ब्लॉग मित्र मंडली

9/5/10

" मां " " तेरे क़दमों तले जन्नत " " गजब कमाल है मा ! "

तीन रचनाएं मातृ शक्ति को प्रणाम वंदन नमन के साथ !
हमारी संस्कृति के अनुसार 
दिवस विशेष नहीं , हर क्षण माता-पिता के प्रति सम्मान और श्रद्धा भाव के लिए है । 
परंतु पश्चिम के अनुकरण में आज के लिए कोई आपत्ति नहीं ।
मातृ दिवस के उपलक्ष में 
प्रस्तुत है 
हर मां को समर्पित 
वर्षों पहले  लिखा  मेरा एक पुराना गीत ,
एक ग़ज़ल , और एक  ग़ज़ल
मेरी राजस्थानी भाषा में भी …

* मां *

हृदय में पीड़ा छुपी तुम्हारे , मुखमंडल पर मृदु - मुसकान !
पलकों पर आंसू की लड़ियां , अधरों पर मधु - लोरी - गान !
धन्य तुम्हारा जीवन है मां ! तुम पर तन मन धन बलिदान !
तुम पर जग न्यौछावर माता ! स्वत्व मेरा तुम पर बलिदान!!

कष्ट मौत का सह'  जीवन देती कि नियम सृष्टि का पले !
मात्र यही अभिलाषा और आशीष कि बच्चे फूले - फले !
तेरी गोद मिली, वे धन्य है मां ! …क्या इससे बड़ा वरदान ?
तुम पर जग न्यौछावर माता ! स्वत्व मेरा तुम पर बलिदान!!

तू सर्दी - गर्मी , भूख - प्यास सह' हमें बड़ा करती है मां !
तेरी देह त्याग तप ममता स्नेह की मर्म कथा कहती है मां !
ॠषि मुनि गण क्या , देव दनुज सब करते हैं तेरा यशगान !
धन्य तुम्हारा जीवन है मां !  स्वत्व मेरा तुम पर बलिदान !!

भेदभाव माली क्या जाने , जिसने स्वयं ही बीज लगाए !
फल कर पेड़ ; फूल फल दे या केवल कंटक शूल चुभाए !
करुणा स्नेह आशीष सभी में बांटे  तुमने एक समान !
तुम पर जग न्यौछावर माता ! स्वत्व मेरा तुम पर बलिदान!!

तेरा जीवन - चरित निहार' स्वर्ग से पुष्प बरसते हैं मां !
तुम - सा क़द - पद पाने को स्वयं भगवान तरसते हैं मां !
चरण कमल छू'कर मां ! तेरे , धन्य स्वयं होते भगवान !
धन्य तुम्हारा जीवन है मां !  स्वत्व मेरा तुम पर बलिदान !!

- राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar


* तेरे क़दमों तले जन्नत *

तेरे दम से है रौनक़ घर मेरा आबाद है अम्मा !
दुआओं से मुअत्तर है ये गुलशन शाद है अम्मा !
तेरे क़दमों तले जन्नत , दफ़ीने बरकतों के हैं
ख़ुदा अव्वल , तुम्हारा नाम उसके बाद है अम्मा !
किसी भी हाल में रब अनसुना करता नहीं उसको
किया करती जो बच्चों के लिए फ़रियाद है अम्मा !
न दस बेटों से मिलकर एक मां पाली कभी जाती
अकेली जूझ लेती है , तुझे लखदाद है अम्मा !
तेरी आंखों से गर आंसू बहे तो फिर क़यामत है
तेरा हर अश्क सूरज है , सितारा - चांद है अम्मा !
हमें खुशियां तू दे पल-पल, ज़माने भर के ग़म सह कर
अभागे हैं , मसर्रत में न जिनको याद है अम्मा !
कमी राजेन्द्र क्या मुझको , भरे गौहर मेरे घर में
दुआ तेरी मेरे दामन में लाता'दाद है अम्मा !


- राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar




* गजब कमाल है मा ! *
जग खांडो , तूं ढाल है मा !
टाबर री रिछपाळ है मा !
जायोड़ां पर आयोड़ी
विपतां पर तूं  काळ है मा !
दुख - दरियाव उफणतो ; जग
वाळां आडी पाळ है मा !
मैण जिस्यो हिरदै कंवळो
फळ - फूलां री डाळ  है मा !
जग बेसुरियो बिन थारै
तूं लय अर सुर - ताल है मा !
बिरमा लाख कमाल कियो
सैंस्यूं गजब कमाल है मा !
लिछमी सुरसत अर दुरगा
था'रा रूप विशाल है मा !
मा तूं मिंदर री मूरत
अर पूजा रो थाळ है मा !
जिण काळजियां तूं नीं ; बै
लूंठा निध कंगाल है मा !
न्याल ; जका मन सूं पूछै
- था'रो कांईं हाल है मा !
धन कुणसो था'सूं बधको ?
निरधन री टकसाळ है मा !
राजेन्दर था ' रै कारण
आछो मालामाल है मा !

- राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar




 *शब्दार्थ : राजस्थानी रचना ' गजब कमाल है मा !**
खांडो - ढाल : खड़्ग और ढाल / टाबर री रिछपाळ : बच्चों की रक्षक /
जायोड़ां पर आयोड़ी विपतां पर : कोख से जन्मे हुओं पर आई हुई विपत्तियों पर /
वाळां आडी पाळ : अतिवृष्टि में बहते नालों का अवरोध /
मैण जिस्यो हिरदै कंवळो : मोम जैसा कोमल हृदय / बेसुरियो : बेसुरा /
सैंस्यूं गजब कमाल : सर्वाधिक आश्चर्यजनक कमाल / पूजा रो थाळ : पूजा का थाल /
जिण काळजियां तूं नीं ; बै लूंठा निध : जिन कलेजों में तुम नहीं ; वे धनवान पुत्र /
धन कुणसो था'सूं बधको : कौनसा धन तुमसे बढ़कर है /
निरधन री टकसाळ : निर्धन की  टकसाल / आछो मालामाल : अच्छा मालदार

* ख़ास तोहफ़ा *
शस्वरं के मित्रों के लिए
मातृ दिवस पर हिंदी फिल्मों से तीन चुनिंदा गीत !
फ़ुर्सत में सुन कर तो देखें … भाव विह्वल न हो जाएं तो कहना !
अगला गीत सुनने के लिए next दबाएं


अगली पोस्ट में है एक ख़ास पेशकश
आते रहिएगा शस्वरं पर
आज विदा लेता हूं … 
मातृ दि की मंकानाएं


23 टिप्‍पणियां:

दिलीप ने कहा…

sir pehli padhte padhte hi rone laga...baaki bhi atyant bhav bhari hain...

Mithilesh dubey ने कहा…

बहुत खूब , तीनो रचनाए लाजवाब लगी ।

अर्चना तिवारी ने कहा…

तीनों रचनाएँ बहुत सुंदर हैं..मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !!

आदेश कुमार पंकज ने कहा…

बहुत सुंदर
मातृ दिवस के अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें और मेरी ओर से देश की सभी माताओं को सादर प्रणाम |

समय चक्र ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति
मातृ दिवस पर आप को हार्दिक शुभकामनायें और मेरी ओर से देश की सभी माताओं को सादर प्रणाम...

girish pankaj ने कहा…

teeno rachanaayen parh kar likh rah hoo. adbhut ...maarmik... aap ke bhi gazab ki pakad hai chhand par. bahut kam log hai aise. badhai..hame chhan-paramparaa ko aage barhanaa hai.

Narendra Vyas ने कहा…

बहुत भावुक कर दिया आपकी इन रचनाओं ने | भगवान ने अपना शाश्‍वत साकार रूप दिखाने के लिये ही मां बनाई | आपने सच ही कहा है कि हमारी संस्कृति के अनुसार दिवस विशेष नहीं , हर क्षण माता-पिता के प्रति सम्मान और श्रद्धा भाव के लिए विशेष है मां की सूरत से अलग भगवान की सूरत हो ही नहीं सकती |कोटिश: साधुवाद ।।

अजय कुमार ने कहा…

समस्त माताओं को सादर नमन

nilesh mathur ने कहा…

बहुत ही सुन्दर कविताएँ है,मातृ दिवस की शुभकामना!

Shubham Jain ने कहा…

bhavuk kar diya aapki rachnao ne...bahut sundar...atyant bhavpuran...

vandana gupta ने कहा…

तीनों रचनाएँ बहुत सुंदर हैं..मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !!ऽआपकी पोस्ट कल के चर्चा मंच पर ले ली गयी है।

Amit Sharma ने कहा…

तीनो रचनाए लाजवाब लगी ।

बेनामी ने कहा…

आपकी पोस्ट बहुत बढ़िया है!

