ब्लॉग मित्र मंडली

22/3/12

जल जीवनदाता ; इसे शत-शत करो प्रणाम !!

विश्व जल दिवस के अवसर पर प्रस्तुत हैं मेरे लिखे कुछ दोहे 

जल जीवन है प्राण है !

सलिल वारि अंभ नीर जल पानी अमृत नाम !
जल जीवनदाता ; इसे शत-शत करो प्रणाम !!
वृक्ष लता क्षुप तृण सभी का जल पोषणहार !
हर मनुष्य , हर जीव का , जल ही प्राणाधार !!
जीव-जंतु सबके लिए , जल का शीर्ष महत्व !
सर्वाधिक अनमोल जल , प्राणप्रदायी तत्व !!
जल जीवन है प्राण है , यही सृष्टि का मूल !
जल-क्षतिक्षति हर जीव की ; करें न ऐसी भूल !!
जल मत व्यर्थ गंवाइए , रखिए पूरा ध्यान !
सूख गए जल-स्रोत तो व्यर्थ ज्ञान-विज्ञान !!
पृथ्वी पर जल के बिना संभव नहीं विकास !
नहीं रहा जल उस घड़ी होगा महाविनाश !!
जल के दम से आज तक मुसकाए संसार !
वरना मच जाता यहां कब का हाहाकार !!
हर प्राणी हर जीव की जल से बुझती प्यास !
जल से ही ब्रह्मांड में है जीवन की आस !!
जीवित ; जल के पुण्य से पृथ्वी के सब जीव !
हरी-भरी धरती ; बिना जल होती निर्जीव !!
सहज हमें उपलब्ध है तो जल का अपमान ?
महाप्रलय पानी बिना ! है तब का अनुमान ??
 
बिन पानी रह जाएगी धरा मात्र श्मशान !
अभी समय है ! संभलजा , ओ भोले इंसान !!
जीवन की संभावना , मात्र शून्य , बिन नीर !
जल-संरक्षण के लिए हो जाओ गंभीर !!
जल की नन्ही बूंद भी नहीं गंवाना व्यर्थ !
सचमुच , जग में जल बिना होगा महा अनर्थ !!
है सीमित , जल शुद्ध ; कर बुद्धि सहित उपभोग !
वर्षा-जल एकत्र कर ! मणि-कांचन संयोग !!
अंधाधुंध न कीजिए , पानी को बरबाद !
कई पीढ़ियों को अभी होना है आबाद !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar 



17/3/12

शोलों के दरमियां जा’कर , बर्फ के टुकड़े ढूंढ़ लाना

ज़िंदगी दर्द का फ़साना है
हर घड़ी सांस को गंवाना है
जीते रहना है , मरते जाना है
ख़ुद को खोना है , ख़ुद को पाना है
चांद-तारे सजा तसव्वुर में ,
तपते सहरा में चलते जाना है
जलते शोलों के दरमियां जाकर ,
बर्फ के टुकड़े ढूंढ़ लाना है
तय है अंज़ाम हर तमन्ना का ;
गोया पत्थर पॅ गुल खिलाना है
बुत के आगे है ग़म बयां करना ,
और पत्थर से दिल लगाना है
दर्द बांटे किसी का क्या कोई ,
दर्द साये से भी छुपाना है
ले के तूफ़ान ख़ुद ही कश्ती पर
बीच मंझधार हमको जाना है
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar

* अब सुन लीजिए *
मेरी रचना मेरी धुन में  मेरे स्वर में

©copyright by : Rajendra Swarnkar
आशा है,
नज़्मनुमा ग़ज़ल
 आपको पसंद आई होगी ।
अभी मेरे ब्लॉग के साथ बहुत समस्याएं पेश आ रही हैं… 
अपडेट में पता नहीं क्यों सब जगह सात माह पुरानी पोस्ट आती रही,
खुलने में भी दिक्कत है , कमेंट भी अपने आप मिट रहे हैं
आपके स्नेह से ही नई प्रविष्टि प्रस्तुत की है  
 

और हां
ब्लॉगर-ब्लॉग -पुराण
नहीं पढ़ी तो अब पढ़ लीजिए
 



6/3/12

ब्लॉगर-ब्लॉग-पुराण !

ब्लॉगर मित्रों ! होली का अवसर है… बुरा तो नहीं मानेंगे ?

ब्लॉगिंग पर मैंने बहुत सारे छंद लिखे हैं … गत 22-23 महीनों से जब से ब्लॉगर बना हूं ,  कुंडली छंद में पूरा ब्लॉग-पुराण ही लिख दिया है …

मैं यहां अधिक कुंडलियां डालना चाह रहा था , लेकिन 10 ही डाली है । आपकी रुचि हुई तो कभी ब्लॉग-पुराण का अगला भाग पढ़ने को मिलेगा ।

तो आज की कथा प्रारंभ करें ?

