ब्लॉग मित्र मंडली

2/9/10

बिरज में बजती बांसुरी रही … सांवरा !


॥श्री कृष्णं वंदे जगद्'गुरुं ॥
श्री कृष्ण जन्माष्टमी 
के मांगलिक अवसर पर आप सब को 
हार्दिक शुभकामनाएं !
कोटिशः मंगलकामनाएं !! 
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इस अवसर पर पहले प्रस्तुत है
बिरज में बजती बांसुरी रही … 

उस मोरपांख वाले से दीवानगी रही
उसकी ही बंदगी में ज़िंदगी मेरी रही
गायें चराने वाला , काला है कमाल का
हर एक शै से ज़्यादा उसमें दिलकशी रही
शम्ए-फ़रोज़ां नूर का पैकर सियाहरंग
उसके ही इर्द - गिर्द शफ़क़ - रौशनी रही
जिसने भी दीद की उसी का हो' के रह गया
ज़न - तिफ़्ल - मर्द सब में उसकी आशिक़ी रही
कोहे - किलाश का फ़क़ीर भी न रह सका 
हस्रत जिगर में और नज़र में तिश्नगी रही
दरिया - शज़र औ' दश्त - बस्ती हो गए हसीं
गर्दे - बिरज में गोया उसकी ज़रगरी रही
राधा के दिल में शम्अ मुहब्बत की जलादी
हर इक अदा कमाल की शाइस्तगी रही
कन्हैया बिरज छोड़' मथुरा - द्वारका चला
बरसों तलक बिरज में बजती बांसुरी रही
महबूब का फ़िराक़ सह सकी न मा'शूक़ा
राधा के चश्म फिर सदा नुमू नमी रही
वो तब भी सबसे दूर था , वो अब भी पास है
काइम जहां में उसकी ही ज़ादूगरी रही
गीता सदा - ए - अर्श ; लुत्फ़े- रक्स - ओ - बांसुरी
राजेन्द्र , जो दिलों में अब भी गूंजती रही

- राजेन्द्र स्वर्णकार 
©copyright by : Rajendra Swarnkar

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शब्दार्थ
दिलकशी=आकर्षण, शम्ए-फ़रोज़ां=प्रकाशमान दीप, नूर का पैकर=ज्योति से निर्मित देह,
शफ़क़=क्षितिज की लालिमा, दीद=दर्शन, ज़न=औरतें,  तिफ़्ल=बच्चे,
कोहे - किलाश का फ़क़ीर=कैलाश पर्वत का साधु=भगवान शिव,
दरिया=नदी=यमुना, शज़र=वृक्ष=कदम्ब, दश्त=वन=नंदन कानन, बस्ती=कुंज गलियां,
गर्दे - बिरज=ब्रज-रज, ज़रगरी=स्वर्ण कला, शाइस्तगी=शालीनता,
फ़िराक़=वियोग, चश्म=आंखें, नुमू=स्थायित्व के साथ बढ़ते रहने का भाव,
नमी=आर्द्रता, सदा - ए - अर्श=आसमानी आवाज़/देव वाणी,
लुत्फ़े-रक्स-ओ-बांसुरी=कृष्ण की मुरली सुनने और नृत्य-रास में उसका सहभागी बनने का आनन्द
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और अब एक छोटी सी राजस्थानी रचना 
सांवरा

थैंस्यूं म्हारी प्रीत सांवरा
तूं म्हारो मनमीत  सांवरा
आव , सुणाव , मुळकतो मीठो
मुरली रो संगीत  सांवरा
संसार्'यां रै सींव सांस री 
उमर रयी है बीत सांवरा
प्रीत लेय' पाछी नीं दे'णी 

किस्यी नुंवी आ रीत सांवरा
था'रै - म्हारै मनां बिचाळै
है न हुवैली भींत सांवरा
सुणी ; निभावै हर जुग में तूं
भगत - वछळता - नीत सांवरा
करी ; सूर मीरां री , इब कर 
प्रीत में म्हारी जीत सांवरा

