tag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post3885418609585500452..comments2023-10-31T15:59:18.615+05:30Comments on शस्वरं: साहित्यिक मिलीभगत पर पांच व्यंग्यात्मक कुण्डलियांRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttp://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comBlogger35125tag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-82435870130743874192010-07-22T01:21:05.656+05:302010-07-22T01:21:05.656+05:30राजेंद्र जी
वाह, बहुत रोचक और सुन्दर.
आभारराजेंद्र जी<br />वाह, बहुत रोचक और सुन्दर.<br />आभारपंकज मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/05619749578471029423noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-35150008130683081632010-07-21T18:23:22.171+05:302010-07-21T18:23:22.171+05:30आपकी रचना में भाषा का ऐसा रूप मिलता है कि वह हृदयग...आपकी रचना में भाषा का ऐसा रूप मिलता है कि वह हृदयगम्य हो गई है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-39763114691086118802010-07-21T08:33:17.157+05:302010-07-21T08:33:17.157+05:30राजेंद्र भाई
देर से पहुंचा उसके लिए माफी चाहता हूं...राजेंद्र भाई<br />देर से पहुंचा उसके लिए माफी चाहता हूं<br />सारी कविताएं अच्छी है<br />और कुछ भी आपके ब्लाग को खंगालकर पढ़ता रहा.<br />आपने मुझसे ई-मेल के जरिए एक जानकारी चाही थी और वह यह कि मैं कहां का सोनी हूं<br />भाई बिल्कुल भी अन्यथा मत लीजिएगा<br />हकीकत तो यह है कि जाति पर मेरा यकीन ही नहीं है.<br />मैं सोनी समाज के किसी भी कार्यक्रम में कभी कहीं आता-जाता भी नहीं.<br />ऐसा भी नहीं है कि मैं समाज के लोगों से चिढ़ता हूं या नफरत करता हूं लेकिन बचपन से ही मेरा यकीन खंड़-खंड बंटकर काम करने में नहीं रहा है. हर समाज का अपना दायरा होता है.<br />अपने नाम के आगे सोनी इसलिए लगाता हूं क्योंकि यह नाम मेरे पिता का दिया हुआ है। मां और पिता के दिए हुए नाम के साथ भला मैं कैसे छेड़छाड कर सकता हूं। <br />बहरहाल आप मेरे ब्लाग पर आए इससे मुझे बल मिला. अच्छा लगा.<br />आपका स्नेह बने रहेगा इसका मुझे यकीन है.<br />आपकी सुविधा के लिए सिर्फ इतना कह सकता हूं कि मैं हिन्दुस्तान का सोनी हूं. हिन्दुस्तान जो बहुत बड़ा है.. इतना बड़ा जिसमें छत्तीसगढ़ भी शामिल है वहां की राजधानी रायपुर में रहता है राजकुमार सोनी.राजकुमार सोनीhttps://www.blogger.com/profile/07846559374575071494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-44377334397001382532010-07-21T02:04:52.499+05:302010-07-21T02:04:52.499+05:30अल्पनाजी , नीरजजी , गिरीशजी , डॉक्टर साहब , समीर ज...अल्पनाजी , नीरजजी , गिरीशजी , डॉक्टर साहब , समीर जी ,<br />शास्त्री जी , मुफ़्लिस जी , <br />मनु भाई , अमित भाई , संजय भाई , विनोद भाई , <br />अविनाश चंद्र जी , भास्कर जी , "रजनीशजी" 'उदय जी' ,<br />इस्मत ज़ैदी साहिबा , निर्मला मौसीजी , हीर जी , नीलम जी , <br />दिगम्बर नासवा जी , अजमल खान साहब , संजीव गौतम जी ,<br />आदरणीय प्राण शर्मा जी , श्रद्धेय माधव नागदा जी …<br />आप सबका हृदय से आभार !<br /><br />अविनाश वाचस्पति जी , मेरा सौभाग्य , इन्हें अपने व्यंग्यों में अवश्य शामिल कीजिए …<br />बस , <b>सूचित अवश्य करने की कृपा करें ।</b><br /><br />Anonymous ji , आप अपने परिचय के साथ प्रकट होते तो मेहरबानी होती ।<br />वैसे आपका भी शुक्रिया ।<br />आपकी भविष्यवाणी कुछ सच होती लगी …<br /><br />आदरणीय तिलकराज जी , <b>सकारात्मक बदलाव के लिये लिखते रहें। बदलाव जरूर आयेगा।</b><br />आपके अपनत्व भरे निर्देश पर चलने का प्रयास करूंगा । आभार !