8दिसम्बर की ही सांध्य वेला में बंदे की आज़ादी छिन गई थी
अर्थात् हो गया
श्रीमतीजी के समक्ष हमारा आत्मसमर्पण
जी हां
8 दिसम्बर को मेरी शादी की सालगिरह है
चित्र देख कर आप स्वयं अनुमान लगाएं क्या उम्र रही होगी हमारी तब
इस अवसर पर एक हास्य रचना प्रस्तुत है
" कहां ठिकाना है "
और अपना कहां ठिकाना है ?
सीधे ऑफिस से घर ही आना है !
क्या समझ कर के हमने शादी की ?
ये तो सिस्टम ही ज़ालिमाना है !
जब से आई हैं श्रीमतीजी घर,
घर बना तब से ज़ेलख़ाना है !
घर में भी नौकरी मिली ; उनका
रोज़ सरदर्द का बहाना है !
देश आज़ाद , हम ग़ुलाम हुए ,
ये हक़ीक़त का ही फ़साना है !
उनके कपड़े तो धो दिए छुप कर
अब उन्हें छत पॅ जा' सुखाना है !
मुस्कुरा कर पड़ौसी देखे हमें ,
सच में ज़ालिम बड़ा ज़माना है !
मुंह चिढ़ा कर वे गुनगुनाते हैं
आज मौसम बड़ा सुहाना है !
नाश्ता - चाय और कभी चंपी ;
बॉस की डांट रोज़ खाना है !
पीठ पीछे सभी हंसे हम पर ,
मुंह पॅ कहते हैं कॅ दीवाना है !
रोज़ ललकारता है दर्पण भी ;
हौसला आज आज़माना है !
तैश में फड़फड़ाते फिर हम भी,
आज बेगम को कुछ बताना है !
कुछ भी मिलता नहीं ठिकाने पर,
घर है , कोई कबाड़ख़ाना है !
दन से आता है उनका बेलन तब,
कहते हम -"वाह क्या निशाना है !"
दम ही राजेन्द्र जब नहीं,फिर क्यों
उनसे पंजा कभी लड़ाना है !?
- राजेन्द्र स्वर्णकार
(c)copyright by : Rajendra Swarnkar
तुम जब भी कहोगी, आऊंगा !
गीत अधरों का बन जाऊंगा !!
क्यों हृदय तुम्हारा दहके और क्यों नयन अश्रु से भर जाएं ?
जो पले तुम्हारे यौवन संग, वे तरुण भाव क्यों मर जाएं ?
क्यों अनचीन्ही अनजान विवशता, सेज तुम्हारी सुलगा’दे ?
क्यों सुंदर सुरभित सपनों की कलियां पावस बिन मुरझाएं ?
सावन-भादों का भेष लिए मैं प्रीत सरस बरसाऊंगा !
तुम जब भी कहोगी, आऊंगा !
शृंगार न फीका होने देना, है मेरी सौगंध प्रिये !
मत टूटने देना मुस्कानों से अधरों का अनुबंध प्रिये !
बासंती रुत पर ज्येष्ठ झुलसता, क्षण भर भी हावी ना हो !
घोषित कर देना नीरसता पर आजीवन प्रतिबंध प्रिये !
…तब, विजय-भाव मन में ले’कर मैं दर्पण में मुसकाऊंगा !
तुम जब भी कहोगी आऊंगा !
तुम विचरो जीवन-बगिया में, कांटे नहीं उलझें आंचल से !
संगीत सदा समृद्ध हो पा’कर गान तुम्हारी पायल से !
तुम स्वयं तीर्थ हो, मंदिर के सब देव भी तुमको नमन करें !
जो स्वेद देह पर चिलक रहा, वह पावन है गंगाजल से !
मैं स्वयं तुम्हारी पूजा करने, दीपक बन’ जल जाऊंगा !
तुम जब भी कहोगी, आऊंगा !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
(c) copyright by : Rajendra Swarnkar
जब भी कहोगी
यहां सुनें मेरे स्वर मेरी धुन में
(c) copyright by : Rajendra Swarnkar
मैं आप सब तक नहीं पहुंच पा रहा हूं
पिछली कई पोस्ट्स से संबद्ध संवाद भी आधे-अधूरे रहे
कुछ कार्याधिकता
कुछ पारीवारिक दायित्व के कारण समयाभाव
कुछ अन्यान्य व्यस्तताएं
आशा है, आपके स्नेह में इस कारण से कोई कमी नहीं आएगी
* आपके स्नेह–सहयोग–सद्भाव के लिए *
! आभार है !
