ब्लॉग मित्र मंडली

22/3/12

जल जीवनदाता ; इसे शत-शत करो प्रणाम !!

विश्व जल दिवस के अवसर पर प्रस्तुत हैं मेरे लिखे कुछ दोहे 

जल जीवन है प्राण है !

सलिल वारि अंभ नीर जल पानी अमृत नाम !
जल जीवनदाता ; इसे शत-शत करो प्रणाम !!
वृक्ष लता क्षुप तृण सभी का जल पोषणहार !
हर मनुष्य , हर जीव का , जल ही प्राणाधार !!
जीव-जंतु सबके लिए , जल का शीर्ष महत्व !
सर्वाधिक अनमोल जल , प्राणप्रदायी तत्व !!
जल जीवन है प्राण है , यही सृष्टि का मूल !
जल-क्षतिक्षति हर जीव की ; करें न ऐसी भूल !!
जल मत व्यर्थ गंवाइए , रखिए पूरा ध्यान !
सूख गए जल-स्रोत तो व्यर्थ ज्ञान-विज्ञान !!
पृथ्वी पर जल के बिना संभव नहीं विकास !
नहीं रहा जल उस घड़ी होगा महाविनाश !!
जल के दम से आज तक मुसकाए संसार !
वरना मच जाता यहां कब का हाहाकार !!
हर प्राणी हर जीव की जल से बुझती प्यास !
जल से ही ब्रह्मांड में है जीवन की आस !!
जीवित ; जल के पुण्य से पृथ्वी के सब जीव !
हरी-भरी धरती ; बिना जल होती निर्जीव !!
सहज हमें उपलब्ध है तो जल का अपमान ?
महाप्रलय पानी बिना ! है तब का अनुमान ??
 
बिन पानी रह जाएगी धरा मात्र श्मशान !
अभी समय है ! संभलजा , ओ भोले इंसान !!
जीवन की संभावना , मात्र शून्य , बिन नीर !
जल-संरक्षण के लिए हो जाओ गंभीर !!
जल की नन्ही बूंद भी नहीं गंवाना व्यर्थ !
सचमुच , जग में जल बिना होगा महा अनर्थ !!
है सीमित , जल शुद्ध ; कर बुद्धि सहित उपभोग !
वर्षा-जल एकत्र कर ! मणि-कांचन संयोग !!
अंधाधुंध न कीजिए , पानी को बरबाद !
कई पीढ़ियों को अभी होना है आबाद !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar 



87 टिप्‍पणियां:

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

सारे दोहे बता रहे, जल का खूब महत्व|
जल दिवस बता रहा,है यह अमूल्य तत्व||

सुंदर शब्दों से सजे सभी दोहे वाकई बहुत अच्छे हैं...

Rajesh Kumari ने कहा…

वाह जल पर लिखे अद्दभुत दोहे अतिसुन्दर चित्र भी मनमोहक हैं जल की उपयोगिता बहुत सुन्दरता से दर्शाई है ,प्रेरणा दाई पोस्ट बहुत पसंद आई.

Anupama Tripathi ने कहा…

सुंदर अर्थपूर्ण दोहे ....
शुभकामनायें .

Satish Saxena ने कहा…

सबके लिए लाभदायक लेख ...
कवियों के लिए एक अनछुआ विषय
आभार आपका !

udaya veer singh ने कहा…

जल ही जीवन है ,यह परम सत्य है , इस अनमोल द्रव्य कोबचाना सृष्टि को बचाना है .....साधुवाद जी /

Arvind Mishra ने कहा…

सुन्दर सामयिक भाव और प्रस्तुति !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बिन पानी सब सून।

रविकर ने कहा…

बांग्लाभाषी है भला, पिए नहीं बस खाय ।

भूलो सब जलपान को, जल तो रहा विलाय ।

जल तो रहा विलाय, कलेवा बदल कलेवर ।

ठूस-ठास कर खाय, ठोस दाना अब पेवर ।

जल-प्रदान का पुण्य, काम पित्तर आयेंगे।

देंगे वे जल-ढार, पिपासु बुझा पायेंगे ।।

विष्णु बैरागी ने कहा…

अच्‍छे और उपयोगी दोहे हैं। प्रत्‍येक दोहे के बाद दोहरी स्‍पेस देकर उन्‍हें एक दूसरे से अलग करने पर विचार करें। इससे चाक्षुष सुख तो बढेगा ही, पढने में भी अधिक आसानी होगी।

