ॐ
श्री गुरुवे नमः
श्री गुरुवे नमः
ॐ
ब्रह्मानंदं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिम् ।
द्वंद्वातीतं गगनसदृशं तत्वमस्यादिलक्ष्यम् ॥
एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षीभूतम् ।
भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुं तं नमामि ॥
ब्रह्मानंदं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिम् ।
द्वंद्वातीतं गगनसदृशं तत्वमस्यादिलक्ष्यम् ॥
एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षीभूतम् ।
भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुं तं नमामि ॥
(श्रीगुरुगीता श्लोक ५२:स्कंद पुराण )
जो ब्रह्मानंदस्वरूप हैं, परम सुख देनेवाले हैं, जो केवल ज्ञानस्वरूप हैं, सुख, दुःख, शीत-उष्ण आदि द्वन्द्वों से रहित हैं, आकाश के समान सूक्ष्म और सर्वव्यापक हैं, तत्वमसि
आदि महावाक्यों के लक्ष्यार्थ हैं, एक हैं, नित्य हैं, मलरहित हैं, अचल
हैं, सर्व बुद्धियों के साक्षी हैं, भावना
से परे हैं, सत्व, रज और तम तीनों
गुणों से रहित हैं ऐसे श्री सदगुरुदेव को मैं नमस्कार करता हूं |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh58D3wPR87KNYqbEPzhoxio2Q55S4mLj9vawFnR4jcVP-k3-9eZQhhjeRUh_YVsAhT12Xwy_ooNBOo4ZQ_0_RL9eyyqhA3ItvtaOj5O0Q_o0abBkDmUfxNs8Fha_l372YNUR6QOrCuao8/s400/M+a+a.jpg)
माता का गुरु रूप में प्रथम जगत में स्थान !
छू'कर माता के चरण धन्य स्वयं भगवान !!
©राजेन्द्र स्वर्णकार
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh58D3wPR87KNYqbEPzhoxio2Q55S4mLj9vawFnR4jcVP-k3-9eZQhhjeRUh_YVsAhT12Xwy_ooNBOo4ZQ_0_RL9eyyqhA3ItvtaOj5O0Q_o0abBkDmUfxNs8Fha_l372YNUR6QOrCuao8/s400/M+a+a.jpg)
माता का गुरु रूप में प्रथम जगत में स्थान !
छू'कर माता के चरण धन्य स्वयं भगवान !!
©राजेन्द्र स्वर्णकार
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लगन लगी गुरु से, हुई सरल जगत की राह !
मन गुरु में ऐसा रमा, हरि की रही न चाह !!
©राजेन्द्र स्वर्णकार
आंसू
बहते आंख से, करता हृदय पुकार !
हे गुरुवर ! मुझ मूढ़ को... कर लीजे स्वीकार !!
©राजेन्द्र स्वर्णकार
हे गुरुवर ! मुझ मूढ़ को... कर लीजे स्वीकार !!
©राजेन्द्र स्वर्णकार
गुरु-चरणों में विनय से झुके हमेशा शीश !
आजीवन पाते रहें कृपा स्नेह आशीष !!
©राजेन्द्र स्वर्णकार
आजीवन पाते रहें कृपा स्नेह आशीष !!
©राजेन्द्र स्वर्णकार
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiLmMAIM1jTiPJDbSxs4lO6hpPdtmQr5OPbR82T3JA-DJ3IViEC2ATdG9RERDM7OtFMJ8Ud08SzeSiSYJKXQEHBx0pEAwLLrgEjdacQZb3TMBgS2su9LS5y11jxutOsYPYJBHyZrNAQJ8I/s200/22560821f0.gif)
गुरुपूर्णिमा : व्यास पूर्णिमा
के पावन पुनीत शुभावसर पर
प्रथमगुरु माता-पिता को सादर प्रणाम करते हुए
समस्त् गुरुजनों को
श्रद्धापूर्वक शत शत नमन स्मरण प्रणाम वंदन !
सभी मित्रों को गुरुपर्व की बधाई एवं शुभ मंगलकामनाएं !
के पावन पुनीत शुभावसर पर
प्रथमगुरु माता-पिता को सादर प्रणाम करते हुए
समस्त् गुरुजनों को
श्रद्धापूर्वक शत शत नमन स्मरण प्रणाम वंदन !
सभी मित्रों को गुरुपर्व की बधाई एवं शुभ मंगलकामनाएं !
18 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (01-08-2015) को "गुरुओं को कृतज्ञभाव से प्रणाम" {चर्चा अंक-2054} पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
गुरू पूर्णिमा तथा मुंशी प्रेमचन्द की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (01-08-2015) को "गुरुओं को कृतज्ञभाव से प्रणाम" {चर्चा अंक-2054} पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
गुरू पूर्णिमा तथा मुंशी प्रेमचन्द की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सच है गुरु से बढ़कर कोई नहीं संसार में। ।
बहुत ही सुन्दर सचित्र प्रस्तुति
गुरू पूर्णिमा की हार्दिक मंगलकामनाएं!
समस्त गुरुजन को प्रणाम |
सर्वप्रथम गुरु माते को प्रणाम....
गुरुपर्व की बधाइयाँ. गुरुजनों का आशीर्वाद बना रहें बस.
नमन माँ को , नमन गुरु को !
बहुत खूब लिखा है आपने। मां तो बस मां है। उसके जैसा कोई नहीं। गुरू की महिमा भी अपार है।
आपको जन्मदिन और श्री गणेश जन्मोत्सव की बहुत-बहुत हार्दिक मंगलकामनाएं!
गुरुबिन कैसे गुन आवे।
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामना ..
bhut khub likha hai sir apne
how to self publish a book in india
आज बहुत लम्बे समय के बाद एक बार फिर से मन बनाया है ब्लॉग की इस दुनिया में वापसी का. आपका स्नेह मिलता रहा है. आगे भी मिलता रहेगा यही कामना है। आपकी बहुत सी रचनाएँ पढ़ना बाकी हैं। जल्द ही पढ़ने का प्रयास करूँगा.
बहुत आभार
अखिलेश 'कृष्णवंशी '
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं!
आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं
आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "भूली-बिसरी सी गलियाँ - 9 “ , मे आप के ब्लॉग को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
अद्भुत प्रस्तुति chhayabad
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