वंदे मातरम् !
स्वतंत्रता दिवस की 63 वीं वर्षगांठ
के उपलक्ष में
हार्दिक शुभकामनाएं !
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज़ादी क्या सच्चे अर्थ में आज़ादी है ?
एक रचना
सबसे आगे मेरा इंडिया
कभी रहा सोने की चिड़िया ! बहती थी घी दूध की नदिया !
बदहाली बेईमानी में , अब है आगे मेरा इंडिया !
घाट - घाट पर घाघ मिलेंगे ! डाल - डाल पर काग मिलेंगे !
आज हिंद की पेशानी पर कई बदनुमा दाग़ मिलेंगे !
मौज मनाए भ्रष्टाचारी ! न्याय व्यवस्था है गांधारी !
लोकतंत्र के नाम पॅ तानाशाही सहने की लाचारी !
हत्यारे नेता बन बैठे ! नाकारे नेता बन बैठे !
मुफ़्त का खाने की आदत थी वे सारे नेता बन बैठे !
गिद्ध भेड़िये हड़पे सत्ता ! भलों - भलों का साफ है पत्ता !
न्याय लुटा , ईमान लुट गया , ग़ाफ़िल मगर अवाम अलबत्ता !
जीवन सस्ता , महंगी रोटी ! जिसको देखो ; नीयत खोटी !
नेता , दल्ले , व्यापारी मिल' जनता की छीने लंगोटी !
मुश्किल बंदोबस्त कफ़न का ! मुश्किल में हर गुल गुलशन का !
सबने मिलकर आज किया है देखो , बंटाधार वतन का !
मक़्क़ारों की मौज यहां पर ! गद्दारों की मौज यहां पर !
नेता पुलिस माफ़िया गुंडों हत्यारों की मौज यहां पर !
वीरों ने क्यों दी क़ुर्बानी ? वफ़ा शहादत बनी कहानी !
क़र्ज़ शहीदों का भूले , उन कृतघ्नों को चुल्लू पानी !
अपने सुख में मत खो जाना ! अंधियारों में दीप जलाना !
कमजोरों का संबल बन कर , भारत भू को स्वर्ग बनाना !
मैं न करूंगा , तू न करेगा ; कौन तीसरा ध्यान धरेगा ?
आंखें मूंद पड़े रहने से यारों ! हाल नहीं सुधरेगा !
आज़ादी का अर्थ बताओ ! जन - जन पर नज़रें दौड़ाओ !
सचमुच सब ख़ुशहाल अगर हैं , धूमधाम से जश्न मनाओ !!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
* * * सबसे आगे मेरा इंडिया * * *
* यहां सुनिए *
स्वर और शब्द मेरे हैं , धुन नहीं ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
ऐ मेरे प्यारे वतन !
तू मेरा है , मैं तेरा हूं !
मैं भला तुम्हारी शान में तराने गाए बिना रह सकता हूं ?!
