स्वागतम्
लहू रहे न सर्द अब उबाल को तलाश लो
दबी जो राख में हृदय की ज्वाल को तलाश लो
भविष्य तो पता नहीं , गुज़र गया वो छोड़ दो
इसी घड़ी को वर्तमान काल को तलाश लो
सृजन करें , विनाश भूल’ नव विकास हम करें
तो गेंती-फावड़े व हल-कुदाल को तलाश लो
धरा को स्वर्ग में बदलना साथियों ! कठिन नहीं
दबे-ढके-छुपे हुनर-कमाल को तलाश लो
भटकना मत जवानों ! मां का कर्ज़ भी उतारना
निकल के वहशतों से अब जलाल को
तलाश
लो
किया दग़ा जिन्होंने हिंद से उन्हें न छोड़ना
नमकहराम भेड़ियों की खाल को
तलाश
लो
हमें ही हल निकालना है अपनी मुश्किलात का
जवाब के लिए किसी सवाल को
तलाश
लो
यहीं पॅ चंद्र हैं , भगत सुभाष हैं , पटेल हैं
यहीं शिवा प्रताप छत्रशाल को
तलाश
लो
राजेन्द्र देशभक्त हर गली शहर में गांव में
किसी भी घर में जा’के मां के लाल
को तलाश लो
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra
Swarnkar
वहशत = भय / डर / त्रास
जलाल = तेज / प्रताप / अज़मत
यहां मेरे स्वर में यही रचना सुन लीजिए
मंगलकामनाएं!
68 टिप्पणियां:
♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
♥नव वर्ष मंगबलमय हो !♥
♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥
कमेंट करते वक़्त पंक्तियां उद्धृत करना चाहें तो आपकी सुविधा के लिए पूरी रचना
लहू रहे न सर्द अब उबाल को तलाश लो
दबी जो राख में हृदय की ज्वाल को तलाश लो
भविष्य तो पता नहीं , गुज़र गया वो छोड़ दो
इसी घड़ी को वर्तमान काल को तलाश लो
सृजन करें , विनाश भूल’ नव विकास हम करें
तो गेंती-फावड़े व हल-कुदाल को तलाश लो
धरा को स्वर्ग में बदलना साथियों ! कठिन नहीं
दबे-ढके-छुपे हुनर-कमाल को तलाश लो
भटकना मत जवानों ! मां का कर्ज़ भी उतारना
निकल के वहशतों से अब जलाल को तलाश लो
किया दग़ा जिन्होंने हिंद से उन्हें न छोड़ना
नमकहराम भेड़ियों की खाल को तलाश लो
हमें ही हल निकालना है अपनी मुश्किलात का
जवाब के लिए किसी सवाल को तलाश लो
यहीं पॅ चंद्र हैं , भगत सुभाष हैं , पटेल हैं
यहीं शिवा प्रताप छत्रशाल को तलाश लो
राजेन्द्र देशभक्त हर गली शहर में गांव में
किसी भी घर में जा’के मां के लाल को तलाश लो
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
वहशत = भय / डर / त्रास
जलाल = तेज / प्रताप / अज़मत
आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट पर आपकी प्रतिक्रिया की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी। नव वर्ष 2013 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। धन्यवाद सहित
नूतन वर्षाभिनंदन मंगलकामनाओं के साथ.
बहुत उम्दा.बेहतरीन श्रृजन,,,,बधाई राजेन्द्र जी
नए साल 2013 की हार्दिक शुभकामनाएँ|
==========================
recent post - किस्मत हिन्दुस्तान की,
मंगलमय नव वर्ष हो, फैले धवल उजास ।
आस पूर्ण होवें सभी, बढ़े आत्म-विश्वास ।
बढ़े आत्म-विश्वास, रास सन तेरह आये ।
शुभ शुभ हो हर घड़ी, जिन्दगी नित मुस्काये ।
रविकर की कामना, चतुर्दिक प्रेम हर्ष हो ।
सुख-शान्ति सौहार्द, मंगलमय नव वर्ष हो ।।
You set the tone with the first couplet itself. Behtreen rachna.
A very happy new year to you and your family!
