मैं सच कहता हूं , तुमको मेरी याद बहुत तड़पाएगी
जब धुआं-धुआं दिन हो जाएगा... और , शाम धुंधलाएगी
जब आसमान की चूनर पर तारों की जरी कढ़ जाएगी
पांखी दिन भर के हारे-थके
नीड़ों में जा' सुस्ताएंगे
फिर... देखना तेरे मन की बेचैनी भी बढ़-बढ़ जाएगी
मैं सच कहता हूं , तुमको मेरी याद बहुत तड़पाएगी
जब दूर किसी साहिल पर कोई कश्ती रुक-थम जाएगी
जब दिन भर शोर मचाती राहों पर चुप्पी छा जाएगी
छुप-छुप कर बैठे दो साये
जब तुम्हें नज़र आ जाएंगे
तब... कोई बात तुम्हारे दिल में मीठी टीस जगाएगी
मैं सच कहता हूं , तुमको मेरी याद बहुत तड़पाएगी
तनहाई की घड़ियां हर पल-पल तुम्हें रुला कर जाएंगी
हर सांस-सांस के साथ सदाएं मेरी ; तुम्हें बुलाएंगी
तेरी आंखों में बात-बात पर
मोती भर-भर आएंगे
तुम्हें आइनों में भी सूरत नज़र मेरी ही आएगी
मैं सच कहता हूं , तुमको मेरी याद बहुत तड़पाएगी
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright
by : Rajendra Swarnkar
यहां सुनें मेरा यह गीत मेरी आवाज़ में
यहां सुनें मेरा यह गीत मेरी आवाज़ में
©copyright by : Rajendra Swarnkar
बहुत पहले लिखा गया यह गीत आपको कैसा लगा ?
बहुत पहले लिखा गया यह गीत आपको कैसा लगा ?
गुलाबी
सर्दियों की शुरुआत लगभग हो चुकी है
ख़याल रखिएगा !
फिर
मिलेंगे
मंगलकामनाओं सहित
64 टिप्पणियां:
कैसा लगा मतलब ?बहुत ही सुंदर रचना बधाई...
बहुत सुन्दर लगा वाह!
सच! यादें बहुत तड़पाती हैं....!!!
सुंदर !
शुभकामनाएँ !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.
अनुपम गायन सोने में सुहागा.
बहुत अच्छा लगा जी.
शानदार प्रस्तुति के लिए आभार.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
वाह राजेन्द्र जी । पढ़कर और सुनकर हम भी २५ के महसूस कर रहे हैं ।
बहुत सुन्दर , प्रेम विरह गीत ।
सुहानी सर्दियों में और भी सुहाना लगा गीत ।
सुंदर गीत और मधुर स्वर
बधाई !
मेरी नई कविता "अनदेखे ख्वाब"
यादें तो तड़पाती ही हैं.... एक बेहतरीन रचना.आपकी आवाज में........
यादें तो तड़पाती ही हैं.... एक बेहतरीन रचना.आपकी आवाज में........
पढ़कर आनन्द आ गया, बहुत सुन्दर कविता।
नमस्कार राजेंद्र जी :)
बहुत ही सुदर भाव ........तुमको मेरी याद .......कविता कब शुरु को कर ख़त्म हो गयी पता ही नहीं चला ,......खूबसूरत भाव दिल को आनंद से भर गए ....आपको बहुत -बहुत बधाई .
bahut hi sundar rachna
aarambh se ant tak padhne ko majboor karti hui rachna
बहुत ही सुंदर ! सच यादें आँखों मे मोती भर ही लाती हैं ।
बहुत ही खुबसूरत रचना..... पढने से ज्यादा सुनना बहुत ही अच्छा लगा....
आपके स्वरों में इस गीत का स्वरूप और निखर आया है .जिसे तड़पायेगी वह तो ठीक पर यह आवाज़ तो आपकी गाथा गाये दे रही है ,
है बहुत सुन्दर !
बहुत सुन्दर रचना| दिल को छू लेने वाली|
राजेन्द्रजी, अभिनन्दन भावपूर्ण रचना के लिए बधाई स्वीकार करें.किसी को याद करने से ज्यादा जरूरी है किसी को याद आना
बहुत खूबसूरत लगा!
