ब्लॉग मित्र मंडली

19/5/11

कई मुर्दों में फिर से जान आई

आज की अनोखी रचना उनके लिए

करे तीजे घरों पर जो लड़ाई !

कई मुर्दों में फिर से जान आई
ये महफ़िल आपने फिर जो सजाई

कई कब्रों से उठ बैठी हैं लाशें
भभकती गंध ये आई , वो आई

जो रूखे  थोबड़े बंजर हैं , उन पर
कुटिलता फिर घिनौनी मुस्कुराई

भटकते श्वान आवारा कई जो
ज़ुबां भुस-काटने को लपलपाई

किराये के कई गुंडे थे खाली
चले फिर आए करने हाथापाई

उड़े मिलते हैं जिनके घर के तोते
दिखाएंगे यहां वे पंडिताई

भये दादुर कई अब फिर से वक्ता
जमी जीभों पे जिनके लार-काई

न क ख ग छंद का जाने अनाड़ी ;
बघारें शेख़ियां फिर कर ढिठाई

बहुत है जोश ; गुण-औक़ात कब है ?
करे तीजे घरों पर जो लड़ाई !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
 ©copyright by : Rajendra Swarnkar


कइयों के लिए पहेली रहेगी
 कई मित्र रचना की तह तक पहुंच पाएंगे
कभी कुछ लीक से हट कर भी होना चाहिए न !

JJJJJJJJJJJJJJJJJJJJJJJJJJJ

मेरी पुरानी , न पढ़ी हुई पोस्ट्स भी टटोललें कभी
शीघ्र ही फिर हाज़िर होता हूं नई रचना के साथ नई पोस्ट में

गर्मी बहुत तेज है
अपना ख़याल रखिएगा
नये समर्थनदाताओं का हृदय से स्वागत
बहुत बहुत शुभकामनाएं !



14/5/11

कभी बुझती नहीं है तिश्नगी कुछ रेग़जारों की !



आज प्रस्तुत है एक नज़्म


शिकस्तें
तेरे हिस्से का जितना हूं
पड़ा हूं मैं कहीं गिरवी
ठहरना तुम

चुकानी चंद क़िस्तें और बाकी हैं !

ऐ मेरी हमनफ़स ! ऐ हमक़िरां !

मायूस मत होना

मेरी तक़्दीर में शायद शिकस्तें और बाकी हैं !!

अगरचे जल रही सीने में शम्अ तेरी उल्फ़त की

मगर तक़्दीर का बाज़ार लुट कर है अभी वीरां !

ख़ज़ाना तुम मुहब्बत का लिए’ आई हो घर मेरे

मगर 

दामन भी अपना खो चुका हूं हादसों में मैं

कहां रख पाऊंगा मह्फ़ूज़ तेरी मुस्कुराहट मैं ?

मेरी बग़िया के फूलों के भी जब के ज़र्द हैं चेहरे !

लहर ! लबरेज़ हो पाकीज़गी से तुम,

मगर … भोली !

कभी बुझती नहीं है तिश्नगी कुछ रेग़जारों की !

ज़माने भर की अग़्यारी मेरेही साथ गुज़रेगी 

पता करता हूं मैं कितनी निशस्तें और बाकी हैं ?!

मेरी तक़्दीर में शायद शिकस्तें और बाकी हैं !!

शिकस्तें और बाकी हैं

-राजेन्द्र स्वर्णकार

©copyright by : Rajendra Swarnkar


हमनफ़स : मित्र

हमक़िरां : मुसाहिब/साथ बैठने वाला दोस्त

अग़्यारी : प्रतिद्वंदिता/रक़ाबत/डाह/परायापन

निशस्त : बैठक/मज़्लिस/सभा
एक बार पुनः मैं हृदय से आभारी हूं
आप सब द्वारा मेरी मां के स्वास्थ्य के लिए की गई  प्रार्थनाओं - दुआओं के लिए
मेरी माताजी पहले से बेहतर हैं
आपने मुझसे जितना स्नेह रखा है , उसके लिए कृतज्ञता के शब्द नहीं





हार्दिक आभार !