समस्त् महिला ब्लॉगर्स को ससम्मान समर्पित है
आज की पोस्ट
स्वागत सब ब्लॉगर्स का है
आज प्रस्तुत है एक बहुत जोशीला गीत
कई अवसरों पर इस गीत की सस्वर प्रस्तुति को
भरपूर शाबासी , उन्मुक्त हृदय से समर्थन ,
हार्दिक स्नेह और निश्छल आशीर्वाद मिला है ।
गला अचानक ख़राब हो जाने के कारण आज बिना गाए ही लगा रहा हूं
लेकिन पढ़ कर भी आपको आनन्द आएगा …
हम नवयुग की नारी हैं , आधुनिक युग की नारी हैं !
ऐ पुरुष प्रधान समाज ! समझना मत कॅ हम बेचारी हैं !!
ऐ पुरुष प्रधान समाज ! समझना मत कॅ हम बेचारी हैं !!
कंधे से कंधा टकरा कर चलती हैं पुरुष के साथ हम !
हर एक चुनौती को ललकार के दे सकती हैं मात हम !
कौनसा है वह क्षेत्र जहां हमने ना पांव बढ़ाए हैं ?
देख हमारी प्रगति दुनिया वाले सब चकराए हैं !!
हैं सैनिक हम , वैज्ञानिक हम ; जज , डॉक्टर हम इंजीनिअर !
हम शासक भी, ट्रकचालक भी , हम अफ़सर , पुलिस , कलक्टर !
चांद भी छू आई हैं ; खेल जगत में करतीं नाम हैं !
हम विश्व को सम्मोहित करतीं ; क्या ख़ूब हमारी शान है ?
हम शासक भी, ट्रकचालक भी , हम अफ़सर , पुलिस , कलक्टर !
चांद भी छू आई हैं ; खेल जगत में करतीं नाम हैं !
हम विश्व को सम्मोहित करतीं ; क्या ख़ूब हमारी शान है ?
घर-बार संभाला है हमने ; परिवार हमीं से फलता है !
व्यापार चलाती हैं हम ही ; संसार हमीं से चलता है !!
सुनलो ऐ पुरुषों ! हम अब तुमसे ना डरने वाली हैं !
हम कई करिश्मे बड़े बड़े , दुनिया में करने वाली हैं !
हमें जिन्होंने सदियों जकड़ा … वे सब बंधन तोड़ेंगीं !
जो राह में बाधाएं आएंगीं , उनका गला मरोड़ेंगीं !!
हम आंधी हैं ! हम बिजली हैं ! तपते सूरज की किरणें हैं !
जो हमको कम आंकेंगे ; भाव उन्हीं के नीचे गिरने हैं !!
ऐ हम पर ज़ुल्म की इच्छा रखने वालों ! अब हों सावधान !
बीत गए दिन वे, जब थी नारी बेबस और बेज़ुबान !!
हम अपने हक़ की ख़ातिर लड़ना-मरना सीख चुकी हैं !
किस होश में हो सुनलो ! बीसवीं सदी भी बीत चुकी है !!
औरत को अपनी खेती कहने वालों ! थोड़ी शर्म करो !
मां पत्नी बेटी बहन ; देवियां हैं , चरणों पर शीश धरो !!
अब यह कोई भी ना समझे , कि नारी पुरुष की जूती है
हम धूल नहीं पैरों की ऊंचे चांद-सितारे छूती हैं !!
हक़ हमें हमारे दे दो पुरुषों ! …तो तुमसे कुछ बैर नहीं !
संघर्ष के पथ हम उतर पड़ीं …तो समझो कॅ फिर ख़ैर नहीं !!
जीयो हमें भी जीने दो ! बस इतनी मांग हमारी है !
हम नवयुग की नारी हैं ! आधुनिक युग की नारी हैं !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
(c)copyright by : Rajendra Swarnkar
हे देवियों ! माताओं ! बहनों ! भाभियों !
गीत में आपकी ही बात कही है मैंने , कुछ तो भेंट उपहार दीजिए
ज़्यादा नहीं … अपनी प्रतिक्रिया में कुछ आशीर्वाद , कुछ स्नेह , कुछ प्यार दीजिए
हां
चारों चित्रों में
शस्वरं की टिप्पणीदाता-समर्थनदाता ब्लॉगरानियों की छवि के दर्शन हैं ।
कुछ एक के चित्र फिर भी नहीं लगाए जा सके … सॉरी !