एक ग़ज़ल
मुहब्बत के तराने
मुहब्बत के तराने गुनगुनाती यां हवाएं हैं
नहीं इस घर में नफ़रत - बैर - सी बेजा बलाएं हैं
न झांको खिड़कियों से , आ'के आंगन में कभी देखो
जहां सदियों से दुनिया के लिए जारी दुआएं हैं
पढ़े आवाम हर पल मंत्र बस इंसानियत के यां
दिगर गूंजे ख़ुलूसो - अम्न की पावन ॠचाएं हैं
मिसालें दे जहां , उस राम का इंसाफ़ ईमां है
लिये' शाइस्तगी राधा - कन्हैया की अदाएं हैं
मेरी पाकीज़गी के दस्तख़त गंगो - जमन मेरे
मेरे किरदार की अज़मत हिमालय - शृंखलाएं हैं
मेरे देवालयों की घंटियों की गूंज जन्नत में
मुक़द्दस नामों की ता'रीफ़ यां हम्दो - सनाएं हैं
खड़े मिलते हैं पग - पग रूबरू ख़ुद देवता हाज़िर
सम्ते हर आरती - वंदन है , पूजा - अर्चनाएं हैं
जहां को इल्मो - फ़न की रौशनी बख़्शी है हमने ही
हमारे दम से महकी - मुस्कुराती सब दिशाएं हैं
मैं अपनी सरज़मीं की क्या करूं ता'रीफ़ ; नादां हूं
अगरचे मेरी रग - रग में वफ़ाएं ही वफ़ाएं हैं
मिले ता'लीम - रोज़ी ; भूख दहशत दासता मिट कर
जहां के वास्ते राजेन्द्र ये शुभकामनाएं हैं
- राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
* * * मुहब्बत के तराने * * *
* यहां सुनिए *
* मेरे शब्द मेरे स्वर मेरी धुन में *
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
... और चलते चलते …
* चार माह *
* पन्द्रह पोस्ट *
* 470 कमेंट *
* 3000 से अधिक विजिटर *
* 100 से अधिक ( फॉलोअर ) समर्थक *
अगर हिंदी ब्लॉगिंग में
इन आंकड़ों को उपलब्धि जैसा माना जाता है ,
तो इसका श्रेय आप सबको है !
माताओं ! बहनों ! बुजुर्गों ! युवाओं ! मित्रों !
9 अगस्त 2010 को आपके शस्वरं को
अस्तित्व में आए चार महीने हुए हैं ।
आपका स्नेह , सहयोग , सद्भाव
अद्वितीय , अतुलनीय , अविस्मरणीय है !
कुबेर के ख़ज़ाने से भी क़ीमती है मेरे लिए
आपका आशीर्वाद !
आपका प्यार !
आपकी शुभकामनाएं !
मैं सदैव आप सबके प्रति हृदय से आभारी हूं , और रहूंगा !
… और आश्वस्त हूं …
स्नेह - सौहार्द की यह अखंड ज्योति
सदैव जगमगाती रहेगी !
विश्वास , अपनत्व , आशीषों का अक्षय भंडार
कभी रिक्त नहीं होगा !
!! तथास्तु !!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सुनिए !
जी हां , आप ही से कह रहा हूं !
राह देखता रहूंगा आपकी ! शीघ्र लौट कर आइएगा !!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
स्वतंत्रता दिवस की 63 वीं वर्षगांठ
के उपलक्ष में
हार्दिक शुभकामनाएं !
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आज़ादी क्या सच्चे अर्थ में आज़ादी है ?
एक रचना
सबसे आगे मेरा इंडिया
कभी रहा सोने की चिड़िया ! बहती थी घी दूध की नदिया !
बदहाली बेईमानी में , अब है आगे मेरा इंडिया !
घाट - घाट पर घाघ मिलेंगे ! डाल - डाल पर काग मिलेंगे !
आज हिंद की पेशानी पर कई बदनुमा दाग़ मिलेंगे !
मौज मनाए भ्रष्टाचारी ! न्याय व्यवस्था है गांधारी !
लोकतंत्र के नाम पॅ तानाशाही सहने की लाचारी !
हत्यारे नेता बन बैठे ! नाकारे नेता बन बैठे !
मुफ़्त का खाने की आदत थी वे सारे नेता बन बैठे !
गिद्ध भेड़िये हड़पे सत्ता ! भलों - भलों का साफ है पत्ता !
न्याय लुटा , ईमान लुट गया , ग़ाफ़िल मगर अवाम अलबत्ता !
जीवन सस्ता , महंगी रोटी ! जिसको देखो ; नीयत खोटी !
नेता , दल्ले , व्यापारी मिल' जनता की छीने लंगोटी !
मुश्किल बंदोबस्त कफ़न का ! मुश्किल में हर गुल गुलशन का !
सबने मिलकर आज किया है देखो , बंटाधार वतन का !
मक़्क़ारों की मौज यहां पर ! गद्दारों की मौज यहां पर !
नेता पुलिस माफ़िया गुंडों हत्यारों की मौज यहां पर !