!! स्वागत है !!
!!! निवेदन है !!!
75 टिप्पणियां:
आपकी आज़ादी छीन गयी,घर जेल बन गया...फिर भी हम तो आपको बधाई देंगे..!!शादी की सालगिरह मुबारक हो...
हास्य रचना लाजवाब , गीत मधुर ....
वैवाहिक वर्षगांठ की बहुत शुभकामनायें !
राजेन्द्र जी
आपको आपकी शादी की सालगिरह की हार्दिक शुभकामनायें ....कवितायेँ बहुत अच्छी हैं ...प्रभावी ...शुक्रिया
हमें तो पहला फोटो बहुत पसंद आया परस्पर निर्मल स्नेहयुक्त..
जलन हो रही है यार !
ऐसे ही हाथ जोड़े रहना :-)
शुभकामनायें !
.
वर्षगाँठ ... गठबंधन की
केवल कसते ही जाना है.
पोल खुली सब कविता में
प्रसाद मधुर सम गाना है.
.
pahel to aap ko salgirah kee dher dher dher sari shubhkaamnayen..doosri hazal acchi lagi ..darde dil khub numaanyaan hua...aur us hazal men jitne jumle uchale gaye apni bechaargi ko dhaal banate hue us ki saara dosh aapne geet ke mukhde se utaar diya..dono rachnayen acchi ban padi hain...
saadar...
आप दोनों को विवाह की वर्षगाँठ बहुत बहुत मुबारक हो! दोनों कविताएँ एक दूसरे के विरोधी भाव को प्रकट करतीं हैं इसलिए एक दूसरे की पूरक भी हैं.
shadi ki saalgirah par dheron badhaai.dono rachnayen bahut pasand aayi.
shadi ki salgirah ki dher sari mubarakbad. aapki rachna padne se jyada sunder sunne me lagta hai.
विवाह की वर्षगाँठ पर बधाई और शुभकामनायें ...गीत मधुत है ..और हास्य कविता तभी लिख पाए क्यों की वो सच नहीं है :)
शादी की वर्षगाँठ की ढेरों शुभकामनाएं...ये जोड़ी सदा यूँ ही हँसती मुस्कुराती रहे...
नीरज
आपको आपकी शादी की सालगिरह की हार्दिक शुभकामनायें
दोनो ही कविता जबरदस्त है
आज बहुत दिनो के बाद आपकी आवाज मे गीत सुना
गीत का मजा दोगुना हो गया
शादी की सालगिरह की बहुत बहुत शुभकामनायें ..
अपको जेल होने के लिये और उम्र कैद की सजा के लिये बहुत बहुत बधाई। हास्य रचना पडः कर तो लोट पोट हो गयी गीत सुन कर बहुत अच्छा लगा। एक बार फिर से विवाह की सालगिरह पर ढेरों बधाईयाँ।
विवाह की वर्षगाँठ के अवसर पर हार्दिक बधाई !
सरस दांपत्य जीवन के रस का कैसा सुन्दर उदहारण दिया है आपने
पहले तो अपनी प्रिया से थोड़ी छेड़खानी करी जाये, फिर जब सुंदरी "मान" धारण करके बैठ जाये तो किस तरह उस माननी को मनाया जाता है, वह आपकी दूसरी कविता से प्रकट हो रहा है . आपने अपनी विवाह वर्षगाँठ पर हम जैसे नए कैदियों को उत्तम दांपत्य जीवन की उत्तम झांकी दिखाई है.
आभार आपका !
ऊपर वाले से बस यही दुआ है कि आप दोनों पर वो सदा अपनी कृपा बनाए रखे और आप लोग इसी तरह हंसते -मुस्कराते रहें (आमीन)
दोनों रचनाएं बहुत अच्छी हैं लेकिन मुझे दूसरी ज़्यादा अच्छी लगी उस में भी प्रारंभिक पंक्तियां बहुत सुंदर हैं
बधाई
सबसे पहले विवाह की वर्षगाँठ पर हार्दिक बधाई
आत्मसमर्पण ने काफी अच्छी रचनाये रचवा डाली आपसे.
प्रिय राजेंद्र जी और सम्मानिया भाभी जी को इस अनुपम दिवस कि हरदी हार्दिक बधाई !
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (9/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
वैवाहिक वर्षगांठ की बहुत शुभकामनायें !
फोटो के हिसाब से शादी के समय शायद आप 21/22 के और काकी जी 18/19 के रहे होंगे
आपके इस पावन प्रेम के सम्मुख सारे पतियों कि तरफ से सारी पत्निजियों के लिए और सारी पत्नियों कि तरफ से सारे पतिजीयों के लिए यह भाव अर्पण है .........
