tag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post8504233345548278458..comments2023-10-31T15:59:18.615+05:30Comments on शस्वरं: इंसान खो गयाRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttp://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comBlogger53125tag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-1133597483673453782010-12-07T14:52:30.462+05:302010-12-07T14:52:30.462+05:30इस सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बहुत बहुत बधाई. कहते ह...इस सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बहुत बहुत बधाई. कहते है कि दुनिया के हर गोशे में है तू मौजूद ....तो फिर कही मंदिर कही मस्जिद और कही गिरिजा घर क्यूं है?अश्विनी कुमार रॉय Ashwani Kumar Royhttps://www.blogger.com/profile/01550476515930953270noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-84813547736352295582010-12-07T06:31:01.968+05:302010-12-07T06:31:01.968+05:30वाह क्या बात है। इंसान खो गया। कहां खो गया जी, बस ...वाह क्या बात है। इंसान खो गया। कहां खो गया जी, बस जरा बंट गया है। अब बंटेगा तो कुछ खोएगा ही। दरसअंल इंसान बदला तो है, पर इंसानियत खो गई है। पर जी जितना बदल गया है बेड़ा गर्क करने के लिए कम नहीं है। पर बंटना तो जाने कितनी सदियों तक चलता रहेगा। न पहले एक रहा है न कभी एक रहेगा। एक ही हाड़ मांस मज्जा के बने इंसान में इतनी बाहरी विविधता है कि मन से भी वो बंट गया है।Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-8623405119979169442010-12-06T15:20:06.099+05:302010-12-06T15:20:06.099+05:30खोये हुए इंसान की पहचान जरूरी है.
सुन्दर रचना .. प...खोये हुए इंसान की पहचान जरूरी है.<br />सुन्दर रचना .. परिभाषाओं को रेखांकित करती सीM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-74200253073049304892010-12-05T19:27:42.460+05:302010-12-05T19:27:42.460+05:30राजेन्द्रजी,
आपकी टिप्पणी के लिए शुक्रिया! जी हाँ ...राजेन्द्रजी,<br />आपकी टिप्पणी के लिए शुक्रिया! जी हाँ कुछ जिंदगी की जद्दो जहद में उलझे हुए थे !<br /><br />आपने सच कहा है इंसान आज कहीं खो गया है! <br />पंथ कोई ऐसा चलाया जाय<br />इंसान को इंसान बनाया जाय<br /><br />काश ये हो पाए ....Coralhttps://www.blogger.com/profile/18360367288330292186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-60676438407706278502010-12-05T18:16:19.481+05:302010-12-05T18:16:19.481+05:30खेद है कि समाज की सच्चाई कुछ यूं ही हैखेद है कि समाज की सच्चाई कुछ यूं ही हैKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-9168709815291034192010-12-04T16:55:59.818+05:302010-12-04T16:55:59.818+05:30बहुत खूब...अब इन्सान रहे ही कहाँ. हर कोई आपने दायर...बहुत खूब...अब इन्सान रहे ही कहाँ. हर कोई आपने दायरों में कैद होकर रह गया है.KK Yadavhttps://www.blogger.com/profile/05702409969031147177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-49926051613040502462010-12-03T17:52:03.480+05:302010-12-03T17:52:03.480+05:30aaj bhale hi insaan tarakee ke jhande buland kar r...aaj bhale hi insaan tarakee ke jhande buland kar raha hai lekin insaaniyat dheere-dheere kam hoti jaa rahi hai.. samaj ka katua magar sachha chalchitra saa dikha diya aapne... saarthak prasuti ke liye aabharकविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-11055931308423638962010-12-03T11:18:52.873+05:302010-12-03T11:18:52.873+05:30आपकी रचनाये महज रचनायें नहीं होती .....