विश्व महिला दिवस
की
बधाई एवं शुभकामनाएं !
77 टिप्पणियां:
आपका दिखना शुभ संकेत
पाप आदि कलंक हों.. श्वेत.
आदरणीय राजेन्द्र स्वर्णकार जी!
(न+अरि)अर्थात् जिसका कोई शत्रु नहीं होता!
नारिदिवस पर आपने बहुत सुन्दर रचना प्रस्तुत की है!
--
"केशर-क्यारी को सदा, स्नेह सुधा से सींच।
पुरुष न होता उच्च है, नारि न होती नीच।।
नारि न होती नीच, पुरुष की खान यही है।
है विडम्बना फिर भी इसका मान नहीं है।।
कह ‘मयंक’ असहाय, नारि अबला-दुखियारी।
बिना स्नेह के सूख रही यह केशर-क्यारी।।"
--
महिला दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
आदरणीय राजेन्द्र स्वर्णकार जी!
(न+अरि)अर्थात् जिसका कोई शत्रु नहीं होता!
नारिदिवस पर आपने बहुत सुन्दर रचना प्रस्तुत की है!
--
"केशर-क्यारी को सदा, स्नेह सुधा से सींच।
पुरुष न होता उच्च है, नारि न होती नीच।।
नारि न होती नीच, पुरुष की खान यही है।
है विडम्बना फिर भी इसका मान नहीं है।।
कह ‘मयंक’ असहाय, नारि अबला-दुखियारी।
बिना स्नेह के सूख रही यह केशर-क्यारी।।"
--
महिला दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
मैंने जिनसे प्राथमिक शिक्षा ली -- माँ थी.
मैंने अपनत्व, त्याग, दैहिक स्वच्छता, अथिति की आव-भगत की आदत, स्कूली पढाई से पहले पशु-पक्षी और फल-सब्जियों आदि के चित्र बनाना .......... सब कुछ माँ से सीखा.
.
.
अधिकांश कविताओं की प्रेरणा ........ के मूल में भी नारी ही है.
....... मैं तो उपकृत ही हूँ.
आनंद आ गया राजेंद्र भाई !
इनके बिना हमारा क्या अस्तित्व , ये हैं तो हम हैं ....
हम जी न सकेंगे दुनिया में
माँ जन्में कोख तुम्हारी से
जो दूध पिलाया बचपन में
यह शक्ति तुम्ही से पाई है
हम अब भी आंसू भरे तुझे, टकटकी लगाए बैठे हैं !
समस्त मातृशक्ति को नमन!!
सबसे पहले ही चित्रों के संग्रह में मेरा चित्र देखकर ख़ुशी हुई --राजेंद्र जी,कविता क्या आपने तो सम्पूर्ण नारी- जाती की भावनाए पिरोकर आज हमे एक गुलदस्ता प्रदान करके हमारा सत्कार किया हे --बहुत -बहुत बधाई --
महिला दिवस पर यह खूबसूरत अंदाज़ खूब भाया, भाया ।
बेशक आपने बहुत मेहनत की है । इनाम तो मिलना ही चाहिए । और मिलेगा भी , पूरा विश्वास है ।
जिन ब्लोगर्स के फोटो आपने लगाये हैं , वाकई वे सब बहादुर और जागृत महिलएं हैं । ब्लोगिंग की शान हैं ।
बस एक विचार उनके लिए भी जो इतनी खुशनसीब नहीं ।
शुभकामनायें भाई जी ।
और बधाई इस ग़ज़ब की पोस्ट के लिए ।
नारी मनुष्य का निर्माण करती है.नारी समाज की प्रशिक्षक है और उसके लिए आवश्यक है कि सामाजिक मंच पर उसकी रचनात्मक उपस्थिति हो
जीओ और जीने दो बस इतनी माँग हमारी है\ बिलकुल जी इतनी ही माँग है ये भी मंजूर नही। बहुत सुन्दर रचना।। मगर हमारी बारी आयी तो गला खराब कर बैठे? जल्दी से स्वस्थ हो जाओ। शुभकामनायें।
राजेन्द्र जी ,
आपने सब नारियों के हृदय की बात कह दी ....छत्रों के सुन्दर कोलाज बनाये हैं ...आभार
महिला दिवस की शुभकामनायें
ये तो जबरदस्त तोहफा दिया है आपने सभी महिला ब्लॉगर को...
