tag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post3599179565658435665..comments2023-10-31T15:59:18.615+05:30Comments on शस्वरं: मैं गीत निश्छल प्रीत के अविराम लिक्खूंगाRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttp://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comBlogger59125tag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-29786578103635187212013-09-11T22:05:51.356+05:302013-09-11T22:05:51.356+05:30no words to cooments rajendra jee ....bas dil gad-...no words to cooments rajendra jee ....bas dil gad-gad ho gaya ..aise prem ki abhiwayakti se ...bhagwan kare aap yun hi likhte rahen Dr.NISHA MAHARANAhttps://www.blogger.com/profile/16006676794344187761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-89700694777488823552013-09-11T19:04:20.269+05:302013-09-11T19:04:20.269+05:30बहुत ही उत्कृष्ट भावपूर्ण प्रवाहमयी प्रस्तुति...आभ...बहुत ही उत्कृष्ट भावपूर्ण प्रवाहमयी प्रस्तुति...आभार Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-16274777563503702852010-11-19T13:26:19.698+05:302010-11-19T13:26:19.698+05:30राजेंद्र जी आपकी यह ग़ज़ल उर्फ मुक्तिका बेहद प्रभा...राजेंद्र जी आपकी यह ग़ज़ल उर्फ मुक्तिका बेहद प्रभावशाली और सुख कर लगी| बहुत बहुत बधाई बंधुवर| स्नेह बनाए रखिएगा और अपनी नयी पोस्ट्स के बारे में सूचित करते रहिएगा|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-31769301403939165352010-11-19T11:28:46.727+05:302010-11-19T11:28:46.727+05:30bahut sundar prempagi rachna!
regards,bahut sundar prempagi rachna!<br />regards,अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-34042134566986988142010-10-22T10:41:00.073+05:302010-10-22T10:41:00.073+05:30'आंसू प्रतीक्षा विरह का इतिहास बदलूँगा
मैं प्र...'आंसू प्रतीक्षा विरह का इतिहास बदलूँगा<br />मैं प्रीत का सुखकर मधुर परिणाम लिखूंगा '<br /><br />आशा है आपकी ये दुआ कबूल हो.......Pradeephttps://www.blogger.com/profile/11889016060575376117noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-7636327126949377062010-10-17T00:04:56.699+05:302010-10-17T00:04:56.699+05:30# हरकीरत हीर जी , क्षमा की क्या बात है , हम सब घर ...# हरकीरत हीर जी , क्षमा की क्या बात है , हम सब घर गृहस्थी वाले हैं , काम भी होता है ।<br />बस आप आ जाया करें , इंतज़ार रहता है … <br />ता'रीफ़ के लिए शुक्रिया !<br />नीरजजी और आप मेरे परिवार ज्यों हैं ! <br />गरूर महसूस हो उसी दिन अपनत्व से बता देने की कृपा करें <br />आभार …Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-91782318522158325902010-10-16T23:34:02.391+05:302010-10-16T23:34:02.391+05:30मैं गीत निश्छल प्रीत के अविराम लिखूंगा
