आज मेरा एक पुराना गीत प्रस्तुत है
ढूंढ़ कहां घर तेरा है ?
ढूंढ़ कहां घर तेरा है ?
यह जग रैन-बसेरा है !
जादू है, भ्रम-सपना है !
कौन तुम्हारा अपना है ?
मीत किसी का कौन यहां ,
हवन अकेले तपना है !
मिथ्या मेरा-मेरा है !!
यह जग रैन-बसेरा है !!
ढूंढ़ कहां घर तेरा है ?
छल-धोखा है , माया है !
सारा जगत पराया है !
स्वारथ के रिश्ते-नाते ,
पग-पग जाल बिछाया है !
जग छलियों का डेरा है !
ढूंढ़ कहां घर तेरा है ?!
यह जग रैन-बसेरा है !!
देख, किसी की आस न कर !
साये का विश्वास न कर !
होगी कोई किरण कहीं ,
जी को व्यर्थ उदास न कर !
माना , गहन अंधेरा है !
ढूंढ़ कहां घर तेरा है ?!
यह जग रैन-बसेरा है !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
(c)copyright by : Rajendra Swarnkar
कुछ वैराग्य-सा है मन में !
बहुत उखड़ा हुआ है मन इन दिनों !
क्षमाप्रार्थी हूं
आप सब के यहां पहुंच भी नहीं पा रहा हूं ।
आपकी Mail पर भी ख़ास ध्यान नहीं दे पा रहा हूं ।
आपकी टिप्पणियों के लिए आभार भी व्यक्त नहीं कर पा रहा हूं ।
क्षमा कर दीजिएगा
मेरे प्रति आपके स्नेह और आशीर्वाद की सर्वाधिक आवश्यकता है अभी
{ मेरी माताजी अस्वस्थ हैं }
64 टिप्पणियां:
आदरणीय राजेंद्रजी
सादर प्रणाम
बहुत अच्छी लगी आपकी रचना
आपकी मतजिका जल्दी ही स्वास्थ सुधर हो यही कामना
गीत तो जैसे मुझे ही सम्बोधित किया गया है, कल मेरे सुज्ञ को एक साल पूर्ण होगा। तब पूर्व संध्या को सार्थक चिंतन है।
माताजी का खयाल रखें!! प्रभु शीघ्र उन्हे स्वस्थता प्रदान करे। शुभकामनाएँ
सुन्दर गीत... माताजी का खयाल रखें.. ईश्वर उन्हे शीघ्र स्वस्थ करें... शुभकामनाएँ...
बहुत सुंदर गीत जीवन की सच्चाई की बात कर रहें है आप , आभार
Coral : Dr. Trupti Indranil ने कहा
आदरणीय राजेंद्रजी
सादर प्रणाम
बहुत अच्छी लगी आपकी रचना
आपकी माताजी का जल्दी ही स्वास्थ सुधार हो यही कामना है ।
आपकी माताजी शीघ्र पूर्ण स्वस्थ लाभ करें,ईश्वर से प्रार्थना है....
रचना के अर्थ गाम्भीर्य और सौन्दर्य की क्या कहूँ....बस मन से निकली सुन्दर बात मन तक सीधे पहुँच गयी..
राजेन्द्र जी ,
फ़िक्र न कर , ये ग़म के अँधेरे भी छंट जायेंगे
गैरों में भी कुछ तो अपने भी नज़र आएंगे ।
आप माता जी को संभालिये । इश्वर उन्हें लम्बी आयु दे और स्वस्थ रखे ।
माता जी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूँ.
आपकी रचना की ही कुछ लाईनें आप के पेशे नज़र है.
होगी कोई किरण कहीं,
जी को व्यर्थ उदास न कर,
माना गहन अन्धेरा है.
बहुत उत्तम गीत प्रस्तुत किया है आपने ।
ईश्र्वर आपकी माताजी को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें । हार्दिक शुभकामनाओं सहित...
माताजी का खयाल रखें.. ईश्वर उन्हे शीघ्र स्वस्थ करें... शुभकामनाएँ..
गीत बहुत सुन्दर है.
सबसे पहले माताजी के शीघ्रातिशीघ्र स्वस्थ होने के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ.
आपका विरक्ति के भावों को दर्शाता गीत अच्छा लगा जो दिल को छू गया.बहुत बहुत आभार.
माता जी शीघ्र स्वस्थ हों यही कामना है।
आदरणीय राजेंद्र जी !
एक अनंत खोज....एक ऐसी खोज जिसको हर इंसान खोज रहा है ...पर ये खोज अनंत है....स्वयं की खोज...!
वैराग्य से कहते है की खोज आसन हो जाती है....पता नहीं कितना सच है.....
पर कभी कभी ऐसा हो जाता है की स्वाभाविक ही मन बैरागी हो जाता है....
