आप सबका शस्वरं की ५०वीं पोस्ट पर
हार्दिक स्वागत है !
आप सबको हार्दिक बधाई है !
आप सबको हार्दिक बधाई है !
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कुछ दिन पहले ऑनलाइन तरही मुशायरे में
जनाब मुनव्वर राणा की एक ग़ज़ल के मिसरे -
‘ज़रा-सी जिद ने इस आंगन का बंटवारा कराया है’
को ले'कर
लिखी गई मेरी ताज़ा ग़ज़ल प्रस्तुत है ।
मां से भी धंधा कराया है
ख़ुदा जाने कॅ बंदों ने किया क्या ; क्या कराया है
तिजारत की वफ़ा की , मज़हबी सौदा कराया है
बड़ी साज़िश थी ; पर्दा डालिए मत सच पे ये कह कर-
‘ज़रा-सी जिद ने इस आंगन का बंटवारा कराया है’
ज़रा तारीख़ के पन्ने पलट कर पूछिए दिल से
कॅ किसने नामे-मज़हब पर यहां दंगा कराया है
वो जब हिस्से का अपने ले चुका , फिर पैंतरा बदला
मेरे हिस्से से उसने फिर नया टुकड़ा कराया है
वफ़ा इंसानियत ग़ैरत भला उस ख़ूं में क्या होगी
बहन-बेटी से जिस बेशर्म ने मुजरा कराया है
अरे ओ दुश्मनों इंसानियत के ! डूब’ मर जाओ
मिला जिससे जनम उस मां से भी धंधा कराया है
जिसे सच नागवारा हो , कोई कर के भी क्या कर ले
हज़ारों बार आगे उसके आईना कराया है
ज़ुबां राजेन्द्र की लगने को सबको सख़्त लगती है
वही जाने कॅ ठंडा किस तरह लावा कराया है
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
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मूड बदलने के लिए
अंतर्जाल के एक और ठिकाने पर सुंदरियां शब्द को ले'कर
मिली चुनौती स्वीकार करते हुए लिखी गई
मेरी पांच कुंडलियां आपके रसास्वादन हेतु प्रस्तुत हैं ।
मिली चुनौती स्वीकार करते हुए लिखी गई
मेरी पांच कुंडलियां आपके रसास्वादन हेतु प्रस्तुत हैं ।
सुंदरियां ये ब्लॉग्स की
सुंदरियां ये ब्लॉग्स की ! वल्लाऽऽ ! ग़ज़ब रुआब !
दिल से मैं करता इन्हें , अदब सहित आदाब !!
अदब सहित आदाब ; ख़ूब दिखलातीं ये दम !
घर-ऑफिस के साथ नेट पर गाड़े परचम !!
स्वर्णकार कविराय मुग्ध पढ-पढ' टिप्पणियां !
धन्य शब्द स्वर रंग पधारें जब सुंदरियां !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
दिल से मैं करता इन्हें , अदब सहित आदाब !!
अदब सहित आदाब ; ख़ूब दिखलातीं ये दम !
घर-ऑफिस के साथ नेट पर गाड़े परचम !!
स्वर्णकार कविराय मुग्ध पढ-पढ' टिप्पणियां !
धन्य शब्द स्वर रंग पधारें जब सुंदरियां !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
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सुंदरियां सो'णी लगें
सुंदरियां सो'णी लगें जब वे डालें घास !
वरना क्या है ख़ास ? सब लगती हैं बकवास !!
लगती हैं बकवास ; घमंडिनि-दंभिनि सारी !
प्रौढ़ा तरुणी और कामिनी कली कुमारी !!
चांदी-सिक्के जेब भरे, करिए रंगरलियां !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
वरना क्या है ख़ास ? सब लगती हैं बकवास !!
लगती हैं बकवास ; घमंडिनि-दंभिनि सारी !
प्रौढ़ा तरुणी और कामिनी कली कुमारी !!
