गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुर्साक्षात् परब्रह्मः , तस्मै श्रीगुरुवे नमः ॥
*** प्रणाम है मेरे गुरुजन को ***
प्रणाम मेरे स्वर्गीय पूज्य बाबूजी की चिर स्मृतियों को !
प्रणाम परम श्रद्धेय स्वामी संवित् सोमगिरिजी महाराज के पावन चरणों में ,
गुरुर्साक्षात् परब्रह्मः , तस्मै श्रीगुरुवे नमः ॥
*** प्रणाम है मेरे गुरुजन को ***
प्रणाम मेरे स्वर्गीय पूज्य बाबूजी की चिर स्मृतियों को !
प्रणाम परम श्रद्धेय स्वामी संवित् सोमगिरिजी महाराज के पावन चरणों में ,
जिन्हें मैं अपना आध्यात्मिक गुरु मानता हूं !
प्रणाम आदरणीय संगीतज्ञ गायक डॉक्टर रामेश्वर आनन्द जी सोनी को ,
प्रणाम आदरणीय संगीतज्ञ गायक डॉक्टर रामेश्वर आनन्द जी सोनी को ,
जिन्हें मैं एकलव्य जैसे शिष्य भाव से गुरु मानता हूं ।
प्रस्तुत है , गुरु - शिष्य - संबंध में कहे गए मेरे कुछ दोहे
गोविंद से गुरु है बड़ा
शिल्पी छैनी से करे , सपनों को साकार !
अनगढ़ पत्थर से रचे , मनचाहा आकार !!
माटी रख कर चाक पर , घड़ा घड़े कुम्हार !
श्रेष्ठ गुरू मिल जाय तो , शिष्य पाय संस्कार !!
चादर रंगदे रंग में , सुगुणी गुरु रंगरेज !
ज्यूं ज्यूं प्रक्षालन करे , बढ़े शिष्य का तेज !!
गोविंद से गुरु है बड़ा , कहे गुणी समझाय !
गुरु के आशीर्वाद से , शिष्य परम पद पाय !!
'गुरु के सम हरि ना गिनूं , तज डारूं मैं राम !'
ऐसी श्रद्धा जो रखे , उनके संवरे काम !!
प्रस्तुत है , गुरु - शिष्य - संबंध में कहे गए मेरे कुछ दोहे
गोविंद से गुरु है बड़ा
शिल्पी छैनी से करे , सपनों को साकार !
अनगढ़ पत्थर से रचे , मनचाहा आकार !!
माटी रख कर चाक पर , घड़ा घड़े कुम्हार !
श्रेष्ठ गुरू मिल जाय तो , शिष्य पाय संस्कार !!
चादर रंगदे रंग में , सुगुणी गुरु रंगरेज !
ज्यूं ज्यूं प्रक्षालन करे , बढ़े शिष्य का तेज !!
गोविंद से गुरु है बड़ा , कहे गुणी समझाय !
गुरु के आशीर्वाद से , शिष्य परम पद पाय !!
'गुरु के सम हरि ना गिनूं , तज डारूं मैं राम !'
ऐसी श्रद्धा जो रखे , उनके संवरे काम !!
मिल गए गुरु संदीपनी ; ली उनसे आशीष !
ग्वाले ने गीता रची , बने कृष्ण जगदीश !!
ग्वाले ने गीता रची , बने कृष्ण जगदीश !!
एकलव्य ; गुरु - दक्षिणा दे'कर हुआ निहाल !
द्रोणागुरु - मन जीत कर , जीत गया वह काल !!
द्रोणागुरु - मन जीत कर , जीत गया वह काल !!
रामदास गुरु ; शिष्य श्री छत्रपति शिवराज !
गर्वित भारत मां हुई , हर्षित हिन्दु समाज !!
गर्वित भारत मां हुई , हर्षित हिन्दु समाज !!
परमहंस गुरु मिल गए , धन्य विवेकानंद !
सुभग शिष्य - गुरु - योग से मिले सच्चिदानंद !!
सुभग शिष्य - गुरु - योग से मिले सच्चिदानंद !!
एक बूंद मोती बने , इक सागर बन जाय !
जितनी करुणा गुरु करे , शिष्य - मान अधिकाय !!
शिष्यों ! गुरु का कीजिए , निर्मल मन से मान !
मिलते , गुरु - आशीष से सुख , सम्पति , सम्मान !!
मात्र समर्पण से मिले , गुरुजन की आशीष !
हाथ जोड़' रख दीजिए , गुरु - चरणों में शीश !!
गुरू तपाए ; शिष्य तप - तप ' कुंदन बन जाय !
सच्चा गुरु संसार में , भाग्यवान ही पाय !!
जितनी करुणा गुरु करे , शिष्य - मान अधिकाय !!
