ब्लॉग मित्र मंडली

3/4/12

कहां सर झुकादें … कहां सर कटादें

आज फिर से प्रस्तुत है एक ग़ज़ल
जो एक तरही के लिए लिखी थी
मा’मूली रद्दोबदल के साथ आपकी नज़्र है
यह ग़ज़ल
 किसे बद्दुआ दें , किसे हम दुआ दें
हैं सब एक-से ; नाम क्या अलहदा दें

फ़रेबो-दग़ा मक्र मतलबपरस्ती
यही सब जहां है तो तीली लगादें

कहां खो गए लोग कहते थे जो यूं-
चलो ज़िंदगी को मुहब्बत बनादें

नहीं ग़मज़दा हमको होने की फ़ुरसत
मगर दीद उनकी हो , हम मुस्कुरादें

नहीं हमको आता नज़र कोई काबिल
किसी में हो कूव्वत ; उसे ग़म सुनादें

तसल्ली सुकूं चैन कुछ भी नहीं है
कहां सर झुकादें कहां सर कटादें

खड़े हम लिये राख इंसानियत की
कोई पाक गंगा मिले तो बहादें

चले आज राजेन्द्र फ़ानी जहां से
हो मिलना कभी ; हमको दिल से सदा दें
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar


आज बस इतना ही …
गर्मियों की शुरुआत  हो चुकी है



77 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

खड़े हम लिये’ राख इंसानियत की
कोई पाक गंगा मिले तो बहादें

बहुत खूबसूरत गजल ... मन का द्वंद्व बयां हो रहा है ॥

girish pankaj ने कहा…

प्रिय राजेंद्र भाई, आप सच्चे रचनाकार है. दिलसे लिखते हैं इसलिए रचना में जान आ जाती है. बधाई इस ग़ज़ल के लिए. हर शेर मर्म को छू रहा है. जिसे उठा लो. कभी -कभी मैं सोचता हूँ कि राजेंद्र स्वर्णकार जैसा मैं कब लिख पाऊँगा. इस जनम में तो शायद नहीं

डॉ टी एस दराल ने कहा…

खूबसूरत अश,आर से सुसज्जित ग़ज़ल .
विरह की वेदना को बढ़िया उजागर किया है .

Maheshwari kaneri ने कहा…

राजेन्द्र भाई बहुत खुबसूरत गजल लिखी है बधाई..

Coral ने कहा…

आदरणीय राजेंद्रजी,
हर शेर एक से बढ़कर एक है ..

नहीं हमको आता नज़र कोई काबिल
किसी में हो कुव्वत उसे गम सुनादे


अब कहा खूब बोले कहा वाह्ह बोले !

Rajesh Kumari ने कहा…

kamaal...kamaal....vaah
sabse jyada ashaar pasand aaya vo hai raakh liye hum khade insaniyat ki......jabaab nahi rajendra...god bless

***Punam*** ने कहा…

"किसे बद्’दुआ दें , किसे हम दुआ दें
हैं सब एक-से ; नाम क्या अलहदा दें"


"कहने को तो कह देते हम भी गर जुबां खुलती "

खूबसूरत अशआर

'अपनी माटी' मासिक ई-पत्रिका (www.ApniMaati.com) ने कहा…

waah.kya dio banega........wo bhi rajendra ji ki awaz me

devendra gautam ने कहा…

भाई राजेन्द्र जी!
रवायती मिजाज़ की तरह पर सामयिक अशआर कहना बड़ी बात है और आपने इसे बड़ी खूबसूरती से कर दिखाया है. मैं तो बस यही कहूँगा कि "अल्लाह करे जोरे-कलम और जियादा.." .....मुबारक हो...

Brijendra Singh ने कहा…

waah..khoobassorat gazal !!

sangita ने कहा…

नहीं हमको आता नज़र कोई काबिल
किसी में हो कुव्वत उसे गम सुनादे
खूबसूरत गजल |

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब ... मुहब्बत की चाह लिखी है आपने ... मर्म स्पर्शीय गज़ल है ...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

वाह!!!खूबसूरत सुसज्जित प्रस्तुति .
राजेन्द्र जी बहुत खुबसूरत गजल लिखी है बधाई..

MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

वाह वाह....................