साखी क्या दूँ इस बात की बिन तुम्हारे ना जियेंगे
अमित प्रेम हमारा दास्ताँ कियामत तक लोग कहेंगे
वाह भाई , हास्य कविता लिखी भी तो ऐसे अवसर पर ।
खैर इसमें आपका प्यार छुपा हुआ नज़र आ रहा है ।
आप दोनों को ज्येष्ठ भ्राता की ओर से वैवाहिक वर्षगांठ की हार्दिक बधाई एवम शुभकामनायें ।
:) :) :) shadi ki saal girah mubarak ho RAJENDRA JEE...ab hathkari to lag hi chuki hai aur wo bhi itni sundar ki aapko kawi bana diya...ab shikayat chod kar uppar wale ka shukriya kijiye sahab.
सुंदर प्रस्तुति... शादी की सालगिरह मुबारक हो...
आत्मसमर्पण दिवस की बहुत बहुत बधाई।
शादी की सालगिरह पर आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ। ईश्वर से आपके सुखद और शांतिमय भविष्य की कामना करते हुए कहना चाहता हूँ कि आपकी गरिमामय तस्वीरें बहुत सुन्दर हैं।
आपकी लिखी गई दोनों रचनाएँ आपकी प्रतिष्ठा के
अनुरूप है यानि कि उच्चस्तरीय है. वैसे मुझे ये रचनाएँ एक-दो बार अभी और पढ़नी हैं।
एक बार फिर से आपको शादी की सालगिरह पर कोटि-कोटि बधाईयाँ..........
और अब आपसे अनुमति चाहुंगा.....
हमेशा रहे आबाद ज़माना बहार का....
हार्दिक शुभकामनाएँ राजेंद्र भईया/भाभी.
बहुत-बहुत शुभकामनाएं भाई सा और भाभी सा को.. ये जोड़ी यूँ ही बनी रहे ये दुआ है...
बेटी की वर्ष गांठ की पोस्ट पर आपकी बेटी पर लिखी काव्यांजली को अर्चना जी की आवाज में सुना
राजेन्द्र जी , आपके पास रवानी, तरन्नुम और शब्दचयन की महिमा है ..किन शब्दों में प्रशंसा करूं...
यह जानकर दुख हुआ कि आप चिकुनगुनिया से त्रस्त हैं..सुना है बहुत जालिम किस्म की बीमारी है...दुआ है आप बहुत जल्द अच्छे हो जाएं...
जेलखाना में इतने साल गुज़ार लिए .. बधाई ! और उम्मीद है आपकी तरफ से हमें भी उत्साह और हिम्मत मिलेगी जेलखाना में डटें रहने के लिए :)
शादी की सालगिरह मुबारक हो !
मुबारकबाद मेरी पत्नी की तरफ से भी !
(www.coralsapphire.blogspot.com)
बहुत बहुत शुभकामनाएँ।
इतना रंग बिरंगा और बैकग्राउंड भी कैसा!
मेरी अँखियाँ पिरा गईं बाबा। कुछ कीजिए न। चश्मे वालों पर रहम कीजिए। आप भी तो लगाते हैं।
एक दिन देर से आया मैं..लेकिन फिर भी आपको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं..
आपकी आवाज़ में आपका गीत सुन रहा हूँ... :)
"अगरचे देर हो जाये तो दीवाना कहाँ जाये |
मुक़र्रर है शिकायत देर से क्यूँ घर को आता हूँ ||"
-अरुण मिश्र.
यह दीवानगी बनी रहे| यह जोड़ी बनी रहे| हमेशा खुशहाल रहे| सुख और सौभाग्य की निरंतर श्रीवृद्धि हो |
विवाह की वर्षगांठ पर दोनों को अनंत शुभकानाएं/शुभाशीष|
ग़ज़ल और गीत दोनों मुझे अच्छे लगे| सुरुचिपूर्ण एवं परिष्कृत| पुनः बधाई|
- अरुण मिश्र.
बधाई हो राजेंद्र जी ... इस छिनने में भी आज़ादी है ...
दोनों का यह समर्पण, दाम्पत्य को ऐसी पूर्णता दे कि जीवन का माधुर्य कभी कम न हो ,आप दोनों की अनुरूपता बहुत मनोरम है -
दीर्घ और सुखी दाम्पत्य के लिये हार्दिक शुभ-कामनायें !