सब की तस्वीर एक साथ दे कर अच्छा किया....
:)
महिला दिवस पर आपकी कविता बहुत शानदार रही
महिला दिवस की शुभकामनाये,
सभी माँ बहनो को और शसक्त होने के लिए दुआये।
mahila diwas pe itni shashakt rachna aur uske saath itni pyari se photo lagane ke liye aap bhi sir sadhuwaad ke hakdaar hain..:)
राजेंद्र जी हमारा सर तो नारी शक्ति के सामने सदा ही झुकता आया है उसके लिए महिला दिवस की इंतज़ार नहीं करते हम...:-)
आपकी इस शशक्त रचना के लिए मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें... ब्लॉग जगत की विदुषियों को एक साथ प्रस्तुत कर आपने अपनी विलक्षण प्रतिभा का एक बार फिर से लोहा मनवा लिया है...आप और आपकी प्रतिभा को नमन...
नीरज
सर्व शक्ति स्वरूपिणी नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं !
बधाई इस ग़ज़ब की पोस्ट के लिए
राजेन्द्र जी ,
अत्यंत सम्मान और समर्पण भाव से आपने भावांजलि प्रदान की ,हम सब महिला ब्लागर्स अभिभूत हैं !
सच तो यह है अधिकार लेकर भी कोई नारी जो करती है सिर्फ अपने लिए नहीं(अपना व्यक्तिगत कुछ बचा कर रखती वह ही कहां है ?),
अपनों की -परिवार,कुटुंब ,और समाज की हित-आकांक्षा रखते हुए ही ,सबके कल्याण में ही उसकी प्रसन्नता निहित होती है .
आपके मन में जो देवताओं ने निवास बनाया है ,वह आपके लिए सदा मंगलमय हो !
सचित्र यथार्थ पर आधारित कविता बहुत उत्तम है.
महिला दिवस पर आपकी ओर से महिलाओं को एक अनुपम भेंट है ये पोस्ट......बहुत शानदार.....और मुझे लगता है आपने शायद ब्लॉगजगत की साडी महिलाओं को यहाँ जगह दे दी है :-)
# इमरान अंसारी जी
ब्लॉगजगत की सारी महिलाओं को नहीं , मात्र उनको, जिन्होंने
मुझे अपने कमेंट से कभी न कभी धन्य किया है ,
या फिर
जिन्होंने फॉलोअर बन कर मुझे अपना समर्थन , आशीर्वाद और स्नेह दिया है ।
फिर भी कइयों के प्रोफाइल पर चित्र नहीं मिले
…या 2000 टिप्पणियों के समुद्र में से कुछ अनमोल मोती ढूंढ़े नहीं जा सके ,
जो अब ध्यान में आ रहे हैं … :) उनसे क्षमा याचना है !
ब्लॉगजगत तो बहुत विशाल है …
इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये आभार ।
'महिला दिवस' पर इतना सुंदर तोहफ़ा पाकर मन गद गद् हो उठा है, आपने इस पोस्ट के लिये कितना परिश्रम किया होगा पर जहाँ ह्रदय में शुभ भावनाएं हों काम करना नहीं पड़ता हो जाता है... आभार एवं ढेरों शुभकामनायें!
औरत को अपनी खेती कहने वालो थोड़ी शर्म करो
माँ,पत्नी,बेटी,बहन देवियाँ हैं चरणों पर शीश धरो
अब ये कोई भी न समझे की नारी पुरुष की जूती है
हम धूल नहीं पैरों की ऊंचे चाँद - सितारे छूतीं हैं ....
राजेन्द्र जी आँखें नम हो गईं आज के दिन आपकी ये पंक्तियाँ पढ़ .....
दुआ है रब्ब आपके परिवार में खुशियाँ दे ....
आती हूँ फिर ......
नारी के बिना पुरुष का अस्तित्व क्या है...संसार में आने पर जिससे सबसे पहले वह संपर्क में आता है वह माँ होती है और उम्र भर नारी बहन,प्रेयसी,पत्नी के रूप में उसका साथ देती रहती है..नारी शक्ति को नमन..
