12 बज कर 12 मिनट 12 सैकंड पर
बार-बार लिख-मिटा
कर लगाई गई इस प्रविष्टि से
…अपने पौ 12 पच्चीस होने की तो ख़ुशफ़हमी नहीं…
लेकिन कइयों
की शक्ल पर 12 बजने लगे
तो अपनी कोई गारंटी भी नहीं ।
J बस... आनंद के लिए J
12-12-12 के अद्भुत्
संयोग के अवसर पर प्रस्तुत हैं 12 दोहे
मिलीभगत छल को कहे शातिर काव्य-जुनून !
कवि कहलाते ; कर रहे जो कविता का ख़ून !!
कवि कहलाते ; कर रहे जो कविता का ख़ून !!
भांड मसखरे नकलची सड़े चुटकुलेबाज़ !
इन सबका ही आजकल काव्यमंच पर राज !!
रटे लतीफ़े आ गए बासी
बदबूदार !
करते फूहड़ हरकतें मंचों
के खेलार !!
ना भाषा ना वर्तनी का भी जिनको ज्ञान !
शेखी झाड़े मंच पर ये चिल्लर विद्वान !!
बजे घने थोथे चने , लिये’ दंभ-अभिमान !
दूकानें तो खोल ली , पास नहीं सामान !!
श्रोताओं को फांसते फेंक’ चवन्नी-माल !
काव्य-साधना क्या करे ये ठनठनगोपाल !!
मौलिकता इनके लिए है जी
का जंजाल !
इस-उसकी रचना पढ़े समझ’ बाप का माल !!
चार पंक्तियां काव्य की , मिनट चरे छत्तीस !
कवि दो ही चालीस में , भांड मिले अड़तीस !!
कूल्हे कुछ मटका रहे , कुछ गरदन उचकाय !
कविताएं फुस , नाच कर ये नाटक दिखलाय !!
बात-बात पर मांगते ये ताली की भीख !
बेहतर होता… ढंग की कविता लेते सीख !!
कवि-सम्मेलन-नाम पर फूहड़ खी-खी खेल !
श्रोता-आयोजक भला कैसे
लेते झेल ?!
ठेकेदार बिचौलिये मंचों के दल्लाल !
कविता का कितना बुरा और करेंगे हाल ?!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright
by : Rajendra Swarnkar
यह वर्ष पूरा होने से पहले फिर मिलेंगे अवश्य
आप सबको
आगामी
नव वर्ष 2013 की अग्रिम शुभकामनाएं !
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रचनाएं भावार्थ/शब्दार्थ सहित होने
से राजस्थानी समझने में आप को असुविधा नहीं होगी
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67 टिप्पणियां:
12.12.12 का अच्छा संयोग है!..दोहे बहुत सटीक है..बधाई..
गहन भाव लिये ... बेहद सशक्त लेखन
आभार आपका
हा।हा।।हा।। राजेंद्र जी , आपने तो "चिल्लर" कवियों के 12.12.12 को सही में 12 बजा दिए :)
बहुत शानदार
ख्याल बहुत सुन्दर है और निभाया भी है आपने उस हेतु बधाई, सादर वन्दे,आपने तो "चिल्लर" कवियों के 12.12.12 को सही में 12 बजा दिए :)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति .बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक भावपूर्ण अभिव्यक्ति बधाई भारत पाक एकीकरण -नहीं कभी नहीं
वाह बहुत सुन्दर ......:)
सटीक व्यंग्य!
बहुत सटीक और सशक्त दोहे...आभार
सब के सब दोहे एकदम सटीक | कवि सम्मेलनों को गुलजार करने वाले कई तथाकथित कवियों का बुरा हाल होगा आपकी इस प्रस्तुति से | हाहाहा|
आज कल भांडों और चापलूसों का ही जमाना है -सही कहा आपने
बेहतर लेखन !!
|
बहुत सार्थक और अच्छे दोहे हैं |
आशा
"कवि दो ही चालीस में , मिले भांड अड़तीस |"
---सत्य बचन महाराज ....
----हा..हा..हा X ४ =१२ ....क्या बात है राजेन्द्र जी ---- क्या ठोका है ...मंचीय कवियों/ मसखरो की अच्छी खबर ली है...
---
बहुत ख़ूब
12,12,12 पर क्या नकलचियों के बारह बजाये वाह मजा आ गया बहुत शानदार रोचक दोहे बधाई आपको आपको भी नए साल की अग्रिम शुभ कामनाएं
यह चिल्लर विद्वान दोहे,हंसी के दोहे
झन्नाटेदार दोहे
सभी के बारहा बजा दिए राजनीति की तरह
शुभ कामनाएँ
नकलची इन कवियों को, काहे कोसत जाय
महंगाई के दौर में , दो पैसे मिल जाय।
वैसे किसी को हँसाना बड़ा मुश्किल लेकिन परोपकारी काम है।
इसलिए हमें तो इन कवियों से सहानुभूति है। :)
wah bhai, wah !