(देर हो गई है पर अमेरिका तो वैसे ही भारत से एक दिन पीछे रहता है )
rajendra ji
thodi der se hi sahi par dil se aap dono ko shadi ki saalgirah par bahut bahut badhai v shubh -kamnaayen.ishwar karen yah din bar bar aaye aur aap hamesha hi apne parivaar ke saath hanste ,muskuraate rahen.
aapki dono hi rach naaye bhut badhiya lagi vishesh kar dusari kavita ne jyada prabhavit kiya.
punah hardik badhai.
poonam
# प्रिय रजनीश जी, आपकी बधाई और मुबारकबाद का ही संबल है :) शुक्रिया !
# वाणी जी, उत्साहवर्द्धन और शुभकामनाओं के लिए आभार !
# स्नेही केवलराम जी,आभारी हूं … आगे भी आते रहें, कृपया !
# बड़े भाईसाहब सतीश सक्सेना जी,आशीर्वाद देते रहें ।
आपकी दुआओं से ही तो हमारी गृहस्थी में मुस्कुराहटें हैं !
अपने निजी तज़ुर्बों से मार्गदर्शन करने के लिए विशेष आभारी हूं :)
# प्रिय प्रतुल जी, स्नेह से पूर्ण शुभकामना और उत्साहवर्द्धन के लिए आभार !
# प्रिय भाई स्वप्निल जी, आप जैसे गुणी की प्रतिक्रिया पाने की आगे भी इच्छा रहेगी । शुभकामनाओं के लिए शुक्रिया !
# अनिता दीदी, प्रणाम ! आपका आगमन मेरा सौभाग्य है । शुभकामनाओं और उत्साह वर्द्धन के लिए आभार !
# परम आदरणीया राजेश कुमारी जी (मम्माजी), आपका आशीर्वाद और स्नेह मुझे मिलता है तो स्वयं को धन्य मानता हूं ।
# अमित चन्द्र जी (एहसास), आभारी हूं । मेरी रचना सुनने और पसंद करने की बात कह कर आपने मुझे नई ऊर्जा दी है … आते रहें , कृपया !
# आदरणीया दीदी संगीता स्वरूप जी, प्रणाम ! आभार कह रहा हूं , लेकिन जानता हूं … यह शब्द पर्याप्त नहीं है । हां, भाई की अपेक्षा छोटी भाभी का पक्ष लेने के कारण श्रीमतीजी आपको विशेष धन्यवाद कहते हुए चरण-स्पर्श कर रही हैं …
# आदरणीय भाईजी नीरजजी, प्रणाम ! आभार ! आमीन !…आपकी आशीषें बनी रहें हम पर ।
# प्रिय भाई दीपक सैनी जी, बहुत बहुत आभार !स्नेह संबंध बनाए रखें … आगे भी प्रेरणा प्रोत्साहन और संबल प्रदान करते रहें ।
# डॉ॰ मोनिका शर्मा जी, शुक्रिया नवाज़िश मेहरबानी !
# आदरणीया मौसी निर्मला कपिला जी, प्रणाम ! बच्चे को उम्र क़ैद होने पर मां बधाई आशीर्वाद दे तो समझ आता है कि यही सौभाग्य है । निवेदन है… आप कृपया, सुध लेती रहा करें हमारी !
# अतिप्रिय अमित जी,आपके प्रति स्नेह उत्तरोतर द्विगुणित होता जा रहा है । … साथ ही आपकी विद्वता भी अभिभूत करती है । 'काका'कहा है, इस नाते स्नेह भी करता हूं , और आप गुणी हैं इस नाते सम्मान भी !
चलिए, रहस्य खोल ही देता हूं …शादी के समय हम 19 और श्रीमतीजी 16 की थी :)
आपकी आशु कविताएं ब्लॉग जगत में तहलका मचा रही हैं इन दिनों … बधाई ! साथ ही आभार !
# आदरणीया दीदी इस्मत ज़ैदी जी, प्रणाम ! आपके आशीर्वाद और दुआओं की बदौलत ही तो हमें हंसने - मुस्कुराने की दौलत मिली है । और , जिस रचना पर आप-सी हुनरमंद दृष्टिपात करलें वह रचना धन्य हो जाती है । कृपया, सम्हालती रहा करें, आपा!