- राजेन्द्र स्वर्णकार 
©copyright by : Rajendra Swarnkar

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राजस्थानी रचना का भावानुवाद 
हे सांवरे ! तुम्हारे साथ मेरा प्रीत का संबंध है ।
तू ही मेरा मनमीत है ।
आ ना , मुस्कुराता हुआ 
मधुर मुरली का संगीत सुना न , सांवरे !
सांसारिक जीवों के सांसों की सीमा होती है ,
उम्र बीत रही है , हे सांवरे !
प्रीत ले'कर वापस नहीं लौटाना ,
यह कौनसी नई रीति है रे ?
हे सांवरे ! तुम्हारे और मेरे मनों के बीच तो 
कोई दीवार है नहीं , न होगी ।
सांवरे ! सुना था , तू तो हर युग में 
भक्त-वत्सलता की नीति ही निभाता है ।
हे सांवरे ! तूने सूर मीरा आदि की तो की , 
अब प्रीत में मेरी भी जीत कर ना !!
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यह है दिव्यांशी !
कृष्ण रूप धारण किए हुए ।
बहुत क़्यूट है न ? मेरी प्यारी पौत्री है !
मेरे बड़े बेटे गौरव की पुत्री !
विस्तृत परिचय शीघ्र ही एक अलग पोस्ट में
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मेरे हृदय में आपके लिए उच्च स्थान है ,और सदैव रहेगा !
आपके निरंतर मिल रहे सहयोग में उत्तरोतर वृद्धि के लिए 
आभारी हूं ! कृतज्ञ हूं ! ॠणी हूं !
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70 टिप्‍पणियां:

Dr.Ajmal Khan ने कहा…

"है योमे अष्टमी दिल पर खुशी सी छाई है
किशन के जन्म की सब को बहुत बधाई है"

राजेंद्र भाई साहब, आप की दोनो रचनाये कान्ह के रंग मे रंगी हुई है.वाह वाह कमाल कर दिया आप ने.

vandana gupta ने कहा…

बेहद खूबसूरत और भक्तिभाव भरे हैं …………सुन्दर रचना।
कृष्ण प्रेम मयी राधा
राधा प्रेममयो हरी


♫ फ़लक पे झूम रही साँवली घटायें हैं
रंग मेरे गोविन्द का चुरा लाई हैं
रश्मियाँ श्याम के कुण्डल से जब निकलती हैं
गोया आकाश मे बिजलियाँ चमकती हैं

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये

yahan bhii dekhein durlabh hai......
http://redrose-vandana.blogspot.com

मनोज कुमार ने कहा…

आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को श्री कृष्ण जन्म की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!

नीरज गोस्वामी ने कहा…

राजेंद्र भाई...अब तो प्रशंशा के शब्द भी मिलने दुर्लभ होते जा रहे हैं...हर बार आप ऐसा करिश्मा कर देते हैं के अवाक रह जाता हूँ...जैसा इस बार हुआ...ग़ज़ल राजस्थानी गीत दोनों कमाल के हैं लेकिन जिसने आज दिल जीता वो है वो हमारी सबसे प्यारी राज दुलारी भोली भाली दिव्यांशी...इश्वर उसके चेहरे पे ये मुस्कान हमेशा कायम रखे...उसके चेहरे को देख कर सोचता हूँ, इश्वर शायद ऐसा ही दिखता होगा...

जन्माष्टमी की आपके पूरे परिवार को शुभकामनाएं...

नीरज

अर्चना तिवारी ने कहा…

अति सुंदर रचना ....
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभ कामनाएँ...हरे कृष्ण

अर्चना तिवारी ने कहा…

वाह! उर्दू और बृज के नन्द किशोर का अनूठा संगम

Dr Xitija Singh ने कहा…

राजेन्द्र जी .... बहुत खूब ... दोनों ही रचनायें कमाल की हैं ... आपको बधाई ... साथ साथ जन्माष्टमी की भी आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभ कामनाएं ...

डॉ टी एस दराल ने कहा…

भक्ति भाव लिए बहुत सुन्दर रचनाएँ । आपने इतनी बढ़िया उर्दु कहाँ से सीखी ?