वीरों ने क्यों दी क़ुर्बानी ? वफ़ा शहादत बनी कहानी !
क़र्ज़ शहीदों का भूले , उन कृतघ्नों को चुल्लू पानी !
अपने सुख में मत खो जाना ! अंधियारों में दीप जलाना !
कमजोरों का संबल बन कर , भारत भू को स्वर्ग बनाना !
मैं न करूंगा , तू न करेगा ; कौन तीसरा ध्यान धरेगा ?
आंखें मूंद पड़े रहने से यारों ! हाल नहीं सुधरेगा !
आज़ादी का अर्थ बताओ ! जन - जन पर नज़रें दौड़ाओ !
सचमुच सब ख़ुशहाल अगर हैं , धूमधाम से जश्न मनाओ !!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
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* * * सबसे आगे मेरा इंडिया * * *
* यहां सुनिए *
स्वर और शब्द मेरे हैं , धुन नहीं ।
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ऐ मेरे प्यारे वतन !
तू मेरा है , मैं तेरा हूं !
मैं भला तुम्हारी शान में तराने गाए बिना रह सकता हूं ?!
एक ग़ज़ल
मुहब्बत के तराने
मुहब्बत के तराने गुनगुनाती यां हवाएं हैं
नहीं इस घर में नफ़रत - बैर - सी बेजा बलाएं हैं
न झांको खिड़कियों से , आ'के आंगन में कभी देखो
जहां सदियों से दुनिया के लिए जारी दुआएं हैं
पढ़े आवाम हर पल मंत्र बस इंसानियत के यां
दिगर गूंजे ख़ुलूसो - अम्न की पावन ॠचाएं हैं
मिसालें दे जहां , उस राम का इंसाफ़ ईमां है
लिये' शाइस्तगी राधा - कन्हैया की अदाएं हैं
मेरी पाकीज़गी के दस्तख़त गंगो - जमन मेरे
मेरे किरदार की अज़मत हिमालय - शृंखलाएं हैं
मेरे देवालयों की घंटियों की गूंज जन्नत में
मुक़द्दस नामों की ता'रीफ़ यां हम्दो - सनाएं हैं
खड़े मिलते हैं पग - पग रूबरू ख़ुद देवता हाज़िर
सम्ते हर आरती - वंदन है , पूजा - अर्चनाएं हैं
जहां को इल्मो - फ़न की रौशनी बख़्शी है हमने ही
हमारे दम से महकी - मुस्कुराती सब दिशाएं हैं
मैं अपनी सरज़मीं की क्या करूं ता'रीफ़ ; नादां हूं
अगरचे मेरी रग - रग में वफ़ाएं ही वफ़ाएं हैं
मिले ता'लीम - रोज़ी ; भूख दहशत दासता मिट कर
जहां के वास्ते राजेन्द्र ये शुभकामनाएं हैं
- राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
* * * मुहब्बत के तराने * * *
* यहां सुनिए *
* मेरे शब्द मेरे स्वर मेरी धुन में *
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... और चलते चलते …
* चार माह *
* पन्द्रह पोस्ट *
* 470 कमेंट *
* 3000 से अधिक विजिटर *
* 100 से अधिक ( फॉलोअर ) समर्थक *
अगर हिंदी ब्लॉगिंग में
इन आंकड़ों को उपलब्धि जैसा माना जाता है ,
तो इसका श्रेय आप सबको है !
माताओं ! बहनों ! बुजुर्गों ! युवाओं ! मित्रों !
9 अगस्त 2010 को आपके शस्वरं को
अस्तित्व में आए चार महीने हुए हैं ।
आपका स्नेह , सहयोग , सद्भाव
अद्वितीय , अतुलनीय , अविस्मरणीय है !
कुबेर के ख़ज़ाने से भी क़ीमती है मेरे लिए
आपका आशीर्वाद !
आपका प्यार !
आपकी शुभकामनाएं !
मैं सदैव आप सबके प्रति हृदय से आभारी हूं , और रहूंगा !