बेहद खूबसूरत गज़ल..................
हर शेर नगीने सा.................

अगर हम कहें और वो मुस्कुरा दें......
हम उनके लिए जिंदगानी लुटा दें.....

सादर
अनु

रश्मि शर्मा ने कहा…

सब एक से....नाम क्‍या अलहदा दें....वाह क्‍या बेहतरीन लि‍खा है आपने

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

.

# अगर हम कहें और वो मुस्कुरा दें......
हम उनके लिए जिंदगानी लुटा दें.....


ओये होए… लूट लिया …
एक शे'र से पूरा मुशायरा लूटने वाली स्थिति है अनु जी

बहुत ख़ुशी हुई …
दिल से दाद और मुबारकबाद है !

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

वाह! क्या बात है राजेन्द्र भाई
कहां सर झुका दें कहां सर कटा दें

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

वाह! क्या बात है राजेन्द्र भाई
कहां सर झुका दें कहां सर कटा दें

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत सुन्दर गजल हैं ....बेहतरीन अभिव्यक्ति

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

कोई पाक गंगा मिले तो बहा दें....

क्या खुबसूरत ग़ज़ल है आदरणीय राजेन्द्र भईया....
सादर बधाई.

Kailash Sharma ने कहा…

बेहतरीन गज़ल...मन की भावनाओं की लाज़वाब अभिव्यक्ति...आभार

सदा ने कहा…

खड़े हम लिये’ राख इंसानियत की
कोई पाक गंगा मिले तो बहादें
मन को छूते हुए से इन पंक्तियों के भाव
कल 04/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.

आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!


... अच्छे लोग मेरा पीछा करते हैं .... ...

kanu..... ने कहा…

accha laga ye pyari si gazal padhkar

Dr Xitija Singh ने कहा…

बेहतरीन ग़ज़ल है राजेंद्र जी .... आपके और आपकी रचनाओं के बारे में कहने के लिए शब्द कम पड़ते हैं ... और ख़ास कर ग़ज़ल ... उम्मीद है एक मैं भी आपकी तरह उम्दा ग़ज़ल लिख सकुंगी ... शुभकामनाएं

Amrita Tanmay ने कहा…

उम्दा..बेहतरीन ग़ज़ल..

रचना दीक्षित ने कहा…

खड़े हम राख लिये इंसानियत की,
कोई पाक गंगा मिले तो बहा दें.

लाजवाब गज़ल. मर्मस्पर्शी भाव. आभार इस प्रस्तुति के लिये.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हृदय से उपजी पंक्तियाँ।

Rachana ने कहा…

किसे बद्’दुआ दें , किसे हम दुआ दें
हैं सब एक-से ; नाम क्या अलहदा दें"
kamal hai ek ek sher lajavab hai
bahut bahut badhai
rachana

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

तसल्ली, सुकूं, चैन, पर्यायवाची
अगर इक नहीं है कोई नहीं है।

udaya veer singh ने कहा…

खड़े हम लिये’ राख इंसानियत की
कोई पाक गंगा मिले तो बहादें
बेहतरीन सोच की बेहतरीन रचना.... शुभकामनायें /

Nidhi ने कहा…

बेहतरीन गज़ल!!

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

गज़ब कर गए है, राजेंद्र भाई, सारे ही शे'र लाजवाब है. बधाई, शुभ कामनाए.

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

खड़े हम लिये’ राख इंसानियत की
कोई पाक गंगा मिले तो बहा दें

बहुत खूबसूरत...मेरी बधाई...।

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

very touching.....bahut accha likhte hain aap rajendra jee....

संध्या शर्मा ने कहा…

खड़े हम लिये’ राख इंसानियत की
कोई पाक गंगा मिले तो बहादें

बहुत खूबसूरत गजल सुन्दर प्रस्तीकरण के साथ.... बहुत-बहुत आभार आपका

Saras ने कहा…

खड़े हम लिए राख इंसानियत की
कोई पाक गंगा मिले तो बहा दे .....
वाह ...बहुत उम्दा ग़ज़ल पढ़ी है आपने ....!

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

जिसके सदके में सर झुकता हैं ,उसे रब कहें
जब रब ही धोखा दे ,उसे हम क्या कहें ||.....अनु

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

किसे हम चुनें और किसे छोड़ दें
हर शेर पर हम हजार दाद दें...

