चाहे अल्लाहू कहो , चाहे जय श्री राम !
प्यार फैलना चाहिए , जब लें रब का नाम !!
रब के घर होता नहीं , इंसानों में भेद !
नादां ! क्यूं रहते यहां फ़िरक़ों में हो क़ैद ?!
मक्का-मथुरा कब जुदा , समझ-समझ का फेर !
ईश्वर-अल्लाह् एक हैं , फिर काहे का बैर ?!
सुन हिंदू ! सुन मुसलमां ! प्यार चलेगा साथ !
रब की ख़ातिर … छोड़िए , बैर अहं छल घात !!
राम नहीं , ईसा नहीं , नहीं बड़ा रहमान !
सच मानें , सबसे बड़ा होता है इंसान !!
मस्जिद-मंदिर तो हुए , पत्थर से ता'मीर !
इंसां का दिल : राम की , अल्लाह् की जागीर !!
बैर में न ज़्यादा ऐतबार कीजिए
दिल किसी का भी दुखाना जुर्म है बड़ा
मत गुनाह ऐसे बार-बार कीजिए
क़ौल-अहद नफ़रतों से तोड़ दो सभी
अब मुहब्बतों से कुछ क़रार कीजिए
ग़लतियां मु'आफ़ करने में ही लुत्फ़ है
भूल हो किसी की ; दरकिनार कीजिए
एक ख़ून है हमारा एक है ख़ुदा
इस यक़ीन को न तार-तार कीजिए
आप ही सजाइए , है आपकी ज़मीं
बाग़ कीजिए ; न रेगज़ार कीजिए
आओ सातों जन्नतें उतार दें यहां
रोज़-रोज़ नेकियां हज़ार कीजिए
कल जहां से जाएंगे राजेन्द्र हम सभी
ज़िंदगी को आज यादगार कीजिए
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
यहां सुनिए
दोहे और ग़ज़ल की एक साथ सस्वर प्रस्तुति आपने पहले शायद नहीं सुनी होगी । पसंद आने पर हमेशा की तरह आपसे उत्साहवर्द्धन और आशीर्वाद की अपेक्षा रहेगी ।
©copyright
by : Rajendra Swarnkar
दोहे और ग़ज़ल की एक साथ सस्वर प्रस्तुति आपने पहले शायद नहीं सुनी होगी । पसंद आने पर हमेशा की तरह आपसे उत्साहवर्द्धन और आशीर्वाद की अपेक्षा रहेगी ।
अब आज्ञा दें
* * *
…और हां, सूत्र वाक्य याद रखें
प्यार कीजिए !
63 टिप्पणियां:
रोज-रोज नेकियां हजार कीजिए,
जिन्दगी को आज यादगार कीजिए ।
वाह ...बहुत ही बढि़या ..प्रस्तुति ..आभार ।
दिल किसी का भी दुखाना जुर्म है बड़ा
मत गुनाह ऐसे बार बार कीजिये ...
सुन्दर और सार्थक सन्देश देती हुई रचना ..
जिस दिन दुनिया ये बात समझ जायेगी जन्नत हो जायेगी ....बहुत सुन्दर
बेहद सुन्दर!
इंसानियत का पाठ याद रहे... फिर सब कुछ सुन्दर है!
एक खून है हमारा एक है खुदा
इस यकीन को न तार तार कीजिये....
वाह! आद राजेन्द्र भईया...
आपकी असरदार ग़ज़ल और दोहे आपकी पुरअसर आवाज़ में क्या ही प्रभाव उत्पन्न कर रहे हैं... वाह!
आनंद है सचमुच...
सादर...
वाह ! स्वर्णकार साब !! आपने दिल की बात कह दी !! ईश्वर करे ऐसा ही हो !!
"नफरत में नहीं , प्यार में परमात्मा बसता ,
हो जाए ये अहसास तो समझो बसंत है ........"
मानस में लिखा है :
" रामहि केवल प्रेम पियारा , जानि लेहि जो जाननि हारा ||"
"नफरत का सिक्का खोटा है, जो लेना है यारी से ले ,
मत पाल तबाही का जूनून कुछ काम समझदारी से ले "
बहुत सुन्दर रचनाये
सच है इंसान का दिल ही रब की जागीर है
बहुत खूब
शुभकामनाये
बहुत सुन्दर.इंसानियत का बहुत सुन्दर पाठ..मन को छू लिया..स्वर्णकार जी..बधाई
rab ke ghar koi fark nahi hota....