चांदी-सिक्के जेब भरे, करिए रंगरलियां !
आगे-पीछे
लाख लाख डोलें सुंदरियां !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
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आंखें फड़कें देख कर सुंदरियां
सुंदरियां इक साथ जब दिख जातीं दो - चार !
बढ़ती दिल की धुकधुकी , चढ़ता सर्द बुखार !!
चढ़ता सर्द बुखार ; बचाना तू ही रब्बा !
लग ना जाए आज कहीं इज्ज़त पर धब्बा !!
रहे सलामत आज ये खोपड़िया-पग-हाथ !
आंखें फड़कें देख कर सुंदरियां इक साथ !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
सुंदरियां इक साथ जब दिख जातीं दो - चार !
बढ़ती दिल की धुकधुकी , चढ़ता सर्द बुखार !!
चढ़ता सर्द बुखार ; बचाना तू ही रब्बा !
लग ना जाए आज कहीं इज्ज़त पर धब्बा !!
रहे सलामत आज ये खोपड़िया-पग-हाथ !
आंखें फड़कें देख कर सुंदरियां इक साथ !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
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केशर कली कटार
सुंदरियां नीकी लगें , मीठे वा के बैन !
अधर रसीले , मोहिनी छवि , रतनारे नैन !!
धन रतनारे नैन ; निरख' सुख-आनंद उपजे !
रचना सुंदर सौम्य निरख' प्रभु की ; मन रींझे !!
केशर कली कटार कनक की कछु कामिनियां !
स्वर्णकार सुख देय सहज सुवरण सुंदरियां !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
केशर कली कटार
सुंदरियां नीकी लगें , मीठे वा के बैन !
अधर रसीले , मोहिनी छवि , रतनारे नैन !!
धन रतनारे नैन ; निरख' सुख-आनंद उपजे !
रचना सुंदर सौम्य निरख' प्रभु की ; मन रींझे !!
केशर कली कटार कनक की कछु कामिनियां !
स्वर्णकार सुख देय सहज सुवरण सुंदरियां !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
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भरे पानी सुंदरियां
सुंदरियां देखी यहां हमने लाख हज़ार !
नहीं कहीं तुम-सी प्रिये ! छान लिया संसार !!
छान लिया संसार ; सुंदरी तुम सुकुमारी !
छुई मुई की डाल ! सुशोभित केशर-क्यारी !!
मंजरियों-सी अंग-गंध ; कुंतल वल्लरियां !
सम्मुख तुम्हरे रूप , भरे पानी सुंदरियां !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
भरे पानी सुंदरियां
सुंदरियां देखी यहां हमने लाख हज़ार !
नहीं कहीं तुम-सी प्रिये ! छान लिया संसार !!
छान लिया संसार ; सुंदरी तुम सुकुमारी !
छुई मुई की डाल ! सुशोभित केशर-क्यारी !!
मंजरियों-सी अंग-गंध ; कुंतल वल्लरियां !
सम्मुख तुम्हरे रूप , भरे पानी सुंदरियां !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
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आप सबके स्नेह-सहयोग हेतु कृतज्ञ हूं ।
हार्दिक आभार !
69 टिप्पणियां:
पचासों शुभकामनाएं
बधाई!!
सभी एक से एक बढ़कर हैं .......इस 50 वीं पोस्ट के लिए आपको बधाई ...आशा है आप यूँ ही अनवरत लिखते रहेंगे ...आपका आभार
सबसे पहले 50वीं पोस्ट की बधाई स्वीकार कीजिए!
--
आपकी कुण्डलियों और राना जी की नज़्म लाजवाब हैं!
पंचों कुण्डलियाँ बहुत सुन्दर हैं| ५०वीं पोस्ट के लिए हार्दिक बधाई|
बहुत खूब ..पचासवीं पोस्ट की खुशियाँ सुंदरियों कि कुंडलियों से खूब सजाई है आपने :)
बहुत बधाई.
# डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी ,
ग़ज़ल मेरी अपनी लिखी हुई है राणा जी की नहीं
50 वीं पोस्ट के लिए आपको बधाई एवं शुभकामनाएं ....
यह यात्रा इसी तरह जारी रहे....
पुनः शुभकामनाएं.
# डॉ.वर्षा सिंह जी ,
आप जैसी ग़ज़ल और छंद की विशेषज्ञ रचनाकार रचनाओं पर कुछ कहती तो और ख़ुशी होती ...
आभार !
# सुज्ञ जी
# केवल राम जी
# शास्त्रीजी
# Patali-The-Village
# शिखा वार्ष्णेय जी
आप सबका आभार !
50 वीं पोस्ट के लिए आपको बधाई एवं शुभकामनाएं .खुबसूरत ग़ज़ल , मुबारक हो.....
50 वीं पोस्ट के लिए आपको हार्दिक बधाई ...
यह क्रम सतत जारी रहे...
उम्दा ग़ज़ल और बेहतरीन कुण्डलियों के लिए साधुवाद.
50 वीं पोस्ट के लिए आपको बधाई ...शुभकामनाएं...
50 वीं पोस्ट के लिए आपको बधाई एवं शुभकामनाएं.
50 vi post ke liye shubhkamnayen ...
50 वीं पोस्ट के लिए आपको हार्दिक बधाई ...यह यात्रा यूँ ही चलती रहे....शुभकामनाओ सहित
बहुत दमदार पंक्तियाँ हैं।
ग़ज़ल में समाज की कड़वी सच्चाइयाँ दिख रही हैं । लावा ठंडा हो गया , अच्छी बात है । उसका असर कुंडलियों में नज़र आ रहा है ।
पचासवीं पोस्ट की बहुत बधाई ।
वाह..क्या खूब लिखा है आपने।
ग़ज़ल और पांचों कुंडलियां लाजवाब है.....
सुन्दर लेखनी को आभार...
आपके ब्लॉग पर जब भी आता हूं दीपावली और होली का अहसास होता है।
ग़ज़ल का एक एक शे’र काफ़ी विचारोत्तेजक है।
५० वीं पोस्ट की बधाई।
घमंडिनी , दम्भिनी सारी .....
हूँ...हूँ.....:))
बधाई ....
सुन्दर ग़ज़ल, सुन्दर कुण्डलियाँ , सुन्दर ब्लोगरियाँ, सुन्दर सुंदरियां,सुन्दर सो ' णियाँ और सुन्दरतम स्वर्णकार .
पचासवीं प्रविष्टि पर हार्दिक बधाई.
पहले 50वीं पोस्ट की बधाई स्वीकार कीजिए!बहुत सुंदर गजल , लेकिन इन कुण्डलियो ने तो गजब ही ढा दिया जी, बहुत सुंदर
50 वीं पोस्ट की बधाई आपको और बधाई खूबसूरत तरही ग़ज़ल और बेहतरीन कुंडलियों के लिए भी.
५० वीं पोस्ट के लिए हार्दिक बधाई ...
गज़ल के साथ सुंदरियाँ बनाम कुण्डलियाँ ..बहुत खूब
राजेन्द्र जी, बहुत अच्छी गज़ल ... मुनव्वर जी की मिसरे को आने क्या खूब बाँधा है..
50वीं पोस्ट की बधाई आपको...
पोस्टों के अर्ध शतक की बहुत-बहुत बधाई... गज़ल के तो कहने ही क्या!!! बहुत खूब!
aapki 50vi post par bahut bahut badhaai.ghazal aur kundaliyan laajabab hain.Rajendra ji aajkal aap humaare blog par nahi aate???
50वीं पोस्ट की बधाई!