हर इक चरण म...मैं गीत निश्छल प्रीत के अविराम लिखूंगा<br />हर इक चरण में बस तुम्हारा नाम लिखूंगा .....<br /><br />प्रीत ईश्वर से हो या मनुष्य से निश्छल ही होनी चाहिए ....<br /><br />राधा तुम्हें और स्वयं को श्याम लिखूंगा ...<br />वाह बहुत खूब .....<br />राजेन्द्र जी नीरज जी ने सही कहा ...<br />कितनी आसानी से आप इतनी बड़ी बात कह जाते हैं ....<br />कुदरत की आप अद्भुत देन हैं ....<br />दुआ है रब्ब कभी भी आपमें गरूर न लाये ....<br /><br />बस आते आते देर हो गयी इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ ....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-49422131442778941732010-10-16T12:03:56.493+05:302010-10-16T12:03:56.493+05:30# रानीविशाल जी , रचना पसंद करने और शस्वरं पर पधारन...# रानीविशाल जी , रचना पसंद करने और शस्वरं पर पधारने के लिए आभार !<br /><br /># संगीता स्वरुप जी , स्नेह वात्सलय भरी प्रशंसा के लिए प्रणाम ! <br /><br /># प्राण शर्मा जी , आभार के लिए शब्द नहीं मिल रहे …<br /><br /># <b> Anonymous ji </b>आपकी विद्वता और काव्य-संबंधी गहरी समझ आपके शब्दों में प्रकट हो रही है । <br /><b>सृजन में असमर्थ खोखले लोग औरों के ब्लॉग्स पर दंभ और असभ्यता के साथ उछृंखलतापूर्वक व्यक्तिगत आलोचना भी बिना नाम छुपाए' करते पाए जा रहे हैं ,( और ब्लॉग मालिक टिप्पणियों के लोभ में इनको ढोने को विवश पाए जा रहे हैं ) </b> … और आप प्रशंसा करते हुए भी अपनी पहचान छुपा रहे हैं !<br /> आश्चर्य है !<br />धन्य हैं आप !! नमन !!! <br />संभव हो तो अगली बार अपने परिचय के साथ प्रकट होइएगा प्रभु…<br /><br /># रावेन्द्र जी , शुक्रिया ! <br /><br /># अरविंद जी , आभार ! आ'कर संभाल लिया करें …<br /><br /># 'मिसिर' जी , आप जैसे विद्वान के आशीर्वचन मिलना सौभाग्य की बात है ।<br /><br /># राजभाषा हिंदी , आभार ! शुभकामनाएं !<br /><br /># मृदुला जी , हृदय से आभारी हूं …<br /><br /># मनु जी , शुक्रगुज़ार हूं …<br /><br /># अमित जी ,आपके कवि हृदय के प्रति कृतज्ञ हूं …<br /><br /># साधना जी , आपका आशीर्वाद मेरी ऊर्जा है । आभार …<br /><br /># जयकृष्ण राय तुषार जी , आपकी पारखी दृष्टि को नमन …<br /><br /># जितेन्द्र दवे जी , स्वागत ! मां सरस्वती के आशीर्वाद से आप जैसे सुगुणी सुजन का स्नेह-सान्निध्य प्राप्त होने पर कृतार्थ हुआ , आभार ! <br /> <br /># निर्मला कपिला जी , आपके आशीर्वाद और प्रोत्साहन के बलबूते पर ही तो है सब … :)<br />आभार !<br /><br /># एस.एम.हबीब जी , शुक्रिया ! करम !मेहरबानी … <br /><br /># विनोद जी , आभार ! आते रहें , प्रतीक्षा भी रहती है मुझे …<br /><br /># अली जी ,अरे साहब , दुआएं है दिल से । और देखिएगा इस सरस्वती-सुत की दुआ में असर भी है … :) <br />आभार !<br /><br /># अवनीश सिंह चौहान जी , आभार ! फिर अवश्य आइएगा …<br /><br /># नीरज जी ,आप जैसे पवित्र हृदय वाले प्यारे इंसान के संपर्क में आ'कर भी किसी के मन का मैल न जाए तो यह उसका ही दुर्भाग्य है । <br />आपका बड़प्पन और स्नेह मुझे निरंतर अभिभूत करता है … आभार !<br /><br /># विनिता जी , आभारी हूं ! आपकी दृष्टि से सब देख पाएं … <br /><br /># मनोज अबोध जी , स्वागत ! आपका मन मेरे ब्लॉग से भी अधिक ख़ूबसूरत है … आभार !<br /><br /># अनुपमा जी , आभारी हूं , कृपा-स्नेह बनाए रखें …<br /><br /># जोगेश्वर जी , बहुत समय बाद मिल रहे हैं … स्वागत और आभार !<br /><br /><b> <b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow">शस्वरं</a></b> पर पधारने वाले प्रत्येक टिप्पणीदाता और समर्थक का हृदय से आभारी हूं ! <br />आप सबको नवरात्रि और विजयदशमी की शुभकामनाएं !