Saurabh ने कहा…

कहाँ खो गये लोग कहते थे जो यूँ -
’चलो ज़िन्दग़ी को मुह्ब्बत बना दें’


भाई राजेन्द्र जी, पूरी ग़ज़ल मानसिक ऊहापोह को बयान करती है. इस खूबसूरत अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई.

--सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

खड़े हम लिए राख इंसानियत की
कोई पाक गंगा मिले तो बहा दें
जब शायर की सोच एहसास की आग में तपती है तो ऐसे ही शेर उभर कर आते हैं !
इस दौर का पूरा दर्द इस शेर में सिमटा है !
ग़ज़ल के लिए मेरी बधाई स्वीकार करें !

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

खड़े हम लिए राख इंसानियत की
कोई पाक गंगा मिले तो बहा दें
जब शायर की सोच एहसास की आग में तपती है तो ऐसे ही शेर उभर कर आते हैं !
इस दौर का पूरा दर्द इस शेर में सिमटा है !
ग़ज़ल के लिए मेरी बधाई स्वीकार करें !

Aruna Kapoor ने कहा…

किसे बद्’दुआ दें , किसे हम दुआ दें
हैं सब एक-से ; नाम क्या अलहदा दें


...बहुत सुन्दर गजल!....वाह!...वाह!...बधाई!

poonam ने कहा…

bahut sunder,dil ki baat zuban par aai hai.

सुधाकल्प ने कहा…

बहुत सुन्दर गजल !
लेकिन भाई ,
मुश्किल है मिलना ऐसी गंगा का
जिसका सपना संजोया है
हाँ
बहुत मिल जाये गी गली कूंचों में
राख इंसानियत की I

Addy ने कहा…

Rajendra Ji

Umda ghazal asusal !

Alpana Verma ने कहा…

हमेशा की तरह बेमिसाल ग़ज़ल ...
ख़ास यह शेर लगा..
किसे बद्’दुआ दें , किसे हम दुआ दें
हैं सब एक-से ; नाम क्या अलहदा दें"
बहुत खूब!

पूर्णिमा वर्मन (Purnima Varman) ने कहा…

अच्छी गजल है राजेन्द्र जी,

आपकी सभी रचनाएँ पसंद आती हैं। आप नवगीत भी लिखें।
प्रतीक्षा रहेगी।

पूर्णिमा वर्मन

गुड्डोदादी ने कहा…

बहुत सुंदर भावपूर्ण
खड़े हम लिए राख इंसानियत की
कोई पाक गंगा मिले तो बहा दें

नेताओं भ्रष्टाचार और महंगाई कम करें
निर्धन के पेट में दो टूक डाल दे

Unknown ने कहा…

dhnya ho rajendraji.......bahut khoob kaha ...

sab ke sab she'r dil me utar gaye..

नीरज गोस्वामी ने कहा…

भाई जी के बोलूं? आपनी तो बोलती ही बंद होगी या ग़ज़ल पढ़ र...
कमाल के अशआर...इतने सच्चे और सीधे के दिल में उतर गए...हालात की तल्खियों पर तंज़ भी है और अफ़सोस भी...बेहद खूबसूरत ग़ज़ल...ढेरों दाद कबूल करें...

नीरज

Rohit Singh ने कहा…

मित्रवर इतनी प्रशंसा की टिप्पणियां पढ़ने के बाद क्या कंहू ये समझ नहीं पा रहा हूं....कोई शब्द नहीं हैं बस इतना ही वाह क्या बात है..

आकर्षण गिरि ने कहा…

भाई साहब, एक बेहतरीन गजल से रुबरु कराने के लिए शुक्रिया.... किस शेर को कोट करुं और किसे छोड़ूं.... समझ नहीं आ रहा... सब एक से बढ़कर एक.... हार्दिक शुभकामना है कि आप ऐसे ही लिखते रहें

दीपक कुल्लुवी की कलम से ने कहा…

KHOOBSOORAT ANDAAZ BEHATREEN ALFAZ....DEEPAK KULLUVI

Udan Tashtari ने कहा…

खड़े हम लिये’ राख इंसानियत की
कोई पाक गंगा मिले तो बहा दें

-वाह!! बहुत खूब!!

