मैं सच कहता हूं , तुमको मेरी याद बहुत तड़पाएगी
जब धुआं-धुआं दिन हो जाएगा... और , शाम धुंधलाएगी
जब आसमान की चूनर पर तारों की जरी कढ़ जाएगी
पांखी दिन भर के हारे-थके
नीड़ों में जा' सुस्ताएंगे
फिर... देखना तेरे मन की बेचैनी भी बढ़-बढ़ जाएगी
मैं सच कहता हूं , तुमको मेरी याद बहुत तड़पाएगी
जब दूर किसी साहिल पर कोई कश्ती रुक-थम जाएगी
जब दिन भर शोर मचाती राहों पर चुप्पी छा जाएगी
छुप-छुप कर बैठे दो साये
जब तुम्हें नज़र आ जाएंगे
तब... कोई बात तुम्हारे दिल में मीठी टीस जगाएगी
मैं सच कहता हूं , तुमको मेरी याद बहुत तड़पाएगी
तनहाई की घड़ियां हर पल-पल तुम्हें रुला कर जाएंगी
हर सांस-सांस के साथ सदाएं मेरी ; तुम्हें बुलाएंगी
तेरी आंखों में बात-बात पर
मोती भर-भर आएंगे
तुम्हें आइनों में भी सूरत नज़र मेरी ही आएगी
मैं सच कहता हूं , तुमको मेरी याद बहुत तड़पाएगी
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright
by : Rajendra Swarnkar
यहां सुनें मेरा यह गीत मेरी आवाज़ में
यहां सुनें मेरा यह गीत मेरी आवाज़ में
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बहुत पहले लिखा गया यह गीत आपको कैसा लगा ?
बहुत पहले लिखा गया यह गीत आपको कैसा लगा ?
गुलाबी
सर्दियों की शुरुआत लगभग हो चुकी है
ख़याल रखिएगा !
फिर
मिलेंगे
मंगलकामनाओं सहित