बहुत सुन्दर भाव।
बहुत दिन बाद सुन पाई पर बहुत ही अच्छा लगा सुन कर ....थकी हुई थी बहुत फ़्रेश हो गई :-)..आभार...
आदरणीय राजेंद्र स्वर्णकार भाई साहिब, आपके कहे दोहे पढ़कर आनंद आ गया ! भाषाई बंदिशों से आज़ाद कर जिस प्रकार आपने अपनी बात कही है उसने आपके दोहों को एक बहुत ही बुलंद मुकाम बख्शा है, मेरी दिली बधाई स्वीकार कीजिए !
बाकमाल है आपका - दोहा शिल्प उबूर,
इस हकीर का आपको - शत शत नमन हुज़ूर !
bahut khoobsurat aur nek rachna ke badhaai..
दुनिया को प्यार और भाई चारे का पाठ पढवाने वाली दोनों अद्वितीय रचनाओं के लिए दिल से बधाई.
नीरज
आपकी इल उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार केचर्चा मंच पर भी की जा रही है! सूचनार्थ!
आपके प्रवचन पढ़कर एक सकूं सा मिल रहा है ।
दोनों रचनाएँ उत्कृष्ट हैं भाई जी ।
गायन में ऐसा अद्भुत संगम तो वास्तव में पहले कभी नहीं सुना ।
बेहतरीन ।
नेक नीयत सी गज़ल ..सुन्दर.
सारे संसार को
इंसानियत और भाई चारे का सबक सिखाते हुए
बहुत ही सार्थक और सटीक बातें कह डालीं आपने
दोहे हों या ग़ज़ल या कोई अन्य कृति,,
आपको पढ़ना , अपने मन को सुकून देने के बराबर ही है .
अभिवादन .
manavta ki baat kitani shajta se samjhayi....wah
काश आपकी लिखी हर एक बात सच हो जाये"आमीन" और इंसान के समझ में यह प्यार कि भावना जाग जाये क्यूंकि "मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम वतन है हिंदुस्तान हमारा हमारा" ...... समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
वाह...हमेशा की तरह फिर कबीराना मूड वाली लाइनें...यह समय की मांग है की प्यार किया जाये. यही सन्देश भी दिया जाये. और आप जिस खूबसूरती से ये सन्देश देते हैं, वो दिल तक उतर जाता है. यही रचना की सफलता है. शुभकामनाएं इस चिंतन के लिए पूरी ग़ज़ल सहज, सरल, और बोधगम्य है.
नेक विचारों से भरा प्यारा गुलदस्ता ...
सुन्दर, सार्थक नेक प्रस्तुति के लिए आभार!
bahut sundar sandesh aur aavaaj ke sath aur bhi achchha ....
Beautiful thought and beautiful expression Rajendra ji !! Amen .
bahut hi sunder bhav ......har shabd dil ko chuta hua . aapki post padhne ke baad man ko asim shanti mili .....bahut hi sunder .
http/sap-shashi.blogspot.com
meri nayi post par aapka swagat hai
आज आपकी रचनाएँ पढ़ने का सौभाग्य मिला... न केवल पढ़ने का, वरन, सुनने का भी ... रस से मन भर गया.. आनंद प्राप्ति हुई यहाँ आ कर राजेंद्र जी... बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें...
नमस्कार राजेन्द्र जी...सच्चाई को बयां करती खुबसूरत रचना...लाजवाब।
शस्वरं के सभी मित्रों को
११ ११ ११ ११ ११ ११ के अद्वितीय संयोग की
हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं
- राजेन्द्र स्वर्णकार
ati sundar prastuti....
राजेंद्र जी
बहुत सुंदर विचारों से ओत-प्रोत रचनाएं
अगर हम सब इस बात को समझ लें तो इस दुनिया
में ही जन्नत मिल जाएगी
छोटी छोटी बातों पर मन मुटाव ,,अहं का टकराव जैसी भावनाओं ने हमें कमज़ोर बना दिया है
ऐसे में आप की ये रचनाएं कुछ सच्चा और अच्छा करने का बल प्रदान करती हैं
बहुत बहुत शुक्रिया
और
मुबारकबाद !!
सार्थक सुन्दर सन्देश...
और काव्य पक्ष की तो क्या कहूँ...