Anupama Tripathi ने कहा…

खड़े हम लिये’ राख इंसानियत की
कोई पाक गंगा मिले तो बहादें
bahut sunder likha hai .....
badhai evan shubhkamnayen Rajendra ji ...

गुरप्रीत सिंह ने कहा…

कट जाए सिर देश के लिए
झुकता है सिर्फ अपने वतन के लिए।

गुरप्रीत सिंह ने कहा…

good.
www.yuvaam.blogspot.com

prritiy----sneh ने कहा…

किसे बद्’दुआ दें , किसे हम दुआ दें
हैं सब एक-से ; नाम क्या अलहदा दें
bahut hi achha likha hai
shubhkamnayen

Prem Farukhabadi ने कहा…

भाई जी ,
पूरी ग़ज़ल ही सराहनीय है ! दिल से बधाई!

Anita ने कहा…

बहुत खूबसूरत गजल...हर शेर उम्दा है, बहुत बहुत बधाई!

Pratik Maheshwari ने कहा…

खड़े हम लिये’ राख इंसानियत की
कोई पाक गंगा मिले तो बहा दें

waah! kya khoob kahi hai..

Mukesh Tyagi ने कहा…

कहाँ खो गये लोग कहते थे जो यूँ
चलो जिंदगी को मुहब्बत बना दें...
वर्तमान जीवन की हकीकत और अन्तर्मन की बचैनी कि अभिव्यक्त करती हमेशा की तरह आपकी एक और खूबसूरत गज़ल!
बहुत-बहुत बधाई !
सादर/सप्रेम
सारिका मुकेश

Suresh kumar ने कहा…

khoobsurat gazal.....

अंजना ने कहा…

खड़े हम लिये’ राख इंसानियत की
कोई पाक गंगा मिले तो बहा दें

बहुत सुन्दर .....

Anuvart Shpahura Gopal Pancholi ने कहा…

किसे बद्’दुआ दें , किसे हम दुआ दें
हैं सब एक-से ; नाम क्या अलहदा दें


जी करता बार-बार पढे

Anuvart Shpahura Gopal Pancholi

Mahesh Soni ने कहा…

फ़रेबो-दग़ा मक्र मतलबपरस्ती
यही सब जहां है तो तीली लगादें
बहुत खूब जनाब
प्यासा का गीत याद आ गया साहब
ये महलों......................

-Mahesh Soni

amrendra "amar" ने कहा…

बहुत खूबसूरत गजल ***

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

हर शेर लाजवाब है, इसलिये मैं एक की तारीफ नहीं करूँगा.....बेहद खूबसूरत ग़ज़ल...
सुन्दर अभिव्यक्ति.....बधाई.....

Satish Saxena ने कहा…

मस्त अंदाज़ ....
शुभकामनायें आपको !

Anuvart Shpahura Gopal Pancholi ने कहा…

जी करता बार-बार पढे


किसे बद्’दुआ दें , किसे हम दुआ दें
हैं सब एक-से ; नाम क्या अलहदा दें


Anuvart Shpahura Gopal Pancholi

shyam gupta ने कहा…

तो तीली लगादें... vaah ! kyaa baat hai raajendr jee...

meraa link--- श्याम स्म्रिति ....http://shyamthot.blogspot.com


--लो आज छेड ही देते हैं उस फ़साने को...

मदन शर्मा ने कहा…

राजेन्द्र जी!कृपया देर से आने के लिये क्षमा करें
आज कि प्रस्तुति का कोई जवाब नहीं ...!
लाजवाब है ..
बहुत बधाई एवं शुभकामनायें ....!!

amrendra "amar" ने कहा…

बेहद खूबसूरत गज़ल..........

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

kya baat hai bhai Rajendra ji..... behtreen ....... badiya sher nikale hain aapne.....
sadhuwaad

गुड्डोदादी ने कहा…

राजेन्द्र जी आशीर्वाद
बहुत सुंदर

गुड्डोदादी ने कहा…

बहुत सुंदर गजल
वेदनाओं भरी

बेनामी ने कहा…

Thanks designed for sharing such a pleasant thinking,
article is fastidious, thats why i have read it entirely
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