<br /><br />प्रतुल जी , आप जैसे विद्वान और गहन अध्ययनशील मेरे ग़रीबखाने पर पहली बार पधारे , <br />हार्दिक स्वागत है । <br />"व्यंग्य के तीर जिस पर चलते हैं , सिर्फ़ वह तिलमिलाता है , <br />बाकी लोग उसे भांपते हुए आनन्द लेते हैं " <br />… यह सुना था अब तक । <br />बंधु , <b>मेरे काम को मैं हल्के में ले भी नहीं रहा ।</b><br /><br />बहरहाल , आप सबने अपना अमूल्य समय दे'कर मेरा मान और उत्साह बढ़ाया ,<br />तदर्थ… धन्यवाद ! आभार !!<br />स्नेह - सौहार्द बनाए रख कर , आते रहें , कृपया !<br /><br />- राजेन्द्र स्वर्णकार <br /><b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow">शस्वरं</a></b>Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-87314454957163409782010-07-20T20:16:07.687+05:302010-07-20T20:16:07.687+05:30प्रिय राजेन्द्र जी,
पांचों कुंडलियों मे...प्रिय राजेन्द्र जी,<br /> पांचों कुंडलियों में व्यंग्य की धार बहुत पैनी है. सभी कुण्डलियां समकालीन साहित्यिक दुनिया में व्याप्त विसंगतियों पर निर्मम प्रहार करती हैं.ठोठ ठगोरों के ठाठ तो निराले हैं.बधाई.<br /> माधव नागदाmadhavhttps://www.blogger.com/profile/10534583769565866865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-67396587507900899112010-07-20T13:51:35.888+05:302010-07-20T13:51:35.888+05:30वाह वाह ... आपने काका की याद करा दी ....
बहुत तीखा...वाह वाह ... आपने काका की याद करा दी ....<br />बहुत तीखा व्यंग है सब में ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-77350196792285377542010-07-20T07:50:09.115+05:302010-07-20T07:50:09.115+05:30काव्य के छः प्रयोजनों में 'अर्थ' कमाना भी ...काव्य के छः प्रयोजनों में 'अर्थ' कमाना भी शामिल है. यह मुफ्त का पेशा नहीं और ना ही शौकिया किया जाने वाला करतब है मित्र. <br />एक श्लोक है : "काव्यं यशसे अर्थकृते व्यवहारविदे शिवेतरक्षते. सद्यः परनिर्वृत्तये कांतासम्मितयोपदेशयुजे." <br />व्यंग की दृष्टि ठीक होनी चाहिए. <br />ये तो आप भी जानते है कि लेखन को कितना समय दिया जाता है. उसका मूल्य आप [स्वर्णकार] नहीं आंकेंगे तो कौन आंकेगा. 'ये कलमघिसाई सरल नहीं' इसके प्रचार की आप से अपेक्षा की जाती है. हाँ अभ्यस्तों के लिये थोड़ी सरल ज़रूर हो जाती है. फिर भी अपने काम को यूँ हलके में नहीं लिया जाना चाहिए. <br />..... खैर, आपकी कुंडलियों ने आकर्षित किया. केवल 'फ़ोकट' वाली कुण्डली ने बंधा मज़ा खोल दिया.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-80638610627665611792010-07-19T11:19:19.000+05:302010-07-19T11:19:19.000+05:30इधर उधर जितना मिले निर्लज हो चर जा।
आज के आदमी की ...इधर उधर जितना मिले निर्लज हो चर जा।<br />आज के आदमी की सटीक कुन्डली ।<br />सूर कबीरा मिल गये रोते बीच बाज़ार<br />उन के घर मे घुस गये कुटिल भाँड लठमार<br />मुझे तो लगता है आज के इन्सान को देख कर भगवान भी रोते होंगे आज उनके नाम पर कितना गंदा व्यापार हो रहा है। बहुत अच्छी लगी आपकी कुन्डलियाँ आपकी कलम को नमन।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-5377305384076522702010-07-18T22:46:15.034+05:302010-07-18T22:46:15.034+05:30सच है साहित्य की इस दुर्गति पर .....
सिसके कबीरा ज...सच है साहित्य की इस दुर्गति पर .....<br />सिसके कबीरा जायसी तुलसी मीरा सूर<br /><br /><br /><br /><br />kisi ki kyaa kahein...?<br /><br />hamein khud kuchh nahin soojh rahaa.manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-56839747826512338012010-07-18T20:46:26.509+05:302010-07-18T20:46:26.509+05:30...बेहतरीन !!!...बेहतरीन !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-44160175787064587972010-07-18T14:11:35.553+05:302010-07-18T14:11:35.553+05:30हैरान हूँ.....!!