बहुत जबरदस्त!!!
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
लाजबाब ..
bahut sunder geet
स्वर ने इस गीत को सार्थक कर दिया है
sundr geet aur madhur swar...
raajendr ji bahut bhaya..
dhanywad.
सुंदर रचना मधुर आवाज ...! अद्भुत संगम
गीत बहुत ही सुन्दर है...
आप की सधी हुई आवाज में ढल कर यह बहुत सुन्दर द्रश्य आँखों के सामने खड़ा कर देता है!
...धन्यवाद!
अति-सुंदर
खूबसूरत , भावपूर्ण गीत .......
शुक्रिया .
आपके गीत को मानों जीवन देती आपकी आवाज़ ! मणिकाञ्चन संयोग है राजन भाई ! हार्दिक बधाई..!!
--सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)
priy rajendra bhai ,
geet saras hai ,isme koi shak nahin
kintu aapke gaane me jo kashish hai usne mujhe aapke kuchh aur kareeb la
diya hai.
is par to utsaah aur aanand ki taaliyan banti hein.
adbhut......!
तुमको मेरी याद बहुत तड़पाएगी..
बेहद सुंदर बोल हैं कविता के
और आपकी आवाज़ भी कमाल है बड़ा सोज़ है आवाज़ में ...
और यह तस्वीर जो लगाई है इसका तो बस पूछो ही मत ...
सम मिला कर ...वाह.....
वाह भाई, आनद आ गया. गीत भी प्यारा और स्वर में भी कशिश है...दोनों मिल कर रचना और अधिक सफल हो जाती है.
wah....
aap sadaiv hi badiya likhte hain....
abhi 3 nov. ke apne panipat ke karyakram me uljha hoon...
blog par jaldi hi aaunga.....
pun: badhai
BHAI RAJENDER JI,
RAM RAM !
AAPKA BLOG NIYMIT DEKHTA HUN . AP BAHUT HI ACHHA LIKH RAHE HAIN . AAP SE BAHUT AASHAYEN HAIN . MERI NAZAR ME AAP VARTMAN BIKANER KE PRATINIDHI RACHANAKAR HAIN . IS JIMMEDARI KO AAP BAKHOOBI NIBHA BHI RAHE HAIN . AAP UTROTTAR ACHHA LIKH KAR HAR MAN PAR AMIT CHHAP CHHODTE JA RAHE HAIN . GAJAL-O-GEET ME AAP KE PRAYOG KA MAIN PRABAL SAMARTHAK HUN. JAHAN BHI JIKR HOTA HAI VAHAN AAPKI BAAT JAROOR KARTA HUN . LOGON KO AAP SE PRERNA LENE KE LIYE BHI KEHTA HUN.
AAP AAGE BADHO-KAL AAPKA HAI |
MERI TIPPNI NA AAYE TO ANYTHA NA EVEN-MAIN TO HAR PAL AAPKE MATH HUN .
AAPKI TAZA RACHANAYEN BHI PADH LI ---BAHUT PASAND AAI-BADHAI EVAM SHUBHKAMNAYEN !
JAI HO !
बहुत सुन्दर गीत....समय और मौसम दोनों के हिसाब से...!!
और उस पर आपने जिस तरन्नुम से उसे पढ़ा है....
माशाल्लाह...माशाल्लाह...!!
पढ़ना और सुनना, दोनों ही बहुत अच्छा लगा...बहुत सुन्दर प्रस्तुति|
सुन्दर गीत,स्वर,एवं लय का अनूठा तालमेल।
सचमुच मन भावन प्रस्तुति।
अनेकानेक साधुवाद!!!
bauht sunder rachna hai..
or aapki aawaj ke sath to ati sunder
Bhut accha laga padhkar apka geet...
apko bahut 2 aabhar...
shubhkamnayen...
rajendar g...
Raj Maheshwari
इस मखमली गीत का तो ज़वाब नहीं।
आपने बहुत विभोर होकर इसे गाया भी बहुत बढ़िया है!
वाह....बहुत ही मोहक,बहुत ही सुन्दर प्रेमगीत....