… और आश्वस्त हूं …
स्नेह - सौहार्द की यह अखंड ज्योति
सदैव जगमगाती रहेगी !
विश्वास , अपनत्व , आशीषों का अक्षय भंडार
कभी रिक्त नहीं होगा !
!! तथास्तु !!
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सुनिए !
जी हां , आप ही से कह रहा हूं !
राह देखता रहूंगा आपकी ! शीघ्र लौट कर आइएगा !!
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55 टिप्पणियां:
स्वतंत्रता दिवस की बधाई
वन्दे मातरम !! !!
अंग्रेजों से प्राप्त मुक्ति-पर्व ..मुबारक हो!
समय हो तो एक नज़र यहाँ भी:
आज शहीदों ने तुमको अहले वतन ललकारा : अज़ीमउल्लाह ख़ान जिन्होंने पहला झंडा गीत लिखा http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_14.html
बहुत बढ़िया.
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.
सादर
समीर लाल
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं-----
आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
राजेंद्र जी सर्वप्रथम स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई...अब उसके बाद नंबर आता है आपकी रचनाओं का राजेंद्र जी भारत को आज़ाद हुए ६३ साल हो गये पर सच कहूँ तो हालात में अभी भी क्रांति की ज़रूरत है पहले विदेशियों से लड़ते थे अब अपने ही देश की व्यवस्था से लड़ने की ज़रूरत आ चुकी है एक आम आदमी को जीने में जीतने मुश्किलें आ रही है उसे देख कर हम भारत को आज़ाद तो कह सकते है पर दिल उसे सही नही ठहराता है...आज़ादी का सही अर्थ समझने के लिए अभी भी बहुत से सुधार का होना ज़रूरी है...
जितनी भी है ...आजादी मुबारक हो ...!
बहुत सुन्दर| सभी रचनाये पसंद आयी| स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये| इश्वर करे आपका ब्लॉग और तरक्की की रह पर अग्रसर हो|
bahut badiya kavita. shisht shabdawali me sateek v prakhar vyang.. badhai mere bhai....
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई...
अच्छी मौज़ू रचना है।
विनोद पांडेय जी से पूरी तरह सहमत हूँ।
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आपको
हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ.
-
-
आपके स्वर में रचनाएं सुनीं !
सभी रचनाये बहुत सच्ची और सुन्दर हैं !
जब गीत ग़ज़ल गायन प्रस्तुतीकरण सभी श्रेष्ठ हो तो आप द्वारा अपने ब्लॉग सम्बंधित दिए सारे आंकड़े चौंकाते नहीं हैं...आपकी श्रेष्ठता का प्रमाण देते हैं...ये तो शुरुआत भर है...आगे आगे देखिये आपके झंडे कहाँ और कैसी शान से गड़ते हैं...
आज की प्रस्तुति अद्भुत है...बधाई स्वीकार करें...
नीरज
बहुत मेहनत और दिल से लिखा है आपने ।
बहुत बढ़िया । स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ।
bahut sundar badhai bhai rajendraji
very nice bhai rajendra ji
happy independence day...
bahut sundar ....
राजेंन्द्र जी, आप की यह तिरंगाकार प्रस्तुति देख मन प्रसन्न हुआ पर हकीकत में हमारी आजादी के गहरे रंग अब गायब हो चुके हैं. आप ने लिखा भी है. सभी चिंतित हैं पर किसी को सूझ नहीं रहा कि क्या किया जाये. बडा भयावह संक्रमण काल है. हवाएं चुप हैं, आकाश खामोश है, पीडा है पर आवाज नहीं.
MAIN TO AAPKEE LEKHNI KAA KAAYAL
HOON.HAR BAAR AAPKEE RACHNA KUCHH
NAYA LIYE HOTEE HAI.SHUBH KAMNAYEN.
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स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !
बन्दी है आजादी अपनी, छल के कारागारों में।
मैला-पंक समाया है, निर्मल नदियों की धारों में।।
--
मेरी ओर से स्वतन्त्रता-दिवस की
हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें!