ये सुरों के सरताज कितना हुनर सम...हैरान हूँ.....!!<br /><br />ये सुरों के सरताज कितना हुनर समेटे हैं अपने अन्दर .......<br /><br />अभी सोच ही रही थी की आज पहले आपकी पोस्ट पे जाउंगी कि आपकी प्यारी सी टिपण्णी नज़र आ गयी .....<br />आप व्यंग भी लिखते हैं आज पता चला ......<br />वह भी इतने खूबसूरत तरीके से समाज की फैली बुराइयों पर तीखा प्रहार करते हुए .........<br />कभी हड़प इनआम , यार कवि-शायर बन जा .....<br /> साहित्य जगत का भीतरी रूप दिखाती पंक्तियाँ ...जिसकी पहुँच है ये साहित्यिक पुरस्कार भी उन्हें ही नसीब होते हैं ...<br />'ठोठ-ठगोरे' की विलक्ष्ण उपमा ......<br /><br />सोने की मोहरों को पीटें सिक्के खोटे....स्वर्णकार की मोहरों के आगे भला किसी की क्या बिसात ..... <br /><br />अकादमी का स्वान तक समझो अपना बाप ....<br />नूंत चेले ,चेलियाँ आयोजन - ठेका ले लें<br />जीवनका कटु अनुभव दिख रहा है इन पंक्तियों में ....<br /><br />सच है साहित्य की इस दुर्गति पर .....<br />सिसके कबीरा जायसी तुलसी मीरा सूर<br /><br />ख़ामोशी की तस्वीरों के साथ सबको खामोश करती आपकी रचनायें .....आपकी बेमिसाल प्रतिभा की परिचायक हैं .....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-10578972486197907342010-07-18T12:31:56.673+05:302010-07-18T12:31:56.673+05:30बहुत रोचक और सुन्दर अंदाज में लिखी गई कुंडलियाँ .....बहुत रोचक और सुन्दर अंदाज में लिखी गई कुंडलियाँ .....आभारNeelamhttps://www.blogger.com/profile/10803510119159268464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-66342049505889574252010-07-18T08:14:32.538+05:302010-07-18T08:14:32.538+05:30विकृतियों और तथाकथित ठेकेदारों पर तमाचा मारती पांच...विकृतियों और तथाकथित ठेकेदारों पर तमाचा मारती पांचों कुण्डलियां जोरदार हैं. वाकई अरसे बाद कुण्डलियां पढ़ने को मिली हैं. हमारे नगर के वरिष्ठ कवि प्रताप जी की पंक्तियां देखें-<br />तुम कवि कम हो पण्डा ज्यादा/कविता कम हथकण्डा ज्यादा/सच्ची कहियो कैसे है गये/गोबर कम अरू कण्डा ज्यादा.<br />मजेदार कुण्डलियों के लिय जोरदार बधाई.<br /><br /><a href="http://kabhi-to.blogspot.com/" rel="nofollow">kabhi to</a><br />इस बार पढ़ें हरजीत की पांच ग़ज़लेंसंजीव गौतमhttps://www.blogger.com/profile/00532701630756687682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-18431076519257688462010-07-17T23:07:35.775+05:302010-07-17T23:07:35.775+05:30दिलों को स्वर्ण स्वर्ण कर दिया।
आवश्यकतानुसार इ...दिलों को स्वर्ण स्वर्ण कर दिया।<br />आवश्यकतानुसार इन्हें अपने व्यंग्यों में अवश्य शामिल करना चाहूंगा। अगर अनुमति हो तो ...अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-7730858553541727992010-07-17T20:43:28.117+05:302010-07-17T20:43:28.117+05:30Vyangya SE bharpoor aapkee
kundliyan padh kar bah...Vyangya SE bharpoor aapkee <br />kundliyan padh kar bahut achchha<br />lagaa hai.Bhavishya mein bhee<br />aesee kundliyan likhiyega.khoob<br />manorajan hua.Badhaaee.PRAN SHARMAhttp://mahavir.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-73049158491305912532010-07-17T18:03:36.190+05:302010-07-17T18:03:36.190+05:30पाँचों कुण्डलियाँ किसी न किसी विषय ,समस्या ,और नअ...पाँचों कुण्डलियाँ किसी न किसी विषय ,समस्या ,और नअहेल ओह्देदारो पर गहरा कटाक्ष करती है, भाई मज़ा गया.......<br />ये आप की क़लम की तक़त है इसके लिये मैं यही कहूंगा .... अल्लाह करे ज़ोरे क़लम और ज़ियाद.