कुण्डलियों की रचना करके हिन्दी के मात्रिक छंदों की परम्परा को बढ़ाने का आपका कार्य सराहनीय है।
भाई जी पचासवीं पोस्ट की बहुत बहुत बधाई...ये तो शुरुआत है अभी तो कई सेंचुरियाँ लगने वाली हैं...तरही की ग़ज़ल बेहद खूबसूरत है और तरही मिसरे पर जो गिरह लगाई गयी है वो तो बस कमाल ही है...सुंदरियों पर पांच कुंडलियाँ पढ़ कर आनंद आ गया...आप सच गज़ब के लेखक हैं..माँ शारदा के प्रिय पुत्र...आपकी लेखनी को सादर नमन.
नीरज
पचासवी पोस्ट पूरे होने पर आपको हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
बहुत ही सुन्दर और शानदार ग़ज़ल एवं बेहतरीन कुंडलियों के लिए बधाई!
मिले खुशियाँ ५० हजार ,
बने रहो संग हमरे युही होगा आपका आभार
पड़ती रहे फुहार कलम की हमारे दिल पर
क्योकि हो आप एक स्वर्णकार .....५० बी पोस्ट के लिए आपको हार्दिक बधाई ...
मिले खुशियाँ ५० हजार ,
बने रहो संग हमरे युही होगा आपका आभार
पड़ती रहे फुहार कलम की हमारे दिल पर
क्योकि हो आप एक स्वर्णकार .....५० बी पोस्ट के लिए आपको हार्दिक बधाई ...
मिले खुशियाँ ५० हजार ,
बने रहो संग हमरे युही होगा आपका आभार
पड़ती रहे फुहार कलम की हमारे दिल पर
क्योकि हो आप एक स्वर्णकार .....५० बी पोस्ट के लिए आपको हार्दिक बधाई ...
मिले खुशियाँ ५० हजार ,
बने रहो संग हमरे युही होगा आपका आभार
पड़ती रहे फुहार कलम की हमारे दिल पर
क्योकि हो आप एक स्वर्णकार .....५० बी पोस्ट के लिए आपको हार्दिक बधाई ...
पचासवीं पोस्ट की हार्दिक बधाई।
ग़ज़ल लाजवाब है और कुंडलियां अतुलनीय हैं।
शुभकामनाएं।
५०वीं पोस्ट की हार्दिक बधाईया....
सख्त गज़ल के बाद हल्की फुल्की कुण्डलियाँ...
एक सिरा गर्म एक सिरा ठंडा... वाह...
सादर....बधाई!
हाय ! सुंदरियों के लटके-झटके ने आपकी पचासवीं पोस्ट में चार चाँद लगा दिया ..बधाई
अच्छी ग़ज़ल ..वो भी ५०वीं पोस्ट की ....बधाइयाँ !
राजेंद्र जी...बधाई ! ब्लॉग की रुपरेखा ... नामकरण ...विषय - सन्दर्भ ... सभी प्रभावी हैं ...! इतना सुन्दर ब्लॉग और कशिश भरी रचनाएँ ---! हार्दिक बधाई !
५०वीं पोस्ट की हार्दिक बधाई...
गज़ल का तो कोई ज़वाब नहीं...सार्थकता को बयाँ करता हरेक शेर दिल को छू जाता है..कुण्डलियाँ भी बहुत सुन्दर...आपकी लेखनी को नमन..आशा है यह इसी तरह अनवरत चलती रहे..आभार.
आपको बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं ...इस प्रस्तुति के लिये ।
bahut bahut badhai shubhkamnaye ....
सभी रनाएं अच्छी हैं .. बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!
शुभकामनाएँ और बधाई !
जो दिल ने कहा ,लिखा वहाँ
पढिये, आप के लिये;मैंने यहाँ:-
http://ashokakela.blogspot.com/2011/05/blog-post_1808.html
सबसे पहले 50वीं पोस्ट की बधाई स्वीकार कीजिए!
ग़ज़ल लाजवाब है
पंचों कुण्डलियाँ बहुत सुन्दर
आपका ब्लॉग तो सही सलामत है .....