वाह दादा श्री ..वाह समझ नहीं प् रहा हूँ कि गीत की तारीफ करूँ या गायन की ....या दोनों की कर डालूँ :) प्रणाम आपको !
पता है आपने रुला दिया मुझे, आंख बंद करके सुना मैंने इसको दुबारा और बार बार सुनने का मन कर रहा है !
दादा कभी मिलो ..या कभी दिल्ली आना हो या मुझे ही बीकानेर बुला लो ... वैसे भी मुझसे राजस्थान से मोहब्बत है दादा !
bahut sundar geet Rajendra ji
Sundar bhav sanjoye hai...yaad bahut tadpayegi...
राजेंद्र जी,..
बहुत ही सुंदर लगा तडपन भरा गीत,
आपकी मखमली आवाज ने तो गीत में
चार चाँद लगा दिए,..बेहतरीन मनभावन पोस्ट ...
मेरे नए पोस्ट में पधारें,आपका इंतजार है,...
राजेन्द्र जी,
बहुत प्यारा प्रेमगीत है
आपकी आवाज ने और अधिक मधुर
बना दिया है !
bahut hi sundar pyarbhari geet apki aawaj ke sath to sone par suhaga hai...
यादों के फूलों को बहुत खूबसूरती से पिरोया है
आभार
बहुत बढ़िया गीत, पता नहीं बज क्यों नहीं रहा है,शब्दों को ही गुनगुना कर तसल्ली कर लेता हूँ.
सच कहता हूँ तुमको मेरी याद बहुत तड़फाएगी..
kya kehne Rajendra ji, waqai bahot khoobsoorat geet hai
bhaut hi sundar rachna ki behreen awaz ke sath nibhaya hai aapne..... abhaar...
प्रेम पगा गीत .. और खूबसूरती से गाया गया .. बहुत सुन्दर प्रस्तुति
दिल से लिखा गया और दिल की गहराइयों से गाया गया. राजेन्द्रजी आनंद आ गया.
gazab ka expression sachchi bat ko geeton me dhal diya.
rajender ji aapka blog bahut hi khubsurat hey. bahut garv hey ki aapkey blog may aaney ka awasar prapat hua hey.
वाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
राजेन्द्र जी
सच कह रहा हूँ , आपकी ये कविता भी भूलाई न जायेंगी .. आपके शब्द तो बस मन में ही घर बना लेते है ...
बधाई !!
आभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " कल,आज और कल " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/11/blog-post_30.html
आपकी आवाज में यह गीत बज ही रहा है.... सचमुच अलग ही आनंद होता है आपको सुनना.... बहुत ही मधुर गीत सुन पढ़ कर आनंद आ गया आदरणीय राजेन्द्र भईया.....
सादर बधाईयाँ.....
वाह!!!
आनंद आ गया राजेन्द्र जी ..
bahut sundar man ki gahraaiyon ko chooti hui prastuti.
मैं सच कहता हूं , तुमको मेरी याद बहुत तड़पाएगी ne thoda sa rula sa diya...ghar ki yaad aa gayi..
खूबसूरत और कोमल भावों से परिपूर्ण बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है ! आपकी मधुर आवाज़ ने इसमें कई तारे और जड़ दिए हैं !
मन को छूने वाली रचना, बहुत उत्कृष्ट।
बहुत ही सुंदर भावपूर्ण गीत...आभार
गीत की रवानगी के साथ ही बह गया। बहुत खूबसूरत।
अहाहाहा
क्या शब्द और क्या स्वर - आनंदम, परमानंदम। आज दोबारा पढ़ा और सुना। यार ग़ज़ब करते हो आप। बहुत बहुत बहुत सुंदर।
itniiiiii sundr tippnniyon me naa jaane mera likhaa aap dekh paayenge..............pr fir bhi isi umeed se likh rhi shayd aapki nazar hogi..............
aap mere blog tak aaye..srahaa uske liye shukriya
pr us se bhi zydaa shukiryaa is baat ka ki..aap ke blog ka raastaa mil gya........
bahut kuch he yaahan..mere kanhaa bhi........aur aapki rchnaaye to.....
aaj kuch priii.......ab roz aake kuch na prti rhungi....
dhanyaawaad
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