![](http://1.bp.blogspot.com/-krSVPsysnQs/T-V_B36UviI/AAAAAAAAAv0/DROLR7HgFe4/s640/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%A4+%E0%A4%95%E0%A5%80+%E0%A4%85%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%82+%E0%A4%B8%E0%A4%9C%E0%A5%80+%E0%A4%B9%E0%A5%88%E0%A4%82+%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A5%87+%23.jpg)
धड़कनें सुरमयी-सुरमयी हैं प्रिये !
सामने कल्पनाएं खड़ी हैं प्रिये !
मुस्कुराती मदिर मन में मेंहदी मधुर
रंग में रश्मियां रम रही हैं प्रिये !
कामनाएं गुलाबी-गुलाबी हुईं
वीथियां स्वप्न की सुनहरी हैं प्रिये !
नेह का रंग गहरा निखर आएगा
मन जुड़े , आत्माएं जुड़ी हैं प्रिये !
तुम निहारो हमें , हम निहारें तुम्हें
भाग्य से चंद्र-रातें मिली हैं प्रिये !
इन क्षणों को बनादें मधुर से मधुर
जन्मों की अर्चनाएं फली हैं प्रिये !
![](http://3.bp.blogspot.com/-_7aA6R0Qpnw/T-WBwte-UyI/AAAAAAAAAwI/cSuzIofyGJQ/s400/%E0%A4%87%E0%A4%A8+%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%A3%E0%A5%8B%E0%A4%82+%E0%A4%95%E0%A5%8B+%E0%A4%AC%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%82+%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%81%E0%A4%B0+%E0%A4%B8%E0%A5%87+%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%81%E0%A4%B0+%23.jpg)
मेघ छाए , छुपा चंद्र , तारे हंसे
चंद्र-किरणें छुपी झांकती हैं प्रिये !
बिजलियों से डरो मत ; हमें स्वर्ग से
अप्सराएं मुदित देखती हैं प्रिये !
मौन निःशब्द नीरव थमा है समय
सांस और धड़कनें गा रही हैं प्रिये !
बंध क्षण-क्षण कसे जाएं भुजपाश के
प्रिय-मिलन की ये घड़ियां बड़ी हैं प्रिये !
देह चंदन महक , सांस में मोगरा
भीनी गंधें प्रणय रच रही हैं प्रिये !
भोजपत्रक हैं तन , हैं अधर लेखनी
भावमय गीतिकाएं लिखी हैं प्रिये !
![](http://4.bp.blogspot.com/-1Z26vRbJ08Q/T-WBcSRbxxI/AAAAAAAAAv8/3xvChcRx0Nw/s1600/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%B8+%E0%A4%94%E0%A4%B0+%E0%A4%A7%E0%A5%9C%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%82+%E0%A4%97%E0%A4%BE+%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A5%80+%E0%A4%B9%E0%A5%88%E0%A4%82+%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A5%87+%23.jpg)
अनवरत बुझ रहीं , अनवरत बढ़ रहीं
कामनाएं बहुत बावली हैं प्रिये !
लौ प्रणय-यज्ञ की लपलपाती लगे
देह आहूतियां सौंपती हैं प्रिये !
उच्चरित-प्रस्फुटित मंत्र अधरों से कुछ
सांस से कुछ ॠचाएं पढ़ी हैं प्रिये !
रैन बीती , उषा मुस्कुराने लगी
और तृष्णाएं सिर पर चढ़ी हैं प्रिये !
मन में राजेन्द्र सम्मोहिनी-शक्तियां
इन दिनों डेरा डाले हुई हैं प्रिये !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
मित्रों, पहले तो कुछ पारिवारिक व्यस्तताएं रहीं । फिर बहुत समय से ब्लॉग में नई पोस्ट डालने का सिस्टम ही काम नहीं कर रहा था ।
समय निकाल कर हिंदी की इस शृंगारिक ग़ज़ल पर दृष्टि डालिएगा ।
तमाम ब्लॉगर और फेसबुक के नये-पुराने मित्रों की बहुमूल्य प्रतिक्रिया पा'कर रचनाधर्मिता को बल मिलेगा ।
शुभकामनाओं सहित
लौ प्रणय-यज्ञ की लपलपाती लगे
देह आहूतियां सौंपती हैं प्रिये !
उच्चरित-प्रस्फुटित मंत्र अधरों से कुछ
सांस से कुछ ॠचाएं पढ़ी हैं प्रिये !
रैन बीती , उषा मुस्कुराने लगी
और तृष्णाएं सिर पर चढ़ी हैं प्रिये !
मन में राजेन्द्र सम्मोहिनी-शक्तियां
इन दिनों डेरा डाले हुई हैं प्रिये !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
मित्रों, पहले तो कुछ पारिवारिक व्यस्तताएं रहीं । फिर बहुत समय से ब्लॉग में नई पोस्ट डालने का सिस्टम ही काम नहीं कर रहा था ।
समय निकाल कर हिंदी की इस शृंगारिक ग़ज़ल पर दृष्टि डालिएगा ।
तमाम ब्लॉगर और फेसबुक के नये-पुराने मित्रों की बहुमूल्य प्रतिक्रिया पा'कर रचनाधर्मिता को बल मिलेगा ।
शुभकामनाओं सहित