एक ग़ज़ल बिना भूमिका
धोख़ा मत खा बंधु !
ग़लत दिशा मत जा बंधु !
राह सही अपना बंधु !
जग जैसा है, वैसा है
तू कैसा बतला बंधु !
कौन पराया अपना है
सोच-फ़िकर बिसरा बंधु !
अपने किस दिन ग़ैर हुए
यूं धोख़ा मत खा बंधु !
रूठ गए हैं जो अपने
उनको आज मना बंधु !
आना होगा; … आएंगे
पीछे भी मत जा बंधु !
तेरे मन में पाप नहीं
रखना सिर ऊंचा बंधु !
शर्मिंदा वे ही होंगे
जिनके मैल भरा बंधु !
जो सच है; राजेन्द्र वही
ग़ज़लों में लिखता बंधु !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
(c)copyright by : Rajendra Swarnkar
मित्रों !
तीन-चार महीने से मेरे साथ अज़ीब समस्या चल रही है ।
मैं जिन ब्लॉग्स को फॉलो कर रहा हूं, उनमें से कई ब्लॉग्स पर मेरी तस्वीर नहीं दिखाई देती ।
और मैं दुबारा फॉलो करने का प्रयत्न करता हूं तो यह लिखा मिलता है
:) हमें खेद है, साइट के स्वामी ने आपको साइट में शामिल होने से अवरुद्ध कर दिया है. (:
यहां तक कि मैं स्वयं अपने ब्लॉग को फॉलो नहीं कर पा रहा हूं
आपसे निवेदन है कि मैंने आपमें से किसी को अवरुद्ध नहीं किया है
मैंने मेरे ब्लॉग के लगभग तमाम फॉलोअर्स के अलावा भी कई ब्लॉग्स को फॉलो किया है
… लेकिन पता नहीं अनेक ब्लॉग्स पर मुझे कैसे और किसके द्वारा गायब कर दिया गया है ?
आपमें से कोई इस समस्या के निदान में सहयोग कर सकें तो आभारी रहूंगा ।
वर्ष 2010 अंतिम पड़ाव पर है
शुभकामनाओं का दौर शुरू हो चुका है
वर्ष 2011 से पहले अभी इस वर्ष में
आप सबसे और मुलाकातें अवश्य होंगी
शुभकामनाएं !
शुभकामनाएं !
शुभकामनाएं !
55 टिप्पणियां:
कौन पराया अपना है
सोच-फ़िकर बिसरा बंधु !
-यह समझ आ जाये तो जीवन सफल हो जाये.
आपने बहुत ही सरल शब्दों में सुन्दर सन्देश कविता में दिए हैं.
'आना होगा आयेंगे...'
एकला चोलो रे..की याद दिला रहा है.
बहुत अच्छी रचना है.
सरल शब्दों में सुन्दर सन्देश, बहुत अच्छी रचना ...
बहुत सुंदर और ईमानदार भाव , शुभकामनायें राजेंद्र भाई !
बहुत सुंदर और ईमानदार भाव , शुभकामनायें राजेंद्र भाई !
मुझे तो फालो नहीं किया आपने :-(
रूठ गए हैं जो अपने उनको आज मन बंधू
आना होगा आयेंगे ...पीछे भी मत जा बंधू
बहुत खूब राजेंद्र जी.
.
आप अमन का पैघ्म को follow करें, यदि यही error message आये तो बातें. आशा है यह मेसेज नहीं आएगा.
छोटी बहर में मुश्किल काम को आसानी से पूरा कर लिया आपने ,बधाई हो
रूठ गए हैं जो अपने
उन को आज मना बंधु
ग़लत दिशा मत जा बंधु
राह सही अपना बंधु
बड़े कारआमद पैग़ामात दिये हैं आप ने
वाह बहुत बेहतरीन... बहुत ही बढ़िया...
बढ़िया है बंधु ।
तस्वीर में ही सारा संदेश छुपा है ।
सुन्दर सरल रचना , अच्छा सन्देश देती हुई ।
बहुत खूब लिखा है आपने..
और ये फोलोअर्स वाली समस्या तो गंभीर हैं...
sach kaha aapne bandhu:)
kya khub likha aapne.....
ab jara jaldi se mere blog pe aayen sir:D
jiske mann me apradh bhaw nahi hota , use kaisa ghabraba aur dagmagana ... bahut sahaj, saral rachna ...
सहज भावनाओं को व्यक्त करती एक सुन्दर रचना ! आपको भी शुभकामनायें!
chhoti bahar ki umda gazal..
har sher apni baat badi sahajta se kah raha hai..
pravah kya kahna!
