पर ये ग़ज़ल खूबसूरत तोहफा हमारे लिए ....

अशोक सलूजा ने कहा…

अपने जन्मदिन की बधाई स्वीकार करें !
एहसास भरी गज़ल से रूबरू कराने का आभार ...
आशीर्वाद!

Unknown ने कहा…

शानदार रचना |

संजय भास्‍कर ने कहा…

राजेंद्र जी जन्म दिन की बधाई और शुभकामनाये...सुंदर रचना

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

तय है अंज़ाम हर तमन्ना का ;
गोया पत्थर पॅ गुल खिलाना है !
बुत के आगे है ग़म बयां करना ,
और … पत्थर से दिल लगाना है !

बहुत खूबसूरत गज़ल ...

डॉ टी एस दराल ने कहा…

धीरे धीरे प्यार को बढ़ाना है
हद से गुजर जाना है .

आपकी नज्मनुमा ग़ज़ल पढ़कर कुमार शानु के एक गाने का यह मुखड़ा याद आ गया .
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है भाई .

जन्मदिन की ढेरों बधाई और शुभकामनायें .
आपके सुर में ये मिठास यूँ ही बनी रहे और आप शानदार ग़ज़लें लिखते और सुनाते रहें .

रेखा ने कहा…

शानदार रचना .....जन्मदिन की बहुत -बहुत बधाई

Sonroopa Vishal ने कहा…

सुंदर शब्द,भाव रचना ......

Amit Sharma ने कहा…

आदरणीय !
आपको जन्मदिन की हार्दिक बधाई ! ठाकुरजी से आपके लिए यही प्रार्थना करतां हूँ >>>>>>>>>>>>>
पश्येम शरदः शतं जीवेम शरदः शतं श्रुणुयाम शरदः शतं प्रब्रवाम शरदः शतमदीनाः स्याम शरदः शतं भूयश्च शरदः शतात्
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
मुझे आज भी याद है आपकी यह पंक्ति जो आपने अपने पिछले जन्मदिन पर प्रकाशित की थी, आज भी मुझे प्रेरणा देती है समय के झंझवातों से झूझने की >>
वक़्त ! माथे पर तुम्हारे, मात मैं लिख जाऊँगा

आप हमेशां इसी तरह अपनी लेखनी से सरस्वती साधना करतें रहें, और हमारे जैसे प्रेरणा पातें रहे !

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

बहुत सुन्दर...वाह!

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

आद राजेन्द्र भईया,
सादर अभिनन्दन और जन्मदिन की बधाईयाँ....
ग़ज़ल को पढ़े बिना निचे चला आया कि आपकी पुरअसर आवाज़ में सुनते हुए इसे पढूंगा... !!

"ले के तूफ़ान खुद ही कश्ती पर
बीच मंझधार उतर ही जाना है"

आप यूँ ही लिख्नते रहें और मुझ जैसे अनेक छोटे भाईयों का मार्गदर्शन करते रहें....
पुनः सादर बधाई...

Patali-The-Village ने कहा…

सहजता से जीवन दर्शन व्यक्त करती आपकी पंक्तियाँ।

Rajesh Kumari ने कहा…

janm din mubarak ho.har bar ki taarah uttam rachna.

Maheshwari kaneri ने कहा…

राजेन्द्र जी..जन्म दिन की बधाई..बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..आप की नयी पोस्ट की हमेशा इंतजार रहता है..

Pallavi saxena ने कहा…

बेहद शानदार रचना.... समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है साथ ही आपकी महत्वपूर्ण टिप्पणी की प्रतीक्षा भी धन्यवाद.... :)
http://mhare-anubhav.blogspot.com/

girish pankaj ने कहा…

बधाई.....शुभकामनायें....जन्म दिन की.

रंजना ने कहा…

बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल...

आनंद आया पढ़कर..

आभार.

रंजना ने कहा…

बधाइयाँ...शुभकामनाएं...

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

आदरणीय राजेंद्र जी
सबसे पहले तो आप जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार करे!

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

आदरणीय राजेंद्र स्‍वर्णकार जी

फूलों ने अमृत का जाम भेजा है,
सूरज ने गगन से सलाम भेजा है,

मुबारक हो आपको नया जानम दिन,
तहे-दिल से हुँने ये पैगाम भेजा है !

आपकी मनोकामना पूर्ण हो .. जनमदिन पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!!

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

आदरणीय राजेंद्र स्‍वर्णकार जी
हमेशा की तरह अच्छी बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल!!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

सब से पहले तो सालगिरह बहुत बहुत मुबारक हो

बहुत उम्दा भावों से परिपूर्ण रचना
जो पाठक को कविताई की संतुष्टि देती है

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

सब से पहले तो सालगिरह बहुत बहुत मुबारक हो

बहुत उम्दा भावों से परिपूर्ण रचना
जो पाठक को कविताई की संतुष्टि देती है

सूर्य गोयल ने कहा…

राजेन्द्र स्वर्णकार जी उम्दा लेखन के लिए बधाई व् जन्मदिन पर गुफ्तगू की ओर से बहुत-बहुत शुभकामनाएं स्वीकार करें.

