हिंदी दिवस पर शुभकामनाएं !
अधिक संतुष्टि और प्रसन्नता की बात होती,
यदि आज हिंदी की स्थिति ऐसी हुई होती कि
हिंदी दिवस मनाने जैसी आवश्यकता ही नहीं होती तो
... ... ...
…
~* प्रस्तुत है एक सवैया और एक गीत *~
हिंदी हमारी हृदयाभिलाषा !
भाव भरी , अनुभाव भरी , सद् भाव भरी , सु - आनंद - समासा !
भाग्य - भगीरथी भद्रजनों की , भारतवर्ष की भगवद् - भाषा !!
आदि - अनादि , चिरंतन - नूतन , आर्यावर्त - अखिल - अभयाशा !
हृदगत् हरि लौं हर्ष - विवर्धिनी, हिंदी हमारी हृदयाभिलाषा !!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
हिंदी गूंजे पंचम स्वर में !
यह अक्षर निधि हमारी है ! हिंदी हमको प्यारी है !
हिंदी अपनी भाषा है , हिंदी ही अपनी बोली है !
हिंदी क्रिसमस ईद वैशाखी दीवाली है, होली है !
लिपि प्रेम समन्वय न्याय की,
यह प्रभा प्रगति - पर्याय की,
यह सांस हर इक समुदाय की !
नत मस्तक जगती सारी है ! हिंदी हमको प्यारी है !
हिंदी ; हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई ... सबका प्राण है !
हिंदी लय है , तान है, हिंदी मधुर सुरीला गान है !
ध्वनि आलाप मधुर घर - घर में,
शब्द - शब्द , अक्षर - अक्षर में,
हिंदी गूंजे पंचम स्वर में !
घर - आंगन की किलकारी है ! हिंदी हमको प्यारी है !
हिंदी - संभाषण में अनुभव होता शहद मिठास का !
हिंदी जिन हृदयों में बसी है , वहां वास मधुमास का !
नव - उत्साह - लहर दे हिंदी,
दीप प्रज्ज्वलित कर दे हिंदी,
श्रद्धा मन में भर दे हिंदी !
हिंदी बहुत हृदयहारी है ! हिंदी हमको प्यारी है !
हमें कब्र से चिढ़ा रही… 'मैकाले' की मुस्कान अभी !
करें आज से निज भाषा पर गर्व और अभिमान सभी !
अब हम हिंदी को अपनालें,
हृदय - हृदय में इसे बसालें,
राष्ट्रभक्ति का धर्म निभालें !
कहां विवशता - लाचारी है ? हिंदी हमको प्यारी है !
अंग्रेजी को घर से बाहर हिंदी आज निकालेगी !
आज स्वामिनी अपने गृह की सत्ता स्वयं सम्हालेगी !
निज भाषा संज्ञान चाहिए,
निखिल - अखिल अभियान चाहिए,
हिंदी को सम्मान चाहिए !
हिंदी पहचान हमारी है ! हिंदी हमको प्यारी है !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
… विलंब से ही सही …
गणेशचतुर्थी , ईद , ॠषिपंचमी और पर्युषण पर्व
सारे त्यौंहारों के लिए मेरी ओर से हार्दिक मंगलकामनाएं !
॥ शुभास्ते संतु पंथानः॥
44 टिप्पणियां:
बहुत ही प्यारी और प्रभावी रचना है.....
अब हम हिंदी को अपनालें ......
हृदय हृदय में इसे बसा लें.....
बहुत ही सार्थक पंक्तियाँ
सभी त्योंहारों की आपको भी बधाई
हिन्दी दिवस पर आपकी कविता का रसास्वादन आज की बड़ी उपलब्धि है !
बहुत सुन्दर गीत ...
कितना रस भरा है हिंदी में, और आपकी लेखनी इस रस में पग कर कितना उल्लासित करती है, यह शायद आप भी नहीं जानतें होंगे. मन अन्दर तक भीग गया है पढ़ कर . आभार
बहुत बहुत सुन्दर गीत ..हिंदी के बारे में ये सब पढकर बहुत गर्व होता है.
जय हिंद ....!!
जय हिंदी .....!!
जय जय हिन्दुस्तान .....!!
जय हिंद ....!!
जय हिंदी .....!!
जय जय हिन्दुस्तान .....!!
rajendra jee shabd shabd prbhavi
akchar akchar bhari hain
hindi ko aap mile hain
fir kaisi lachari hai
Aap jaise hindi premiyun ke hot ehue ,
ye hindi kabhi maregi nhi,
ye mashaal jalti rahegi,
bahut bahut sadhubad
राजेंद्र भाई , हिंदी दिवस पर इससे बेहतर रचना हो ही नहीं सकती ।
आपने बहुत अच्छा परिभाषित किया है हिंदी को ।
बधाई और शुभकामनायें ।
हिन्दी दिवस की बहुत बधाई।
हिंदी दिवस पर हार्दिक बधाई दिव्य कविता
हिंदी के वर्तमान और भविष्य को लेकर हम सभी चिंतित हैं. सरकार जिस तरह हिन्दी दिवस की भाषा बनाकर इसे खत्म करने के उपक्रम में जुटी है, वह बहुत दुखी अरने वाला है.आप का हिन्दी वन्दन अच्छा लगा.