--
वन्दे मातरम्!
वाह वाह मित्रवर क्या बात है.....पहले कविता पढ़कर लिखना चाहा कि क्या कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है....क्या आज तो कम से कम कुछ अच्छा याद रखें..औऱ उससे ताकत पाएं..पर दूसरी कविता पढ़ते ही समझ में नहीं आया कि अब क्या कहूं.....मान गए......वैसे भी हजारों साल से हमारे देश पर ही गिद्दों की नजर रहती है....मगर देश के लिए जान देने वाले मतवालों की कमी नहीं है..और अब तो मतवाले दुश्मन के हलक में हाथ डालकर जान लेना भी सीख चुके हैं..तो विश्वास तो है......
मेरी पाकीज़गी के दस्तख़त गंगो जमन मेरे
मेरे किरदार की अज़मत, हिमालय-श्रृंखलाएं हैं
एक बहुत ही पुख्ता, मेआरी
और शाईस्ता शेर कहा है जनाब
मेरी दिली मुबारकबाद
जहां को इल्मो-फन की रौशनी बख्शी है हमने ही
हमारे दम से महकी-मुस्कराती सब दिशाएं हैं
बेशक ,,
हिन्दोस्तान के बाशिंदों की कुव्वत-ओ-सलाहियत का
पूरे आलम में लोहा माना जा रहा है
और उसी की तस्दीक़ करता है
आपकी लेखनी से निकला ये खूबसूरत शेर ...
एक बार फिर से एक मुरस्सा ग़ज़ल कहने पर
हम सब की जानिब से ढेरों मुबारकबाद
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.
धन्यवाद, मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए
Rajendra Bhai,
Sabase pahale Swatantrata Divas ki hardik badhai, fir in khoobsoorat rachanaaon ke liye badhai Geet aur ghazal donon hi apni apni jagah sunder. Aajkal aapki lekhani kamaal kar rahi hai. Eise hi likhate rahen inhi shubh kamanaaon ke sath,
Chandrabhan Bhardwaj
-सामायिक और बेहद सुन्दर रंगबिरंगी प्रस्तुति.
-लेखन और गायन दोनों हमेशा की तरह प्रभावशाली.
-आप के ब्लॉग के आंकड़े भी देखे जो पोस्ट में आखिर में लिखे हैं..आप ने इतने कम समय में जो सफलता हासिल की है उसके लिए बहुत बहुत बधाईयाँ और शुभकामनाएँ.
-स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आपका भी हार्दिक शुभकामनाएँ.
सटीक अभिव्यक्ति ह।
मसुज मनाये भ्रष्टा चारी---- न्याय व्यवस्था भ्रष्टा चारी--
आपको स्वतन्त्रता दिवस की बहुत बहुत शुभकामनायें साथ ही ब्लाग की 15 पोस्ट पर 470 कमेन्ट और वो भी चार माह मे बहुत अच्छी उपलब्धि है। बधाई और शुभकामनायें इसी तरह आगे बढते रहें।
sunder kavitayen .. sunder paath.. mukti-parb ki shubhkaamna
शायद ही किसी ने इतनी मेहनत अपनी पोस्ट पे की हो ......
तिरंगे के रंगों में सजी आपकी दोनों रचनायें ......
आपका राष्ट्रीय प्रेम दर्शा रहीं हैं ......
पहली रचना वीरों की क़ुरबानी और ,शहादत याद दिलाती है ...
और दूसरी सुभानाल्लाह .......
मैं अपनी सरजमीं की क्या करूँ तारीफ, नादां हूँ
अगरचे मेरी राग-राग में वफायें ही वफायें हैं
अब इस ग़ज़ल की मैं क्या तारीफ करूँ .....
एक-एक शब्द देश की शान शीश नवाता सा .....
ये वफायें यूँ ही बनी रहे ....
आपकी शुभकामनाएं वतन में खुलूसो -अम्न पैदा करे .....दुआ है ....
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई...