# आदरणीया शिखा वार्ष्णेय जी, आभारी हूं । आत्मसमर्पण करने वाले पर तो ऊपरवाला भी तरस खा'कर कृपा करता ही है … :)
# प्रिय भाई सुनील गज्जाणी जी, बधाई के लिए आभारी हूं । स्नेह में कभी अवरोध न आने दें …
# स्नेहमयी वंदना जी, आभार के लिए यथोचित शब्द नहीं हैं । चर्चामंच में आपने मुझे कई बार सम्मिलित किया है … स्मृतियों में स्थान देते रहने के लिए कृतज्ञ हूं ।
# परम आदरणीय भाईजी डॉ.टी.एस.दराल जी,आप-से बड़े भाई से प्रेरणाएं ले'कर ही हंसी-ख़ुशी से गुज़र-बसर करते हैं … :) स्नेह-आशीष सदैव हम पर बनाए रहें …
# प्रिय अनुप्रिया जी, मैं भी सोचता हूं आपकी सलाह में ही भलाई है । ऊपरवाले के साथ आपका भी शुक्रिया :) कृपया, आगे भी आवागमन के लिए समय रखें … धन्यवाद !
# स्नेही उपेन्द्र जी,बहुत बहुत शुक्रिया !
# प्रिय प्रवीण पाण्डेय जी, आभारी हूं !
# आदरणीय भाई विरेन्द्र सिंह चौहान जी,आभार, शुक्रिया, धन्यवाद, कृतज्ञता जैसे शब्द मन की वह बात नहीं बता पाएंगे जो कहना चाह रहा हूं । आप जैसे प्रेरणा पुंज ही श्रेष्ठ सृजन के लिए वांछित ऊर्जा प्रदान करते हैं । गीत सुन भी अवश्य लीजिएगा एक बार …
कृपया, आते रहा करें !
# भाईजान हबीब साहब, आपकी दुआओं से निहाल हो गया , मालामाल हो गया … शुक्रिया !
# सुप्रिय दीपक भाई,
आपकी शुभकामनाएं बहुमूल्य उपहार है !
आपकी दुआओं से आबाद हमारा घर-परिवार है !!
आया कीजिए … गीत भी सुन लें,प्लीज़
# आदरणीय कुमार ज़ाहिद भाईजान, प्रणाम !
स्वागत ! आपकी पारखी नज़र से गुज़रना, रचना और रचनाकार का सौभाग्य है , सम्मान है !
आपसे निवेदन है, मुझे परखते रहा करें, ताकि मेरा लेखनी थामना सार्थक रहे …
सच, चिकनगुनिया बहुत जालिम किस्म की बीमारी है । दो महीने से ज़्यादा बीत गए, दर्द अभी भी रह रह कर बढ़ जाता है । आपकी दुआओं से अच्छे हो रहे हैं …
# आदरणीय इंद्रनील जी, उम्रक़ैद यानी आख़िरी सांस तक गृहस्थी की जेल है !
… आपके लिए भी ऐसी ही बदले की भावना है:) ईश्वर आपकी गृहस्थी भी सुखमय बनाए ! तृप्ति बहन का भी आभार ! मेरा नमस्कार कहिएगा …
# आदरणीय गिरिजेश राव जी, हार्दिक स्वागत ! शुभकामनाओं के लिए आभारी हूं । कष्ट के लिए क्षमाप्रार्थी हूं, शीघ्र ही कुछ करता हूं कि भले लोगों की अंखियां न पिराए ।
# प्रियवर अभिषेक जी,आभारी हूं आपके अपनत्व के लिए ! बहुत प्रतीक्षा रहती है आप जैसे स्नेहीजन की । गीत पसंद आया हो तो अवश्य बताएं …
(वैसे इसकी रिकॉर्डिंग करते वक़्त जुकाम -सर्दी से भी ग्रस्त-त्रस्त था …)
# आदरणीय अरुण मिश्र जी,आप पधारे … यह मेरा परम सौभाग्य है । और आपकी इतनी शुभकामनाएं और आशीषें पा'कर मैं सच में धन्य हो गया । आपसे प्रार्थना है, स्नेहाशीष का अमृततुल्य प्रसाद बांटने आगे भी आते रहें,कृपया !
# बंधुवर दिगम्बर नासवा जी, आभार ! सच कहा आपने …
# ममतामयी दीदी प्रतिभा सक्सेना जी, प्रणाम ! आपका स्नेह, अपनत्व मेरे लिए कितना अधिक महत्व रखता है , व्यक्त नहीं कर सकता । सचमुच, आपका आशीर्वाद अमूल्य है ।… कृपया, अपने स्नेह,वात्सल्य,ममत्व और आशीर्वाद से मुझे सदैव समृद्ध रखें ।
# आदरणीया पूनम जी, बहुत बहुत आभारी हूं । आपका आना बहुमूल्य उपहार से कम नहीं ।
… और, दिल से दी गई बधाई और शुभकामनाओं के लिए दिल से शुक्रिया ! आभार !! कृतज्ञता !!!