हिंदी के वर्तमान और भविष्य को लेकर हम सभी चिंतित हैं. सरकार जिस तरह हिन्दी दिवस की भाषा बनाकर इसे खत्म करने के उपक्रम में जुटी है, वह बहुत दुखी अरने वाला है.आप का हिन्दी वन्दन अच्छा लगा.
हिंदी दिवस पर हार्दिक बधाई दिव्य कविता
दुःख की बात है के हम जिस भाषा में सोचते हैं लिखते हैं उसी भाषा को बोलने में हिचकिचाते हैं...अंग्रेजी भाषा का मैं विरोधी नहीं लेकिन अकारण उसे बोलना मुझे अभी भी हमारी गुलामी का परिचायक लगता है...हम मानसिक रूप से अभी भी अंग्रेजों के गुलाम हैं और न जाने कब तक रहेंगे...
जो देश अपनी भाषा बोलने से शर्माता हो वो कैसे दुनिया का शीर्ष देश बनने का सपना देखता है ये आश्चर्य की बात है...
हिंदी को मात्र हिंदी दिवस तक सिमित कर हम इस भाषा का अपमान ही कर रहे हैं...आपने कभी किसी अंग्रेजी बोलने वाले देश को अंग्रेजी दिवस मनाते सुना है क्या?
आपकी रचना हमेशा की तरह प्रेरक है...काश हम इसे अपने दिल में सदा के लिए उतार पाते...
नीरज
आपको भी हार्दिक बधाई...
में नीरज जी की बात से पूरी तरह सहमत हूँ.
bahut achhi aur prabhaavshaali prastuti, shubhkaamnaayen.
पश्चिमीकरण से वशीभूत होकर हम इस घुड दौड़ में दौड़ रहे,
भा गयी भाषा विदेशी इतनी ,हम हिंदी माँ को छोड़ रहे.
सही कहा है ........ हमें हिंदी हमारी मातृभाषा है ये याद दिलाने के लिए ही तो हिंदी दिवस जैसे पर्व को मनाना पड़ रहा...........इससे बड़ी और क्या विडम्बना है भारतीयों पर, क्या दूसरी की माँ अपनी मां से ज्यादा खुबसूरत है तो क्या हम अपनी माँ को छोड़ देते हैं या छोड़ देंगे.? सम्मान देना दूसरे के भाषा को और अपनी व्यवहार में उसे पूरा उतार लेना बात बिल्कुल जुदा है ..........
आरज़ू है ये की हिंदी हर हिन्दुस्तानी के दिलों में फिर से बसे |
HINDI DIVAS PAR SABKO BADHAAEE .
AAPKAA GEET PRARTHNA KEE TARAH HAI.
हिंदी दिवस पर शुभ कामनाएं |
आशा
बहुत सुन्दर रचना
आपको हिंदी दिवस कि शुभकानाए !
मैं निपट अज्ञानी, तुलनात्मक विश्लेषण में विश्वास नहीं रखता; कठिन होता है; तुलनात्मक विश्लेषण के लिये विषद ज्ञान आवश्यक होता है जाू मुझमें नहीं है। सृष्टि में आज जो कुछ भी है उसका एक लंबा इतिहास है। इतने दीर्घकालिक इतिहास से होकर हम तक जो भी पहुँचा उसी में जाति, धर्म और भाषा भी हैं। कठिन है यह कहना कि कौनसी भाषा का क्या अस्तित्व है। मैं तो मूलत: पंजाबी हूँ, मध्यप्रदेश में ही पैदा ओर बडा हुआ हिन्दी के बीच, अंग्रेजी माध्यम से पाला पडा इंजीनियरिंग के समय और फिर कुछ योग ऐसे रहे कि धीरे-धीरे दोनों भाषाओं पर समान नियंत्रण की स्थिति आ गयी। अंग्रेजी और हिन्दी दोनों भाषाओं में खूब पढा लेकिन सहज आज भी हिन्दी में ही हूँ इसका सम्मान करता हूँ मगर उतना ही जितना अन्य भाषाओं वाले अपनी मातृभाषा का करते हैं।
हिन्दी दिवस आदि इस प्रकार के आयोजन इतने औपचारिक हो चुके हैं कि अपना अर्थ खो चुके हैं।
"हिंदी का प्रसार, हिंद का आधार. "
अद्भुत रचना. बचाई. आभार.
मर्मस्पर्शी अतिसुन्दर रचना...
" हिंदी हमारी हृदयाभिलाषा " का भाव और रचना सौंदर्य तो बस निःशब्द ही कर गया...
अपने इस भाषा के लिए हम इतना ही कर सकते हैं कि इसे हिंदी दिवस में न बांधकर दिनानुदिन प्रयोग में ,व्यवहार में लायें...इसपर आस्था सुदृढ़ करें और औरों को भी इस हेतु प्रोत्साहित करें...