दोनो ही रचनायें बेहद उम्दा।
और हम सबका साथ तो हमेशा बना रहेगा आप बस लिखते रहिये।
दोस्ती में क्षमा काहे की.....दोस्त से नराजगी हो सकती है पर कितनी देर तक? वैसे में देर से तो नहीं आया था..। एक दिन नेट खराब था बस उस दिन नहीं आया...
Jai hind Jai Bharat
Lalkarte raho,
Aapka blog Bahut hi sundar he,
rahcnaye padhi azadi ko lekar
ek sawal yahi he, sabhi ki man me
ki kya hum azad he, agar he to kaise
koi to bataye
aapko bahut bahut badhai
हरदिलअज़ीज़ , सुविख्यात शायर मोहतरम जनाब
सर्वत जमाल साहब ने मेल द्वारा कहा
sarwat jamal to me
show details 1:50 PM (2 hours ago)
राजेन्द्र भाई, नमस्कार.
पिछले ३ दिनों से आपको कमेन्ट देने का प्रयास कर रहा हूँ लेकिन कमेन्ट बॉक्स को मेरा लिखना रास नहीं आ रहा. मजबूरी के आलम में मेल का सहारा लेने को बाध्य हूँ .
रचना पर बात कहनी है. आपने इतना सार्थक लिखा है कि मेरी तो बोलती बंद हो गयी. वाकई हमारा देश जो कभी सोने की चिड़िया था, आज कबाड़ हो गया है. राजनेताओं ने अपने कुसित-कलुषित स्वार्थों की पूर्ति के लिए इसे कोठे जैसी शक्ल दे डाली. आपने इस रचना में वो सब कुछ कह दिया जो एक आम देशवासी की पीड़ा है. बधाई क्या दूं, दिल फट जाता है. खासकर, स्वाधीनता, गणतंत्र दिवस जैसे अवसरों पर यह दर्द और भी घना हो जाता है.
आप एक मामले में बधाई के पात्र हैं, आपने कविता को सार्थक राह पर रखा है.
एक सुझाव देना चाहूँगा, एक समय में एक ही रचना पोस्ट किया करें. दो अलग-अलग विचारधाराओं की रचना होने के कारण टिप्पणी देने में असमंजस की स्थिति आ जाती है. यह बाध्यता नहीं, केवल सुझाव है.
--
सर्वत एम्.
aapki sari post bahut achchha hai badhai........mere blog par aane ke liye shukriya
आपकी रचना "सबसे आगे मेरा इंडिया" आज़ादी की ६४वी वर्षगांठ पर काफी कुछ सोचने को मजबूर करती है.
वहीँ दूसरी रचना के माध्यम से आप सन्देश देते हैं की देश की वर्तमान स्थिति जैसी भी हो हम सभी को इस पर गर्व है.
चार माह के अपने संक्षिप्त सफ़र में आपने बहुत कुछ हासिल किया.यात्रा जारी रहे.शुभकामनायें.
भावनाओं से ओतप्रोत अच्छी रचनाएँ हैं, बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ।
प्रमोद ताम्बट
भोपाल
www.vyangya.blog.co.in
http://vyangyalok.blogspot.com
राजेंद्र जी "मरीचिका" पर आप की टिप्पड़ी के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
आप की प्रथम कविता हर भारतीय का दर्द और दूसरी हर भारतीय की आकांक्षा बयान करती है । इतनी सुंदर रचनाओं के लिए बधाई ।
Rajendra ji ,
Namaskar .
Sabse pahle to main ye kahunga ki main ab tak aapke balog par pahuncha kyon nahi .
Khair der aaye lekin aaya to sahi .
Dusri baat ki aapne itne acche se blog sajaya hai ki maine to bahut der se aapke blog par hi hoon. Waah waah
Tisari baat .. aap bahut accha likhte hai , maa sarswati ki krupa hai aap par. Aapki kavitaye bahut der se padh raha hoon , bahut hi freshness hai .
Main ab regularly aate rahunga
Ab ek gujarish , ye apni awaaz me gaane kaise post karte hai , ye to bataye. Mujhe bhi karma hai ..