शिष्यों ! गुरु का कीजिए , निर्मल मन से मान !
मिलते , गुरु - आशीष से सुख , सम्पति , सम्मान !!
मात्र समर्पण से मिले , गुरुजन की आशीष !
हाथ जोड़' रख दीजिए , गुरु - चरणों में शीश !!
गुरू तपाए ; शिष्य तप - तप ' कुंदन बन जाय !
सच्चा गुरु संसार में , भाग्यवान ही पाय !!
ना धन - दौलत , मान - यश , काम - तृप्ति की चाह !
गुरु - पद - रज राजेन्द्र को , सही दिखाए राह !! -राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
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*** इन दोहों की गेय प्रस्तुति यहां सुनें ***
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
आज का विशेष उपहार
वयोवृद्ध गायक 80 वर्षीय आदरणीय रामेश्वरआनन्द जी सोनी का विस्तृत परिचय कभी विस्तार से देने का प्रयास रहेगा , अभी उनकी कम्पोजीशन , उनके मधुर स्वर में विष्णु खन्ना के गीत के रूप में प्रस्तुत है ।
वयोवृद्ध गायक 80 वर्षीय आदरणीय रामेश्वरआनन्द जी सोनी का विस्तृत परिचय कभी विस्तार से देने का प्रयास रहेगा , अभी उनकी कम्पोजीशन , उनके मधुर स्वर में विष्णु खन्ना के गीत के रूप में प्रस्तुत है ।
बोल हैं - "तुम जितना मधु घोल रही हो , उतनी प्यास कहां से लाऊं "
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आपकी प्रतिक्रिया , सहयोग , स्नेह और आशीषों के लिए आप सबका हृदय से आभार !
आशा है , आपको भी … !
जी हां , आपको भी मेरे प्रयास पसंद आ रहे हैं ना ?
झिझक और नाराज़गी , कोई हो … तो , छोड़ कर
आपकी प्रतिक्रिया , सहयोग , स्नेह और आशीषों के लिए आप सबका हृदय से आभार !
आशा है , आपको भी … !
जी हां , आपको भी मेरे प्रयास पसंद आ रहे हैं ना ?
झिझक और नाराज़गी , कोई हो … तो , छोड़ कर
आप भी समय निकाल कर
अपने बहुमूल्य सुझावों और प्रतिक्रियाओं के ख़ज़ाने से कुछ हीरे - मोती
हम पर लुटा भी दें अब !
ये हुई न बात !
आभार ! आभार ! आभार !
आभार ! आभार ! आभार !
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46 टिप्पणियां:
गुरूजनों को सादर चरणस्पर्श...............
गुरु पूर्णिमा पर अद्भुत और अनूठी पोस्ट .
दोहों की आप के स्वर में बेहद बेहद सुन्दर प्रस्तुति है !
आदरणीय गुरुजनों को सादर चरण स्पर्श .
आदरणीय रामेश्वरानंद जी के परिचय का इंतज़ार रहेगा,उनके स्वर में विष्णु जी का गीत सुना..'भाग्य किनारों का तो देखा लगे हुए लहरों के मेले ...कोलाहल को गोद खिला कर जो जीवन भर रहे अकेले'.......
गीत और यह मधुर प्रस्तुति वाह!वाह! लाजवाब! ~!संग्रहणीय गीत.
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
गुरु पूर्णिमा पर आपकी यह पोस्ट सभी पाठकों के लिए अनुपम उपहार है...आपके दोहों के माध्यम से मैं भी समस्त गुरुओं को नमन करती हूँ ....आपने गुरुमहिमा का वर्णन बहुत सुन्दर शब्दों में व्यक्त किया है...सुन्दर दोहे पढवाने के लिए आभार
अदभुद रचना ! आज के युग में जहाँ शिक्षकों के प्रति सम्मान घटा है.. आपकी कविता प्रासंगिक हो जाती है ! गायन भी उत्क्रिस्थ है
अदभुद रचना ! आज के युग में जहाँ शिक्षकों के प्रति सम्मान घटा है.. आपकी कविता प्रासंगिक हो जाती है ! गायन भी उत्क्रिस्थ है
गुरु पूर्णिमा पर आदरणीय गुरुजनों को सादर चरण स्पर्श |
गुरु पूर्णिमा पर आपकी यह आपकी कविता प्रासंगिक है !आपने गुरुमहिमा का सुन्दर वर्णन किया है | लाजवाब!