</b> <br /><br />कुछ व्यस्तताओं के कारण जिनके पास नहीं पहुंच पा रहा हूं , उनसे क्षमायाचना है ! … लेकिन मेरा मन हर क्षण आपके आस-पास ही रहता है …Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-56096902135901138502010-10-16T09:49:30.019+05:302010-10-16T09:49:30.019+05:30# प्रतुल वशिष्ठ जी , आभारी हूं । गुजरात आसाम का अर...# प्रतुल वशिष्ठ जी , आभारी हूं । गुजरात आसाम का अर्थ स्पष्ट कर दिया है…<br /><br /># अल्पना जी , अति व्यस्तता के चलते ऑडियो प्लेयर लगाया नहीं जा सका , क्षमाप्रार्थी हूं … लेकिन शीघ्र ही अगली किसी पोस्ट में नई रचना सस्वर लगाने का वादा रहा … आभार !<br /><br /># उपेन्द्र जी , स्नेह के लिए आभार <br /><br /># क्षितिजा जी , रचना पसंद करने के लिए मन की गहराइयों से ही शुक्रिया ! <br /><br /># डॉ.मोनिका शर्मा जी , आभारी हूं । अपनत्व भाव बनाए रखें … <br /><br /># रंजना जी , कृतार्थ हुआ आपके उद्गार पा'कर , आभार !<br /><br /># संजय जी , शुक़्रिया…<br /><br /># सदा जी ,आपका आना ही और अधिक श्रेष्ठ सृजन के लिए प्रेरणा देता है , आभार !<br /><br /># शाहिद मिर्ज़ा "शाहिद" जी , आपकी परख-दृष्टि का आशीर्वाद पा'कर स्वयं को धन्य मानता हूं , शुक्रिया !<br /><br /># वंदना जी , आपकी आत्मीयता और स्नेह से प्रेरणा मिलती है , आभार <br /><br /># दीप्ति जी , धन्यवाद ! आगे भी आती रहें…<br /><br /># रश्मिप्रभा जी , प्रणाम ! आप यदा - कदा ही आ पाती हैं , लेकिन बहुत सारी ऊर्जा दे'कर जाती हैं , आभार !<br /><br /># शिखा वार्ष्णेय जी ,ब्लॉग से कॉपी पेस्ट नहीं हो रहा यानी सचमुच सॉफ़्टवेयर काम कर रहा है :)<br />असुविधा के लिए क्षमाप्रार्थी हूं । <br />रचना आपको पसंद आई , मैं धन्य हुआ ! आभार … <br /><br /># इस्मत ज़ैदी जी ,आप जैसे ज़ौहरी का आगमन पत्थर को भी हीरा बनाने के लिए पर्याप्त है । अपनत्व-स्नेह के लिए आभारी हूं …<br /><br /># समीर जी , पिछले डेढ़-दो साल में अस्तित्व में आया हर हिंदी ब्लॉग आपकी ओर वैसे ही निहारता है , जैसे अबोध शिशु अपनी मां की ओर ! वात्सल्य-स्नेह-अपनत्व भरी संक्षिप्त पुचकार ही पर्याप्त है । आभार … <br /><br /># डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी , आप जैसे प्रेरणापुंज जिस रचना पर दृष्टि्पात करलें , वह रचना स्वतः सार्थक हो जाती है , आभार ! <br /><br /># प्रवीण जी , आभार ! आते रहें … <br /><br /># कैलाश जी , आप जैसे समर्थ गुणी की दृष्टि से मेरी रचना धन्य हुई , कृपा-स्नेह सदैव बना रहे… <br /><br /># डॉ. टी एस दराल जी ,आप जैसे असीम ऊर्जा के भंडार से मैंने सदैव पाया ही है । आभारी हूं …<br /><br /># साहिल जी , शुक्रिया ! सम्हालते रहें …<br /><br /># दिव्या जी , आभार प्रदर्शन के लिए शब्द नहीं हैं । आप जितनी सूक्ष्म दृष्टि से परखती हैं , उतने ही वैराट्य से प्रेरित करती हैं …Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-84766378973066848262010-10-16T08:24:25.544+05:302010-10-16T08:24:25.544+05:30# आदरणीय'स्मार्ट इंडियन'अनुराग जी