दिन तीन सौ पैसठ साल के,
यों ऐसे निकल गए,
मुट्ठी में बंद कुछ रेत-कण,
ज्यों कहीं फिसल गए।
कुछ आनंद, उमंग,उल्लास तो
कुछ आकुल,विकल गए।
दिन तीन सौ पैसठ साल के,
यों ऐसे निकल गए।।
शुभकामनाये और मंगलमय नववर्ष की दुआ !
इस उम्मीद और आशा के साथ कि
ऐसा होवे नए साल में,
मिले न काला कहीं दाल में,
जंगलराज ख़त्म हो जाए,
गद्हे न घूमें शेर खाल में।
दीप प्रज्वलित हो बुद्धि-ज्ञान का,
प्राबल्य विनाश हो अभिमान का,
बैठा न हो उलूक डाल-ड़ाल में,
ऐसा होवे नए साल में।
Wishing you all a very Happy & Prosperous New Year.
May the year ahead be filled Good Health, Happiness and Peace !!!
बस उसी दिन नव वर्ष की खुशियाँ सुकून पायेंगी
जब इंसाफ़ की फ़सल लहलहायेगी
और हर बेटी के मुख से डर की स्याही मिट जायेगी
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के चर्चा मंच पर ।।
हमें ही हल निकालना है अपनी मुश्किलात का
जवाब के लिए किसी सवाल को तलाश लो
...बहुत सच कहा है..जब तक हम नहीं जागेंगे तब तक कुछ नहीं होगा..बहुत सुन्दर और सार्थक रचना..नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!
सदैव की तरह लाजवाब रचना राजेंद्र जी ,
आप की आवाज ने चार चाँद लगा दिए रचना में .
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें.
बिल्कुल सच कहा आपने .... प्रत्येक पंक्ति के भाव बेहद सशक्त एवं सार्थक
आभार सहित
सादर
बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
नब बर्ष (2013) की हार्दिक शुभकामना.
मंगलमय हो आपको नब बर्ष का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
इश्वर की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार.
उत्कृष्ट प्रस्तुति . बधाई व आभार
http://swapniljewels.blogspot.in/2013/01/blog-post.html
बहुत दिनों बाद आवाज़ सुनी .
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
एक स्वस्थ, सुरक्षित और सम्पन्न नव वर्ष के लिए शुभकामनायें।
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
'धरा को स्वर्ग में बदलना साथियों ! कठिन नहीं
दबे-ढके-छुपे हुनर-कमाल को तलाश लो'
सही कहा आप ने.
यहीं पॅ चंद्र हैं , भगत सुभाष हैं , पटेल हैं
यहीं शिवा प्रताप छत्रशाल को तलाश लो
वाह!क्या खूब!
बहुत ही अच्छी ग़ज़ल लिखी है .
बहुत दिनों बाद आप की रचना को आप के स्वर में सुना बहुत अच्छा लगा.'वतन की राह में वतन के नौजवान शहीद हो'..गीत को याद आ गई.
..................
नया साल आपको भी शुभ और मंगलमय हो.
हार्दिक शुभकामनाएँ
राजेन्द्र जी आपको नमन और साधुवाद इस आक्रोश क लिए ......
एक एक शब्द जोश दिलाने वाला है .....
और आपकी आवाज़ तो माशाल्लाह .....
नज़ा आ गया सुनकर .....!!
वतन की राह में, वतन के
नौजवान शहीद हो .....
सही समय ..सही पुकार
जोशीली आवाज़ ,ऊँची हुंकार ...
बधाई!
हमें ही हल निकालना है अपनी मुश्किलात का
जवाब के लिए किसी सवाल को तलाश लो
बहुत अच्छी ग़ज़ल है...सुनने में प्रभावशाली भी लगी
नव वर्ष की मंगलकामनाएँ !!
वाहह वाह वाह ..क्या खूब कलाम पेश किया है एक खूबसूरत आवाज़ और बेहतरीन अंदाज़ मे, पढ़कर और सुनकर दिल खुश हो गया, भाई जी..। दिली मुबारकबाद पेश करता हूँ, कुबूल फ़रमायें ...
