ॐ
श्री गुरुवे नमः
श्री गुरुवे नमः
ॐ
ब्रह्मानंदं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिम् ।
द्वंद्वातीतं गगनसदृशं तत्वमस्यादिलक्ष्यम् ॥
एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षीभूतम् ।
भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुं तं नमामि ॥
ब्रह्मानंदं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिम् ।
द्वंद्वातीतं गगनसदृशं तत्वमस्यादिलक्ष्यम् ॥
एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षीभूतम् ।
भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुं तं नमामि ॥
(श्रीगुरुगीता श्लोक ५२:स्कंद पुराण )
जो ब्रह्मानंदस्वरूप हैं, परम सुख देनेवाले हैं, जो केवल ज्ञानस्वरूप हैं, सुख, दुःख, शीत-उष्ण आदि द्वन्द्वों से रहित हैं, आकाश के समान सूक्ष्म और सर्वव्यापक हैं, तत्वमसि
आदि महावाक्यों के लक्ष्यार्थ हैं, एक हैं, नित्य हैं, मलरहित हैं, अचल
हैं, सर्व बुद्धियों के साक्षी हैं, भावना
से परे हैं, सत्व, रज और तम तीनों
गुणों से रहित हैं ऐसे श्री सदगुरुदेव को मैं नमस्कार करता हूं |
माता का गुरु रूप में प्रथम जगत में स्थान !
छू'कर माता के चरण धन्य स्वयं भगवान !!
©राजेन्द्र स्वर्णकार
माता का गुरु रूप में प्रथम जगत में स्थान !
छू'कर माता के चरण धन्य स्वयं भगवान !!
©राजेन्द्र स्वर्णकार
लगन लगी गुरु से, हुई सरल जगत की राह !
मन गुरु में ऐसा रमा, हरि की रही न चाह !!
©राजेन्द्र स्वर्णकार
आंसू
बहते आंख से, करता हृदय पुकार !
हे गुरुवर ! मुझ मूढ़ को... कर लीजे स्वीकार !!
©राजेन्द्र स्वर्णकार
हे गुरुवर ! मुझ मूढ़ को... कर लीजे स्वीकार !!
©राजेन्द्र स्वर्णकार
गुरु-चरणों में विनय से झुके हमेशा शीश !
आजीवन पाते रहें कृपा स्नेह आशीष !!
©राजेन्द्र स्वर्णकार
आजीवन पाते रहें कृपा स्नेह आशीष !!
©राजेन्द्र स्वर्णकार
गुरुपूर्णिमा : व्यास पूर्णिमा
के पावन पुनीत शुभावसर पर
प्रथमगुरु माता-पिता को सादर प्रणाम करते हुए
समस्त् गुरुजनों को
श्रद्धापूर्वक शत शत नमन स्मरण प्रणाम वंदन !
सभी मित्रों को गुरुपर्व की बधाई एवं शुभ मंगलकामनाएं !
के पावन पुनीत शुभावसर पर
प्रथमगुरु माता-पिता को सादर प्रणाम करते हुए
समस्त् गुरुजनों को
श्रद्धापूर्वक शत शत नमन स्मरण प्रणाम वंदन !
सभी मित्रों को गुरुपर्व की बधाई एवं शुभ मंगलकामनाएं !