नमस्...# <b>आदरणीय'स्मार्ट इंडियन'अनुराग जी<br /> </b> <br />नमस्कार !<br /><br />@ परंतु दो राज्योंका सन्दर्भ समझ नहीं आया। <br /><br /><b>जब जोड़ लूंगा मैं तुम्हारी प्रीत की पूंजी<br />घर को ही मैं गुजरात और आसाम लिक्खूंगा<br /> </b> <br />हमारे राजस्थान में बनिये और अन्य अल्प धनाढ्य जाति के लोग व्यापार द्वारा पैसा कमाने के उद्देश्य से दस-बीस वर्ष के लिए अथवा स्थाई रूप से गुजरात ( ज़्यादातर सूरत , अहमदाबाद ) और आसाम जा'कर व्यापार करके धनार्जन करते रहे हैं । ( अब परिस्थितियां बदली भी हैं ) <br /><br />मेरी रचना का नायक अपने घर , अपने शहर-गांव में रहते हुए अपनी प्रियतमा का दिल जीत कर , उसका प्यार कमा लेने पर ही स्वयं को परदेश जा'कर अच्छा-खासा पूंजीपति बन जाने जितना गर्व और संतोष अनुभव करता है । <br /><br />आशा है , अर्थ संदर्भ स्पष्ट होने पर रचना का रस आनन्द और भी सहजता से ले पाने की स्थिति बनी होगी ।<br />आभारी हूं …Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-2664265139989920892010-10-16T05:18:04.585+05:302010-10-16T05:18:04.585+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति, परंतु दो राज्योंका सन्दर्...बहुत सुन्दर प्रस्तुति, परंतु दो राज्योंका सन्दर्भ समझ नहीं आया।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-64779532105768938882010-10-16T01:51:01.333+05:302010-10-16T01:51:01.333+05:30अच्छा प्रयोग है राज्रन्द्र्जी !
बधाई !अच्छा प्रयोग है राज्रन्द्र्जी !<br />बधाई !jogeshwar garghttps://www.blogger.com/profile/18415761246834530956noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-81472824495713033342010-10-15T23:25:53.810+05:302010-10-15T23:25:53.810+05:30रसमय भावमय मधुर कृति-
शुभकामनाएंरसमय भावमय मधुर कृति-<br />शुभकामनाएंAnupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-61989282261331132272010-10-15T16:07:50.763+05:302010-10-15T16:07:50.763+05:30आदरणीय भाई, प्रणाम ।
आपका ब्लाग देखा,
प्रेम कवित...आदरणीय भाई, प्रणाम ।<br />आपका ब्लाग देखा, <br />प्रेम कविता भी पढी , मन को छू गई । <br />ब्लाग की सजावट बहुत गजब है, काश मैं भी अपने ब्लॉग को इतना खूबसूरत बना पाता ।मनोज अबोधhttp://www.blogger.com/profile/18362392537626057652noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-24736187898903948962010-10-15T15:04:29.531+05:302010-10-15T15:04:29.531+05:30aapne prem ke sare panne aankho ke samane se gujar...aapne prem ke sare panne aankho ke samane se gujar diye !!!vinitahttps://www.blogger.com/profile/07930970964401832815noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-48882305591986401812010-10-15T12:38:51.243+05:302010-10-15T12:38:51.243+05:30आप के शब्द प्रेम रस में सरोबार कर देते हैं...शब्दो...आप के शब्द प्रेम रस में सरोबार कर देते हैं...शब्दों के चितेरे माँ सरस्वती के इस लाडले पुत्र की जितनी प्रशंशा की जाए कम है...<br />आपकी विलक्षण काव्य प्रतिभा के सम्मुख नतमस्तक हूँ...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-46135215183229158952010-10-15T11:38:13.772+05:302010-10-15T11:38:13.772+05:30बहुत सुन्दर रचना
मेरी बधाई स्वीकारेंबहुत सुन्दर रचना<br />मेरी बधाई स्वीकारेंअवनीश सिंह चौहान / Abnish Singh Chauhanhttps://www.blogger.com/profile/05755723198541317113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-27852587588449523292010-10-15T01:24:08.654+05:302010-10-15T01:24:08.654+05:30आप बहुत सुन्दर लिखते हैं. 'प्रेम' विषयक