राजेंद्र जी, बिलकुल बेबाकी से आपने बहुत गहरी बात कही है. जो शब्दों के बाण आपने मारे हैं वो अकवियों को तो उतरेगी ही, कवियों के दिल तक भी जायेंगे. बहुत अच्छे लगे सारे दोहे. सुन्दर रचना की बधाई.
बहुत बढिया रोचक दोहे , बधाई।
recent post हमको रखवालो ने लूटा
अद्भुत आगाज
भावों से लगा
दी है आग।
आज कवि सम्मेलनों को देख बिलकुल ऐसा ही महसूस होता है ... सटीक व्यंग्य
shat prashiat satya...sudar dohe sir...ek ek doha kamaal hai.
आने वाला वर्ष 2013 आपके लिए मंगलमय हो :))
good satire..very appropriate...interesting way to put together :)
regards
naaz
बहुत बढ़िया राजेन्द्र भाई ! खूब बखिया उधेड़ी 'चिल्लर' कवियों की ! आनंद आ गया पढ़ कर ! शुभकामनाएं स्वीकार करें !
राजेंद्र जी।।।
सौ आने सच बात कही है आपने, आजकल मंच पर बस चुटकुला चलता है कविता तो होती ही नहीं लोग पढेंगें क्या।।
उनका एक ही उद्देश्य होता है लोगों को हँसाना।।सृजनात्मक साहित्य उनके बस की बात नहीं।।
आपकी एक एक दोहे 100 आने सच बयां कराती है।।बस दुःख इस बात है की जनता भी वास्तविक साहित्य से दूर जा रही है और पुराने -बकवास चुटकुलों को पसंद कर रही है।।
सुन्दर दोहे ..व्यंग्य का पुट लिए हुए काव्य मंच की सच्चाई बयां कर रही है।।बहुत बहुत बधाई।।। सुन्दर प्रस्तुती के लिए साधुवाद।।
behtareen vyangya aur sateek...
चार पंक्तियां काव्य की , मिनट चरे छत्तीस !
कवि दो ही चालीस में , भांड मिले अड़तीस !!
बात-बात पर मांगते ये ताली की भीख !
बेहतर होता… ढंग की कविता लेते सीख !!
व्यंग्य में ही सही ,एक सटीक कड़वी सच्चाई बयाँ करती कविता !!
शुभकामनायें :))
काव्य-सृजन के लिए अच्छी बात है, खरी बात है. चाहे कोई भी कापी राइट उल्लंघन करे ये बुरी बात है. इन पंक्तियों से सबको सबक लेने की आवश्यकता है.
अड़तीस कवियों की खूब खबर ली...अब शायद खूब बार मिटाकर वे अच्छे दोहे लिख पाएँ:)
राजेन्द्र जी, स्थिति तो यही है। पर बदलना बड़ा मुश्किल है। विकल्प में कुछ साहसी मित्र अच्छे स्तर के कार्यक्रमों के माध्यम से एक बड़ी रेखा खींचने का काम कर सकते हैं, पर यह कार्य हो तभी पायेगा, जब पूर्ण सदभाव मन में हो।
राजेन्द्र जी, स्थिति तो यही है। पर बदलना बड़ा मुश्किल है। विकल्प में कुछ साहसी मित्र अच्छे स्तर के कार्यक्रमों के माध्यम से एक बड़ी रेखा खींचने का काम कर सकते हैं, पर यह कार्य हो तभी पायेगा, जब पूर्ण सदभाव मन में हो।
मंचीय कविता का स्वरुप हूबहू ऐसा ही होता जा रहा है. अच्छी कविताओं के लिये कोई मंच नहीं है और श्रोता भी नहीं.
नव वर्ष की आपको भी ढेरों शुभकामनायें.
मंच का सच !!
राजेंद्र भाई साहब आपने १२.१२.२०१२ को सही मायने में अर्थ दे दिया . बस इनको संकलन के लिए मेल कर दीजिये मज़ा आ गया . जुग जुग जियो भाई साहब
बहुत सटीक व्यंग्य ....
वाकई राजेन्द्र भाई ,
इन भांडों के कारण " कवि सम्मलेन " में बैठना , समय की बर्वादी लगती है !
बड़ी प्यारी रचना लगी ...मगर यह लिखना आवश्यक भी था !
आभार आपका !
कवि दरबारी हो गये, मंच बने बाजार।
कवितायी बिकने लगी, श्रोता हैं लाचार॥
दूरदर्शन भी कर रहा, कैसा ये परिहास।
दूर हुये दर्शन भले, बुरा-बुरा है हास॥
राजिन्दर मत हो दुःखी,राखो थोरी आस।
चोर-उचक्कों को कभी, नहीं मिलेगी घास॥
कवि दरबारी हो गये, मंच बने बाजार।
कवितायी बिकने लगी, श्रोता हैं लाचार॥
दूरदर्शन भी कर रहा, कैसा ये परिहास।
दूर हुये दर्शन भले, बुरा-बुरा है हास॥
राजिन्दर मत हो दुःखी,राखो थोरी आस।
चोर-उचक्कों को कभी, नहीं मिलेगी घास॥
बहुत ही बेहतरीन दोहे.... काविता के नाम पर हो रहे मजाक से एक कवि हृदय का दुखाना स्वाभाविक ही है .