Pradeep ने कहा…

राजेंद्र जी प्रणाम !
कैसे है आप ..
"चाँद तारे सजा तसव्वुर में
तपते सहरा में चलते जाना है "
..............कोई कहता है जीवन जीना एक कला है....कोई कहता है सांस लेना मजबूरी है....
पता नहीं सच क्या है....पर जीना हमारा फ़र्ज़ है....
आपने इस गजल को अपनी आवाज़ नहीं दी....चार चाँद लग जाते....
अगर समय मिले तो नजरे इनायत कीजियेगा....कुछ रचनाये आपका इन्तेजार कर रही है ...

Rakesh Kumar ने कहा…

आपके जन्म दिन की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई.

आपकी सुन्दर रचना पढकर मन मग्न
हो गया है.

अनुपम भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए
हार्दिक आभार.

समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा.

सदा ने कहा…

सबसे पहले तो जन्‍मदिन की आपको बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं
बुत के आगे है गम बयां करना
और पत्थर से दिल लगाना है.

वाह ...नि:शब्‍द करती यह पंक्तियों अनुपम बन पड़ी हैं ...

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

जलते शोलों के , दरमियां जाकर
बर्फ के टुकड़े , ढूंढ़ लाना है |
*******************************
बुत के आगे है गम बयां करना
और....पत्थर से दिल लगाना है |

वह क्या कहना राजेन्द्र जी !
बहुत प्यारी ग़ज़ल ....हर शेर बेहतरीन

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें.

बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल...मन को छू लेने वाली.

shashi purwar ने कहा…

janam din ki hardik shubhkamnaye ........bahut hi sundar prastuti hai .......dil ke karib ...eahsao se bhari abhivyakti ....aapki rachnao ko padna hamesha ek naya anubhav hota hai .

Anita ने कहा…

बेहतरीन नज्म ! जिंदगी का पूरा फलसफा बयान कर दिया है आपने इस रचना में... आभार !

Suman ने कहा…

sunadar rachna ke sath janmdin mubarak ho rajendr ji,

Arvind kumar ने कहा…

क्या बात है.....
बहुत खूब

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

bahut khoobsurat urdu lafzo k prayog se umda gazel bani hai.

janm din mubarak ho.

सागर ने कहा…

khubsurat prstuti....

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

खूबसूरत गज़ल भाई राजेन्द्र जी बधाई और शुभकामनाएं

Arvind Mishra ने कहा…

एक खूबसूरत और इरादा बुलंद गजल

Minoo Bhagia ने कहा…

bahut achhe rajendra ji

अभिषेक मिश्र ने कहा…

" दर्द बांटे किसी का क्या कोई,
दर्द साये से भी छुपाना है..."

बहुत सुन्दर गज़ल.

Lalit Mishra ने कहा…

राजेन्द्र भाई,
इस बेहतरीन रचना के लिए साधुवाद.....

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

दर्द बाँटे क्या कोई
दर्द साये से भी छुपाना है।
बहुत अच्छा।

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपका नज्म मन को भा गया । धन्यवाद ।

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

जन्म दिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
नज्म बहुत उम्दा है।

डॉ.मीनाक्षी स्वामी Meenakshi Swami ने कहा…

दिल को छू लेने वाली, बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल के लिये बधाई।

Rohit Singh ने कहा…

आफका जन्मदिन है तो ढेर सारी बधाई...साथ में सारे गुड़ शक्कर आपके मुंह में.....गजल काफी अच्छी लगी.....कसम से...वैसे आपके रिकार्ड मधुर आवाज कहां है। उसका लिंक नहीं मिला मुझे मित्रवर। कैसे गुजरेगी...अगर लिंक न मिले गाने के .....तो इसे प्रार्थना समझें या जिद...जो उचित लगे......गाने का लिंक जरुर लगा के रखा करें।

G.N.SHAW ने कहा…

सुन्दर गजल बधाई !

Vivek Jain ने कहा…

जन्म दिन की हार्दिक बधाई


विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत मर्मस्पर्शी और भावमयी गज़ल...लाज़वाब...आभार

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

जन्मदिन की बधाई,देर से पहुंचा.


चाँद तारे सजा तसुव्वर में,
तपते सहरा में चलते जाना है.

खूबसूरत शेर, आपके होसले और अज़म को दर्शाता.

Asha Joglekar ने कहा…

जलते सोले के दरमियां जा कर बर्फ के टुकडे ढूढ लाना है ।
क्या बात कही है ।

बेहद सुंदर गज़ल । एक एक शेर जिंदगी की सच्चाई बयां करता हुआ ।
देर से ही सही आपको जन्मदिवस की शुभ कामनाएं । आशा है जन्म दिवस आनन्दमय रहा होगा ।

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

bahut sundar....

sushilashivran ने कहा…

जितनी तारीफ़ की जाये कम है ! अति उत्तम !

अनुपमा पाठक ने कहा…

सुंदर भाव!