समाज को आई...आपकी रचनाये महज रचनायें नहीं होती .....<br />समाज को आईना दिखाती हैं ..... जीना सिखाती हैं ...रहना सिखाती हैं .....<br />रचना तो इंसान का रूप दिखाती ही है ....ऊपर का चित्र और नीचे युद्धरत इंसानों की तस्वीर भी ज़िन्दगी को आईना दिखाती है .....<br />ये आपसी बैर ,अहंकार ,भेद- भाव , मजहबी झगड़े ...इनका श्रेय क्या होगा आपने बखूबी दर्शा दिया है ....<br />रचना में सभी धर्मों के प्रति आपकी आस्था आपकी अंतरात्मा की शुद्धत़ा को दर्शाती है .....<br />और आपके ज्ञान ...विचार...सद्भावना का कोई सानी नहीं ......<br />आपसे बहुत कुछ सीखना है अभी .....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-30092984041673181342010-12-02T23:48:55.012+05:302010-12-02T23:48:55.012+05:30पूरे विश्व को चित्रित कर दिया है आपने कविता में ,य...पूरे विश्व को चित्रित कर दिया है आपने कविता में ,ये जरुर है की इन्सान खो गया है ,पर आओ हम ढूंढे वो हमारे आसपास ही तो है |शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-83662576460027365872010-12-02T20:28:32.140+05:302010-12-02T20:28:32.140+05:30बाऊ जी,
नमस्ते!
वैसे मुझ फूहड़ तुक्बंदिये को क्या म...बाऊ जी,<br />नमस्ते!<br />वैसे मुझ फूहड़ तुक्बंदिये को क्या मालूम!?<br />लेकिन ज़ाहिर है आपकी कविता कंटेंट के स्तर पर तो उत्तम है ही, शब्द संयोजन, लय और प्रवाह के मामले में भी बेहतरीन है.<br />चलो इंसान को इंसान बनाया जाए....<br />सादर,<br />आशीष<br />--<br />नौकरी इज़ नौकरी!सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼https://www.blogger.com/profile/11282838704446252275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-86358856870211197072010-12-02T17:40:20.007+05:302010-12-02T17:40:20.007+05:30वाह वाह वाह वाह वाह !!!!
क्या बात कही आपने....
...वाह वाह वाह वाह वाह !!!!<br /><br /><br /><br />क्या बात कही आपने....<br /><br />लाजवाब भाव...लाजवाब शिल्प...लाजवाब प्रवाह...और लाजवाब प्रेरणा !!!!<br /><br />मन आनंदित हो गया इस अद्वितीय रचना को पढ़कर..<br /><br />बहुत बहुत आभार !!!!रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-75917173329161797762010-12-02T16:46:50.564+05:302010-12-02T16:46:50.564+05:30कमाल का लिखते है आप,अशब्द हुं मै आज.........कमाल का लिखते है आप,अशब्द हुं मै आज.........अंजना https://www.blogger.com/profile/07031630222775453169noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-52862954005095603662010-12-02T09:59:10.513+05:302010-12-02T09:59:10.513+05:30लाजवाब प्रस्तुति . कहने को शब्द नहीं आज मेरे पास ....लाजवाब प्रस्तुति . कहने को शब्द नहीं आज मेरे पास .......Dr. Shashi Singhalhttps://www.blogger.com/profile/02251500480548660356noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-38001585259765862742010-12-01T08:40:16.687+05:302010-12-01T08:40:16.687+05:30सचमुच, अपनी पहचान को सुरक्षित रखते हुए इन्सान बने...सचमुच, अपनी पहचान को सुरक्षित रखते हुए इन्सान बने रहने में ही मानव जीवन की सार्थकता है!प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-29039130280731464792010-11-30T23:28:21.927+05:302010-11-30T23:28:21.927+05:30बहुत सुन्दर ,प्रेरणाप्रद लिखा आपने! बधाई !बहुत सुन्दर ,प्रेरणाप्रद लिखा आपने! बधाई !अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-74480904428416479232010-11-30T22:29:54.118+05:302010-11-30T22:29:54.118+05:30बहुत सुन्दर रचना!बहुत सुन्दर रचना!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-71269843210418312952010-11-30T20:19:30.398+05:302010-11-30T20:19:30.398+05:30राजेन्द्र जी , आपकी यह विश्वस्तरीय रचना पढ़कर आपकी...राजेन्द्र जी , आपकी यह विश्वस्तरीय रचना पढ़कर आपकी विशाल प्रतिभा का बोध होता है ।<br />देशों , प्रान्तों , मज़हबों और सम्प्रदायों में बंटा हुआ मनुष्य आज वास्तव में एक मशीन बन कर ही रह गया है ।<br /><br />बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-55574295425367868752010-11-30T18:29:35.535+05:302010-11-30T18:29:35.535+05:30इस विस्तृत और खुबसूरत कविता के लिए अनेक आभार ...