बहुत सुन्दर और सार्थक रचना. आज की नारी की व्यथा और आकांक्षाओं को बहुत सुन्दरता से उकेरा है आपने. आभार
आदरणीय राजेंद्र जी ... आपने जो आज 'महिला दिवस' के अवसर पर हमें ये सम्मान दिया है ... मैं अपनी और अपनी सभी महिला ब्लोग्गर्स की तरफ से आपको धन्यवाद देती हूँ ...
आज अपनी तस्वीर यहाँ देख कर ऐसा लग रहा है मानो एक मुकम्म हासिल किया हो जैसे .. sense of achievment की feeling हो रही है ...किन शब्दों में अपनी भावना व्यक्त करूँ ... पता नहीं ... और इस सब के साथ गीत ने चार चाँद लगा दिए ...
औरत को अपनी खेती कहने वालो थोड़ी शर्म करो
माँ,पत्नी,बेटी,बहन देवियाँ हैं चरणों पर शीश धरो
अब ये कोई भी न समझे की नारी पुरुष की जूती है
हम धूल नहीं पैरों की ऊंचे चाँद...सितारे छूतीं हैं ....
दिल से निकले इस गीत के लिए दिल से बधाई स्वीकार करें ...
शुभकामनाएं ...
sudnar geet, mahilao ko samarpit, ek ahwaan karta hua!
badhai kabule
आपकी चिर-परिचित ओजस्वी शैली में आज के इस विशेष दिन को सार्थक करती बेहद सशक्त प्रस्तुति.
आभार सहित...
राजेन्द्र जी आप वास्तव में 'स्वर्णकार'है जो शब्दों व चित्र रुपी 'स्वर्ण' से कविता और चित्रों के सुंदर से गहने बनाकर महिलाओंको अर्पण कर रहे हो.
अब मांगो या ना मांगो बनवाई तो मिलेगी ही .
आदरणीय राजेन्द्र जी, विश्व महिला दिवस पर आपके द्वारा लिखी गई यह पोस्ट सरहनीय है. इसके साथ-साथ आपके गीत ने इस पोस्ट पर मानो चार चाँद लगा दिए हो. बहुत-बहुत बधाई और आभार. मेरी और से भी आपके ब्लॉग की सभी महिला समर्थक, टिपण्णीदाता और अन्य ब्लागर्स को महिला दिवस की ढेरो बधाई.
बेटियों पर की गई मेरी इन दो गुफ्तगू पर भी गौर कीजियेगा.
http://gooftgu.blogspot.com/2011/01/blog-post_08.html
http://gooftgu.blogspot.com/2011/01/blog-post_29.html
बहुत सुंदर गीत।
वर्ष का प्रत्येक दिन मातृशक्ति के पूजन का दिन हो।
सभी को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं।
सुबह जल्दी में था ।
अब दोबारा पढ़ी है ।
बहुत सुन्दर रचना गढ़ी है ।
कोलाज़ भी ग़ज़ब के हैं । हमें तो सबसे पहला बेस्ट लगा । :)
आदरणीय राजेन्द्र जी सादर अभिवादन .....
महिला दिवस के अवसर पर इतनी प्यारी और सत्य से ओतप्रोत रचना लिखने के लिए आपको नमन। आपकी ये रचना अनमोल है। आपको कोटिश: बधाईयाँ। मैं इस रचना को कईं बार पढ़ा और हर बार ये रचना बेहद अच्छी लगी।
# डॉ.दराल साहब
दोबारा आ'कर ग़ौर से पढ़ने-देखने-परखने के लिए शुक्रिया !
आप संभालते रहते हैं तो बच्चों का जी लगा रहता है :)
कोलाज़ तीसरा भी तो कम नहीं … ग़ौर से देखिए :)
और दूसरे में background पर बनी मेरी पेंटिंग की झलक भी तो है …
वैसे मेरा छोटा बेटा विवेक रात तीन बजे तक इन्हें तैयार करने में मेरी मदद कर रहा था …
और क्योंकि संपूर्ण नारी शक्ति मेरे लिए सम्माननीय है … इसलिए सच कहता हूं , मुझे ख़ुद भी ये कोलाज़ बहुत भा रहे हैं …
और हां , आपसे किया हुआ वादा इस गीत के द्वारा पूरा हो गया है …
उधार चुकता कर लीजिएगा …
स्नेह आशीष बनाए रहें
अत्यंत सशक्त और ओजस्वी, पोस्ट ने आज के दिवस को पूर्ण गरिमा प्रदान की है, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
mahila diwas par badhayi. sunder prastuti.