पी.एस .भाकुनी ने कहा…

बेहतरीन दोहे ! जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है,
विश्व जल दिवस के अवसर पर जागरूक करती उपरोक्त पोस्ट हेतु आभार....

mridula pradhan ने कहा…

amal karne ki zaroorat hai.....bahot achchi baat likhi hai.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सभी दोहे बहुत सार्थक ... पानी के महत्त्व को कहते हुये ... कुछ दिनों से आपका ब्लॉग नहीं खुल रहा था ... आज ठीक से खुला ...

डॉ टी एस दराल ने कहा…

लहराती , बल खाती , मचलती तस्वीर को देख कर ही हम तो आत्म विभोर हो गए भाई जी .

क्या कमाल करते हो !

जल पुराण पढ़कर जल की कीमत समझ आ रही है .

सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई और आभार .

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत बढ़िया....सामायिक रचना....
बस लोग समझें ...सिर्फ कविता समझ कर वाह वाह ना किया जाय....

सादर.

shashi purwar ने कहा…

jal hi jeevan hai , jal bina sab suna ............bahut sunder rchna rajendra ji , hardik badhai .

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

जल जीवन है प्राण है, यही सृष्टि का मूल...

अत्यंत सार्थक दोहे आदरणीय राजेन्द्र भईया...
सादर.

सुज्ञ ने कहा…

इस निर्मल नीर प्रवाह से तृप्त हुए॥

आपने जल दिवस पर पानी रखा !! आभार

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बढ़िया दोहे प्रस्तुत किये हैं आपने!

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

सार्थक , सुंदर , संदेशपरक दोहे

रश्मि शर्मा ने कहा…

bahut sundar aur sarthak kavita ke liye aapko badhai.

Jitendra Dave ने कहा…

सुन्दर! गंगा के पावन जल को बचाने के लिए डॉ. अग्रवाल आमरण अनशन कर रहे हैं. लेकिन सरकार के कान पे जूं नहीं रेंग रही है. जाने सरकार को गंगा और जल से क्या दुश्मनी है.

मनोज कुमार ने कहा…

आज के दिन को समर्पित ये पंक्तियां सार्थक और बहुमूल्य हैं।

Dr Xitija Singh ने कहा…

aadarniya rajendra ji ... saadar pranaam ... aaj itne din baad blog jagat mein lauti hoon ... aur aapke blog par aakar maano aisa lag raha hai ... jaise phir aapne pariwaar mein laut aayi hoon ... apna aashirwaad humesha banaye rakhiye ... aur racha ke baare mein kya kahun ... humesha ki tarha lajawaab ...

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

राजेन्द्र भाई..
बहुत ही सामयिक और सुन्दर दोहे...
अदा दी...

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…


(¯`'•.¸*♥♥♥♥*¸.•'´¯)
♥(¯`'•.¸*♥♥*¸.•'´¯)♥
♥♥(¯`'•.¸**¸.•'´¯)♥♥
*♥*-=-स्वागतम-=-*♥*
*(¸.•'´*♥♥♥♥♥*`'•.¸)*

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

बिन पानी सब सून.
जल ही जीवन है ,पानी बिना संसार असार है !
बहुत सुन्दर चिन्त नइन दोहों में व्यक्त हुआ है. !

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

‎.