चिंता न करें ....
हो सकता है सुंदरियों के ज़िक्र सुन आँखें फडकाने चला गया हो ...
:))
आपका ब्लॉग तो सही सलामत है .....
चिंता न करें ....
हो सकता है सुंदरियों के ज़िक्र सुन आँखें फडकाने चला गया हो ...
:))
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल और कुंडलियाँ हैं.............अर्धशतक के लिए बधाई और आगे की यात्रा के लिए शुभकामनाएं...........
राजेन्द्र भाई , ब्लॉग तो फिट है । इसे डॉक्टर की ज़रुरत नहीं । लेकिन एक आध गलती हरकीरत जी ने पकड़ ही ली । :)
aadarneeya rajendra ji,
kundliyan to pahle padh chuka hun..bahut jordar h..
aapki ghazal aaj ke halaat ko bimbit karti h..
aapka blog wakai darshneey h..
देर आए दुरुस्त आए...50वीं पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई...कुंडलियाँ भी रोचक लगीं...ढेरों शुभकामनाएँ
50वीं पोस्ट की बधाई आपको...
.
नमस्कार, राजेंद्र जी!
आपके ब्लॉग की साज-सज्जा देखकर
मन प्रसन्न हो जाता है!
--
बधाई के साथ-साथ
आपकी सुंदरियों के लिए एक कविता
--
मत दिखाओ!
.
इमानदारी से कहूँ ????
जैसा आप लिखते हैं और लिख सकते हैं..उस स्टार की नहीं लगी ये आपकी पचासवीं पोस्ट...
पचासवीं कहा...तो यहाँ तो वैसा ही कुछ होना चाहिए था...
कृपया स्तर के प्रति सदा सचेत रहें...
सुन्दर सार्थक सकारात्मक लेखन के लिए आप जैसे गुनी कलमकार को ह्रदय से अनंत शुभकामनाएं...
aapke 50th post pe meri 51st badhai..:)...bahut khubsurat rachna...mujhe aapka intzaar rahta hai.:)
आदरणीय भाई राजेन्द्र जी ,
सप्रेम अभिवादन
सबसे पहले तो अपनी पच्चासवीं पोस्ट पर हार्दिक बधाई और शुभकामना स्वीकारें !
आपकी ग़ज़ल पढ़ी , सभी शेर एक से बढ़कर एक ...एकाध शेरों को पढ़कर तो रोंगटे खड़े हो गए |
यथार्थ की भावभूमि पर इतनी अच्छी रचना के लिए बधाई स्वीकारें !
कुंडलियों का क्या कहना !
प्रेम रस में सराबोर हर कुंडली मन के तारों को झंकृत कर गयी ....
भई काम की बात तो यही है ....."सुंदरियां सो,णी लगें , जब वे डालें घास !!
वर्ना क्या है ख़ास ?, सब लगती हैं बकवास !!!
इस शुभकामना के साथ कि... घास डाली जाए कहीं से !
पचासवीं पोस्ट पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें !
ऐसी ही प्रखर रचनाओं के साथ आगे बढते रहें और सौवीं पोस्ट के अभिनन्दन का अवसर भी शीघ्र आए !
राजेन्द्र भाई बहुत बहुत बधाई| भाई आप तो हैं ही तारीफ के हक़दार|
आदरणीय राजेंद्र जी,
सादर प्रणाम!
आपकी लिखी ग़ज़ल बेहद पसंद आई!
आप जितनी मेहनत से अपनी पोस्ट तैयार करते हैं
उसके लिए अलग से बधाई.
पचासवीं पोस्ट के लिए ढेरों शुभकामनाएँ.
आप ऐसे ही ग़ज़ल लिखते जाएँ.
'केशर कली कटार' और ' भरे पानी सुंदरियाँ' भी बेहद पसंद आयी!
