कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा को हमारी दिव्यांशी का प्रथम जन्मदिन था ।
नेट की समस्या के चलते उस दिन इस संबंध में पोस्ट नहीं लगाई जा सकी ।
मैं जानता हूं , आप सबका आशीर्वाद उसके लिए सुरक्षित है ।
कुछ फोटो उसके जन्मदिवस से संबंधित
Happy Birth Day Divyanshi
दादा दादी के साथ दिव्यांशी
हरी साड़ी में मेरी मां और सफेद साड़ी में मेरी मौसीजी
* नानाजी की गोद में दिव्यांशी और दादा दादी के साथ केक काटती दिव्यांशी *
भोली निश्छल प्यारी बेटी
नन्ही राजदुलारी बेटी
तुलसी कुंकुम रोली चंदन
महकी-सी फुलवारी बेटी
घर-आंगन की रौनक-ख़ुशबू
तू केशर की क्यारी बेटी
ज्योति दिये की , पूनम-रजनी
भोर शुभ्र उजियारी बेटी
सोन चिरैया , भोली गैया
कोयलिया मतवारी बेटी
आंख का तारा , दिल का टुकड़ा
लक्ष्मी-रूप हमारी बेटी
फिर, इक दिन घर भर में सब का
मन कर देगी भारी बेटी
हो’के सयानी कर लेगी तू
पी-घर की तैयारी बेटी
यादों में गूंजेगी बन कर
तू मीठी किलकारी बेटी
एक अकेली सिर ओढ़ेगी
सौ-सौ जिम्मेवारी बेटी
नन्हे कंधे , बोझ जगत का
लेकिन तू कब हारी बेटी
धन तू पराया ! आशीषों के
मां-बाबा अधिकारी बेटी
दो-दो कुल का मान बढ़ाना
तुम पर हम बलिहारी बेटी
सच है यह राजेन्द्र ; अधूरी
तुम बिन दुनिया सारी बेटी
मैं आदरणीया अर्चना जी का हृदय से आभारी हूं
जिन्होंने इस रचना को स्वतः ही अपना स्वर प्रदान कर दिव्यांशी सहित हम सबको उपहार दिया है ।
अर्चना जी ने डूब कर गाया है ... साधुवाद !
(हालांकि आपने गाते हुए अंतिम दो पंक्तियां पता नहीं क्यों बदलदी ?! मेरा नाम भी नहीं आया)
(हालांकि आपने गाते हुए अंतिम दो पंक्तियां पता नहीं क्यों बदलदी ?! मेरा नाम भी नहीं आया)
सुन कर देखें अर्चना जी के स्वर में मेरी यह रचना
नेट समस्या के कारण
मैं गत दिनों आप तक नहीं पहुंच पाया
आपके कमेंट्स और मेल का जवाब नहीं दे पाया
शस्वरं के नये मित्रों का स्वागत नहीं कर पाया
क्षमा चाहता हूं ।
और 25 अक्टूबर से मैं चिकनगुनिया से ग्रस्त हो गया हूं । घुटनों सहित हथेली की हड्डियों और कलई में असहनीय दर्द के कारण कुछ भी करने में असमर्थ हूं । दो जनों की मदद के बिना अपनेआप खड़ा भी नहीं हो पा रहा हूं । अतः अगले कुछ दिन अभी ज़्यादा कुछ नहीं कर पाऊंगा । अन्यथा न लें , कृपया !