एकदम सटीक दोहे !
आज मंचो की जो दुर्दशा हो रही है और कविता के नाम पर जो परोसा जा रहा है वह अत्यंत दुखदायी है !
अच्छे श्रोता भी अब कवि सम्मेलनों में नहीं जाते !
हार्दिक नमस्कार, राजेन्द्रभाई जी.. .
हर दोहा है मान्य सच, खुल कर लें प्रभु दाद
सही कहा ये मसखरे, मंचों के उस्ताद !!
.
आजकल मंच कुछ ऐसा ही हो गया है, जैसा इसमें लिखा गया है।
बिना हिचक अविरल प्रवाह से लगातार पढ़ते जाते हैं,
घंटों ही कुछ का कुछ गुरुघंटाल अरे!घढ़ते जाते हैं।
अड़ जाते हैं लड़जाते हैं,सब पर भारी पड़ जाते हैं,
वंशी नहीं वंश वादन सा कर्णकुहर सुन भन्नाते हैं।
क्योंकि विश्रुत महाकवि हैं अपनी ही अपनी गाते हैं,
घटिया से घटियातम कविता पुन: पुन: अरे दोहराते हैं।
हिंदी मंचों पर जब कविश्री घासलेट जी चढ़ जाते हैं॥१॥
Sundeep Kumar Tyagi
मज़ेदार पर्दाफाश। बधाई।
मैं स्वयं एक मंचीय कवि हूँ। कवि सम्मेलनों में लगातार सक्रिय पर खुशी इस बात की है कि इन दोहों में वर्णित चिल्लर व्यक्तित्व हमें छू भी नहीं पाया और ये भी सच है सर कि आज भी हम जैसे भी कुछ है।
दोहे सभी शानदार रहे।
Lokesh Mahakali
तंज़ भरे दोहे अच्छे भी सार्थक भी.
मेरी नई कविता आपके इंतज़ार में है
: नम मौसम, भीगी जमीं ..
बहुत बढ़िया...
सटीक व्यंगात्मक दोहे हैं सर....
लाजवाब...
सादर
अनु
badiya khari-khari sunna achha laga..
badiya prastuti..12-12-12 ki
a very well written & interesting post ..i really enjoyed a lot .... kudos to u sir . congra8
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बहुत सशक्त रचना
बहुत सटीक लिखा है!
अधिकतर सभाओं में देखा गया है कि एक मंच का स्तर अब पहले जैसे रहा नहीं .
बड़ा कारण है कि प्रायोजकों ने इसे हाईजेक कर लिया है .
नववर्ष २०१३ के लिए अग्रिम शुभकामनाएँ हमारी तरफ से भी.
करार व्यंग ... प्रभावी दोहे हैं सभी ...
वाह क्या कहने..12 के संयोग पर 12 बजा दिेए आपने..अब चार बाल काटो या 12 बार..हमें तो अच्छी कविता पढ़ने को मिली सो भले ही आपकी न हुई हो हमारी तो पौ 12 हो गई....
wow! mazaa aa gayaa, Sir. Lagta hai apse bahut kuchh seekhne ko milega.
Following You!
बहुत सुन्दर लिखा भैया आपने.............
वैसे कवियत्री कोई तो हम भी नहीं बस अपने भावो को शब्द का जमा पह्नातें है फिर भी आप हमारे ब्लॉग पर आ हमारा उत्साह वर्धन किये आपका बहुत बहुत आभार ...
यूँ ही मार्गदर्शन करतें रहे हमारा ....
बहुत सटीक व्यंग पूर्ण दोहे भैया .......
वैसे कोई कवियत्री तो हम भी नहीं फिर भी आप हमारे ब्लॉग पर आ हमारा उत्साहवर्धन किया आपका बहुत बहुत आभार ..आशा है हूँ ही हमारा मार्गदर्शन करतें रहेगें ..बहुत बहुत धन्यवाद ..
बहुत सटीक व्यंग पूर्ण दोहे भैया .......
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बहुत सटीक व्यंग पूर्ण दोहे भैया .......
वैसे कोई कवियत्री तो हम भी नहीं फिर भी आप हमारे ब्लॉग पर आ हमारा उत्साहवर्धन किया आपका बहुत बहुत आभार ..आशा है हूँ ही हमारा मार्गदर्शन करतें रहेगें ..बहुत बहुत धन्यवाद ..
वाकई ...कभी कभी तो ऊबकर चैनल बदलते हैं....पर अगर मंच पर सुन रहे हैं..तो अपनी बदकिस्मती पर रोना आता है ...इसलिए कवि सम्मलेन पर जाने से पहले ...कवियों की सूचि पर गौर करना अनिवार्य हो जाता है ....:)
...सुन्दर सटीक व्यंग्य
12 bajne ki jagah padhkar bada maja aaya....
Nice.
Nice.
Aapke dohe sundar haiN.
Dil ko choo liye aap
आज के नकली कवियों की असली तस्वीर । दोधारी दोहों के व्यंग्य प्रहार से मुखौटेबाज कवि निश्चित ही तिलमिला जाते होंगे । सशक्त दोहों के लिए बधाई ।
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