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
नव संवत् का रवि नवल, दे स्नेहिल संस्पर्श !
पल प्रतिपल हो हर्षमय, पथ पथ पर उत्कर्ष !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥

शस्वरं के सभी मित्रों को
*चैत्र नवरात्रि और नव संवत २०६९ की हार्दिक बधाई !*
*शुभकामनाएं !*
*मंगलकामनाएं !*

dinesh gautam ने कहा…

पानी पर बड़े पानीदार दोहे लिखे हैं भाई राजेन्द्र जी आपने ।-
जल की नन्ही बूँद भी नहीं गँवाना व्यर्थ,
सचमुच जग में जल बिना होगा महा-अनर्थ!
जवाब नहीं आपके इस दोहे का । बहुत बढि़या संदेश दिया है आपने।

Rajput ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना राजेंद्र जी ,
आज इंसान जिस तरह जमीन के सीने से निकाल इस अमृत को व्यर्थ बिखेर रहा हैं
तो ऐसा करके वह खुद अपने ही अस्तित्व पर सवाल खड़े कर रहा है . आज गोव में देखते हैं कुए ,बावड़ी में पानी नज़र ही नहीं आता .
भूमि सिचाई के लिए हर साल बोरवेल के पाइप को और गहराई में पेवस्त किया जा रहा है . कुछ सालों बात हालत बेकाबू होकर ही रहेगे.

Mithilesh dubey ने कहा…

सुन्दर सामयिक भाव और प्रस्तुति के लिए बधाई.

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

दोहे छलछल छलकते करते हमें सचेत
नव सम्वत्सर वर्ष पर अमल करें समवेत.

शुभ नव वर्ष............

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

नवसंवत्सर के अवसर पर आपका स्नेह मिला। आपको भी अशेष शुभकामनाएं।

जल पर बेहतरीन दोहे रचे हैं आपने। सभी एक से बढ़कर एक हैं। इसकी तो होर्डिंग बनवाकर चस्पा कर देनी चाहिए शहरों में...

जल जीवन है प्राण है,
यही सृष्टि का मूल!
जल-क्षति, जीवन की क्षति;
करें न ऐसी भूल!!
...................

माँ सरस्वती, माँ दुर्गा, माँ काली... सभी की कृपा आप पर बनी रहे।

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

जल की कहानी को इतिहास बनने से रोका जा सके तो बेहतर है !

आभार आपका !

अशोक सलूजा ने कहा…

जल का महत्व बताते सुंदर दोहे ...
सुंदर रचना पर और खूबसूरत विचारों पर ..
मुबारक हो !
शुभकामनाएँ!

virendra sharma ने कहा…

मय आपके सभी चिठ्ठाकारों को बधाई और शुभकामनाएं . नवसंवत्सर की .

जहां ज़ल है वहीँ जीवन की संभावना है .शरीर का बहुलांश भी जल ही है .जीवन तत्व जल की महिमा रहीम ने तभी समझ ली थी जब सृष्टि में जल की किल्लत नहीं थी -

रहिमन पानी राखिये ,बिन पानी सब सून ,

पानी गए न ऊबरे ,मोती मानुस चुन .

यह दुर्भाग्य पूर्ण है आज हम उसी जल की तात्विकता नष्ट कर बैठे हैं .हमारे सभी जल स्रोत गंधाने लगें हैं .बढ़िया साहित्य रचके आपने पर्यावरण की हिमायत की है जो एक ज़िंदा शख्शियत है भौतिक अवधारणा मात्र नहीं है हमारा पर्यावरण हमारी अपनी प्रकृति ही है . डेढ़ अरब लोग आज दिन प्यासे हैं .पेय जल से वंचित है .आगे क्या होगा .बूँद बूँद सो भरे सरोवर .

Aruna Kapoor ने कहा…

जल की अहमियत प्रस्तुत करते बहुत सुन्दर दोहे!

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

पानी की हर धार मे
जीवों का संसार है
इसकी महिमा क्या हम गायें ?
ये जीवन का आधार है।बहुत अच्छी प्रस्तुति राजेन्द्र जी।

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुंदर और सार्थक दोहे...शुभकामनायें!

Maheshwari kaneri ने कहा…

जल ही जीवन है बिन जल सब सून...सार्थक रचना...

Dr Varsha Singh ने कहा…

सार्थक पोस्ट ..!
नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ|

सदा ने कहा…

सार्थकता लिए उत्‍कृष्‍ट लेखन ..आभार ।

vandana gupta ने कहा…

समसामयिक रचना…………नव संवत्सर मंगलमय हो।

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

जल जीवन है प्राण है,
यही सृष्टि का मूल!
जल-क्षति, जीवन की क्षति;
करें न ऐसी भूल!!