हमें ही हल निकालना है अपनी मुश्किलात का
जवाब के लिए किसी सवाल को तलाश लो
राजेंद्र भाई साहब आपकी लेखनी को प्रणाम
राजेन्द्रजी
आप हिन्दी और राजस्थानी की सेवा कर रहे हैं, बधाई |
दोनों ब्लॉग देखे अच्छा लिख रहें है,अच्छा गा रहे हैं|
समस्याओं का समाधान भी खोज रहे हैं|
विकसित पश्चिमी देश हमारी संस्कृति और भाषा को समाप्तकर हमें अपना क्लोन बना रहे हैं|
आपकी कलम प्रतिकार ही नही रक्षा भी कर रही है|
शुभकामनाएं|
Mohan Rawal
मित्रवर कितना सही लिखा है...आक्रोश कहीं अंदर ही अंदर न रह जाए इस बार ये देखना है..कवियों का कार्य यही है कि जनता के अंदर पल रहे गुस्से को अवाज दे....आपकी ये कविता पढ़ते वक्त अफने आप बोल बोल कर पढ़ने लगा...बेहतरीन रचना है ये ..
सामयिक आह्वान, सुन्दर प्रस्तुति.
शब्दों और स्वर दोनों में आपका देश व् समाज के प्रति जो जज़्बा और दर्द है, अंतर्मन को छू लेने वाला है.
नव वर्ष की बधाई एवं शुभ कामनाए.
सम-सामयिक रचना राजेन्द्र जी! आपको भी हार्दिक मंगलकामनाएँ!
वाह वाह !!! अभिभूत हूँ... और सश्वर पाठ तो अद्भुद... वाह वाह !!
राजेन्द्र जी ..आपको सर्वप्रथम नववर्ष की मंगलकामनाएं .... आपकी रहना में देशभक्ति का ओज है ... और एक सृजन का पैगाम है.. बहुत सुन्दर लगी रहना
ओज से भरी बेहतरीन प्रस्तुति के साथ आपने स्वागत किया है नए साल का । बहुत खूब ।
आपको भी नववर्ष की अनंत शुभकामनायें ।
राजेन्द्र जी रचना समसामयिक है .....मन में कई भाव उद्वेलित होते हैं ..आपकी आवाज़ में सुनकर सोने पे सुहागा हो गया .....अन्दर कहीं तलाश जगती है .....
लहू रहे न सर्द अब उबाल को तलाश लो
दबी जो राख में हृदय की ज्वाल को तलाश लो/
BHT SUNDAR RACHNA HAI
...AAPKO BHI NAV VARSH KI SHUBHKAMNAYEN
Aleena Itrat Rizvi
आपकी समसामयिक रचना मन में कई भाव उद्वेलित करती है .......और स-स्वर होने से सोने पे सुहागा होगया .साधुवाद
बहुत बढ़िया सकारत्मक उर्जा संचरण करती प्रस्तुति ...
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत बढ़िया सकारत्मक उर्जा संचरण करती प्रस्तुति ...
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!
सस्वर पाठ को सुनते सुनते यह गीत होंठों पे आ गया .रवायत भी ऐसी ही है आपके गीत की .
वतन की राह पे वतन के नौ ज़वान शहीद हो .........
बहुत सुन्दर प्रस्तुति भाव और विचार और माहौल की सशक्त अभिव्यक्ति हुई है रचना में .
सस्वर पाठ को सुनते सुनते यह गीत होंठों पे आ गया .रवायत भी ऐसी ही है आपके गीत की .
वतन की राह पे वतन के नौ ज़वान शहीद हो .........
बहुत सुन्दर प्रस्तुति भाव और विचार और माहौल की सशक्त अभिव्यक्ति हुई है रचना में .
एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट :
♥नव वर्ष मंगबलमय हो !♥
♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥
कमेंट करते वक़्त पंक्तियां उद्धृत करना चाहें तो आपकी सुविधा के लिए पूरी रचना
लहू रहे न सर्द अब उबाल को तलाश लो
दबी जो राख में हृदय की ज्वाल को तलाश लो
भविष्य तो पता नहीं , गुज़र गया वो छोड़ दो
इसी घड़ी को वर्तमान काल को तलाश लो
सृजन करें , विनाश भूल’ नव विकास हम करें
तो गेंती-फावड़े व हल-कुदाल को तलाश लो
धरा को स्वर्ग में बदलना साथियों ! कठिन नहीं
दबे-ढके-छुपे हुनर-कमाल को तलाश लो
भटकना मत जवानों ! मां का कर्ज़ भी उतारना
निकल के वहशतों से अब जलाल को तलाश लो
किया दग़ा जिन्होंने हिंद से उन्हें न छोड़ना
नमकहराम भेड़ियों की खाल को तलाश लो
हमें ही हल निकालना है अपनी मुश्किलात का
जवाब के लिए किसी सवाल को तलाश लो
यहीं पॅ चंद्र हैं , भगत सुभाष हैं , पटेल हैं
यहीं शिवा प्रताप छत्रशाल को तलाश लो
राजेन्द्र देशभक्त हर गली शहर में गांव में
किसी भी घर में जा’के मां के लाल को तलाश लो
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
वहशत = भय / डर / त्रास
जलाल = तेज / प्रताप / अज़मत
1 जनवरी 2013 6:41 am
गज़ब!