बहुत सुन्दर और सार्थक सन्देश देती हुई रचना ...
सार्थक सन्देश देती प्रस्तुती.....
सुन्दर रचना. लेकिन रचना से कहीं ज्यादा सार्थक और गहरा उसके अन्दर अन्तर्निहित सन्देश. हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
को जोडती दिलों, रचना.
दिलों को जोडती , रचना.
सुन्दर और सार्थक सन्देश देती हुई रचना ..
अच्छे दोहे , अच्छी ग़ज़ल..
हमने सूत्र वाक्य को याद रख लिया
भाई सा।
सच में केवल प्यार कीजिए यह नारा ही संसार को बदल सकता है।
सही और सच्चा सदेश देश और समाज की एकता को अक्षुण रखने का.
आप तो स्वरों के साथ शब्दों के जादूगर है. यह प्रस्तुति भी बेजोड है.
आभार.
बहुत सुन्दर भाव लिखे हैं
बहुत सुंदर
क्या कहने
प्यार बांटते चलो.... सार्थ संदेश देनेवाले हैं दोहे और ग़ज़ल
aap ke kthy se bilkul asahmti hai hindoon ke pyar ki kimt aaj tk jo mili vh samne hai pakistan bna kashmir se pndit bhgaye gye roj aatnki hmle jhele rhe hain lakhon log aatnk vad ka shikar huye hain aur is ke pichhe unhi allah ko manne valo ki soch hai jis ka aap ke pas koi uttr nhi hai aaj tk aatkn ya jihad ke khilaf kisi ne munh nhi khola hai aur aap hain ki jhooth ke divane huye ja rhe hain
# आदरणीय वेद जी ,
हिंदुस्तान में रहनेवाले हर धर्मावलंबी को अपने जन्मदाताओं और संतान की सौगंध है कि हिंदुस्तान के प्रति वफ़ादार रहें … अन्यथा उन पर और उनके धर्म पर लानत है !
यह बात हर राष्ट्रभक्त हिंदू और मुसलमान मानता है …
गद्दार अपनी मां के नहीं होते … आपके-हमारे या मातृभूमि के क्या होंगे !!
आपके अवलोकनार्थ दो लिंक-
http://shabdswarrang.blogspot.com/2011/07/blog-post.html
और
http://shabdswarrang.blogspot.com/2011/08/blog-post_4163.html
सादर …
दोहे और गज़ल में जो संदेश है उसे आत्मसात कर लिया तो सचमुच सात सात जन्नतें जमीं पर उतर आयेंगी.
very meaningful post! Dohe aur Gazal dono hi pasand aaye! Congrats!
मान्यवर!
आपने हमारे ब्लॉग के बारे में जो लिखा उसके लिए मैं अत्यंत आभारी हूँ! हिंदी में मेरी ज्ञान बहुत कम हैं| लेकिन हमारे राष्ट्रभाषा से मुझे बहुत लगाव हैं! शायद इसलिए में यह सब लिख पाती हूँ|
आपने इतने अछे शब्द हमारेलिये लिखे, इसकेलिए आपको धन्यवाद! आप के राय जानके हिंदी में और भी लिखने का हमें प्रेरणा मिलेंगे, यही उम्मीद हैं|
आपने जितने भी प्रशंसा की, बहुत बहुत धन्यवाद!
चित्रकला पे आपने जो टिपण्णी की, उसकेलिए भी शुक्रिया!
शुभकामनाएं!!!
निशा
बहुत अच्छी रचना
राजेंद्र स्वर्णकार जी , आप की टिप्पणी के लिए बहोत-बहोत धन्यवाद | आपका प्रोफाइल पढ़ा , आपकी दोनों प्रस्तुतियाँ पढ़ी और सुनी भी |उपरवालेने आप मे बहोत सारी प्रतिभाएँ भरके आपको धरती पर भेज दिया है |आप कवी,शायर,रचनाकार और अच्छे गायक भी है |आप जैसे बहु-आयामी कलाकार से टिप्पणी पाकर मैं धन्य हो गया |आपके सामने मैं बहोत छोटा हूँ |इंशाअल्लाह,भविष्य मे जरूर एक साथ काम करेंगे |अब तो ब्लॉग पर आपसे मुलाकातें होती रहेंगी | धन्यवाद |
राजेंद्र जी,
आपने गजल और दोहों की बहुत सुंदर सगंम कर बढ़िया प्रस्तुति की पढ़ने व आपकी आवाज में सुनकर मजा आ गया,बहतरीन पोस्ट,इसी तरह
आगे बढते रहे,,,,
मेरे नई पोस्ट 'प्यारे बच्चों'में स्वागत है.....