प्रियवर राजेन्द्र जी!
हिन्दी-दिवस के आवसर पर आपने सवैया एवं गीत बहुत सुन्दर रचा है!
--
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
हिन्दी के प्रति आपकी भावनायें प्रशंसनीय हैं
ये सम्पर्क सूत्र अरविन्द जी के हैं
jha.arvind1963@gmail.com
0522-2240238
9452267466
9598246350
sabse pehle aapko bahut bahut dhanyabad ki aapne meri rachna ko saraha,,,,,,,isi tarha hamara manobal badhate rhen,,aap sab ke sath umeed hai kuchh accha karte rahegne,
ab iske liye v aapko dhanyawad ki aapne bahut achhi rhachana likhi hai, wakai shandar bhav
shubhkamnayon ke sath
kunal kishore
बहुत सुन्दर गीत ...
हिन्दी दिवस की बहुत बधाई।
hindi bhasha par aapka saviya aur kavita behad khoobsurat hain
niz bhasha sangyan chahiye
nikhil akhil abhiyaan chahiye
hindi ka smman chahiye.....bahut achche prerna dayak bhaav
aapko bahut bahut badhaai.
देर से आने का अफसोस..नुकसान मेरा ही हुआ कि इतनी बेहतरीन रचना का रसास्वादन देर से कर पाया किन्तु संपूर्ण आनन्द आया.
सुन्दर लेखनी..बहुत बधाई.
श्री राजेन्द्र स्वर्णकार जी,
नमस्कारम्!
परिमार्जित भाषा में हिन्दी की भावमय एवं तथ्यपूर्ण पक्षधरता के लिए साधुवाद!
-जितेन्द्र ‘जौहर’
हिंदी पर खूबसूरत रचना। कुछ-कुछ ऐसी जैसे ''''विश्व विजय तिरंगा प्यारा.....।
दोस्त मेरे ब्लॉग से कोई नराजगी है क्या। है तो बताओ दूर करने की कोशिश
नहीं करुंगा.....
दोस्त हो झगड़ा तो बनता है अपना
हिंदी हिंद की जान है, भारत की पहचान है ...........!!
इस बेहद सुन्दर और प्रभावी पोस्ट के लिए सादर बधाई प्रेषित है कृपया स्वीकार करें........!!
हिंदी पर इतनी सुन्दर रचना और चित्र भी सार्थक .. देर से ही आई पर दुरस्त .. शुभकामनाएं
आप हर विषय पर और सही समय पर कैसे लिख लेते हैं ?
बहुत सुंदर रचना ,सच हिंदी हमें बहुत प्यारी है और जहां तक सवाल है अंग्रेज़ी का ,वो भी एक भाषा है ज़रूर सीखें लेकिन उसे हिंदी पर हावी न होने दें ,मैं नीरज जी की बात से सहमत हूं कि अकारण अंग्रेज़ी बोलना ग़ुलामी का परिचायक है मुझे अपना एक शेर याद आता है
हुईं मुद्दतें वो चले गए ,प हमारा ज़ह्न तो आज भी
उसी नह्ज का, उसी सोच का,उसी मुम्लिकत का ग़ुलाम है
bahut sundar rachnaa hai.. aur deshbhaqti aur hindi hindustan ki bhavnaa bahut khoob...
हिन्दी-दिवस के आवसर पर बहुत सुन्दर प्रस्तुति. आपकी कविता ने मन को मोह लिया.सारे गुण हिन्दी के आपने बडी सहजता से कह डाले .जय हिन्दी.......
नमस्कार,
जन्मदिन की शुभकामनायें हम तक प्रेम, स्नेह में लिपट पर पहुँचीं.
मित्रों की शुभकामनायें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देतीं हैं.
आभार
राजेंद्र जी|
विलम्ब से पहुँचने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ|
हिंदी के गुणगान में सवैया बहुत ही सुन्दर लगा| ये मत्तयगंद सवैया है न?
गीत भी हिंदी की कथा और व्यथा बखूबी बयाँ कर रहा है|
बहुत सुन्दर लगे दोनों|ब्रह्माण्ड
अधिक संतुष्टि और प्रसन्नता की बात होती,
यदि आज हिंदी की स्थिति ऐसी हुई होती कि
हिंदी दिवस मनाने जैसी आवश्यकता ही नहीं होती
सौ टके की बात
जहाँ तक रचना का सवाल है तो यह हिंदी दिवस पर आपकी तरफ से एक अनमोल तोहफा है.
अति सुन्दर कविता! क्या इस कविता का पाठ हिंदी दिवस के उपलक्ष में १४ सितम्बर को अपने कार्यालय में कर सकता हूँ | कृपया अनुमति दें |
इसी भावना ने आज तक हिंदी को सम्मानित करवाया है अन्यथा मैकाले के मानस पुत्रों ने हम हिंदी पुत्रों कब का वनवास दे दिया होता | सादर वन्दन अभिनन्दन सभी हिंदी पुत्रों का
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