राजेन्द्र जी .
देख रही हूँ एक नारी के मनोभावों को किस कदर aapne mahsoos kiya hai ....
koi bhi baat chhuti nahin hai aapse ......
aur ये saari raat bete के sath baith tasveerein ektrit karna ....
raat bhar jagna ....
itani mehnat post par .....?
bas natmastak हूँ aapki kritiyon के aage .....
aur ये tasveeron se jhaankti aapki penting .....
subhaanallah.....!!
kiski hai....?
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!!
राजेन्द्रजी....
धन्यवाद जो आप ने महिलाओं ही तरफ से
इतनी बेख़ौफ़ रचना लिख डाली....!!
सभी महिलाओं की तरफ से आपको बधाई एवं धन्यवाद...!!
शुक्रिया..."मेरे मन की" कहने के लिए..
धन्यवाद... महिला दिवस की बधाई के लिए..
कोलॉज---बहुत उम्दा..आभार..
बेटे को...धन्यवाद और प्यार...
सुंदर संयोजन ...सुंदर रचना ...आभार
आदरणीय राजेंद्रजी सादर प्रणाम,
आपका शुक्रिया .....
आपकी रचना बहुत ही सुन्दर है ....आभार
महिला दिवस पर इतना प्यारा काव्यमय तोहफा देख कर अभिभूत हो गयी हूँ ! राजेन्द्र जी इस नायाब तोहफे के लिये आपका किन शब्दों में धन्यवाद कहूँ शब्द भी बौने पड़ जायेंगे ! बस यही कह सकती हूँ कि मन विभोर हो गया ! ईश्वर सदैव आप पर कृपा बनाए रखें और शस्वरं का यश दिन दूना रात चौगुना इसी तरह विस्तीर्ण होता रहे यही मंगलकामना है ! बहुत बहुत बधाई एवं आभार !
राजेंद्र जी, न केवल यह गीत सुन्दर है ... आपकी पोस्ट प्रस्तुति भी आँखें चौधियां देती है ... मान गए ... आपने बहुत मेहनत की है इस पोस्ट को बनाने के लिए ... बहुत बहुत बधाई !
बहुत ही सुन्दर चित्र लगाये हैं आपने।
ओह...यह तो पूरा इंडेक्स बना दिया आपने....शायद ही कोई इक्की दुकी छूटी होंगी..
कितना मेहनत किया है आपने...वाह...
लिखते तो आप सदैव लाजवाब हैं,लेकिन आज तो आपके मेहनत और स्त्री के प्रति सम्मान भाव ने नतमस्तक किया....
बहुत बहुत आभार...
नारी के सम्मान की शिक्षा देती सुंदर प्रस्तुति के लिए धन्यवाद
महिला दिवस पर बड़ा जोशीला गीत लिख डाला है भाई,राजेंद्र जी.
कोई महिला ख़ुद लिखे तो भी इतना जोश गीत में भरना मुश्किल होगा.
आपके मन में महिलाओं के प्रति बहुत सम्मान है,शायद इतना ज़बरदस्त और हुंकार भरने वाला गीत तभी आपकी कलम से निसृत हो सका.
बधाई आपको.
औरत को अपनी खेती कहने वालों ! थोड़ी शर्म करो!
मां पत्नी बेटी बहन ; देवियां हैं , चरणों पर शीश धरो
महिला दिवस पर इससे बड़ा उपहार और हो भी क्या सकता है....काश ऐसा सभी सोचते। नारी का सम्मान करते....
राजेंद्र भाई आपने तो जबरदस्त रचना की है....बधाई..
पर गला खराब कर लिया..आपकी आवाज में यह सुनकर आनंद दोगुना हो जाता...
आदरणीय राजेन्द्र जी,
नारी ब्लागरों को समर्पित आपकी रचना दिल को छू गयी.
ब्लॉग जगत में तो नारी पुरुष को काफी पीछे छोड़ चुकी है.
कोलाज़ खूबसूरत हैं.