लेकिन एक बात कहना चाहूँगा कि श्री कृष्ण पर यदि हिंदी में रचना लिखते और सारा ध्यान उसी पर होता , तो आनंद दुगना हो जाता । कृपया इसे अन्यथा न लें , उर्दु पढने में दिक्कत हो रही है , इसीलिए कह रहा हूँ ।

फिर भी दिव्यांशी को देखकर तो आनंद चौगुना हो गया ।

आपको और आपके समस्त परिवार को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें ।

दीपक 'मशाल' ने कहा…

बहुत ही उत्तम श्रेणी की ग़ज़ल रही ये भी.. मौके के अनुसार है और काफी खूबसूरत लफ़्ज़ों का भी इस्तेमाल है.. शब्दार्थ साथ में देकर हम जैसों के लिए तो बहुत अच्छा करते हैं आप.. कई नए शब्द भी सीखने को मिलते हैं. एक पंथ दो काज.. :)

रचना दीक्षित ने कहा…

भक्तिमय कर दिया आपने तो.बहुत सुन्दर प्रस्तुति.दिव्यांशी तो sakshat krishan ka rup lag rahi है

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

राजेन्द्र भाई, आपके इस पोस्ट पर टिप्पणी लिखना चाहा तो मेरे लफ्ज़ मुझे छोड़कर भाग निकले. बुलाने पर कहते हैं "हममें इतनी ताक़त नहीं कि इस रचना पर उठने वाले तुम्हारे भावों को व्यक्त कर सकें." इसलिए केवल आदाब कहता हूँ.

Udan Tashtari ने कहा…

अति सुन्दर!


आपको भी श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत शुभकामनाएँ.

राजभाषा हिंदी ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

हिन्दी की प्रगति से देश की सभी भाषाओं की प्रगति होगी!

manu ने कहा…

राजेन्द्र जी,

आपके यहाँ ज़रा सा लेट आने का बहुत खामियाजा भुगतना पड़ता है....
पहले एक जोड़ी पिछली ग़ज़ल/दोहा कि ...पोस्ट फिर भगवान् कानहा कि ग़ज़ल प्लस ..कान्हा की राजसथानी त्रचना प्लस उसका हिंदी अनुवाद.....
इतना सब हिसाब रखने के चलते रात में कमेन्ट देने से बचते हैं आपको...
फिर कमेन्ट बोक्स खोलने के बाद याद करना कि कहाँ पर कमेन्ट लिख चुके हैं और कहाँ लिखना बाकी है....ये जानने के लिए वापस बाहर आना पड़ता है...


हाँ,
ग़ज़ल बड़ी प्यारी बन पड़ी है...वो और बात के हम उतना लुत्फ़ नहीं उठा सके...
किसी दिन रात में आयेंगे पढने और कमेन्ट नहीं देंगे...
abhi kewal shikaayat karke jaa rahe हैं...

manu ने कहा…

राजेन्द्र जी,

आपके यहाँ ज़रा सा लेट आने का बहुत खामियाजा भुगतना पड़ता है....
पहले एक जोड़ी पिछली ग़ज़ल/दोहा कि ...पोस्ट फिर भगवान् कानहा कि ग़ज़ल प्लस ..कान्हा की राजसथानी त्रचना प्लस उसका हिंदी अनुवाद.....
इतना सब हिसाब रखने के चलते रात में कमेन्ट देने से बचते हैं आपको...
फिर कमेन्ट बोक्स खोलने के बाद याद करना कि कहाँ पर कमेन्ट लिख चुके हैं और कहाँ लिखना बाकी है....ये जानने के लिए वापस बाहर आना पड़ता है...


हाँ,
ग़ज़ल बड़ी प्यारी बन पड़ी है...वो और बात के हम उतना लुत्फ़ नहीं उठा सके...
किसी दिन रात में आयेंगे पढने और कमेन्ट नहीं देंगे...
abhi kewal shikaayat karke jaa rahe हैं...

Arvind Mishra ने कहा…

आप तो अद्भुत प्रतिभा के धनी हैं राजेन्द्र जी ,
अपनी पोस्ट पर मैंने एक कविता आपको समर्पित की है

nilesh mathur ने कहा…

बहुत सुन्दर!