दूसरी रचनाएँ भी गज़ब की हैं . कुलमिलाकर ...आपके ब्लॉग पर आकर मज़ा आ गया!
इस ख़ुशी का अहसास करने के लिए आपका हृदय से आभार !
आदरणीय राजेन्द्र जी ,
देर आए दुरुस्त आए.....
सबसे पहले तो अपनी पच्चासवीं पोस्ट पर हार्दिक बधाई और शुभकामना स्वीकारें !
बहुत सुंदर एवं लाजवाब गजल
आप ऐसे ही ग़ज़ल लिखते जाएँ....
शानदार कुंडलियाँ....
आपकी लेखनी को नमन !
आज आपका ब्लॉग खोल पाने में सफल हुआ हूँ सर!
पचासवीं पोस्ट की हार्दिक शुभ कामनाएं!
सादर
50वीं पोस्ट की हार्दिक शुभकामनाएं राजेन्द्र जी!
मेल का जवाब देने के लिये धन्यवाद!
बड़ी साजिश थी;पर्दा डालिए मत सच पे ये कह कर-
'ज़रा सी ज़िद ने इस आँगन का बंटवारा कराया है'
बिलकुल सटीक जबाब!
कुण्डलियाँ सभी अच्छी लगीं|अंतिम कुंडली 'भरें पानी सुंदरियाँ'सर्वोत्कृष्ट है|ढेरों शुभकामनायें|
- अरुण मिश्र.
इतनी खुबसूरत महफ़िल में आमंत्रित करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया अब किसकी तारीफ करू यहाँ तो सभी एक से बढकर एक रचना हैं दोस्त जी | आपको 50 वी पोस्ट की बहुत - बहुत बधाई मेरी दुआ है आप इसी तरह आगे और भी अच्छा लिखने में सक्षम हों | आप दिनों दिन खूब तरकी करें |
Shabd Nishabta ka awaran odh baithe hai. Kya kahoon samaj ki, ghar ghar ki, aaspaas ke har vyahwaar par lagu hai aapki kalam ke tevar
bahut bahut Badhayi
Devi Nangrani
50वीं पोस्ट के लिये पचास लाख शुभकामनायें। वो भी अपकी पोस्ट की तरह रंग बिरंगी। शुभकामनायें\
लाली मुख की अधर की
केश ज्यों लटकें नागिनियाँ /
अंग-अंग की कथा
सुनातीं रतनारी अँखियाँ /
स्वर्णकार की सुन्दर नजरें
नजर उतारें सुंदरियाँ /
अंतरजाल के अंगना में
अंगडइयाँ लेतीं सुंदरियाँ /
सोहें सोणी सुंदरियाँ
सुन्दर उनकी टिप्पणियाँ /
तुम्हें बधायी स्वर्णकार जी !
क्या खूब रची हैं कुण्डलियाँ /
साहित्य की बारीकियों के बारे में तो गुणी जन ही जानें ...मुझे तो सारी रचनाएँ अच्छी लगीं इसीलिये बहुत देर से गुनगुना रहा हूँ . कुछ लोग बाबा जी के विरोध में भी आने लगे हैं...पर एक बात तो स्पष्ट है कि सरकार ने दमन का रास्ता अपनाया जो कि लोकतंत्र के लिए असहनीय है. भ्रष्टाचार का सशक्त विरोध समय की आवश्यकता है.यह बाबा का नहीं भारत के आम नागरिक का आन्दोलन है इमानदार लोगों को आगे आना चाहिए .
राजेंद्रजी...
देर से आने के लिए क्षमा चाहती हूँ !
५०वीं के बाद ५१वीं रचना के लिए बधाई..!
ग़ज़ल का तलवार की तरह काम लिया है आपने
सीधे काटती जाती है....!!
सायद सच्ची बात तीखी ही होती है..!!
और फिर "सुंदरियां"....
वल्लाह क्या लिखा है आपने...
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