आपके आने की प्रतीक्षा अवश्य रहेगी आगे भी …
जुगुल जोड़ी बनी रहे ,यही कामना है !
आपके स्नेह को साक्षात् आपके हाथों से कब अपने माथे धारण करूँगा इसी का इन्तजार है .
@ शादी के समय हम 19 और श्रीमतीजी 16 की थी :)
# मतलब यह की मैंने परीक्षा में आधे नंबर तो ले ही लिए, आप दोनों की उम्र में तीन साल का ही फर्क है...................और यह रहस्य क्यों खोल दिए अभी ब्लॉग-जगत का कोई बालविवाह विरोधी पुपाड़ी बजाने लगेगा :))
# श्रद्धेय अरुण मिश्र 'मिसिर'जी, प्रणाम ! आपका आशीर्वाद हमारा परम सौभाग्य है … आभार !
# अमित जी, आधे नंबर क्या … आपके अलावा किसी का उत्तर न मिलने से आप प्रथम स्थान पर रहे :)
पुपाड़ी बजाने वालों को नेताओं के पते दे देंगे … :)
इंतज़ार क्या !
कभी किसी कवि सम्मेलन मुशायरे में न्यौता भिजवादें , मुलाकात भी हो जाएगी , हमारी भड़ास भी निकल जाएगी … बोर होने वाले होंगे तो आप ही संभालेंगे :))
सबसे पहले तो आपको बधाई एवं शुभकामनाएं ..!! राजेंद्र मेरी तो यही कामना रहेगी ईश्वर से के जिन्हें ये जेल नसीब है उनकी सजा बढती रहे और जो इस जेल से अभी तक महरूम है उन्हें भी जल्दी ही नसीब हो ..!!!
# आशीष पुरोहित जी, आभार ! आपके लिए भी यही कामना है …
मैं नोहर कई बार हिंदी और राजस्थानी भाषा के कवि सम्मेलनों में काव्य-पाठ करने आ चुका हूं अवश्य ही आप मुझे पहचानने वाले कोई बुजुर्ग हैं …
बीकानेर आना हो तो दर्शन दें … … …
शादी की साल गिरह की हार्दिक शुभकामनायें.
हास्य कविता ज़ोरदार है.अभी तक हंसी आ रही है.
गीत भी लाजवाब है. वाक़ई मज़ा आ गया.
शृंगार न फीका होने देना , है मेरी सौगंध प्रिये
मत टूटने देना मुस्कानों से अधरों का अनुबंध प्रिये
नि:शब्द हूँ इन दो पंक्तियों के आगे .....!!
# आदरणीय कुंवर कुसुमेश जी,बहुत बहुत आभार !
आपकी पारखी नज़र के पैमाने से गुज़र कर गीत और हास्य रचना सार्थक हुई ।
# हरकीरत हीर जी, आपके निःशब्द होने में कितने ग्रंथ समाहित हैं … पहचानने वाले पहचानते हैं ।
मेल द्वारा प्रेषित संदेशों के लिए विशेष आभारी हूं ।
स्नेह-सौहार्द सदैव बना रहे … … …
आपने पहले बताया ही नहीं |खैर देर से ही सही ,आपको बहुत बहुत शुभ कामनाएं |आपकी कविता और धुन दौनों ही बहुत अच्छी लगी बधाई |
आशा
# आदरणीया आशाअम्मा, प्रणाम ! आपकी शुभकामनाओं और बधाई में आपकी आशीषें पा'कर धन्य हुआ । आभारी हूं … … …
आपकी दोनों रचनायें बहुत अच्छी लगीं। ब्लॉग का कलेवर तो बहुत अच्छा है। बहुत-बहुत शुभकामनायें।
ha ha ha aur behatreen,
rajendraji..bas chaar kam kar leejiye..aur month yahi rahne deejiye..yaani 4 des. ko ham bhi bandhe the is bandhan me..., hamaare sochane ko bhi aapne vyakt kar diyaa...
sukhi jeevan ke liye bas hanste rahna jarooree hei..muskurutaare rahe aap dono..sadaa..shubhkamnaye
# अमिताभ श्रीवास्तव जी, 4 दिसंबर को आपके शुभविवाह की भी वर्षगांठ थी … क्या बात है !
बधाई ! शुभकामनाएं !
… आपकी शुभकामनाओं और सुखी जीवन के लिए मार्गदर्शन हेतु आभार … स्नेह बनाए रखें !