बेनामी ने कहा…

बहुत खूब राजेंद्र जी ....कृष्ण जी पर उर्दू में कुछ पहली बार पढ़ा बहुत अच्छा लिखा है आपने ......शुभकामनाएं

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

वो तब भी सब से दूर था ...........
..................जादूगरी रही

कृष्ण जी के सच्चे रूप को दर्शा रहा है ये शेर
पहला मिस्र बहुत ख़ूबसूरत और बामा’नी है

मुझे राजस्थानी तो नहीं आती लेकिन जो नहीं समझ में आ रहा था वो आप ने अर्थ दे कर समझा दिया
रचना बहुत सुंदर है और लयबद्धता है इस में

हां दिव्यांशी जी के विस्तृत परिचय का इंतेज़ार रहेगा

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बड़ा सुन्दर गीत। आपको बहुत शुभकामनायें।

Roshani ने कहा…

शानदार रचना के लिए राजेंद्र जी आपको बहुत सी बधाइयाँ....दिव्यांशी बहुत प्यारी लग रही है

एक बेहद साधारण पाठक ने कहा…

@ राजेन्द्र जी
यहाँ आ कर धन्य हुआ
बेहद बेहद बेहद सुन्दर रचनाएँ और चित्र

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

राजेन्द्र जी!
आपकी रचना बहुत ही उच्चकोटि की है!
--
योगीराज श्री कृष्ण जी के जन्मदिवस की बहुत-बहुत बधाई!

फल की इच्छा मत करो, कर्म करो निष्काम।
कण्टक वृक्ष खजूर पर, कभी न लगते आम।।

जन्म लिया यदुवंश में, कहलाये गोपाल।
लीलाओं को देखकर, माता हुई निहाल।।

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

बहुत ही सुन्दर हैं दोनों रचनाएँ...
और दिव्यांशी की दिव्य सुन्दरता दर्शनीय है...
हम तो बस लट्टू हो गए हैं....
हृदय से धन्यवाद..!

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

राजेंद्र जी, भक्तिपूर्ण रचना ..सशक्त भावों से संयोजित....गा कर पढ़ना एक अलग तरह की सुखद अनुभूति देता है..
दोनों रचनाएँ कमाल की....आपके शब्द चयन पर निशब्द हूँ....माँ सरस्वती आपको और उन्नत करें ताकि साहित्य और समृद्ध हो आप जैसे साहित्यकार को विनोद का प्रणाम.....
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत सुन्दर भक्ति रस मे सराबोर गीत धन्यवाद और बधाई।

rashmi ravija ने कहा…

भक्ति रस में डूबी सुन्दर रचना.....भावानुवाद से राजस्थानी रचना को समझने में बहुत मदद मिली.

दिव्यांशी तो साक्षात कृष्ण का अवतार ही लग रही है....असीम स्नेह

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

भक्ति भाव से ओत प्रोत रचना बहुत ही सुन्दर और भाषाओ का अद्भुत संगम है.. अति सुन्दर..

डा सुभाष राय ने कहा…

राजेन्द्र, अच्छी रचनायें, वैसे क्रिश्न अपने आप में इतना मुग्धकारी है कि कोई भी रचना उसके सौन्दर्य से स्वतः दीप्त हो उठती है. अनुभूति पर मेरी एक रचना क्रिश्न पर है, देखना.

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

सुन्दर रचनाएं, प्यारी तस्वीरें , बधाई और धन्यवाद.
कितने रंग भरे है आपकी शख्सियत में....!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत ही मधुर .... भक्ति रस में डूबी हर रचना अनमोल हीरे की तरह है ......

राणा प्रताप सिंह (Rana Pratap Singh) ने कहा…

बेहतरीन..भक्ति भाव की अविरल नदी सी बह चली आपकी इस ग़ज़ल में| दिव्यांशी बहुत ही सुन्दर है( छोटा कन्हैया, प्यारा कन्हैया)|

kavi kulwant ने कहा…

are wah naye pratiman...

डॉ. सत्यनारायण सोनी ने कहा…

गजब है सा... बेहद भावपूर्ण...
बधाई!

baddimag ने कहा…

rajendr jee
pahle kee tarah adbhut
vystataon ki vajah se pahle hi din nahin dekh paya iske liye chama yachana.
pyari see divyanshi ke vivaran ka intjaar rahega.

बेनामी ने कहा…

गजब... भावपूर्ण है सा.. बधाई..
डॉ. सत्यनारायण सोनी

Coral ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना बधाई !