बहुत खूबसूरत रचना है।
नववर्ष और नवरात्रि की बधाई एवं शुभकामनाएं।

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

विचारनीय पोस्ट...काश जल की इस महत्ता को समझा गया होता . एक सुंदर सन्देश देती हुई बहुत ही अच्छी पोस्ट.

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

सर आपको चैत्र नवरात्र और नव संवत की अनेकों मंगलकामनाएं....

सादर.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

जल जीवन है प्राण है,
यही सृष्टि का मूल!
जल-क्षति, जीवन की क्षति;
करें न ऐसी भूल!!

बहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन सटीक रचना,......

my resent post


काव्यान्जलि ...: अभिनन्दन पत्र............ ५० वीं पोस्ट.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

जल जीवन है प्राण है,
यही सृष्टि का मूल!
जल-क्षति, जीवन की क्षति;
करें न ऐसी भूल!!

बहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन सटीक रचना,......

my resent post


काव्यान्जलि ...: अभिनन्दन पत्र............ ५० वीं पोस्ट.

virendra sharma ने कहा…

पञ्च तत्वों में से एक प्रमुखतम तत्व है जल उसकी तात्विकता नष्ट करके हमने आफत मोल ले ली है .जल से पैदा रोग और अप -व्यय जीवन का अप -विकास है छीजना है .ब्लॉग पे आप आये अच्छा लगा .उत्साह मिला .

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें...

Sonroopa Vishal ने कहा…

नवसंवत्सर की शुभकामनायें स्वीकारें .....
राजेन्द्र जी बहुत दिनों बाद आज आपके ब्लॉग पर आई हूँ .....लहराती जलधारा ने सबसे पहले सम्मोहित किया फिर दोहों ने ........बहुत बहुत बधाई सारगर्भित रचना के लिए !

***Punam*** ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई...

dinesh gautam ने कहा…

नूतन संवत्सर की मेरी भी शुभकामनाएँ राजेन्द्र जी, आप और आप के परिवार के लिए यह संवत्सर सुखमय हो।

Rohit Singh ने कहा…

इतना ध्यान देने लगेंगे हम तो तीसरे विश्व युद्ध का क्या होगा मित्रवर....जाहिर है जब शहरों में आसानी से पानी मिल रहा है तभी तो हम इसकी कद्र नही कर पा रहे हैं। व्य़र्थ बहता पानी हमें दिखता नहीं औऱ बात करते हैं समाज को बदलने की ....

Shalini kaushik ने कहा…

pani kee mahima ka bahut sahaj varnan kiya hai.sath hi navsamvat kee shubhkamnayen bhi bahut hi sundar sanyojan se dee hain.aapko bhi nav samvat bahut shubh v mangalmay ho rajendra ji.हे!माँ मेरे जिले के नेता को सी .एम् .बना दो. धारा ४९८-क भा. द. विधान 'एक विश्लेषण '

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

जल ही जीवन है...इसका सही इस्तमाल करना चाहिए...
बहुत ही बढ़िया विषय ,,,,उत्कृष्ट रचना,,,,,
:-)

Asha Lata Saxena ने कहा…

सुन्दर और भावपूर्ण सार्थक रचना |नव वर्ष पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
आशा

Asha Lata Saxena ने कहा…

सुन्दर और भावपूर्ण सार्थक रचना |
नव वर्ष पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
आशा

Saurabh ने कहा…

भाई राजेंद्र जी, हार्दिक अभिवादन.
इन दोहों के लिये बधाई.

जल की अनिवार्यता जानी-बूझी बात है, इसके बावज़ूद समाज में जल के प्रति ऐसी अविवेकपूर्ण अन्यन्मनस्कता के भाव ! आपने सही कदम उठाया है राजेंद्र भाई. और चेताते हुए दोहों की रचना कर डाली.
रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून
पानी गये न ऊबरे, मोती मानुष चून !!


नव संवत्सर की शुभकामनाएँ.

--सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)

दिगम्बर नासवा ने कहा…

जल के महत्त्व को बाखूबी उतारा है आपने इन दोहों में ... बहुत ही सार्थक रचना है ... सच पूछो तो कहते हैं की अगला महायुद्ध जल के पीछे ही लड़ा जायगा ... ये जानते हुवे भी लोग जाग नहीं रहे ... आज की जरूरत को उतारा है आपने रचना में ...

