चमन के सरपरस्तों से न गर नादानियां होतीं
न फिर ये ख़ार की नस्लें हमारे दरमियां होतीं
न फिर ये ख़ार की नस्लें हमारे दरमियां होतीं
मुख़ालिफ़ हैं ये सच-इंसाफ़ के ; उलझे सियासत में
ख़ुदारा , पासबानों में न ऐसी ख़ामियां होतीं
ख़ुदारा , पासबानों में न ऐसी ख़ामियां होतीं
असम छत्तीसगढ़ जम्मू न मीज़ोरम सुलगते फिर
न ही कश्मीर में ख़ूंकर्द केशर-क्यारियां होतीं
न ही कश्मीर में ख़ूंकर्द केशर-क्यारियां होतीं
निभाती फ़र्ज़ हर शै मुल्क की गर मुस्तइद हो'कर
धमाके भी नहीं होते , न गोलीबारियां होतीं
धमाके भी नहीं होते , न गोलीबारियां होतीं
सियासतदां जो होते मर्द , उनका खौल उठता ख़ूं
अख़ीरी जंग की फ़िर पाक से तैयारियां होतीं
अख़ीरी जंग की फ़िर पाक से तैयारियां होतीं
न हिजड़ों को बिठाते हम अगर दिल्ली की गद्दी पर
न चारों ओर बहते ख़ून की ये नालियां होतीं
न चारों ओर बहते ख़ून की ये नालियां होतीं
वतन के वास्ते राजेन्द्र ईमां दिल
में गर रखते
न शान-ए-हिंद में गद्दारों की गुस्ताख़ियां होतीं
-राजेन्द्र स्वर्णकार
न शान-ए-हिंद में गद्दारों की गुस्ताख़ियां होतीं
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥
♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥
आज़ादी अभी अधूरी है !
क्या बधाई दें ?
क्या बधाई दें ?
वंदे मातरम् !
वंदे मातरम् !
वंदे मातरम् !
♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥
यहां भीआइएगा
सजबा लागा गमलां मांहीं आक कैक्टस थोर !रंग-बिरंगी लगा' पांखड़्यांबुगला बणग्या मोर !धरमी पिंडा-मुल्ला : लम्पट ढोंगी ठग्गू चोर !लीडर : मुज़रिम गुंडा तस्कर ख़ूनी रिश्वतखोर !जनता री सेवा में पग-पग बैठा टुक्कड़खोर !जोर लगालै जोर !