माननीय राजेन्द्र जी
सादर नमन
आपका ब्लॉग पहले भी देख चुकी हूँ! आज आपके दोहों और गजल को एक साथ पढा भी और सस्वर आनंद भी लिया, इतनी बेहतरीन प्रस्तुति के लिए साधुवाद!
हमारी बहुत-बहुत शुभकामनाएं..
सारिका मुकेश
माननीय राजेन्द्र जी
सादर नमन
आपका ब्लॉग पहले भी देख चुकी हूँ! आज आपके दोहों और गजल को एक साथ पढा भी और सस्वर आनंद भी लिया, इतनी बेहतरीन प्रस्तुति के लिए साधुवाद!
हमारी बहुत-बहुत शुभकामनाएं..
सारिका मुकेश
बहुत अच्छा लिखा आपने !!
बहुत बहुत बधाई आपको
अब आपको ब्लॉग को फोलो कर रहा हूँ तो आता रहूँगा आपकी रचनायो को पढने के लिए
mere blog par aaye
manojbijnori12.blogspot.com
इंसानियत का पाठ पढ़ाती दोनों ही रचनाएं मर्मस्पर्शी हैं ..बहुत -बहुत बधाई .....
डा. रमा द्विवेदी
भाई राजेन्द्रजी, दोहों और ग़ज़ल का बहुत सुन्दर मेल हुआ है.
दोहे सभी के सभी लाजवाब और उन्नत भावों से भरे हुए हैं, गज़ल के सारे अश’आर इंसानी भावनाओं को जीते हुए हैं. बहुत-बहुत बधाइयाँ.
राजेन्द्रजी, जबतक आपकी पुरकशिश आवाज़ के लिये कुछ न कहूँ चैन नहीं आयेगा. आपको माँ सरस्वती का दुलार नसीब है.
हार्दिक शुभकामनाएँ.
--सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)
राजेंद्र जी,
बहुत ही सुन्दर सन्देश... एक-एक बात एकदम सटीक और सार्थक है आज के माहौल के लिए. एक खून है हमारा एक है खुदा, इस यकीन को न तार तार कीजिये....बस हर एक दिल तक ये सन्देश पहुंचे और सब ओर अमन कायम हो यही दुआ है ऊपर वाले से...आज ऐसे ही लेखन की आवशयकता है जो लोगों के हृदय से नफरत और भेदभाव हटाकर प्रेम और भाईचारे का भाव भर सके. सामायिक और सार्थक रचनाओं के लिए धन्यवाद.
सादर
मंजु
Wonderful poem by a wonderful man,Thanks for sharing.
उत्कृष्ट रचनाएं....!!
राम नहीं, ईसा नहीं, नहीं बड़ा रहमान |
सच माने सबसे बड़ा ,होता है इंसान |
भाई राजेन्द्र जी
आप के सभी सुन्दर दोहे और छंद , जो इंसानियत के नाम हैं ....अति सराहनीय हैं |
भाव पक्ष , कला पक्ष का कहना ही क्या ?
अद्भुत संगम ....भावों की उद्दत्ता रचना की प्रासंगिकता बढ़ा देती है ....!
मित्रवर आप क्या जानें यहां कितना प्यार छिपा है....पर कोई लेने नहीं आता सो हम बांटते चलते हैं खुद ही.....सागर में जितने मोती नहीं...तटों पर जितने रेत के कण नहीं....आसमां में जितने झिलमिलाते तारे नहीं.....उससे कहीं ज्यादा प्यार छिपा है सीने में..बस एक अदद ..... की जरुरत है.. अल्लाह औऱ भगवान दोनो एक से ही दिखते हैं तभी तो हम गाते चलते हैं ....इश्क है मीठा..इश्क के खट्टा...इश्क है रब....इश्क है सब......बस इश्क में पड़ जाइए.....नहीं तो बांटते रहिए..बस यही कर रहे हैं हम तो मित्रवर ..आप तो जानते ही हैं...
नीति के दोहे सुने थे, आपने जो लिखा है इसे इंसानियत के दोहे कहना चाहूँगा. बहुत खूब.
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