सलाम.
badhai ho is mehnat ke liye jo rang le aai ,
औरत को अपनी खेती कहने वालो थोड़ी शर्म करो
माँ,पत्नी,बेटी,बहन देवियाँ हैं चरणों पर शीश धरो
अब ये कोई भी न समझे की नारी पुरुष की जूती है
हम धूल नहीं पैरों की ऊंचे चाँद - सितारे छूतीं हैं ....
rachna bahut hi sundar hai ,aankhe gili ho gayi .
**बेहद खूबसूरत गीत .सब कुछ तो समेट दिया है इसमें!एक नारी की आवाज़ ,उसके भावों को शब्द दे कर गीत को सार्थक बना दिया है.
-आप के स्वर में सुनना और अधिक भाता.लेकिन आप का गला खराब है तो कोई बात नहीं .
आप जल्दी स्वस्थ हों.शुभकामनाएँ स्वाकारें.
**कोलाज भी बहुत ही आकर्षक बने हैं .शायद ही कोई रह गया है.बहुत ही मेहनत से आप दोनों ने यह कोलाज तैयार किये हैं वह दिखाई दे रहा है.बधाई!
महिला दिवस पर इस अद्भुत प्रस्तुति और सभी महिलाओं को दिए इस सम्मान हेतु बहुत -बहुत धन्यवाद .
[देर से पोस्ट पर पहुंची हूँ,इसके लिए क्षमा चाहती हूँ.]
भइया राजेन्द्र स्वर्णकार जी!
कोलॉज में
मैं भी अपनी फोटो तलाश कर रही थी!
न्रारिशक्ति जिन्दाबाद!
http://bhartimayank.blogspot.com/
सबसे पहले इतनी देर से आने की माफ़ी चाहती हूँ आपने नारी को इतना सम्मान दिया उसके लिए बहुत - बहुत शुक्रिया | बहुत खुबसूरत शब्दों ने इतनी सारी प्रशंसा करने की हिम्मत सिर्फ वही कर सकता जिसके दिल में उसके प्रति सच में कोई श्रद्धा हो दोस्त | आपका बहुत बहुत शुक्रिया |
पहले वाली ग़ज़ल भी सुनी अच्छी लगी |
# आदरणीया अमर भारती जी , प्रणाम !
स्वागत आपका !
आपने पहली बार पधार कर मुझे धन्य किया , कृतज्ञ हूं …
… अगली बार ऐसा ही कुछ किया तो अवश्य आप हमारे साथ होंगी :)
पोस्ट में लिखा भी है … इमरान अंसारी जी के कमेंट के जवाब में भी स्पष्ट किया है …
फिर भी मैं मुझसे स्नेह रखने वालों के प्रति हृदय से आभारी हूं …
ati uttam ..shabd kam pad rahe hain taarif ke liye.is sunder prastuti ke liye dheron badhaai.
सम्यक प्रस्तुति !
आज बिना गायन के कुछ सूनापन लगा पर आशा है अब तक गला ठीक हो गया होगा |आप बहुत दिन बाद मेरे ब्लॉग पर आये साधुवाद |
आशा
पहली बार आप के ब्लॉग पर आया...
अफ़सोस इसे आज तक क्यों नहीं खोज पाया..
लेकिन समंदर में मोती देर से मिलतें है.
आप जैसे लेखक विरले ही दिखते है.......
बहुत बहुत बधाइयाँ...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...नारी को सम्मान देने के लिए आभार..पर आप शायद बेटियों को भूल गए !!
बेहद प्यारी और भावों से परिपूर्ण कविता......नारियों का खूब सम्मान करती आपकी ये रचना भावविभोर करती है ....मेरी रचना पर प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद .....
बहुत सुन्दर गीत...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
कोलाज़ तो शुभकामनाओं का गहन आत्मीय स्वरूप है.....
आपको हार्दिक साधुवाद...
हार्दिक आभार...
वाह! क्या खूबसूरत कोलाज़ तैयार किया है आपने !. ..........
राजेन्द्र जी , इतने अच्छे संयोजन के लिए वाकई बधाई के पात्र हैं आप !
और इस खूबसूरत कोलाज में आपने मुझे भी स्थान दिया......
आपके .इस अनुग्रह के लिए आपको यदि शुक्रिया मात्र कहूं तो वह नाकाफी रहेगा।
बहुत-बहुत आभार......
आज आपकी दिलकश आवाज़ सुनने को नहीं मिली........