Thanks
Aapka
Vijay
09849746500
Rajendra ji ,
Namaskar .
Sabse pahle to main ye kahunga ki main ab tak aapke balog par pahuncha kyon nahi .
Khair der aaye lekin aaya to sahi .
Dusri baat ki aapne itne acche se blog sajaya hai ki maine to bahut der se aapke blog par hi hoon. Waah waah
Tisari baat .. aap bahut accha likhte hai , maa sarswati ki krupa hai aap par. Aapki kavitaye bahut der se padh raha hoon , bahut hi freshness hai .
Main ab regularly aate rahunga
Ab ek gujarish , ye apni awaaz me gaane kaise post karte hai , ye to bataye. Mujhe bhi karma hai ..
Thanks
Aapka
Vijay
09849746500
बहुत मार्मिक रचना ...
rajendra ji apki dono hi rachnaye bhaut bahut achhi lagi.bahut sateek avam sarthak rachna.bhut higahre utar gai hai.itni badhiya posto ke liye ek bar puah badhai.
poonam
sameer bhaiya se aapka gun gaan suna........aana pada......sach me sahi kaha sameer bahiya ne.......follow karna pada!!
बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ।
भाव,रस,प्रवाहमयता,रचना प्रस्तुतीकरण....किस किस की प्रशंशा करूँ ????
सब कुछ बेजोड़..लाजवाब !!!!
ऐसे ही रचते रहें...माँ सरस्वती ने जो प्रतिभा प्रदान की है, उसका सार्थक सदुपयोग करते हुए साहित्य को समृद्ध रहें...
अनंत शुभकामनाएं...
प्रिय राजेन्द्र जी,
वन्देमातरम्!
प्रतिक्रिया में कुछ विलम्ब हो गया है क्षमा करें.
दोनों ही रचनाएं लाज़वाब हैं.एक सिक्के के दो पहलू की तरह . आपकी गुरू गम्भीर आवाज़ ने इनका प्रभाव कई गुना बढ़ा दिया है.खासकर पहली रचना मेरे मन में बार-बार गूंज रही है.इंडिया और भारत का भेद आपने बहुत गहराई से पकड़ा है.बहुत-बहुत बधाई.
आपका
माधव नागदा
स्वतंत्रता दिवस की बधाई ..... Sundar rachna ... karaara vyang liye ...
आने में विलम्ब तो अवश्य हो गया, पर आज समीर जी के ब्लाग पर आपका परिचय पढ़ने के बाद दुबारा आपके ब्लाग पर आना हुआ तो देशप्रेम की इन रचनाओं ने भाव-विभोर कर दिया, शुभकामनाओं के साथ,बधाई ।
बहुत बढ़िया.
लीजिये मुहब्बत के तराने भी सुने जा रही हूँ ......
पहली पंक्ति में आपने यां लिखा है गाते वक़्त औ गाते हैं ....
उम्दा पोस्ट.
अभी पिछले दिनों से कई ब्लॉग खुल नहीं रहे हैं हमसे...सो आज इतनी लेट आये हैं...
मुहब्बत के तराने....और सबसे आगे मेरा इंडिया ..दोनों ही पढ़ीं...दोनों का अलहदा मिजाज होते हुए भी आपकी मेहनत दोनों पर बखूबी नजर आ रही है...
अआजादी का दिन मुबारक हो..
जय हिंद...
bahut sundar !
badhai !
आपका छन्द पर्फेक्ट है और भाषा बोधगम्य, विचार भी साफ हैं जिनमें कहीं कोई घपला नहीं है। मेरी शुभकामनाएं हैं कि आप अपनी इन क्षमताओं के साथ हमेशा ताजा ताजा कुछ नये नये अन्दाज में कहते रहें।
गजल और कविता दोनों ने मन मोह लिया किसको बेहतर बताऊँ एक से बढ़कर एक इन अप्रतिम रचनाओं के लिए हार्दिक बधाई ---स्वतंत्रता दिवस की ढेरों बधाइयां
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