भगवान आप को साहस दे .....आपकी माताजी के स्वास्थ्य लाभ के लिए इश्वर से प्राथना करता हूँ ....
माताजी का शीघ्र ही स्वास्थ ्हो भगवान से प्राथना करते हे
बेहतरीन गीत... ईश्वर माता जी को शीघ्र स्वस्थ करें.
bahut sunder likha hai rajendra ji
उखड़े मन से भी सार्थक सन्देश ही मिला ...
ईश्वर माताजी को स्वस्थ रखे !
बहुत ही खूबसूरत गीत है... माता जी के स्वास्थ्य के लिए दुआ करते हैं, खुदा करे वह जल्दी ठीक हो जाएं!
हमेशा की तरह सुन्दर गीत
ईश्वर माता जी को जल्दी ठीक करे
शुभकामनाये
वैराग्य छोड़ माता का स्वास्थ्य सँभालो.
दो दाम दूध का सारा सूद निकालो.
है रुकी जहाँ भी मेल, मिलायें* तोड़ो.
आभार आचरण को भी पकड़ निचोड़ो.
__________
*मिलायें = 'मिल आयें' / भेंट
मैं जनता हूँ आपका स्वयं का स्वास्थ्य अच्छा नहीं फिर भी मन का स्वास्थ्य आपको जबरन ठीक करना होगा. माता को आज़ आपके द्वारा दिये मनोबल की सर्वाधिक जरूरत होगी.
माताजी के शीघ्रातिशीघ्र स्वस्थ होने के लिए शुभकामनाएँ.ईश्वर उन्हे शीघ्र स्वस्थ करें यही कामना है.
सादर
सच में यह जग रेन बसेरा है ..क्या पता कब जाना होगा यहाँ से ..इसलिए ज्यादा अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए किसी से ....बहुत भावनात्मक गीत है यह ...आपका शुक्रिया
ढूँढ कहाँ घर तेरा है ....
यह जग रैन बसेरा है ....
शायद ये पंक्तियाँ माँ के लिए होंगी राजेन्द्र जी .....
बहुत जिगरा चाहिए ऐसे वक़्त में .....
ख़ास कर आप जैसे पुत्र के लिए ...
जो अपना फर्ज निभाने के लिए चार कदम आगे है ....
धन्य है ये माँ जिसने ऐसा पुत्र पाया ....
आपने तो पुन्य कमा लिया राजेन्द्र जी ....
हिम्मत बनाये रखियेगा ....
आपने जीवन की सच्चाई का वर्णन अपनी रचना में खूबसूरती से किया है, ईश्वर पर भरोसा बनाये रखें सब मंगल होगा !
आदरणीय बड़े भाई जी सादर प्रणाम !
आप अम्मा जी की तरफ ध्यान दो अभी हम सब हैं ना आपके साथ...प्रभु से विनती भी कर रहे हैं की जल्दी ही अम्मा जी को स्वास्थय लाभ हो जाये !
बहुत ही गहरे उतरे हैं शब्द रचना के ... मां जी के स्वास्थ्य के लिये शुभकामनाएं वो शीघ्र स्वस्थ्य हों ।
SUNDAR GEET.
............
ब्लॉ ग समीक्षा की 12वीं कड़ी।
अंधविश्वास के नाम पर महिलाओं का अपमान!
उदासी में भी अच्छी रचना .....
सहानुभूति के साथ, इश्वर आपको धैर्य दे........
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (30.04.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
राजेन्द्र जी
रचना तो अपने आप मे बेहद गहन है ही…………इस वक्त आप किसी बात कि चिन्ता ना करके अपनी माता जी के स्वास्थ्य पर ध्यान दीजिये…………ईश्वर उन्हे जल्द स्वस्थ करे।
sunder rachna..
iishwar aapki mataji ko sheeghr swasthya laabh pradan kare..
बहुत ही सुन्दर गीत है भैया... अवसर मिले तो मेरे ब्लॉग में http://www.blogger.com/posts.g?blogID=ये ज़हान अजायबखाना है " पढ़कर मार्गदर्शन कीजिएगा.... आपकी आदरणीया माता जी के स्वास्थ्य के लिए इश्वर से प्रार्थना है...
सादर...
बहुत अच्छी भावपूर्ण रचना के लिए बधाई |
आशा
hridaya men utarati manohari geet .bahut -2 aabhar ji .
bahut hi anokha aasha ka bhaav jagati hui rachna.aapki mata ji ka swaasthya jaldi achcha ho putra dharm ka paalan karte hue seva karte raho suparinaam milega.
जीना हमें सबेरा है,
जीवन रैन बसेरा है।
सुंदर गीत राजेंद्र भाई| उम्मीद करता हूँ, एक दिन आप के श्रीमुख से इसे सुनने का मौका अवश्य मिलेगा| आशा करता हूँ आप की माताजी का स्वास्थ्य अब बेअतर होगा|
अति सुंदर गीत है राजेंद्र जी ....