खैर, उम्मीद करूंगी कि आपकी अगली पोस्ट आपके स्वर से सज्जित हो!
पुनः आभार , धन्यवाद .....
एवं शुभकामनाओं सहित -
भवदीया-
वर्षा
@ लेकिन समंदर में मोती देर से मिलतें है.
आप जैसे लेखक विरले ही दिखते है.......
@
महिला दिवस के अवसर पर इतनी प्यारी और सत्य से ओतप्रोत रचना लिखने के लिए आपको नमन। आपकी ये रचना अनमोल है। आपको कोटिश: बधाईयाँ। मैं इस रचना को कईं बार पढ़ा और हर बार ये रचना बेहद अच्छी लगी।
@राजेन्द्र जी आप वास्तव में 'स्वर्णकार'है जो शब्दों व चित्र रुपी 'स्वर्ण' से कविता और चित्रों के सुंदर से गहने बनाकर महिलाओंको अर्पण कर रहे हो.
अब मांगो या ना मांगो बनवाई तो मिलेगी ही .
@आपके मन में जो देवताओं ने निवास बनाया है ,वह आपके लिए सदा मंगलमय हो !
@ . ब्लॉग जगत की विदुषियों को एक साथ प्रस्तुत कर आपने अपनी विलक्षण प्रतिभा का एक बार फिर से लोहा मनवा लिया है...आप और आपकी प्रतिभा को नमन...
@ब्लॉगर आपका दिखना शुभ संकेत
पाप आदि कलंक हों.. श्वेत.
Mahilaon ke bina purushon ka astitwa hi kya hai! unke samman men jitani bhi bhawanaye vyakt ki jayen, kam hi hongi. Par aaj mahilaon ki bhumika behad chunautipurn hai, aasha hai aane wale waqt men mahilayen hi samaj ko sahi aur srijanatmk disha men le jayengi.Main bhii aapaki bhawanaon men shamil ho raha hun.
bahut achcha laga yah post.shubhkamnayen.....
अग्रज और सम्माननीय राजेंद्र भाई जी, जब कुछ लाते हैं पूरी तैयारी से ही आते हैं....अब इनके काव्य पे मैं कोई टिप्पड़ी करूं ..यह शोभा नही देता...बस इतना जरूर कि मेरा आदर चापलूशी नही है ....आप इनके रचना जगत को पढ़िए ....समय निकाल कर सुनिए भी.....फिर मेरी बात पर गौर कीजिये !!!
दादा भाई को सादर नमस्कार!
भाई राजेन्द्र जी ,
बहुत ही प्रभावशाली रचना है | सारी बातें खरी-खरी कही हैं आपने , स्वागत योग्य है |
बड़ी मेहनत भी की है आपने चित्रों को ढूँढने और लगाने में | मन और मेहनत जब साथ-साथ हों फिर क्या कहना !
साहित्य और सामाजिक सरोकारों के प्रति,आपकी निष्ठां बहुत ही सराहनीय है |
बहुत-बहुत शुभ कामनाएँ...
होली की हार्दिक बधाई ...होलीपूर्व स्वीकारें |
Der se aane ke liye mafi chahunga.
aap mujhe "HEER JI" ke blogg se mile .. jinhe bina padhe mera din nahi pura hota.
AB aapki prashtuti..
aap ne sab kuchh kah diya hai ab kahne ke liye kuchh bacha nahi hai.
Bas ek bat Kahunga swarkar ji.
Agar koi mujhase puchhe ki duniya me sabse shaktishali kaun hai ?
mera jabab hoga ... mei MAA.
aapne jin deviyo ko pic me piroya hai o sabhi mahan hain!
Hardik Badhai.
भाई राजेन्द्र जी आपकी रंगीन पोस्ट की तरह ही होली की सपरिवार शुभकामनाएं
नारी ब्लागरों को समर्पित आपकी रचना दिल को छू गयी| धन्यवाद|
खूबसूरत कोलाज़ तैयार किया है आपने !
महिला दिवस पर शानदार्…। समर्पण!!
निरामिष: शाकाहार : दयालु मानसिकता प्रेरक
आपकी इस पोस्ट को नमन और समस्त नारी शक्ति का हार्दिक अभिनन्दन.....
सादर....
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति.... होली की हार्दिक शुभकामनायें
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति.... होली की हार्दिक शुभकामनायें
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