गुरू वंदना के आपके दोहे मौलिक और प्रभावशाली है... गुरू पुर्णिमा पर्व की बधाई
गुरू की महिमा अनंत है ।
सभी गुरुजनों को प्रणाम ।
बहुत सुन्दर दोहे लिखे हैं और गायन में तो आनंद ही आ गया ।
इस सत्संग के लिए आप धन्यवाद और बधाई के पात्र हैं ।
इतेफाकन आज मैं भी कुछ ऐसा ही लिख रहा था ।
Guru kee smriti dilaane ke liye dhanyvaad.yah ek tatvik satta hai. ve bahut bhagyshali hain, jinhen shareerdhaaree saksham guru mil jay. kyonki vahee apnee tatvik satta se parichit karaata hai. jinhen nahee mila, ve apne bheetar hi talaash kar sakte hain.
achchhee rachnayen hain Rajendr jee.
SHRI GURU PURNIMA DIWAS PAR AAPKEE
ADVITIY PRASTUTI SE MAN BAHUT
PRASANN HUA HAI.DOHE KHOOB HAIN.
GURUON KE CHITRON NE AAPKE BLOG
PAR CHAAR CHAAND LAGAA DIYE HAIN.
BADHAAEE AUR SHUBH KAMNA.
सच में बेहद लाजवाब पोस्ट है ... आज ही नेट खुल पाया है मेरा और आज ही आपकी बेहद उम्दा पोस्ट ...
गुरु बिन गत नही .... खूबसूरत चित्रों से सजी इस पोस्ट के लिए नमन है आपका ...
गुरु महिमा का बेहद उम्दा वर्णण्………………एक सार्थक चित्रण्।
कल (26/7/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
welcome .
हमारीवाणी का लोगो अपने ब्लाग पर लगाकर अपनी पोस्ट हमारीवाणी पर तुरंत प्रदर्शित करें
हमारीवाणी एक निश्चित समय के अंतराल पर ब्लाग की फीड के द्वारा पुरानी पोस्ट का नवीनीकरण तथा नई पोस्ट प्रदर्शित करता रहता है. परन्तु इस प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है. हमारीवाणी में आपका ब्लाग शामिल है तो आप स्वयं हमारीवाणी पर अपनी ब्लागपोस्ट तुरन्त प्रदर्शित कर सकते हैं.
इसके लिये आपको नीचे दिए गए लिंक पर जा कर दिया गया कोड अपने ब्लॉग पर लगाना होगा. इसके उपरांत आपके ब्लॉग पर हमारीवाणी का लोगो दिखाई देने लगेगा, जैसे ही आप लोगो पर चटका (click) लगाएंगे, वैसे ही आपके ब्लॉग की फीड हमारीवाणी पर अपडेट हो जाएगी.
कोड के लिए यंहा क्लिक करे
bhaav aur arth kaa behtreen sangam hai satrangee dohon me .badhaai .
satsaiyaa ke dohre jyon naavak ke teer ,
dekhan me chhote lagen ,ghaav karen ,gambheer .
saargarbhit chhand hai dohaa jise aapne naye aayaam diyen hain .badhaai punashchay .
veerubhai1947.blogspot.com
09350986685 /4C,Anuradha ,Napiar Rd ,NOFRA,colaba ,Mumbai -400-005
dohon mey guru-vandana parh kar harshit hoo.aap to pratibha ki khadan hai bhai. sachmuch apke guru vandaneey hain..abhinandaneey hai.
wah aap ne to pura itihaas samet liya... sundar prastuti... God bless you...with love..
मंगलवार 27 जुलाई को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है .कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ .... आभार
http://charchamanch.blogspot.com/
इस अद्भुत प्रस्तुति के लिए आपकी जितनी प्रशंशा की जाए...आज के युग में जब गुरु शिष्य परम्परा का ह्रास हो रहा है आपकी पोस्ट आस जगती है और जलते मन को शीशालता प्रदान करती है...धन्य हैं आप और आपके गुरुजन जिनकी कृपा से आपमें इतने सद्गुण और संस्कार आये हैं...
सोनी जी का गायन और संगीत संयोजन इश्वर तक पहुँचने की और एक कदम बढ़ाने सा पावन है...
नीरज
इस पोस्ट के लिए जितनी बधाई दी जाय कम है.
आप की लिखने की शैली और तस्वीरें बहोत पसंद आयीं.
आप की लिखने की शैली और तस्वीरें बहोत पसंद आयीं.
स्वर्णकार जी,
ह्रदय प्रसन्न हो गया दोहे सुन कर, आता रहूँगा अब, आप भी आते रहिएगा!
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिपण्णी देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! मैं ख़ुद पेंटिंग करती हूँ और ज़्यादातर चित्र मेरे बनाये हुए हैं!
बहुत बढ़िया लिखा है आपने! उम्दा प्रस्तुती!
सुभानाल्लाह.......!!
आपकी आवाज़ में इक नशा है .....!१
शुरुआत की दो पंक्तियाँ तो उफ्फ्फ.........कहाँ से लाले हैं ...बिलकुल कहीं भीतर से चिंच कर ......अद्भुत ....क्या कहूँ .....लफ्ज़ नहीं है .....