नादान उम्मीदें ने कहा…

pahli baar aapke blog par aaya hoon,chota hoon umr me bhi or likhne me bhi,bade bhai ki tarah aapka sahyog chahta hoon,nadaanummidien.blogspot.com se kuch likha hai,kabhi samay mile to awashya pdhiyega

सर्वत एम० ने कहा…

कृष्ण-भक्ति के रस में डूबी रचनाएँ प्रस्तुत करने के लिए साधुवाद. मैं थोडा देर से पहुँच सका और बहुत से मित्रों तक तो पहुँच भी नहीं पा रहा हूँ. थोड़ी प्रोब्लम्स हैं जिन्हें मैं समझता हूँ आप सहित सभी मित्र समझ रहे होंगे.
आप जैसे सिद्ध रचनाकार को कमेंट्स क्या दिए जाएँ, यह मेरे लिए हमेशा संकट जैसा मामला होता है. शब्द ढूंढना भी टेढ़ी खीर लगता है.
एक प्रार्थना: एक बार में एक ही रचना दें तो कुछ सुविधा जैसा अनुभव होगा.

sandhyagupta ने कहा…

भक्ति के रंग में रंग दिया आपने.दोनों ही रचनाएँ भाव विभोर कर गयीं.शुभकामनायें.

Asha Lata Saxena ने कहा…

कृष्ण जन्म अष्टमी व शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर
आपको हार्दिक बधाई |आपका लेखन बहुत सशक्त है |
आजकी रचना के लिए बधाई |मु्झे बहुत प्रसन्नता होती है जब आप मेरी रचनाओं पर टिप्पणी देते है
इस के लिए बहुत आभारी हूं |
आशा

kumar zahid ने कहा…

चित्र ,भाव, गज़ल और राजस्थानी में डिंगल-गजल भी लुभावनी.

राजेन्द्र जी आप बहुत सुन्दर और गहरे डूब कर लिख रहे हैं
सरस्वती आप पर सदा मेहरबान रहें।

सतपाल ख़याल ने कहा…

kanha ko urdu ke rang me khoob ranhga hai aapne..jai murli wale kii

नादान उम्मीदें ने कहा…

sir,aapka feedback mila,aabhar wykt karta hoon,mere liye hakirat ji or aap dono ki salaah tonic ka kaam karegi,nischay hi apni taraf se puri koshish karunga,,,,
filhaal kalam thami hai,to jo kuch likh paa raha ho likh raha hoon,,agr himmat hui to sketch bhi banane ki koshish karunga,,,,
dhanyawaad
BHARAT SINGH CHARAN nadaanummidien ki taraf se

sheetal ने कहा…

bhagvaan shri krishna par likhi sabhi rachnai behad khubsurat hain.
divyanshi sach main bahut pyaari lag rahi hain.

Smart Indian ने कहा…

बहुत सुन्दर रचनायें!

'साहिल' ने कहा…

bahut khoobsoorat rachnayen hain...badhaii ho!

Rohit Singh ने कहा…

आपकी आवाज का जादू कहां है इस बार......बिरादर....????

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बेहद खूबसूरत और भक्तिभाव से ओत प्रोत रचनाएँ..... बधाई.... आपको भी शुभकामनायें.....

Pawan Kumar ने कहा…

जन्माष्टमी पर गंगा जमुनी तहजीब में रची बसी ग़ज़ल-कविता पढने को मिली.... जी निहाल हो गया. सुनदर सटीक शब्दों में भावनाओं को बड़ी ही खूबसूरती से पिरो दिया स्वर्णकार जी....हमारी कोटिश: बधाईयाँ स्वीकार करें.

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

बढ़िया चित्रों संग सुन्दर रचना से तो आपने हमें भक्तिमयी कर दिया.

आपका हार्दिक आभार.

चन्द्र मोहन गुप्त

Narendra Vyas ने कहा…

आदरणीय राजेंद्र भाई साहब ! प्रणाम ! क्षमा चाहूँगा कि मैं आपके इस गोकुल धाम सम ब्लॉग पर आया, कई बार आया, पढ़ा, बहुत ही आनंदित हुवा, पर अपनी प्रतिक्रिया आपके आशीर्वाद स्वरुप और श्री कृष्णा के नमन करने के प्रयोजनार्थ नहीं कर सका..उम्मीद है आप और श्री कृष्णा, क्षमा कर पायेंगे.
आपका ब्लॉग तो साक्षात् गोकुल धाम लगा. इतनी सुन्दर-सुन्दर और भक्ति रस में डूबी रचनाएँ हैं कि तारीफ के लिए शब्द श्रीहीन हो गए हैं. ब्रिज की बांसुरी की तान अभी तक अनवरत सुनाई दे रही है, तो कही उस बांकी की हर अदा साक्षात् सामने प्रस्तुत हो मुकुराती सी लगती है, कही सांवरे की प्रीत के रंग में डूब कर रोम-रोम भक्ति भाव के रस से सिंचित हो रहा है, साथ ही तस्वीरें तो मन को अनायास ही अपनी और आकर्षित कर रही है. आपका भाव और समर्पण इन रचनाओं में साफ़ झलक रहा है. कृष्णा भक्ति का सूफियाना अंदाज़ भी काबिले तारीफ है. किस-किस छंद की तारीफ करूँ? बस इतना ही कह पाऊंगा..कि लाज़वाब और अप्रतिम प्रस्तुति. आप सदा हमे ऐसी ही सुमधुर और भावप्रधान रचनाओं से रूबरू करवाते रहें..यही आपसे प्रार्थना है. आपका कोटिशः आभार ! प्रणाम !