भगवान करे सब समझ जायें बंधु।
सुन्दर संदेश देती हुई सार्थक रचना।
बहुत ही सुंदर रचना जी, यह फ़लोवर वाली समस्या का हल आप के पास ही कही हे, आप सेटिंग मे जा कर ध्यान से देखे, वही हल निकल आयेगा, यह कोई गमभीर समस्या नही हे, ओर हां दुसरो के ब्लांग पर जेसे मेरे ब्लांग पर फ़्लोवर तो बहुत हे लेकिन उन के चित्र १० १२ ही हे, अगर पुरे देखने हो तो उन चित्रो पर किल्क करो सभी दिख जायेगे, शायद आप के साथ यही समस्या होगी. धन्यवाद
बहुत सुन्दर ग़ज़ल, सुन्दर सन्देश, सार्थक रचना पढ़वाने के लिए शुक्रिया|
सरल,तरल एवं निश्छल भावाभिव्यक्ति!
- अरुण मिश्र.
राजेन्द्र जी,
गज़ल बहुत अच्छी लगी आपकी।
सीधे सादे शब्दों में सही दिशा दिखाने का यत्न। यत्न इसलिये कहा क्योंकि अपने मन में तो मैल भरा है, अपनों के बेशुमार प्यार के बावजूद गलत दिशायें ही खींचती हैं।
आभार स्वीकार करें।
छोटी बहर में बेहतरीन ग़ज़ल .
सीख / संदेश और प्रेरणा देती हुई ग़ज़ल नये साल के लिए तोहफा समान लगी.
---------
मेरे ख्याल से गूगल की ही कुछ प्रॉब्लम होगी ,कोई आप को ब्लॉग फोलो करने से अवरुद्ध क्यूँ करेगा भला?
अभी चेक किया मेरे ब्लॉग लिस्ट पर अब आप दिखाई नहीं दे रहे.
-------------
कुछ तकनिकी समस्या होगी.तकनीक विशेषज्ञ ही बता सकेंगे.
सुन्दर सन्देश!!!
छोटी बहर में जीवन का सन्देश देती अनूठी गज़ल...बधाई
नीरज
बिल्कुल सही कहा आपने. कटु सच्चाई ................सुंदर कविता
सृजन शिखर पर ---इंतजार
तेरे मन में पाप नहीं
रखना सर उंचा बंधु।
वाह, कमाल की बात कही आपने,
प्रशंसनीय ग़ज़ल के लिए बधाई, राजेन्द्र जी।
सबसे पहले तो आपको सादर नमस्कार.....
टिप्पणी करने से पहले मैंने इस ग़ज़ल को ध्यान से पढ़ा और पाया कि आपकी ये ग़ज़ल बार-बार पढ़ने और जीवन में उतारने लायक़ है। बेहद उम्दा....
दो बातें और.....
मुझे आपका टिप्पणी करने का तरीका सबसे अच्छा लगता है। ये कला तो मैं आपसे ज़रूर सीखूँगा।
आप एक उम्दा बलॉगर, शायर, कवि और गायक ही नही बल्कि बेहद अच्छे इंसान हैं। इसीलिए आपकी पोस्ट के साथ-2, जहाँ कहीं भी आपकी
टिप्पणी दिखाई दे जाती है उसको भी ज़रूर पढ़ता हूँ। आपके ब्लाग पर आना मुझे बहुत अच्छा लगता है। कभी-2 देर ज़रूर हो जाती है..उसके लिए आपसे माफ़ी चाहूँगा।
कहना जितना आसान है कर पाना उतना ही कठिन .....
अगर कर पाएं तो इंसान थोड़े न रहेंगे तब तो भगवान हो जायेंगे न .....?
हाँ फालो की समस्या गूगल महाराज की गलती से हो सकती है ...
कुछ दिन इन्तजार करें अपने आप ठीक हो जाएगी .....
नववर्ष की शुभकामनाएं ......!!
आदरणीय राजेन्द्र जी,
सादर नमस्कार.
.........बहुत खूब लिखा है आपने..
khoobsurat gazal!
mere blog pe aane ke liye aur shubhkaamnaaon ke liye shukriya! Aap ko bhi naya saal bahot bahot mubarak ho :-)
सबसे पहले तो आपको धन्यवाद कि आप मेरे ब्लॉग पर आये और अपनी टिपण्णी से मुझको नवाज़े ... आप इसी तरह आते रहे और उत्साहवर्धन करते रहे ... आपका आशीर्वाद रहा तो ज़रूर बेहतरी होगी ...