रिकार्डिंग बढ़िया नहीं है। धुन में भी वो ओज़ नहीं है जो इस गीत में है।
इसमें तो रावण स्त्रोत्र वाला धुन चाहिए था..जटा कटा ह सम भ्रम...धगद् धगद् धगद् धग...
'लहू रहे न सर्द अब उबाल को तलाश लो '
बहुत खूब राजेंद्र जी।
शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।
मेरी और से भी नव वर्ष की शुभकामनाएँ स्वीकार करें ।
आप उच्च कोटि का साहित्य सृजन कर रहे हैं । नव वर्ष में और नई बुलन्दियों पर पहुंचें ।
Madhav Nagda
सामायिक आवाहन ,जोश भरे दृढ स्वर में आपकी यह रचना बहुत अच्छी लगी ! बधाई रचना और नववर्ष दोनों के लिए !
R C Sharma Aarcee
वाह!! बहुत खूब!!
नव वर्ष की मंगल कामनाओं के साथ
सादर
आरसी
बहुत सुंदर कुछ-कुछ HRB जी की रचनाओं जैसी झलक मिली आपकी इस रचना में ...विचारोत्तेजक रचना बधाई ॥नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें....
राजेन्द्र देशभक्त, हर गली, शहर में, गांव में
किसी भी घर में जा’के मां के लाल को तलाश लो
सही कहा , मां का आशीर्वाद आपके साथ हमेशा रहे !
मंगल कामनाएं आपको !
आदरणीय राजेन्द्र जी बहुत प्रेरक रचना । हृदय से देशभक्ति पूर्ण रचनाएं कम देखने मिल रहीं हैं । आप इतना अच्छा गाते हैं । संगीत की काफी जानकारी है । और अच्छा हो यदि इसे अपनी मौलिक धुन में गाएं । नववर्ष आपको आनन्दमय और मंगलमय हो ।
नववर्ष की मंगलकामनायें..
भाई राजेंद्रजी, धन्य हुआ.
नव वर्ष मंगलमय हो.. .
धरा को स्वर्ग में बदलना साथियों ! कठिन नहीं
दबे-ढके-छुपे हुनर-कमाल को तलाश लो
इतिहास साक्षी है कि हर काल-खंड में
विभिन्न साहित्यकारों ने अपने अपने काव्य-धर्म का
निर्वहन करते हुए अपने शब्द-प्रहार से समाज और राष्ट्र को
प्रेरित और आंदोलित किया है ...
और आज आपकी इस महान कृति को पढ़ते हुए
न सिर्फ हर्ष हो रहा है बल्कि गर्व का अनुभव भी हो रहा है
इस रचना में एक आह्वान-विशेष झलक रहा है ,
जो हर पाठक को अपने साथ बाँध पाने में
निश्चित रूप से सफल हो पाया है ....
शिल्प और विधान की चर्चा नहीं कर रहा हूँ क्योंकि
आप ऐसी सभी विधाओं में पारंगत हैं , विशिष्ट हैं , श्रेष्ठ हैं .... !
बधाई स्वीकारें !!
पल पल विश्वास मुस्करा रहा...
bahut khoob...
भविष्य तो पता नहीं , गुज़र गया वो छोड़ दो
इसी घड़ी को वर्तमान काल को तलाश लो
पल पल विश्वास मुस्करा रहा...
पल पल विश्वास मुस्करा रहा...
नव वर्ष मंगलमय हो....सवाल तो बहुत से हैं
सामने लेकिन जवाब किसी का नहीं मिल रहा...