deepti sharma ने कहा…

aap mere blog m aaye or mera margdarsan kiya apka dhanyvad kripya aap yuhi apna aashis mujh p banaye rakhe
deepti sharma
www.deepti09sharma.blogspot.com

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

# डॉ.अजमल खान साहब
शुक्रिया ! … शुभकामनाएं !

# आदरणीया वंदना जी
कृतज्ञ हूं । हार्दिक शुभकामनाएं !

# आदरणीय मनोज कुमार जी
आभार और हार्दिक शुभकामनाएं !

# बड़े भाईसाहब नीरज गोस्वामी जी
हमेशा छोटे भाई की ता'रीफ़ करते रहते हैं , बिगड़ न जाऊं , नज़र रखिएगा ।
दिव्यांशी तुतलाती हुई अपने बड़े दादा को प्रणाम कह रही है ।
आभार और हार्दिक शुभकामनाएं !

# आदरणीया अर्चना तिवारी जी
आभार एवम् हार्दिक शुभकामनाएं !

# क्षितिजा जी
स्वागत और हार्दिक शुभकामनाएं !

# डॉ. टी एस दराल जी
आपकी दुआओं से लगातार ख़ुद ब ख़ुद सीखने के प्रयास करता रहता हूं ।
इस बार ब्रज का स्पर्श लिए' एक मधुर गीत लगाऊंगा । दिव्यांशी प्रणाम कह रही है ।
आभार और हार्दिक शुभकामनाएं !

# प्रिय भाई दीपक मशाल जी
शुक्रिया , आभार एवम् हार्दिक शुभकामनाएं !

# आदरणीया रचना दीक्षित जी
धन्यवाद और हार्दिक शुभकामनाएं !
कृपया, दिव्यांशी को आशीर्वाद देती रहें ।

# भाई रावेंद्रकुमार रवि जी
आभार और हार्दिक शुभकामनाएं !

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

# आदरणीय हबीब साहब
आपके बड़प्पन के आगे मेरे भाव बहुत छोटे हैं । प्रणाम ! हार्दिक शुभकामनाएं !

# आदरणीय समीर जी भाई साहब
आपकी उपस्थिति हर किसी के लिए उत्साहवर्द्धक होती है ।
आभार और हार्दिक शुभकामनाएं !

# राजभाषा हिंदी
स्नेह सौहार्द के लिए धन्यवाद और हार्दिक शुभकामनाएं !

# प्रिय बंधुवर मनु जी
आप जैसे गुणी और प्यारे दोस्त का संभाल कर चले जाना भी बड़े सौभाग्य की बात है ।
स्नेह में कमी न आने दें । आभार और हार्दिक शुभकामनाएं !

# आदरणीय अरविंद मिश्र जी
आप द्वारा अपनी पोस्ट क्वचिदन्यतोअपि..... पर मुझे कविता समर्पित करने के लिए आभार !
आपको भी सरस्वती की कृपा से एक कवित्त हाथों हाथ लिख कर समर्पित किया है …

गोविंद की सौं है अरविंद , अरविंद सो है ,
नियम आचार तेज संयम प्रकाशी है !
ज्ञानी , है विज्ञानी , संतजन - सा है ध्यानी ,
पूरा सागर विराट ; न कि बूंद ये ज़रा - सी है !!
लघु का भी मान करे , गुणी का सम्मान करे ,
सुना था कि कृष्ण के सदृस महारासी है !
राजेन्द्र कसौटी बिन परखे है खरा सोना ,
कृष्ण - सा ही योगी , कर्मवीर ये संन्यासी है !!