<br /> आमीन .Dr.Ajmal Khanhttps://www.blogger.com/profile/13002425821452146623noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-14111861667172730422010-07-17T15:07:07.564+05:302010-07-17T15:07:07.564+05:30Rajendra ji, bade bade kundali me siddhhast logo k...Rajendra ji, bade bade kundali me siddhhast logo ki kundaliyan padhi hai mujhe bahut achcha lagata hai aaj aapki yah rachana bhi aanand dai hai..badhai rajendrajiविनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-89475828160333497532010-07-17T14:42:27.039+05:302010-07-17T14:42:27.039+05:30kitne dino se aisa kuchh doondh raha tha...saadh p...kitne dino se aisa kuchh doondh raha tha...saadh poori hui.<br />aur wakai, jabardast likha hai apne.<br /><br />paanchon ekdam karari hain.<br /><br />badhai hoAvinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-73244233642619911532010-07-17T14:24:45.111+05:302010-07-17T14:24:45.111+05:30"घर में घुस गए"
शीर्षक से जो कुंडलि है इ..."घर में घुस गए"<br />शीर्षक से जो कुंडलि है इस का जवाब नहीं<br />बिल्कुल सही है ,जो सच्चे साहित्यकार हैं उन के फ़न पर लोगों की नज़र या तो पड़ती नहीं या देर में पड़ती है ,<br />सच परिभाषाएं बदल गईं हैंइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-34715017845669910722010-07-17T14:11:46.203+05:302010-07-17T14:11:46.203+05:30ek baat or kahunga ki is baar aapki post bahut se ...ek baat or kahunga ki is baar aapki post bahut se sahityakaaron ko naaraj kar degi. (jo sirf jaankar hone ka dam bharte hai}<br />par chinta na karen.. imandaar logo ki tippniya jaroor aayengi. baki log kya hai khud hi samajh jayenge.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-25310293716719001432010-07-17T14:07:43.477+05:302010-07-17T14:07:43.477+05:30bhai rajendra ji , bahut bahut maza aaya kundliyan...bhai rajendra ji , bahut bahut maza aaya kundliyan padh kar. bahut dino baad aapke blog pe tippani k liye maafi chhunga. par is baar ki post ne majboor kar diya muje. badhaiAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-51635897435284054352010-07-17T14:07:43.478+05:302010-07-17T14:07:43.478+05:30bhai rajendra ji , bahut bahut maza aaya kundliyan...bhai rajendra ji , bahut bahut maza aaya kundliyan padh kar. bahut dino baad aapke blog pe tippani k liye maafi chhunga. par is baar ki post ne majboor kar diya muje. badhaiAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-33786494871637136892010-07-17T11:22:12.442+05:302010-07-17T11:22:12.442+05:30गजब ढा दिया आपने, और क्या कहें?
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व्यायाम औ...गजब ढा दिया आपने, और क्या कहें?<br />--------<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">व्यायाम और सेक्स का आपसी सम्बंध?</a><br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">अब प्रिंटर मानव अंगों का भी निर्माण करेगा।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-33442320991924414422010-07-17T11:04:13.258+05:302010-07-17T11:04:13.258+05:30अरसे बाद कुण्डलियॉं पढ़ीं, शायद 1971 के बाद पहली ...अरसे बाद कुण्डलियॉं पढ़ीं, शायद 1971 के बाद पहली बार। गहरा कटाक्ष है। कटाक्ष में दो स्थितियॉं होती हैं, एक होती है प्रतिक्रियास्वरूप जो व्यक्तिगत बदलाव के लिये काम करती है, दूसरी होती है जन-जागरण के लिये; व्यापक बदलाव के लिये। जो साहित्य व्यापक सकारात्मक बदलाव ला सके इतिहास में स्थान वही पाता है। सकारात्मक बदलाव के लिये लिखते रहें। बदलाव जरूर आयेगा।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-10677577294667100452010-07-17T10:27:33.453+05:302010-07-17T10:27:33.453+05:30बहुत रोचक और सुन्दर अंदाज में लिखी गई कुंडलियाँ .....बहुत रोचक और सुन्दर अंदाज में लिखी गई कुंडलियाँ .....आभारसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.com