ब्लॉग मित्र मंडली

31/10/12

बरगलाते हैं जो ; ऐसे रहबरों को नोचलें

आज एक ग़ज़ल प्रस्तुत है
हाथ मारें , औरहवा के नश्तरों को नोचलें
जो नज़र में चुभ रहे , उन मंज़रों को नोचलें
 
शौक से जाएं कहीं , परदर-दरीचे तोल कर
झूलते हाथों के पागल-पत्थरों को नोचलें
 
मुद्दतों से दूरियां गढ़ने में जो मशगूल हैं
खोखले ऐसे रिवाजों-अधमरों को नोचलें
 
छोड़ कर इंसानियत शैतां कभी बन जाइए
बरगलाते हैं जो ; ऐसे रहबरों को नोचलें
 
जो ; ग़ज़ल की सल्तनत को मिल्कियत ख़ुद की कहें
उन तबीअत-नाज़ीआना शाइरों को नोचलें
 
जो कहा राजेन्द्र ने अपनी समझ से ठीक था
वरना उसके फ़ल्सफ़े को , म श् व रों को नोचलें
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
 
मिलते हैं दीवाली से पहले पहले
आप सबके स्नेह सहयोग सद्भावनाओं के लिए आभार
blue spinning ball
blue spinning ballदीवाली की अग्रिम शुभकामनाएं !blue spinning ball
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29 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…


शौक से जाएं कहीं , पर… दर-दरीचे तोल कर
झूलते हाथों के पागल-पत्थरों को नोचलें

बहुत खूबसूरत गज़ल

पी.एस .भाकुनी ने कहा…

इंसानियत को छोडकर जब इंसान सैतान का रूप धारण कर लेता है तब मंजर खौपनाक तो होगा ही, लेकिन करे क्या......................
@ शौक से जाये कहीं पर, दर-दरीचे तौल कर,
झूलते हाथों के पागल पत्थरों को नोच लें,,,,,,,,,,
बेहतरीन गजल..................
आपको भी स:परिवार ज्योति पर्व दीपावली की ढेरों शुभकामनाये ! अग्रिम............

PAWAN VIJAY ने कहा…

बेहतरीन पंक्तिया
दीवाली की शुभकामनाये

संगीता पुरी ने कहा…

वाह ..
बहुत खूब

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत उम्दा ग़ज़ल!

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बहुत सुन्दर शव्दों से सजी है आपकी गजल ,उम्दा पंक्तियाँ .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये. मधुर भाव लिये भावुक करती रचना,,,,,,

डॉ टी एस दराल ने कहा…

जो कहा राजेन्द्र ने , वही ठीक है .
अपनी ऐसी समझ कहाँ, कुछ सोच लें . :)

बस ऐसे ही तुकबंदी कर दी .
कहाँ बिज़ी रहते हैं आजकल!

विभूति" ने कहा…

भावो का सुन्दर समायोजन......

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

शौक से जाएं कहीं , पर… दर-दरीचे तोल कर
झूलते हाथों के पागल-पत्थरों को नोचलें

बहुत खूबसूरत गजल,,सुन्दर श्रृजन,,,,,

RECENT POST LINK...: खता,,,

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

क्या बात है वाह बहुत ख़ूब पेशकश राजेन्द्र भाई!

Unknown ने कहा…

behtareen bavo ki samvedansheel abhivyakti, bahut khoob

Mamta Bajpai ने कहा…

बहुत उम्दा गजल ..बधाई

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 01- 11 -2012 को यहाँ भी है

.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....
इस बार करवाचौथ पर .... एक प्रेम कविता --.। .

Vandana Ramasingh ने कहा…

मुद्दतों से ....

छोड़कर इंसानियत .....

बढ़िया ग़ज़ल

Bharat Bhushan ने कहा…

नए मिज़ाज़ की ग़ज़ल. बहुत बढि़या.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

कब से नोचना चाहते हैं इन चोंचलों को।

Rohitas Ghorela ने कहा…

वाह क्या बात हैं

बहुत ही उम्दा गजल






आपके ब्लॉग पर आकर काफी अच्छा लगा। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत हैं।
अगर आपको अच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग से भी जुड़ें।

धन्यवाद !!

http://rohitasghorela.blogspot.com/2012/10/blog-post.html

Rohitas Ghorela ने कहा…

वाह क्या बात हैं
बहुत ही उम्दा गजल






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धन्यवाद !!

http://rohitasghorela.blogspot.com/2012/10/blog-post.html

सदा ने कहा…

शौक से जाएं कहीं , पर… दर-दरीचे तोल कर
झूलते हाथों के पागल-पत्थरों को नोचलें
वाह ... बहुत ही बढिया।

आभार

vandana gupta ने कहा…

खूबसूरत प्रस्तुति।

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

har sher umdaygi ka namuna hai.

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

खूबसूरत ग़ज़ल...हर इक शे'र में सार्थक भाव के साथ अच्छा संदेश!!
सपरिवार दीपावली की शुभकामनाएँ!!

अनुभूति ने कहा…

बेहद उम्दा गजल....

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

वाह ..बहुत सुंदर गज़ल ..

***Punam*** ने कहा…

छोड़ कर इंसानियत शैतां कभी बन जाइये..
बरगलाते हैं जो ,ऐसे रहबरों को नोंच लें...!!

पूरी गज़ल ही माशाल्लाह खूब है...!
एक नया अंदाज़....

माशाल्लाह....!!

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

waakai men aisa hi dil chahta hai pr..? unke jaisa bn nahi sakte n.....

monali ने कहा…

Rebellious .. lyked it :)

Rajesh Kumari ने कहा…

बहुत शानदार प्रस्तुति हर अशआर बहुत बढ़िया बहुत बहुत बधाई एक पंक्ति मेरी भी ---जो देश को डुबाये उनकी कुर्सियों को नोच ले

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

प्रेरणादायक , उठ खड़ा होने को बाध्य करता ...आव्हान.

नोच ले तू नोच ले हाँ नोच ले,बस नोच ले ,
ज़ुल्म के हाथो से खूनी खंजरो को नोच ले.

http://hashimiyaat.mywebdunia.com