ब्लॉग मित्र मंडली

25/2/12

हुनर-ओ-हौसलों से मैं करूंगा तय सफ़र तनहा

मित्रों ! अंतर्जाल पर बेशर्म रचनाचोर-चोरनियों की सक्रियता से आप भी परेशान होंगे शायद ,  …मैं तो हूं ! 
ब्लॉग्स पर भी रचनाचोर मिले हैं लेकिन … फेसबुक पर तो हद से ज़्यादा !
 कुछ रचनाचोर चुन चुन कर शब्द उठाते हैं , कुछ काव्य पंक्तियों में मामूली हेर फेर करके औरों की रचना अपनी बनाते हैं , और कुछ बेहद ढीठ बेशर्म रचनाचोर ज्यों की त्यों 
पूरी रचना ही अपने नाम से पोस्ट करते पाए जाते हैं …
भले ही ग़ालिब , बशीर बद्र , दुष्यंत ,  निराला, दिनकर या मुझ जैसे अदना रचनाकार की ग़ज़लें हों – गीत हों , धूमिल , दीप्ति नवल , अमृता प्रीतम या हरकीरत हीर की कविताएं हों …
काश ! उन सबने सरस्वती की शरण में जाने का प्रयास किया होता


ख़ैर ! आपकी पारखी दृष्टि के लिए प्रस्तुत है मेरी एक ग़ज़ल 

 उंगली उठे ऐसा मुझे किरदार मत देना
मुझे तू ख़ार ही देना , गुलों के हार मत देना
मगर उंगली उठे ऐसा मुझे किरदार मत देना
तेरे दर का सवाली हूं, निशानी दे कोई मुझको
कराहत दे मुझे बेशक मुहब्बत प्यार मत देना
हुनर-ओ-हौसलों से मैं करूंगा तय सफ़र तनहा
बरगलादें मुझे हर मोड़ पर वो यार मत देना
मैं आजिज़ आ गया हूं देख सुन हालात दुनिया के
मेहरबानी मेरे हाथों में अब अख़बार मत देना
जो कासिद की तसल्ली की बिना पर ख़त तुम्हें भेजा
वो आतिश के हवाले कर कहीं सरकार मत देना
जहां को बांट' फ़िरकों में, दिलों को चाक जो करते
पयंबर पीर ऐसे औलिया अवतार मत देना
जिएं दाना ओ पानी पर मेरे , घर में रहें मेरे
यक़ीं के जो न हों क़ाबिल वो हद ग़द्दार मत देना
वतन को बेचदे राजेन्द्र जो अपनी सियासत में
वो ख़िदमतगार मत देना, अलमबरदार मत देना
-राजेन्द्र स्वर्णकार 
©copyright by : Rajendra Swarnkar
 
 पिछली पोस्ट के कई कमेंट्स गूगल के हादसों के हवाले हो गए… अफ़सोस !
व्यस्तताएं इतनी बढ़ी हुई हैं कि पहली बार एक महीने से भी अधिक समय बीतने के बाद पोस्ट बदल पाया हूं ।
आशा है, अब नियमित मुलाकातें होती रहेंगी।

हार्दिक मंगलकामनाएं ! 

35 टिप्‍पणियां:

G.N.SHAW ने कहा…

बहुत ही सुन्दर निस्वार्थ भाव ! बधाई

udaya veer singh ने कहा…

बेच दे ......खिदमतगार ,अलमबरदार ....... बहुत खूब ..शानदार रचना स्वर्णकार जी,/सृजन तभी व्यतिक्रमित होते हैं जब हम दिग्भ्रमित होते हैं / पर जब हम" एकला चलो.." की राह के मुसाफिर हैं तो परवाह कैसी ? परजीवी का अपना वजूद नहीं होता ,तो उसकी क्यों चिंता करनी .बैशाखियों पर जिंदगी ढोई जाती है चलती नहीं .......मुकम्मल आगाज ...... शुक्रिया जी /

Vaishnavi ने कहा…

hamesha ki tarah behad umda,or prerak rachna,jo savshresth lekhan ko sarthak karti hai,or hum jaise naye logo ka marg darshan kari hai.

Vaishnavi ने कहा…

hamesha ki tarah behad umda,or prerak rachna,jo savshresth lekhan ko sarthak karti hai,or hum jaise naye logo ka marg darshan kari hai.

डॉ टी एस दराल ने कहा…

काश कोई हमारी भी चुराता !
लेकिन चुराने के लिए चुराने लायक सामग्री भी तो होनी चाहिए .
वैसे क्रेडिट देते हुए चुराया जाए तो क्या ऑब्जेक्शन हो सकता है .

अभी तो इतना ही . रचना बाद में पढेंगे . आखिर आपने भी तो इतना इंतजार कराया है :)

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत खूबसूरत गजल ...