आशा है माताजी की तबीयत अब ठीक होगी .. ख्याल रखें ...
माताजी के स्वास्थ लाभ की मंगल कामना कतरी हूँ !
जीवन के कई पहलुओं पर प्रकाश डालती आपकी रचना....
सुन्दर....
भाई जी ये अच्छी बात नहीं है...ये अचानक छाई उदासी क्यूँ? ऐसे थोड़े ही काम चलता है...चलो उठो उदासी को मन के बहार धकेलो, मुस्कुराओ देखो फिर से कैसे ताज़ा दम नहीं होते. ये अल्प कालीन परेशानी है इस से जल्दी बाहर निकलो...आप इस अवस्था में अच्छे नहीं लगते...मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं...इश्वर पर भरोसा रखो...सब ठीक होगा...भाई जी बाग़ में गमलों में तो फूल सभी खिला लेते हैं लेकिन:-
ज़िन्दगी में मुस्कुराना सीखिये
फूल बंजर में उगाना सीखिये
आपकी रचना सदा की तरह अप्रतिम है.
नीरज
ईश्वर से प्रार्थना है आप की माता जी जल्द ही स्वस्थ हों । आप की पंक्ति मे कहुँगी…. “जी को व्यर्थ उदास न कर”
ishwar mataji ka swasthay jaldi theek kare '''''''''''''
sunder rachna hai
राजेंद्र जी,
जीवन के सच्चे सार का विवरण प्रस्तुत किया आपने..वाकई यही सच्चाई है..बहुत अच्छी लगी आपकी यह गीत..
माता जी के स्वास्थ लाभ के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ..हम सब की दुआ है भगवान माता जी को जल्द स्वस्थ कर देंगे..आप हिम्मत बनाएँ रखे....
प्रभु आपकी माताजी को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें । ईश्वर से यही मेरी प्रार्थना है ।
बहुत सुंदर गीत लिखा है आपने। हार्दिक शुभकामनायें।
सुंदर कविता । आदरणीय मां जी शीघ्र स्वस्थ हो,ऐसी प्रभु से प्रार्थना है ।
बहुत ही खूबसूरत गीत है... माता जी के स्वास्थ्य के लिए दुआ करते हैं,ईश्वर करे वह जल्दी ठीक हो जाएं!
राजेंद्र जी! जीवन की हर समस्या का हल वैराग्य नहीं है
अपितु साहस के साथ उसका मुकाबला करना ही है कृपया निराशा की दुनिया से निकल कर आशा की दुनिय में आयें...
बहुत ही खूबसूरत गीत है... माता जी के स्वास्थ्य के लिए दुआ करते हैं,ईश्वर करे वह जल्दी ठीक हो जाएं!
राजेंद्र जी! जीवन की हर समस्या का हल वैराग्य नहीं है
अपितु साहस के साथ उसका मुकाबला करना ही है कृपया निराशा की दुनिया से निकल कर आशा की दुनिय में आयें...
बहुत ही खूबसूरत गीत है... माता जी के स्वास्थ्य के लिए दुआ करते हैं, ईश्वर से यही मेरी प्रार्थना है वह जल्दी ठीक हो जाएं!
राजेंद्र जी! जीवन की हर समस्या का हल वैराग्य नहीं है अपितु साहस के साथ उसका मुकाबला करना ही है कृपया निराशा की दुनिया से निकल कर आशा की दुनिया में आयें ......
आपकी रचना में दर्शन है, चिंतन है, जो मानव को सही राह पर चलने की प्रेरणा दे सकता है. आपकी माता जी के स्वास्थ्य की चिंता हमें भी है. मैं उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूँ.
माता जी शीघ्र स्वस्थ हों यही कामना है...ख्याल रखें ...
WAAKAI YE JAG RAIN BASERA HAI.........
SAARTHAK RACHNA.....
बहुत सही कहा है आज के युग में सारे रिश्ते नाते स्वार्थ के ही हैं....प्यार कहां बचा है...
आज के समय में सटीक बात कही है...
rajandra ji sesneh naman, sarvpratham aapki aadarniye mata ji ke jald swasth laabh kishri ji se kamna karte hua, aapka hardik dhanyvaad karti hoon jo aapne mere blog tak aakar mere sadharan se shabdo ki garimamaye pransha ki,iski mai aabhari hoon or aasha karti hoon aap aage bhe apne sundar shabdo se hum jaise nav lakhako ka sahaas badayenge kuch takniki kharabi ke karan mai turant jawab nahi de payi iske liye shama prarthi hoon, vaishnavi
rajandra ji sesneh naman, sarvpratham aapki aadarniye mata ji ke jald swasth laabh kishri ji se kamna karte hua, aapka hardik dhanyvaad karti hoon jo aapne mere blog tak aakar mere sadharan se shabdo ki garimamaye pransha ki,iski mai aabhari hoon or aasha karti hoon aap aage bhe apne sundar shabdo se hum jaise nav lakhako ka sahaas badayenge kuch takniki kharabi ke karan mai turant jawab nahi de payi iske liye shama prarthi hoon, vaishnavi
'ढूंढ कहाँ घर तेरा है ?