मातृ-दिवस पर
ममतामयी माँ को प्रणाम तथा कोटि-कोटि नमन!

ओम पुरोहित'कागद' ने कहा…

भावविभोर कर देने वाली इन रचनाओँ मे पत्थर को भी तरल कर देने की क्षमता है।शब्द शब्द व्यंजित होती मोतियोँ गुंथी माला सरीखी ये कविताएं माँ माँ माँ जपती जपाती हैँ। वाह!बधाई!
*भारतीय संस्कृति मेँ ज़िन्दा लोगोँ का कोई दिन नहीँ होता।माँ तो शाश्वत सनातन, अजर, अमर है।माँ स्रष्टि है! माँ जननी है तीनोँ लोकोँ की।माँ जननी है ईश्वर की। मातृदिवस पाश्चात्य संस्कृति की देन है।
*दिन होता है गत का जिनका करते हैँ श्राद्द हम।उन्ही दिनोँ हमारे यहां दिन होते हैँ- दादा का दिन,दादी का दिन,नाना का दिन, नानी का दिन आदि आदि।

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

राजेंद्र जी तीनों ही नज्में बहुत सुंदर.....
आप तो लिखते ही गज़ब हैं .....

गीत अभी सुन नहीं पाई.... पर जानती हूँ उतने ही प्यारे होंगे जितने पहले सुन चुकी हूँ .....
कल सुनती हूँ क्योंकि मेरे कंप्यूटर में साउंड बॉक्स नहीं .....

और हाँ ...मेरी मेल याहू वाली लाक हो गयी है खुलती ही नहीं ....उसमें आपकी भी एक मेल देखी थी मैंने पर पढ़ नहीं पी ....अब खुल नहीं रही ...कृपया अन्यथा न लें .....आप उसे दोबारा मेरे g mail पे भेज सकते हैं .....

एक बेहद साधारण पाठक ने कहा…

तीनों रचनाएँ बहुत सुंदर हैं :)

मदर्स डे के शुभ अवसर पर ...... टाइम मशीन से यात्रा करने के लिए.... इस लिंक पर जाएँ :
http://my2010ideas.blogspot.com/2010/05/blog-post.html

Urmi ने कहा…

बहुत ही ख़ूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है जो काबिले तारीफ़ है! तीनों रचनाएँ लाजवाब हैं! रचना की हर एक पंक्तियाँ दिल को छू गयी! मात्री दिवस पर उम्दा प्रस्तुती!

नीरज गोस्वामी ने कहा…

आपकी रचनाओं पर टिपण्णी करने में बहुत दुविधा है...प्रशंशा के लिए उपयुक्त शब्द ही नहीं मिलते...आपकी रचनाएँ पढ़ कर दिल से जो कहना चाहता हूँ उसके लिए शायद शब्द बने ही नहीं...उसे सिर्फ महसूस ही किया जा सकता है...वाह...माँ सरस्वती के सदा यूँ ही लाडले बने रहें ये ही प्रार्थना करता हूँ...
नीरज

तिलक राज कपूर ने कहा…

विलंब से ही सही रचनायें पढ़ने को तो मिलीं, अच्‍छे भाव और विविधता लिये हुए।
बधाई।

Alpana Verma ने कहा…

'स्वत्व मेरा तुम पर बलिदान'
बस यही भावना हमारी भी समझिये..

-भावपूर्ण कविता.बहुत ही अच्छी कविता.
--राजस्थानी भाषा में लिखी कविता भी बहुत पसंद आई.
मातृ दिवस के उपलक्ष में बहुत ही अच्छी प्रस्तुति.
बधाई.

Sadhana Vaid ने कहा…

सारी रचनाएँ अत्यंत भावपूर्ण एवं मर्मस्पर्शी ! माँ की महिमा का जितना भी यशगान किया जाए सर्वदा वह यथार्थ के सामने बौना पड़ जाता है ! मातृ दिवस की आपको हार्दिक शुभकामनायें !

Satish Saxena ने कहा…

माँ भी धन्य है जिसने तुम जैसा सपूत जना ! राजेंद्र भाई शुभकामनायें आपको !

Shashi ने कहा…

so loving !!!