आभार और हार्दिक शुभकामनाएं !

# नीलेश जी
आभार ! शुभकामनाएं !

# भाई इमरान अंसारी जी
स्वागत ! ता'रीफ़ के लिए शुक्रिया !
धन्यवाद और हार्दिक शुभकामनाएं !

# स्नेहमूर्ति इस्मत ज़ैदी आपा
बहुत बहुत आभार और हार्दिक शुभकामनाएं !
अगले महीने दिव्यांशी एक वर्ष की हो जाएगी…तब एक पोस्ट लगाऊंगा ।
आपके आशीर्वाद की मुझे भी आवश्यकता है , दिव्यांशी को भी !

# प्रिय प्रवीण पाण्डेय जी
आभार एवम् हार्दिक शुभकामनाएं !

# रौशनी जी
स्वागत ! धन्यवाद , आभार और हार्दिक शुभकामनाएं !

# भाई गौरव अग्रवाल जी
शुक्रिया , आभार एवम् हार्दिक शुभकामनाएं !

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

# परम आदरणीय चाचा डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी
नमन ! आभार एवम् हार्दिक शुभकामनाएं !

# आदरणीया वात्सल्यमूर्ति ' अदा ' दीदी
प्रणाम ! धन्यवाद और हार्दिक शुभकामनाएं !
दिव्यांशी का प्रणाम स्वीकार करें !

# प्रिय भाई विनोद कुमार पांडेय जी
आपका स्नेह मेरी ऊर्जा है ।
आभार और हार्दिक शुभकामनाएं !

# आदरणीया निर्मला कपिला मौसीजी
आभार एवं हार्दिक शुभकामनाएं !

# आदरणीया रश्मि रविजा जी
आपकी कृपादृष्टि से मेरा लेखन सार्थक हुआ ।
दिव्यांशी का प्रणाम स्वीकारें !
कृतज्ञ हूं । धन्यवाद ! हार्दिक शुभकामनाएं !

# डॉ. नूतन " अमृता " जी
हार्दिक स्वागत ! धन्यवाद और हार्दिक शुभकामनाएं !

# डॉ. सुभाष राय जी
आभार और हार्दिक शुभकामनाएं !

# आली जनाब मोहतरम मंसूर अली साहब
आपका मेरे यहां पधारना मेरी बहुत बड़ी इज़्ज़त अफ़्ज़ाई है ।
शुक्रिया ! आभार और हार्दिक शुभकामनाएं !

# आदरणीय दिगम्बर नासवा जी
हौसलाअफ़्ज़ाई के लिए शुक्रिया ! हार्दिक शुभकामनाएं !

# प्रिय बंधुवर राणा प्रताप सिंह जी
कृतज्ञ हूं । दिव्यांशी के लिए आशीष बनाए रखें …!
धन्यवाद और हार्दिक शुभकामनाएं !

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

# आदरणीय कविराज कुलवंत सिंह जी
आभार और हार्दिक शुभकामनाएं !

# रजथानी रा मुगटमणी आदरजोग सत्यनारायण सोनी जी
घणैमान रंग !
आभार और हार्दिक शुभकामनाएं !

# आदरणीय तेजपालजी नेगी साहब
अगले महीने के पहले सप्ताह में दिव्यांशी का पहला जन्मदिन है वह पोस्ट ज़रूर देखिएगा …
धन्यवाद और हार्दिक शुभकामनाएं !

# तृप्ति इंद्रनील जी ' Coral '
आभार एवम् हार्दिक शुभकामनाएं !

# भाई भरत सिंह चारण जी
स्वागत ! शुभकामनाएं !

# आदरणीय भाईजान सर्वत एम जमाल साहब
प्रणाम ! आपके अपनत्व को महसूस करके मन में आपके प्रति सम्मान के भाव निरंतर बढ़ते ही जा रहे हैं ।
एक बार में एक रचना का प्रयास रहेगा ।
आभार एवम् हार्दिक शुभकामनाएं !

# आदरणीया दीदी संध्या गुप्ता जी
आप जैसी विदुषी के श्रीमुख से कहा गया शब्द-शब्द महत्वपूर्ण है मेरे लिए ।
कोटिशः आभार एवम् हार्दिक मंगलकामनाएं ! शुभकामनाएं !