Asha Joglekar ने कहा…

सुंदर सामयिक सचेत करने वाली रचना ।

रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून ।
पानी बिना न ऊबरे मोती मानस चून ।

काश कि सब, क्या गरीब क्या अमीर, ये समझ जायें ।

amrendra "amar" ने कहा…

सभी दोहे बहुत अच्छे हैं...

Arun Mishra ने कहा…

Atyant sunder evam janopyogi dohe.Saadhuvad.
Aparimit shubhkamnayen.
Sasneh-
-Arun Mishra.

Asha Joglekar ने कहा…

आपको नव वर्ष शुभ हो ।

फ़िरदौस ख़ान ने कहा…

सभी दोहे बहुत अच्छे हैं...

sangita ने कहा…

jal jo nhota to jal jata jag sarthak post bdhai mere blog par svagat hae.

रचना दीक्षित ने कहा…

सच है जल ही जीवन है.

बहुत सुंदर गीत.

Suresh kumar ने कहा…

jal h to kal h ye hame manna hi padhega bahut hi achha sandesh deti hui panktiya....

Sadhana Vaid ने कहा…

जल की महिमा स्थापित करती बहुत ही खूबसूरत रचना राजेन्द्र जी ! नव वर्ष की आपको भी हार्दिक बधाइयां !

Saras ने कहा…

स्वर्णकार जी ...बहुत ही सुन्दर रचना लिखी है आपने ...लेकिन दुःख तो इस बात का है ..की अब भी यह समझाने की ज़रुरत पड़ती है लोगों को ...जब जब पानी फिकता देखते हैं तो वितृष्णा होती है उन लोगोंसे जो इस निर्दयता से उसे बहाते हैं ......आपको एक लिंक भेज रही हूँ देखिएगा ज़रूर
http://www.slideshare.net/gauravlalita/save-water

अर्चना तिवारी ने कहा…

बहुत महत्वपूर्ण सूचना दी है आपने इस रचना के द्वारा ...जल हमारे लिए बहुत मूल्यवान है. इसको बचाना हर व्यक्ति का कर्त्तव्य है. आपने इस रचना के द्वारा बड़ी सुंदरता के साथ लोगों को आगाह किया है ....

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

वाह राजेन्द्र जी ! कमाल के दोहे ..जल के महता को बताते हुवे सार्थक पोस्ट ..और ऊपर से बहते पानी का लुभावना माहोल आपके चित्रों ने यहाँ पर उलट दिया है... अतिसुन्दर ...सादर

Coral ने कहा…

जल तो जीवन है आपके इसीस तरह आपके दोहे अमूल्य है ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति
आदरणीय राजेंद्रजी , आपको एव आपके परिवार को नव वर्षकी शुभकामनाये !

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

‘जल ही जीवन है...’ इस सत्य को दोहो के रूप में आपने बहुत खूबसूरती से उकेरा है...। बधाई...।

sheetal ने कहा…

jal jeevan hain,
jal anmol hain,
jal hain poshanhaar.
bahut khubsurat rachna likhi hain
aapne...hame is anmol sampati ka bahut athiyaat se istemaal karna chahiye.

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

आदरणीयराजेन्द्र स्वर्णकार जी
प्रणाम
नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें जी
"जल ही जीवन है"

कमाल के दोहे, बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना, इस रचना के लिए आभार
देरी से आने के लिये क्षमा
आपका अपना
सवाई सिंह

vijay kumar sappatti ने कहा…

पुराने लोग कहते है कि , जल , पैसे और कपड़ो को हमेशा ही बचा कर रखना चाहिए . पर आजकल जल का जो दुरूपयोग होता है , उसे देखकर दुःख होता है .... और ऐसे माहौल में आपकी ये सुन्दर रचना ,एक eye opener की तरह है . आपको बहुत साधुवाद !!