ब्लॉगर-ब्लॉग-पुराण
बांच सांच जग से जुदा, ब्लॉगर-ब्लॉग-पुराण !
न बाइबिल गुरुग्रंथ ना गीता वेद कुरान !!
गीता वेद कुरान ; मगर सब बातें सच्ची !
मिले दोस्ती-प्यार , मिले कुछ माथापच्ची !!
स्वर्णकार कविराय जो कहे उसे पढ़-जांच !
कुछ बोगस बकवास भी ब्लॉगजगत की बांच !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar

तोड़ दिए की-बोर्ड कई
लिखने बैठे सरस्वती , तो भी लिखा न जाय !
ब्लॉगिंग-महिमा जो कहे , सर उसका चकराय !!
सर उसका चकराय ; मिले क्या समझ न आए !
ब्लॉगर क्यों दिन-रात समय अनमोल गंवाए ?!
बढ़े बाल-नाखून , लगे हैं जंगली दिखने !
तोड़ दिए की-बोर्ड कई बैठे बस लिखने !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar

करो टिप्पणी दान !
क्या लगता है धन ; अरे ! करो टिप्पणी दान !
बहुत पुण्य का काम है, करलो गंगा-स्नान !!
करलो गंगा-स्नान; मिलेगा मीठा ही फल !
करने चुकता क़र्ज़ कुछ ब्लॉगर आएंगे कल !!
स्वर्णकार कुछ बात कभी ग़लत नहीं कहता !
टिपियादो अब ! जेब से आपके क्या लगता ?!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar

जुगत पोस्ट की जोड़ !
जोड़-तोड़ ज्यों भी बने, पोस्ट ब्लॉग पर ठेल !
जिसकी आई डी मिले , भेज उसी को मेल !!
हर ब्लॉगर को मेल; कहीं से टिप्पणी आए !
सूने-बंजर ब्लॉग पर ख़ुशियां-रौनक छाए !!
माउस से की-बोर्ड से अक्षर तोड़ - मरोड़ !
इधर-उधर के शब्द ले’… जुगत पोस्ट की जोड़ !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar

दस देगा, दो पाएगा
त्याग-परिश्रम के बिना, बनता कौन महान ?
रात-रात भर जाग कर , करो टिप्पणीदान !!
करो टिप्पणीदान; बसउपस्थिति दिखलादो !
गिनती की महिमा है तुम गुण को झुठलादो !!
दस देगा, दो पाएगा , करके भागमभाग !
की-बोर्ड माउस पीसी क्षण भर भी मत त्याग !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar

ब्लॉगर करे कमेंट
दुल्हन पहली रात को करे सजन का वेट’ !
बैठा आधी रात तक , ब्लॉगर करे कमेंट !!
ब्लॉगर करे कमेंट ; भोर होने को आई !
पीसी आगे मूर्ख कर रहा मग़ज़खपाई !!
आभासी संबंध , ज़िंदगी में दे अनबन !
रिंझा रही ब्लॉगिंग ; किसलिए लाया दुल्हन ?!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar

धन्य टिप्पणी भूख
गुप्त, महादेवी, सुमन, दिनकर, बच्चन, पंत !
और निराला के सृजन का न आदि ना अंत !!
नहीं आदि ना अंत; कोई भी रचना ले लो !
पढ़ी हुई सबके है, फिर भी ब्लॉग पॅ पेलो !!
रचना किसकीयश कोई और लूटता मुफ़्त !
धन्य टिप्पणी-भूख ! जय पंत निराला-गुप्त !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar


नशा बड़ा ब्लॉगिंग !
ब्लॉगिंग से  ज़्यादा कहां ख़ास ज़रूरी काम !
दफ़्तर में दिन भर; लगो घर में सुबहो-शाम !!
घर में सुबहो-शाम , रात को और भी मौके !
घरवाली को डांटदो, अगर कभी टोके !!
ना तो अड़चन आयु, ना धर्म, रंग ना लिंग !
लगे रहो दिन-रात है नशा बड़ा ब्लॉगिंग !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar

ब्लॉग-बालिका चपल
महिला-ब्लॉगर से ज़रा, मधुर रहे व्यवहार !
वो आएं न आएं तुम जाओ दस-दस बार !!
जाओ दस-दस बार ; दया इक दिन आएगी !
ब्लॉग-बालिका चपल तुम्हें भी टिपियाएगी !!
कब हो जाए क्या पता स्वप्न कोई साकार !
महिला-ब्लॉगर से ज़रा, मधुर रहे व्यवहार !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar

लिखो ख़ुद बेनामी बन
पोस्ट लगादी बीसियों, फटका कोई न पास !
न तो टिप्पणी की, न ही डाली किसी ने घास !!
डाली किसी ने घास लिखो ख़ुद बेनामी बन !
अल्लम-गल्लम नाम से टिप्पणियां दनादन !!
ख़ुद जैसों को ढूंढ़, फिरमेल भेज, कह - दोस्त !
कर मान बढ़ाइए ! नई लगी है पोस्ट !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
तो विदा ली जाए …
आप सबको होली की हार्दिक
बधाइयां

शुभकामनाएं
मेरी होली संबंधी रचनाएं पढ़ने-सुनने के लिए यहां आइए