और आपकी इस ग़ज़ल के बारे में मैं क्या कहूं ... मेरी इतनी औकात भी नहीं है ... बस इतना कह सकता हूँ कि "वाह "! छोटी बहर में बेहतरीन ग़ज़ल ! एक एक शेर सुन्दर सीख देता हुआ और इतना लाजवाब तरीके से लिखा गया है कि बार बार पढता गया ...
जग जैसा है वैसा है
तू कैसा बतला बंधू
ये शेर खास कर बहुत पसंद आया मुझे ...
सही दिशा दिखाती खूबसूरत गज़ल
सत्य वचन तो भय कैसा ,
शीष उठा गाए जा बंधु!
जग जैसा है, वैसा है,
तू कैसा बतला बंधु.
आत्मावलोकन की बहुत ज़रुरत है.
बढ़िया, बहुत बढ़िया.
"सहज शब्द, गहन चिंतन, सार्थक सन्देश."
पढ़ते समय आपकी आवाज नहीं होने के बावजूद अस्पष्ट सी गूंजती रही कानों में... भईया आग्रह है की स्पष्ट गुंजा दीजिये...
aur kahoo kyaa main bhalaa,
kahataa hu wah wah bandhoo.
sundar saumya rachnaa.
merey blog par aamad kaa shukriyaa.
रूठ गए हैं जो अपने
उन को आज मना बंधु
ग़लत दिशा मत जा बंधु
राह सही अपना बंधु
बहुत खूब कहा है इन पंक्तियों में आपने ...आभार ।
सच के साथ अच्छे प्रयोग हैं आपके.
रूठ गये हैं जो अपने, उनको आज मना बंधु|
आना होना आएँगे, पीछे भी मत जा बंधु|
तेरे मन में पाप नहीं, रखना सिर ऊँचा बंधु|
सच में, जो सच है वही लिखा है आपने राजेंद्र भाई| बधाई|
रूठ गये हैं जो अपने, उनको आज मना बंधु|
आना होना आएँगे, पीछे भी मत जा बंधु|
तेरे मन में पाप नहीं, रखना सिर ऊँचा बंधु|
सच में, जो सच है वही लिखा है आपने राजेंद्र भाई| बधाई|
बहुत अच्छा संदेश देती ग़ज़ल।
खूबसूरत गज़ल !
बहुत अच्छी रचना है...
हम भी आपके अपनों में है
मत करना इनकार बंधु!!
शानदार रचना, कवि हृदय कहीं व्यथित सा व्यक्त हो रहा है?
बहुत ही सुन्दर गजल........लाजबाव भाव सँजोय है आपने बंधू ।
आपका मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
" ना जाते थे किसी दर पे हम.........रचना "
nice sir wish you a happy new year
सुन्दर भाव, सुन्दर सन्देश और अति सहज और सुन्दर अभिव्यक्ति ! बधाई एवं शुभकामनाएं !
सुंदर आशावादी रचना.
बहुत प्यारी ग़ज़ल है...
बस यूँही लिखे चल बंधू...
Sorry, आप मुझसे बहुत बड़े हैं पर न जाने क्यूं, ये ग़ज़ल पढ़ते-पढ़ते बंधू" शब्द मुंह को लग गया
नव वर्ष बहुविध मंगलमय हो बन्धु!
नव वर्ष के लिए मंगल कामना।
क्रिसमस की शांति उल्लास और मेलप्रेम के
आशीषमय उजास से
आलोकित हो जीवन की हर दिशा
क्रिसमस के आनंद से सुवासित हो
जीवन का हर पथ.
आपको सपरिवार क्रिसमस की ढेरों शुभ कामनाएं
सादर
डोरोथी
रचना पर क्या कहूं। पाक साफ दामन अधिकतर का नहीं होता। इसलिए कुछ कहना मुहाल है। अपना दामन इतना साफ नहीं सो दूसरों के बारे में कुछ कहने का हक नहीं है।
जहां तक समस्या है, मैं खुद हैरान हूं आप मेरे लिस्ट से गायब हो गए। कब पता ही नहीं चला। इस मामले में ब्लॉग स्पॉट को संपर्क करें। जरुर समस्या हल हो जाएगी। इसके बारे में ज्यादा विस्तार से कोई तकनीकी विशारद ही बता सकता है। उम्मीद करता हूं कि जल्दी ही ये समस्या ठीक हो जाएगी...
आपकी ये ग़ज़ल लाजवाब है.
मैंने भी एक ग़ज़ल लिखी है, उस पर आप की राय जानकर ख़ुशी होगी-
फिर सुनाओ यार वो लम्बी कहानी
सार्थक ग़ज़ल!
सच को बयां करती..
आभार
मन पावन है सोच भली,
यूँही लिखते जा बंधू.
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