विजय

yashoda Agrawal ने कहा…

आदरणीय राजेंद्रजी , आपको एव आपके परिवार को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाये !
सादर.
यशोदा

अमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’ ने कहा…

आदरणीय राजेद्र जी,
जल से अभिसिंचित रचना मन को भिगो गयी| साधुवाद!
सादर
अमित

Mahipal Singh Tomar ने कहा…

राजेंद्र जी ,
बहुत सुन्दर ,प्रभावी ,प्रस्तुति ,विषय-वस्तु तो सर्वकालिक ,सार्वदेशिक
उपयोगी | सार्थक सन्देश को बहुत आकर्षक ढंग से प्रेषित करने के
लिए बधाई,
महिपाल,२९/३/१२ ,ग्वालियर

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

वाह ! ! ! ! ! बहुत खूब राजेन्द्र जी
सुंदर सार्थक सटीक रचना,बेहतरीन भाव प्रस्तुति,....

MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,

Dr. sandhya tiwari ने कहा…

बहुर सुन्दर अभिव्यक्ति जल ही जीवन है और आपके दोहे ने जीवन्तता और बढ़ा दी है --------बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

एक-से-बढ़कर एक दोहे...

हमारी संस्कृति भी अनूठी है....करवा चौथ पर पानी की बचत की जाती है,... लेकिन निर्जला एकादशी पर उसका दान किया जाता है. प्यासों को रोक-रोककर पिलाया जाता है.

भक्ति करने में सूर्य को अर्घ्य देना हो, शिवलिंग पर जल चढ़ाना हो, गंगा-स्नान हो, कुम्भ का स्नान हो, सूर्य व चंद्र ग्रहण पर स्नान हो, अस्थि-विसर्जन हो, छठ-पूजा हो ... न जाने कितने ही रिवाज हैं जो बिना जल के नहीं निपटते. हमारे लगभग सभी संस्कारों में जल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. आचमन करने से लेकर अर्घ्य देने तक, गंगाजल छिडकाव से लेकर मार्जन तक सभी क्रियाओं में जल आवश्यक है.

मुझे बचपन में ही सिखा दिया गया था कि पीने वाले पानी की बरबादी नहीं करनी चाहिए. ये बात मेरे मन में बैठ चुकी थी.

छुटपन में एक बार मैं हरिद्वार गया ... वहाँ गंगा के तेज प्रवाह को देखकर पहले तो घबरा गया... फिर मेरे मुख से अचानक निकला "यहाँ कितना सारा पानी बेकार बहे जा रहा है."

मुझे बाद में बोध हुआ कि नदियों में तो पानी बिखरा ही मिलेगा. उसे तो कहीं ओर सुरक्षा दी जानी चाहिए. घर में किफायत से इस्तेमाल करने से नालियों में गंदा पानी कम होगा और वह नालों के रास्ते नदियों को गदला कमतर करेगा.

मेरी एक और आदत है वह यह कि खाने के बर्तन धोते हुए उसके बचे पानी को पौधों में पहुँचाता हूँ और खुश होता हूँ. मुझे लगता है कि मैंने पानी का सही-सही पूरा प्रयोग कर लिया."

वीरेंद्र सिंह ने कहा…

उत्तम दोहे..उत्तम विचार......उत्तम संदेश

...सब कुछ उत्तम ही उत्तम है सर जी।

आपको श्रीरामनवमी की शुभकामनाएँ......

Aditi Poonam ने कहा…

आदरणीय,आपकी यह चेतावनी सी देती रचना और
साथ के चित्रों ने मन मोह लिया ....अब भी न चेतेंगे तो कब......होली और नव-संवत्सर की ,
शुभ-कामनाएं आपको सपरिवार......!!
साभार....

Aditi Poonam ने कहा…

आदरणीय,आपकी यह चेतावनी सी देती रचना और
साथ के चित्रों ने मन मोह लिया ....अब भी न चेतेंगे तो कब......होली और नव-संवत्सर की ,
शुभ-कामनाएं आपको सपरिवार......!!
साभार....

Aditi Poonam ने कहा…

आदरणीय,आपकी यह चेतावनी सी देती रचना और
साथ के चित्रों ने मन मोह लिया ....अब भी न चेतेंगे तो कब......होली और नव-संवत्सर की ,
शुभ-कामनाएं आपको सपरिवार......!!
साभार....