लीजिए एक प्रयोगात्मक ग़zaल
मुझसे पहले किसी ने इस तरह ग़ज़ल नहीं कही होगी
ग़zaल
मेरे talent से impressed , मुझको choose करते हैं
Familiar वे मेरे होकर , मुझे misuse करते हैं
mother मेरी , मेरे favour में sympathy रखेगी क्या
करें continuous drama , बड़ा confuse करते हैं
बढ़ूं मैं selfconfidence , willpower से आगे ; तब
मेरी राहों के candle-bulb सारे , fuse करते हैं
मिलाते poison ... daily , वे मेरी चाय-कॉफ़ी में
उन्हें बदले में something दूं , तो motion loose करते हैं
करें certainly वादाख़िलाफ़ी , fraud वे मुझसे
दिखा' पाज़ेब , देते वक़्त आगे shoes करते हैं
करूं adjust , bye god ... anyhow मैं उनसे
वे कब honestly राजेन्द्र , why-whose करते हैं
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
जयश्री कृष्ण ! नमस्कार ! आदाब ! सतश्री अकाल ! हेलो !
कई कारणों से बहुत लंबे अंतराल के पश्चात् नई रचना के साथ पोस्ट बदल पा रहा हूं । आपमें से बहुतों को पता है कि इस बीच मेरा ब्लॉग शस्वरं कितनी-कितनी बार गायब हुआ । पता नही किसी हैकर की कारस्तानी के कारण , अथवा गूगल की किसी अन्य समस्या के कारण !!
एक बात और
पिछले दिनों पता चला कि नेट पर कुछ लोगों द्वारा मेरी हिंदी और राजस्थानी की बहुत सारी रचनाएं और रचनाओं के अंश बिना मेरा नाम लिखे अपने आलेखों के साथ , कमेंट्स में , फेसबुक पर बने कुछ समूहों (groups) में अनधिकृत रूप से , धड़ल्ले-ठाठ से काम में लिये जा रहे हैं ।
जानकारी पा’कर बहुत अफ़सोस हुआ । कइयों को फटकार लगाई । कुछ ने ग़लती मानी , कुछ ने जवाब ही नहीं दिया , तो कुछ ने ढीठता से मुफ़्त में मेरा प्रचार करने का एहसान भी जताया । ख़ैर , जो करेंगे सो भरेंगे …
जानकारी पा’कर बहुत अफ़सोस हुआ । कइयों को फटकार लगाई । कुछ ने ग़लती मानी , कुछ ने जवाब ही नहीं दिया , तो कुछ ने ढीठता से मुफ़्त में मेरा प्रचार करने का एहसान भी जताया । ख़ैर , जो करेंगे सो भरेंगे …
मेरे हितैषी मित्रों से निवेदन है कि
मेरी रचनाओं के ‘मिसयूज’ की आपको भनक लगे तो मुझे ज़रूर बताते रहने की कृपा करें ।
मंगलकामनाएं !
प्रीत के तरही मुशायरे में
राजेन्द्र स्वर्णकार की ग़ज़ल