आ...आप बहुत सुन्दर लिखते हैं. 'प्रेम' विषयक<br />आपकी कविता मन को छू गयी. हिन्दी की शुद्धता और सांस्कृतिक हिन्दी काफी<br />प्रभावीहै.<br />लिखते रहे..<br />नवरात्री में आज का दिन माँ सरस्वती को समर्पित है...और कामना करता हूँ<br />कि माँ सरस्वती की कृपा आप पर बरसती रहे..<br />सादर शुभकामनाएं..<br />आपका..<br />जितेन्द्र दवे, मुम्बईAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-7374671294951130612010-10-15T00:33:23.668+05:302010-10-15T00:33:23.668+05:30हुज़ूर-ए-आला आप तो गीत निश्छल प्रीत के अविराम लिखि...हुज़ूर-ए-आला आप तो गीत निश्छल प्रीत के अविराम लिखिये पर इस बन्दे को कर पानें की दुआ दीजिये बस :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-20309375241083219042010-10-14T22:52:59.824+05:302010-10-14T22:52:59.824+05:30राजेंद्र जी, आपकी रचनाओं का मैं हमेशा से कायल रहा ...राजेंद्र जी, आपकी रचनाओं का मैं हमेशा से कायल रहा हूँ....आज भी बेहतरीन....सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारेंविनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-67900361116536202392010-10-14T21:03:39.733+05:302010-10-14T21:03:39.733+05:30ख़ूबसूरत, मधुर पोस्ट के लिए बधाई...ख़ूबसूरत, मधुर पोस्ट के लिए बधाई...S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')https://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-15636930017385716732010-10-14T21:01:16.961+05:302010-10-14T21:01:16.961+05:30इसमे कोई शक नही कि आप इतिहास बदलने की हिम्मत रखते ...इसमे कोई शक नही कि आप इतिहास बदलने की हिम्मत रखते हैं। बहुत सुन्दर प्रेरक रचना है बधाई।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-52653776437870111732010-10-14T18:03:38.172+05:302010-10-14T18:03:38.172+05:30आप बहुत सुन्दर लिखते हैं. 'प्रेम' विषयक
आ...आप बहुत सुन्दर लिखते हैं. 'प्रेम' विषयक<br />आपकी कविता मन को छू गयी. हिन्दी की शुद्धता और सांस्कृतिक हिन्दी काफी<br />प्रभावीहै.<br />लिखते रहे..<br />नवरात्री में आज का दिन माँ सरस्वती को समर्पित है...और कामना करता हूँ<br />कि माँ सरस्वती की कृपा आप पर बरसती रहे..<br />सादर शुभकामनाएं..<br />आपका..<br />जितेन्द्र दवे, मुम्बई<br />Thu,Oct14,2010 at 12:47 AMजितेन्द्र दवेhttp://www.blogger.com/profile/04316093164602468349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-64581034037379067142010-10-14T16:25:15.630+05:302010-10-14T16:25:15.630+05:30bahut sundar kalpna kiiya hai aapne bhai rajendrji...bahut sundar kalpna kiiya hai aapne bhai rajendrji badhai aur vijay dashami ki shubhkamnayenजयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-25997949947300211972010-10-14T14:11:30.924+05:302010-10-14T14:11:30.924+05:30पावन प्रणय के रंग में रंगी अनुपम अभिव्यक्ति राजेन्...पावन प्रणय के रंग में रंगी अनुपम अभिव्यक्ति राजेन्द्र जी ! आपको बहुत बहुत बधाई ! गीत और उसकी पृष्ठभूमि बहुत मनभावन लगी !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.com