मैं आजिज़ आ गया हूं देख सुन हालात दुनिया के
मेहरबानी… मेरे हाथों में अब अख़बार मत देना

क्या बात काही है ॥बहुत खूब

पुरुषोत्तम पाण्डेय ने कहा…

बहुत सुन्दर , शब्दों का चयन अति सुन्दर.

संध्या शर्मा ने कहा…

बहुत सुन्दर शब्द, सुन्दर ग़ज़ल... आभार

sangita ने कहा…

बहुत ही सुन्दर निस्वार्थ भाव,बधाई.............

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत,बेहतरीन अच्छी गजल ,सुंदर सटीक निस्वार्थ भाव की रचना के लिए बधाई,.....
राजेन्द्र जी,..देर से ही सही आये तो आप ....

NEW POST...काव्यांजलि...आज के नेता...
NEW POST...फुहार...हुस्न की बात...

बेनामी ने कहा…

बेहतरीन प्रस्तुति,सुन्दर ग़ज़ल....

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

सुंदर शब्दों से सजी शानदार रचना|

vidya ने कहा…

बेहद खूबसूरत गज़ल...

जगह जगह आपका नाम देखती आई...ब्लॉग आज देख पायी..ना जाने क्यूँ???
खैर देर आये दुरुस्त आये...अब से नियमित पढूंगी...आप नियमित लिखते रहें..
:-)
सादर.

Sunil Kumar ने कहा…

बहुत खुबसूरत ग़ज़ल दाद तो कुबूल करनी ही होगी .....

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

waah bahut hi achchi rachna rajendra jee.

Amit Chandra ने कहा…

क्या बात है. बेहद उम्दा


सादर.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सुन्दर पंक्तियाँ, रचनाचोरों को कम से कम रचनाकारों का नाम लिखने की सद्बुद्धि मिले..

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

क्या सुन्दर ग़ज़ल है आदरणीय राजेन्द्र भईया...
सादर बधाई.

रचना चोरों को सद्बुद्धि आये...
वो अपनी करनी पछ्ताएं..

virendra sharma ने कहा…

अच्छा लगा एक अंतराल के बाद आपको पढ़ कर गुण कर .rhaa सवाल साहितियिक चोरी का -तो ज़नाब -

बान हारे की बान न जाए ,कुत्ता मूते टांग उठाय .आखिर बेचारे बेचारियाँ चौर्य उन्माद से ग्रस्त होंगें .

Amrita Tanmay ने कहा…

सार्थक रचना..

tips hindi me ने कहा…

उम्दा गज़ल |

टिप्स हिंदी में

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपने अपनी प्रस्तुति को बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया है । सदा सृजनरत रहें ।मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

***Punam*** ने कहा…

गज़ब की गज़ल....
जादू है,नशा है....
पता नहीं...
बस कुछ है जो अपना सा लगता है....
मगर...

"हुनर-ओ-हौसलों से मैं करूंगा तय सफ़र तनहा
बरगलादें मुझे हर मोड़ पर…वो यार मत देना"

या खुदा.....रहम कर....!!

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

बहुत खूब लिखा है,बेहद खूबसूरत गज़ल. इस गज़ल के लिए आभार
Active Life Blog

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुंदर शब्दों से सजी रचना|

kanu..... ने कहा…

in choron se to sara blog jagat pareshan hai.....kher kya kare...aapki ye rachna mujhe bahut acchi lagi...niswarth bhaav lie...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति,इस सुंदर रचना के लिए बधाई,...
राजेन्द्र जी,मेरे पोस्ट में आकर मुझे अपने सुंदर विचारों से नवाजा,बहुत२ आभार,..
इसी तरह स्नेह बनाए रखे....

MY NEW POST ...काव्यान्जलि ...होली में...

Rajesh Kumari ने कहा…

bahut umda ghazal har ashaar kabile daad hai......vaah.god bless.

Rajesh Kumari ने कहा…

bahut umda ghazal likhi hai har ashaar kabiledaad hai.god bless.

Rajesh Kumari ने कहा…

lajabaab ghazal.

amrendra "amar" ने कहा…

Bahut Khubsurat Gajal

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

बहुत सुंदर मर्मस्पर्शी रचना.
हार्दिक बधाई..

Rachana ने कहा…

मैं आजिज़ आ गया हूं देख सुन हालात दुनिया के
मेहरबानी… मेरे हाथों में अब अख़बार मत देना
kamal ka hai ek ek shabd .
puri gazal hi bahut uttam hai sada ki tarah ..........
rachana

निर्झर'नीर ने कहा…

wah kya baat hai ..exceelent
makte ka to javab nahi ..laajavab
bandhai swikaren

बेलाग ने कहा…

जब आप सुवर्ण/स्वर्णकार होंगे तो कवि कामी और चोर तो पीछे पड़ेंगे ही राजेन्द्र जी
कहा भी है किसी ने "सुबरन को ढूँढत फ़िरत कवि कामी अरु चोर"।