नवसंवत्सर
मंगलमय हो
प्रस्तुत है
बहुत वर्ष पहले लिखा हुआ मेरा एक गीत
नव सृजन के गीत गा !
नव सृजन के गीत गा !
सुन मनुज !
उत्थान उन्नति उन्नयन के गीत गा !
जब प्रलय तांडव
करे … तब , नव सृजन के
गीत गा !!
हो पतन जब मनुजता
का ; मौन मत रहना
कभी !
दनुजता के पांव
की ठोकर न तुम सहना कभी !
मत रुदन करना … पतित - कुकृत्यों से
हो क्षुब्ध तुम ,
दुष्टता - आतंक - ज्वाला के शमन
के गीत गा !!
शून्य हों संवेदनाएं ; स्वयं से संवाद
कर !
पथ की बाधाओं
का निज पद-चाप से प्रतिवाद कर !
हो जहां वीभत्स
विप्लव ; सौम्य - शुभ - संधि सजा !
क्षरण में बासंती
पुष्पन-पल्लवन के गीत
गा !!
कब झुकी संतान
मनु की , आपदा के सामने ?
डगमगाती सभ्यताओं
को तू आया थामने !
है तेरा संबंध-चिर झंझाओं
से यह भूल मत !
क्षण - प्रति - क्षण संकटों
के आगमन के गीत गा !!
हों परिस्थितियां
कभी प्रतिकूल ; घबराना नहीं !
हो विफल हर
यत्न ; नियति मान ' झुक जाना नहीं !
व्याप्त , विकसित ना हृदय
में हो तमस ; संकल्प कर !
हर विवशता की
घड़ी में प्रभु-नमन के गीत गा !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
©copyright by : Rajendra Swarnkar
चलते-चलते
नव संवत्सर , नए वर्ष , दीवाली , होली , गणतंत्र-दिवस , स्वतंत्रता-दिवस ,
राजस्थान-दिवस , बीकानेर-स्थापना-दिवस आदि पर्वों-त्यौंहारों पर
राजस्थान-दिवस , बीकानेर-स्थापना-दिवस आदि पर्वों-त्यौंहारों पर
मेरे द्वारा रचित दोहों तथा काव्य-पंक्तियों को आम दिनों की तुलना में धड़ल्ले से
लोगों द्वारा बिना मेरा नाम लिखे , बिना मेरी स्वीकृति के प्रयोग में लिया जाता है ।
किसी के द्वारा नाममात्र शब्द अदल-बदल करने के बाद , किसी के द्वारा ज्यूं का त्यूं ।
लोगों द्वारा बिना मेरा नाम लिखे , बिना मेरी स्वीकृति के प्रयोग में लिया जाता है ।
किसी के द्वारा नाममात्र शब्द अदल-बदल करने के बाद , किसी के द्वारा ज्यूं का त्यूं ।
मेरे द्वारा लिखा दोहा काम में लेते हुए यह चित्र
नव संवत के अवसर पर पिछले वर्ष
कई जगह फ़ेसबुक और ब्लॉग्स पर ध्यान में आया था
कई जगह फ़ेसबुक और ब्लॉग्स पर ध्यान में आया था
मेरे द्वारा लिखा यही दोहा काम में लेते हुए यह चित्र नव संवत के अवसर पर इस वर्ष जगह जगह फ़ेसबुक पर नज़र आ रहा है
पिछले 20-22 दिन नेट की भीषण समस्या रही
मेरे ब्लॉगों सहित blogspot.in का कोई ब्लॉग खुल नहीं रहा था मेरे पीसी में । कुछ उपाय किए हैं । अब सब कुछ ठीक रहा तो सभी मित्रों के यहां आना-जाना नियमित हो जाएगा । आप भी सम्हालते रहें ।
शुभकामनाओं सहित
शुभकामनाओं सहित
26 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
नवसम्वत्सर-२०७० की हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें!
हृदय में जो, गीत गा,
सुन सकें सब, गीत गा।
शुभकामनायें आपको भी
बहुत सुन्दर पोस्ट...
आपको भी नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनायेँ !!
सादर
अनु
आपको भी नवसंवत्सर की हार्दिक मंगलकामनाएँ!
बहुत सुंदर गीत !
आपको भी नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ!
~सादर!!!
नवसम्वत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं सुन्दर गीत के लिए बधाई .....
अति सुन्दर गीत.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
नवसम्वत्सर-२०७० की हार्दिक शुभकामनाएँ !
latest post वासन्ती दुर्गा पूजा
LATEST POSTसपना और तुम
नव संवत्सर की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें !!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें
सुंदर गीत आपको नवसंवत्सर कि शुभकामनाएँ
http://guzarish66.blogspot.in/2013/04/1.html
इस सुंदर प्रस्तुति के लिये आभार.
नवसंवत्सर की आपको भी शुभकामनाएँ.
बचपन में कविता पढ़ी थी..वीर तुम बढ़े चलो..धीर तुम बढ़े चलो....सामने पहाड़ हो ..सिंह की दहाड़ हो....वीर तुम बढ़े चलो..
यही कविता एकदम से याद आ गई....वीरता को ..धैर्य को ऐसी आवाजें मिलें तो वीर रुक भी नहीं सकता....बेहद ही ओजपूर्ण है बिरादर
अपने पथ पर चलते रहना... प्रतिकूलताओं में भी टिके रहना... सन्देश देती सुन्दर रचना. नव वर्ष की बधाई.
बहुत सुन्दर | आभार
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
आपको भी नव वर्ष की बहुत बहुत मंगल-कामनाएं ...
राजेंद्र जी नमस्कार ...जब जब आपके ब्लॉग में आती हूँ .आपका काव्य पढ़ती हूँ ..अजब सी आनंद की अनुभूति होती है .... एक तो आपका ब्लॉग बेहद आकर्षक है दूजे आप के शब्द .हिंदी भाषा के सौन्दर्य को उकेरते हैं ..... सुंदर सार्थक गीत ...//.हो विफल हर यत्न .नियति मान झुक जाना नहीं / ..........साधुवाद ...एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई
ब्लॉग पर पधारें ....एक रिपोर्ट है नव वर्ष पर हुए कवी सम्मलेन पर
...नव सृजन का गीत बहुत सुन्दर है!
..नव संवत्सर की अनेकों शुभकामनाएं!
आपको भी नव-वर्ष पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
जीवन में सतत आगे बढ़ने का सन्देश देती सुन्दर रचना...आपको भी नव-वर्ष की शुभकामनाएँ!!
आगे ही आगे बढ़े चलें..पीछे यादें छोड़ते चलें..पर क्या करें...यादें कोई न कोई रास्ता पकड़ कर आगे किसी मोड़ पर मिल ही जाती हैं..हम उन यादों के कंधों पर सिर रखकर थम से जाते हैं जाने क्यों?
मित्रवर नव वर्ष की बधाई
क्या हुआ राजेंद्र भाई ...आप के लिए मंगल कामनाएं !
.आपको भी नव-वर्ष की शुभकामनाएँ!!
सादर
इस वक्त तो यह गीत बहुत ही आवश्यक है । नव सृजन का संदेश इतने भीषण संहार के बाद आशा का संचार अवश्य करेगा ।
बहुत ही अच्छा गीत हैं।
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