# परम आदरणीया आशा अम्मा
प्रणाम ! आपके पावन आशीर्वाद की मुझे हर क्षण आवश्यकता है ।
आभार एवम् हार्दिक शुभकामनाएं !

# आदरणीय कुमार ज़ाहिद साहब
आप जैसे गुणी जब मेरे लिखे पर
बहुत बहुत शुक्रिया !

# प्रिय भाई सतपाल ख़याल जी
स्वागत ! धन्यवाद और हार्दिक शुभकामनाएं !

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

# शीतल जी
बहुत बहुत स्वागत ! धन्यवाद और हार्दिक शुभकामनाएं !
दिव्यांशी की ओर से थैंक्स !

# आदरणीय अनुराग जी 'स्मार्ट इंडियन'
स्वागत ! आभार और हार्दिक शुभकामनाएं !

# आदरणीय साहिल जी
स्वागत ! धन्यवाद और हार्दिक शुभकामनाएं !

# प्रियवर रोहित जी
आप जैसे दोस्त की मौज़ूदगी ही महत्वपूर्ण है ।
इस बार मैंने सोचा अपने बेसुरेपन से परेशान न ही किया जाए … हा हाऽऽहा ( आवाज़ अगली बार …)
आभार एवम् हार्दिक शुभकामनाएं !

# आदरणीया डॉ. मोनिका शर्मा जी
धन्यवाद ! साथ ही हार्दिक शुभकामनाएं !

# repected singhsdm ji
शुक्रिया ! आभार ! मंग़लकामनाएं !

# प्रिय चन्द्र मोहन गुप्त मुमुक्ष जी
स्वागत ! आभार एवम् हार्दिक शुभकामनाएं !

# प्रिय भाई नरेन्द्र व्यास जी
आपने जिस विद्वतापूर्ण भाषा में प्रतिक्रिया दी है , इसके समक्ष मेरा काव्य कुछ नहीं । स्नेह सम्मान हेतु आभारी हूं …
धन्यवाद और हार्दिक शुभकामनाएं !

# प्रिय दीप्ति जी
बहुत बहुत स्वागत ! आभार एवम् हार्दिक शुभकामनाएं !

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" ने कहा…

jai shri krishna..........mast lagi

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jai shri krishna..........mast lagi

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ZEAL ने कहा…

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very nice creation ! Thanks for sharing with us.

zealzen.blogspot.com

ZEAL
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रंजना ने कहा…

कृष्ण नाम का तो केवल स्मरण ही ह्रदय को प्रेम पूरित कर देता है,फिर जब इतना सुन्दर लिखा गया हो,तो बात ही क्या...

आपका उर्दू शब्दों का यह अभिनव प्रयोग भी मुझे बड़ा प्रभावशाली लगा...

दोनों ही रचनाएं और बाल गोपाल के वेश में सजी सुन्दर बाला के रूप ने मोहित कर लिया...

बहुत बहुत आभार आपका इस सुन्दर पोस्ट के लिए...

SATYA ने कहा…

सुन्दर रचना।

यहाँ भी पधारें :-
No Right Click

Shabad shabad ने कहा…

सुन्दर रचना....प्यारी तस्वीरें !
बेहद खूबसूरत और भक्तिभाव भरे हैं !
बधाई और धन्यवाद!

दीपक 'मशाल' ने कहा…

आपके ब्लॉग को आज चर्चामंच पर संकलित किया है.. एक बार देखिएगा जरूर..

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

आपकी भक्ति रचनाओं में शब्दार्थ वाला भाग मेरे आकर्षण का कारण है. मुझे आपके शब्द-प्रयोग बेहद भाते हैं. मुझे सीखने को मिलता है.

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

kamal ki rachanaaen aur sajja hai. mubarakbad.

अंजना ने कहा…

कृष्ण-भक्ति के रस में डूबी अच्छी रचनाएँ|

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

Sadhana Vaid ने कहा…

रचनाएं तो दोनों ही बस लाजवाब हैं ! इतनी खूबसूरत, गहन अनुपम रचनाओं पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिये भी हिम्मत जुटानी पड़ती है ! प्यारी दिव्यांशी की छवि एवँ छटा मन मोह कर ले गयी ! जन्माष्टमी की आपको हार्दिक बधाइयाँ व शुभकामनायें ! जय श्रीकृष्ण !