सुनकर और भी अच्छा लगा....
itna sunder likhe hain ki kya kahoon .....khskar ant ki char line.....
2000 golden wishes for year 13..
जोश लिए ... हर श्र पर वाह वाह .. क्या बात है स्वत: निकलता है ...
नव वर्ष की मंगल कामनाएं राजेन्द्र जी ...
भविष्य तो पता नहीं , गुज़र गया वो छोड़ दो
इसी घड़ी को वर्तमान काल को तलाश लो
bahut hi prabhavshali prastuti ...oj poorn dhara ka darshan mn ko chhoo gyaa .....aabhar rajendr ji .
वाह, राजेंद्र जी
हिंदी गजलों में आपका जवाब नहीं,आपके एक एक शेर बेमिशाल बन पड़े है । खूब निखारा है आपने अपनी रचनाओं को ।
हर शब्द का मतलब और हर शेर में एक विशेष सन्देश जो अनुकरणीय है ।
जैसे :
सृजन करें , विनाश भूल’ नव विकास हम करें
तो गेंती-फावड़े व हल-कुदाल को तलाश लो
ऐसे और भी बहुत सुन्दर सुन्दर भाव पुरे ग़ज़ल को खुबसूरत बना देता है।।
बहुत बहुत बधाई।। और शुभकामनाएं।।।। नए वर्ष के लिए हार्दिक बधाई
बहुत सशक्त और सार्थक, हार्दिक शुभकामनाएं.
रामराम.
राजेंद्र जी आपने हमेशा की तरह बहुत बेहतरीन ग़ज़ल पेश की है. इसी ज्वाला को प्रज्ज्वलित रहने की ज़रुरत है राष्ट्र निर्माण के लिए. अपनी आवाज़ में पेश कर आपने ग़ज़ल को और प्यारा बना दिया है.
सादर,
निहार
किया दग़ा जिन्होंने हिंद से उन्हें न छोड़ना
नमकहराम भेड़ियों की खाल को तलाश लो
kah aesa ho
aapka likha ek ek shabd sahi hai
sunder rachana
aapko aur aapke pure parivar ko naye sal ki bahut bahut shubhkamnayen
rachana
किया दग़ा जिन्होंने हिंद से उन्हें न छोड़ना
नमकहराम भेड़ियों की खाल को तलाश लो
- आपके स्वरों का यह आवाहन हर हृदय को झंकृत कर दे !
सर जी . ग़ज़ब लिखा है।
हर शब्द और पंक्ति दमदार है।
आपको सपरिवार नए वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं .................
राजेंद्र जी,
नमस्कार !
आपके ब्लॉग पर आकर बेहद ख़ुशी हुई।
आपकी पोस्ट ने दिल चुरा लिया।
आपको 2013 की हार्दिक शुभकामनाएं।
साथ में मेरे ब्लॉग पर आने और आपकी शुभकामनाओं के लिए आभार।
नब बर्ष की हार्दिक शुभकामना.
बहुत अच्छा लगा आप के ब्लॉग पर आ कर ....नव वर्ष की शुभ कामनाये
नव वर्ष की शुभ कामनाये
RAJENDRA JI,
SARLATA SE BAHUT HI ANOOTHE DHANG SE AAPNE GAHRE BHAVON KO GEYATA KE UJAGAR KIYA HAI. SARAAHNEEY!!
इस ओजस्वी रचना को पढ़-सुनकर अच्छा लगा!
ये कालजयी रचनाएँ समय की माँग हैं!
--
मकरसंक्रान्ति की शुभकामनाएँ।
नववर्ष की मंगलकामनाओं के साथ!
सूरज की रौशनी फूंट पड़ी हो
जैसे मन के अनुरागी आँगन में काव्य की स्नेहिल सी बयार बह रही हो
रोम रोम ॐ हो गया .....
अद्भुद रचना को कोटि कोटि नमन .....
नई कविता की नव परम्परा के द्योतकों
सच आने वाला कल हमारा है
महिमामंडित मंच की गौरव गाथा में चार चाँद लगाती अद्भुद रचना के सिपहियों की फ़ौज में
सर्वदा आपका नाम अग्रणी रहे
इसी अभिलाषा के साथ
=वन्देमातरम
Arvind Yogi
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