# ममता त्रिपाठी जी, पहली बार आई हैं आप, स्वागत !
रचनाएं और ब्लॉग कलेवर पसंद करने के लिए शुक्रिया ! आगे भी प्रतीक्षा रहेगी आपकी, आइएगा …
आपकी पहली रचना पढ़ मेरी आँखें टेढ़ी हो गयीं,बिलकुल अच्छा न लगा..( एक ब्याहता स्त्री दूसरी ब्याहता स्त्री के लिए ऐसा नहीं सुन सकती न...)..पर दूसरी रचना ने मन मुग्ध कर लिया...
आपलोगों का यह संग सदा बना रहे,यही शुभकामना है..
परिणय बम्धन में बँधते ही,
हो गया प्रणय का पथ प्रशस्त।
।पाकर कर सजनी का संग-साथ,
जीवन भर सरसे सुमन मस्त।।
--
भाई राजेन्द्र स्वर्णकार जी!
आपको परिणय दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
आपके मंगलमय जीवन की कामना करता हूँ!
परिणय बम्धन में बँधते ही,
हो गया प्रणय का पथ प्रशस्त।
।पाकर कर सजनी का संग-साथ,
जीवन भर सरसे सुमन मस्त।।
--
भाई राजेन्द्र स्वर्णकार जी!
आपको परिणय दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
आपके मंगलमय जीवन की कामना करता हूँ!
हा हा! यह भी खूब कही..मजा आ गया///
शादी की सालगिरह पर बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.
Der se aane ke liye mafi shadi ki varsh ganthh mubarak ho
आपको आपकी शादी की सालगिरह की हार्दिक शुभकामनायें. दोनों रचनायें बहुत अच्छी लगीं।
@ भाई राजेंद्र स्वर्णकार ,
आप पागल लगते हैं ...कुछ कुछ कबीर जैसे ...
रात तीन बजे, आप ऐसे शख्श की तारीफ कर रहे हैं जिसने आपके अनूठे शिल्प की तारीफ़ कभी नहीं की...
जब तब जाता हूँ और आनंद लेकर चला आता हूँ
हाँ राजेंद्र शिल्पकार का नाम अवश्य याद हुआ है ...
उनकी रचनाओं से उनके बड़े दिल का पता चल जाता है .....
उनका सरल अंदाज़, अनोखी दुर्लभ शैली किसी का भी दिल जीतने में समर्थ है ...
लगभग ढाई साल के अंतराल में शायद ही किसी ने मेरे गीत की तारीफ़ की हो सिवाय आपके ! कुछ लोगों का कहना है कि अगर एक गीतकार दूसरे की तारीफ़ करेगा तो अपना नुकसान करेगा :-)
एक आप ही हो ....बधाई !!!
मुझे शिल्प का कोई ज्ञान नहीं, न सीखा न पढ़ा और न सीखने में दिलचस्पी है ! कभी कभी मन से, अपने आप गीत प्रकट हो जाते हैं उन्हें बिना अशुद्धि ठीक किये लिख देता हूँ ...
अगर ऐसे गीतों की तारीफ, राजेंद्र स्वर्णकार रात को तीन बजे, आकर खुद करें ! तब अपनी पीठ ठोंकने का मन करता है यार !
इस टिप्पणी से यह गीत चार गुना सुन्दर बन चुका है...
साभार
आपकी आजादी छिनने के इस महत्वपूर्ण दिवस हेतु मुझ नाचीज की ओर से भी बधाई स्वीकारें।
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दिल्ली के दिलवाले ब्लॉगर।
शादी की साल-गिरह
बहुत बहुत मुबारक हो
परमपिता परमात्मा आप दोनों को
अपने भरपूर आशीर्वाद से नवाजें ,
यही कामना करता हूँ .
शादी की सालगिरह बहुत-बहुत मुबारक हो...आजादी छिनी नहीं बल्कि आजादी का मतलब जरुर बदल गया !!
'सप्तरंगी प्रेम' के लिए आपकी प्रेम आधारित रचनाओं का स्वागत है.
hindi.literature@yahoo.com पर मेल कर सकते हैं.
Shubh din kee bahut shubhkamnayen aap dono ko Rajendera ji !!
Stay Blessed !
Geet ke shabd bahut khubsurat ,bhav atee shaandaar .awaaj shaandaar .
शादी की सालगिरह की हार्दिक शुभकामनायें.रचनायें बहुत अच्छी लगीं।
आप दोनों को विवाह की सालगिरह की हार्दिक शुभकामनायें.