यह जग रैन बसेरा है '
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
राजेन्द्र जी ,
पूरा गीत सांसारिक मोहमाया से दूर रहने की सबल प्रेरणा देता है | यही त्रिकाल सत्य भी तो है !
भाव और शिल्प दोनों सशक्त ..
ईश्वर माताजी को अति शीघ्र स्वास्थ्य लाभ दे ...
शुभकामनाओं सहित ..........सुरेन्द्र
बड़ी ही भावुकता और आध्यात्मिकता के मूड में रहे होंगे आप जब यह कविता लिखी होगी !
माता जी के स्वास्थ्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं हम भी !
राजेन्द्रजी.... आपके ब्लॉग शस्वरं में आपकी माताजी के अस्वस्थ होने का समाचार पढ़ा.... अब उनकी तबियत कैसी है.... वे जल्दी स्वस्थ हों यही कामना है....
मीनाक्षी
# आप सब के प्रति ह्रदय से आभारी हूं .
आपकी शुभकामनाओं तथा प्रार्थनाओं और दुआओं से मेरी माताजी का स्वास्थ्य पहले से बहुत अच्छा है .
लगभग ७८ वर्षीया मेरी मां किसी बड़ी गंभीर बीमारी से तो ग्रस्त नहीं हैं …
घुटनों में दर्द की दवा तो बाबूजी थे तब से ही चालू है ।
20 वर्ष से अधिक मेरे बाबूजी के स्वर्गवास को हो गए …
लगातार मां के दवाइयां चल ही रही हैं ।
बीपी , शुगर , थाईराइड पता नहीं क्या क्या छोटे मोटे कई मर्ज़ की पिछले 18 वर्ष से नियमित ,
दिन में 10-11 तरह की टेब्लेट्स डॉक्टर निगला रहे हैं ।
अभी उनके दर्द और जकड़न की हालत ये है कि अपने आप बिस्तर से उठना भी नहीं हो पाता . एक सैकंड भी माताजी अपने पैरों पर खड़ी नहीं रह पा रहीं अभी .
मैं , धर्मपत्नी , और मेरे तीन बेटों में से दो मिल कर उन्हें उठाते , शौच - स्नान आदि कराते हैं .
... लेकिन उनकी तकलीफ़ महसूस करके मन दुखता है ,
१०-१२ दिन से अभी आयुर्वेदिक औषधि भी शुरू की है ...
मैं मां को बराबर बताता रहा हूं कि - 'आपके लिए मेरे प्रति स्नेह भाव रखने वाले कितने जनों ने दुनिया के कोने कोने से दुआएं की हैं .'
उनमें निश्चित रूप से ऊर्जा का संचार होता है सुन कर ...
मां'जी आप सबको ह्रदय से आशीर्वाद देती हैं .
मैं नाम आंखों से आप सबका ऋणी हूं ! आभारी हूं ! कृतज्ञ हूं !
आप अपने यहां मेरी अनुपस्थिति के लिए क्षमा भाव बनाए रहें ...
बहुत शीघ्र मैं पुन:सक्रिय हो रहा हूं .
बहुत अच्छी लगी आपकी रचना|
आपकी माताजी का जल्दी ही स्वास्थ सुधार हो यही मेरी प्रार्थना है ।
....जी को व्यर्थ उदास न कर..
उम्दा रचना बहुत अच्छी लगी.
वाह, वैराग्य के रंग का रंग ही अनूठा है।
kaamna karta hun, maataji jaldi hi swasth ho jayengi...
राजेन्द्र जी जय श्री राधे
मीत किसी का कौन यहाँ
हवन अकेले तपना है
बहुत सुन्दर रचना
ये जग रैन बसेरा है -आनंद आ गया
बधाई हो
शुक्ल् भ्रमर ५
aadarjo rajender ji diwali jaisa sunder blog dekhane ka awasar mila koti-koti shubhakamanayen,jahan tak rachanayon ka sansar hai sone jaisa shuddgh hai m bhagyashali hun ki aapako rubaru sunane ka awasar bhi mila hai ab ghar baithe bhi aanad uthayuga.blog ke niche maata ke baare m suchana padhkar chinata hui ,yadi aap kuchh batayen ,shayad kuchh madad /seva kar sakun no. hai 09414989423.
एक टिप्पणी भेजें