पहले फिर सुन लूँ .......
गुरु की महिमा आज आपके लफ़्ज़ों से जान पाई......शायद रब्ब ने तभी आपको ये वरदान दिया है .....!१
फिर आती हूँ ....
आदरणीय भाई राजेंद्र स्वर्णकार जी। अद़्भुत है आपका ब्लॉग। साज सज्जा से लेकर विषयवस्तु तक सब इतना भाया कि टिप्पणी लिख रहा हूं। आप की ओर से अपने पूज्य पिता जी की स्मृति में लिखी पंक्तियां पढ़ते हुए पता नहीं क्यों मुझे भी अपने पिता स्वर्गीय मनोहर साग़र पालमपुरी याद हो आए। यही संवेदना का संबंध होता है शायद। धन्यवाद।
behat gyanvardhar post...
Man ko bhaa gayee tasveer aur shlok
अद्भुत अनूठी रचना सभी गुरु जनों को प्रणाम
Aapko meri kavitai pasand aai uske liye shukhriya,koshish karungi ki aur bhi behtar likh saku.
samast gurujan ko mera naman,dhanyvaad aapka jo aapne itni khubsurat rachna hum tak pahuchaiye.
पहली baar aapka blog dekha padha bahut hi accha laga ..behtreen blog hai yah ..shukriya is tarah apni sanskriti se rubaru karwaane ke liye ...
आपने गुरु महिमा इतनी लिख डाली है साहब की मन कर रहा है कि हम भी किसी न किसी को गुरु बना ही डालें..
सुंदर दोहों के लिए आभार...
गुरु पूर्णिमा पर आपकी यह पोस्ट सभी पाठकों के लिए अनुपम उपहार है....
उम्दा प्रस्तुती...!
राजेंद्र भईया शुभप्रभात, यहाँ आकर आनंद आ गया. सचमुच यह तो भावों का संसार है. आपका धन्यवाद.
एक सप्ताह से नेट से दूर रहा इसलिए बहुत सारी पोस्ट अभी भी पढ़ने को बाकी हैं!
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गुरू की महिमा का बखान आपने दोहा छन्द के माध्यम से बहुत ही सुन्दर ढंग से किया है!
--
आपको बहुत-बहुत आशीष एवं साधुवाद!
एक बार फिर आपकी ये मदहोश आवाज़ सुन कर जारही हूँ .....!!
मनु जी मैं भी यही सोच रही थी ....क्यों न गुरु राजेंद्र जी की शरण ली जाये ......???
गुरु जी आशीष देंगे ....??
गुरु महिमा का बहुत ही सुंदर वर्णन
आज के समय में काव्य की ये विधा ,ये भाषा और ऐसे संस्कार मिलना बहुत दुर्लभ हो गया है
गुरु का आशीर्वाद आप पर सदा बना रहे
धन्यवाद
बधाई!
rajendra.....main to ekbaargi abhibhoot rah gayaa yahaan aakar aur mera sar nat ho gaya....guruon ke charnon men.....sach....
बहुत सुन्दर दोहे-हार्दिक प्रसन्नता हुई-हालान्कि आजकल गुरु भी गुरु घंटाल होगये हैं।
राजेंद्र जी, हिंदुस्तान की संस्कृति और सस्कारों को इतने खूबसूरत अंदाज में हमारे सामने रखने के लिए शुक्रिया। बहुत ही बढ़िया.........
इस ब्लॉग पर बार बार आना चाहूंगी..... आभार, शुभकामनायें ।
प्रिय राजेन्द्र स्वर्णकार जी ,
इस आवाज ने तो दीवाना ही बना दिया भाई !
जैसे कविता का दर्शन आवाज में मूर्तित हो रहा हो !
८० वर्ष पर सुर का सुन्दर सधाव . सुन्दर मंद-सप्तक !
Rajendra Swarnkar ji,
apka blog bahut samriddh hai.
Bahut upyogi lekhan kiya hai apne.
badhayi.
Pujya Swami Somgiri ji maharaj ke pawan charnon me meri bhav bhari pranati.
Kolkata me unhe sun ne ka avsar prapt hua hai.
abhaar
गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाए
Rajendra Swarnkarजी
आपकी जितनी तारीफ की जाये कम है,
एक से बढ़ कर एक दोहे रचे आपने
उस युग की याद दिला दी जब दोहों का साम्राज्य था १५ वी और १६वी सदी में
मन-उर की प्यास को क्या बुझा पाता और तृषित हो गया.
इस पोस्ट से पत्रिका का सुख मिला है. बधाई भाई.
आदरणीय सोनी जी को सादर प्रणाम... .
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