दोनों रचनाएँ अच्छी लगीं.
दूसरी कविता बेहद खास लगी.
आदरणीय राजेंद्र जी शादी की सालगिरह पर बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.
आप की लिखी दोनों ही रचनाएँ बहुत अच्छी हैं.
'तुम जब भी कहोगी आऊंगा,गीत अधरों का बन जाऊँगा ' ..गीत बहुत ही मधुर और भावपूर्ण बन पड़ा है.
आप का स्वर तो प्रभावी है ही ,इस गीत की धुन भी बड़ी ही मधुर बनाई है.
बहुत ही सुन्दर!
एक बार फिर से बधाई.
# रंजना जी, पहली रचना ने अपना काम किया … :)
दूसरी रचना के कारण आपका स्नेह मुझ पर बना रहा … आभार !
शुभकामनाओं के लिए भी हृदय से कृतज्ञ हैं …
# डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"जी, आपकी शुभकामनाओं के लिए पुनः चरण स्पर्श करता हूं …
# समीर जी, आभार स्वीकारें …
# सुनील कुमार जी, आपकी दुआएं मिल गईं … धन्य हुए हम ! स्नेह बनाए रखें … आभार !
# रचना दीक्षित जी, हृदय से आभारी हूं । समय समय पर सम्हाल लिया करें …
# ज़ाकिर अली ‘रजनीश’जी,आपका बड़प्पन अभिभूत कर रहा है … आभार !
# दानिश जी, आपके बेशक़ीमती प्यार और बहुमूल्य बधाई के लिए ॠणी रहूंगा ।
# आकांक्षा जी, हृदय से आभार !
उच्छृंखल आज़ाद तो रहना संस्कार में ही नहीं रहा अपने … :)
'सप्तरंगी प्रेम' के लिए रचनाएं एक-दो दिन में भेज दूंगा …
# M.A.शर्मा 'सेहर'जी, स्वागत और आभार हृदय से !
आपने इतनी ता'रीफ़ करके जो नई ऊर्जा प्रदान की है , उसके लिए विशेष धन्यवाद ! कृपया, आगे भी आया कीजिएगा …
# डॉ.वर्षा सिंह जी, बहुत बहुत स्वागत और आभार ! आपकी उपस्थिति से गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूं …
# मानवी जी और क्रिएटिव मंच, शुभकामनाओं के लिए आभार !
रचनाओं पर आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए बहुत महत्व रखती है … कृपया, आते रहें …
# अल्पना वर्मा जी, आपने अपनी व्यस्तताओं में मुझे समय सदैव ही दिया है … आभार के लिए शब्द नहीं मेरे पास ।
आप स्वयं सच्ची कलाकार हैं, इसलिए भाव भरे मन की पहचान है आपको ।
आपके स्नेह, आशीर्वाद और शुभकामनाओं की दौलत पाना मेरा सौभाग्य है … कृतज्ञ हूं !
# सतीश जी, आपके वहां जो कहा , यहां भी निवेदन कर देता हूं …
पागल है , दीवाना है
कैसी बातें करता है
धरती जन्नत बन जाए
उस नादां का सपना है
दुनिया बेईमानों की
यह उसने कब सोचा है
इक झूठी उम्मीद लिये'
बैठा है… बस बैठा है
बैठा, प्यार मुहब्बत के
नग़मे लिखता रहता है
सच की आदत को नाहक़
कस कर जकड़े रक्खा है
समझाए राजेन्द्र कौन
वो , बस…दिल की सुनता है
- राजेन्द्र स्वर्णकार
स्नेह सदैव बनाए रखें …
राजेंदर जी देर से आने के लिए माफ़ी चाहूँगा!सबसे पहले आपको सालगिरह की ढेरो ढेर शुभकामनाये !
इतनी अच्छी व्यंग्य रचना ,प्रेम रस से परिपूर्ण कविता और इतनी मिठास भरी आवाज आप एक सुंदर दिल के मालिक है !हम तो बस यही कहेंगे की ये प्यार यूं ही बना रहे............
# अमरजीत जी, आपकी शुभकामनाओं का महत्व है
…धैर्य का फल और भी मीठा होता है :) आभार !
तारीफ़ के लिए शुक्रिया ! आते रहें …
आज का दिन समर्पण का दिन ! यह संज्ञा बहुत भायी, भाई राजेंद्रजी.
हम हृदय से शुभकामनाएँ दे रहे हैं, बनी रहे जोड़ी राजा-रानी की.. .
सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)
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