स...इस विस्तृत और खुबसूरत कविता के लिए अनेक आभार ...<br />सच में इंसान कहीं खो गया है ... इंसानियत भूल गया है ...Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-41573770991464849272010-11-30T17:04:59.799+05:302010-11-30T17:04:59.799+05:30वाकई इंसान ही नहीं मिलता ...हार्दिक शुभकामनायें !वाकई इंसान ही नहीं मिलता ...हार्दिक शुभकामनायें !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-16150310827390540882010-11-30T15:58:28.079+05:302010-11-30T15:58:28.079+05:30करारा प्रहार, आभार.करारा प्रहार, आभार.36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-31597711834556757822010-11-30T14:50:15.275+05:302010-11-30T14:50:15.275+05:30प्रभावशाली सुन्दर बेहतरीन रचना के लिये बधाई।
बेईमा...प्रभावशाली सुन्दर बेहतरीन रचना के लिये बधाई।<br />बेईमानों की बस्ती मे ईमान कहाँ मिलता है<br />लोगों की इस भीड मे इन्सान कहाँ मिलता है। <br />धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-30704696912616531862010-11-30T14:28:13.412+05:302010-11-30T14:28:13.412+05:30इंसान सच में खो गया ... किसी ने बहुत खूब कहा है &q...इंसान सच में खो गया ... किसी ने बहुत खूब कहा है " खुदा तो मिलता है ... इंसान ही नहीं मिलता " .. बेहतरीन प्रस्तुति राजेंद्र जी ...Dr Xitija Singhhttps://www.blogger.com/profile/16354282922659420880noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-73876453854533252522010-11-30T12:16:18.288+05:302010-11-30T12:16:18.288+05:30बेहतरीन कविता कई अलंकारो से सजी हुई
इस दुनिया मे आ...बेहतरीन कविता कई अलंकारो से सजी हुई<br />इस दुनिया मे आदमी तो बहुत है पर इंसान खत्म हो गये है<br />बधाईसुनील गज्जाणीhttps://www.blogger.com/profile/12512294322018610863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-31120420253897371862010-11-30T10:28:26.111+05:302010-11-30T10:28:26.111+05:30बेहद प्रभावी और प्रासंगिक प्रस्तुति है.....बेहतरीन...बेहद प्रभावी और प्रासंगिक प्रस्तुति है.....बेहतरीन... कमाल की पंक्तियाँ साझा की आपने..... आभार डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8464474780384268131.post-88671966290878703202010-11-29T22:44:25.170+05:302010-11-29T22:44:25.170+05:30राजेन्द्रजी,
बडी भयानक तस्वीर के बाद बेहद गम्भीर ...राजेन्द्रजी,<br /><br />बडी भयानक तस्वीर के बाद बेहद गम्भीर रचना..इस पूरे मायामंडल को स्पष्ट कर देती है। <br />काफी मेहनत और परिपक्व सोच का नतीज़ा है आपकी यह रचना..मुझे इंसान खोया हुआ नहीं..सोया हुआ ज्यादा लगता है। आपकी रचना भी तो उसीको जगाने के लिये है। बहुत सटिक और मर्म तक पहुचने वाली रचना है।अमिताभ श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/12224535816596336049noreply@blogger.com