आज प्रस्तुत है एक नज़्म
शिकस्तें
तेरे हिस्से का जितना हूं
पड़ा हूं मैं कहीं गिरवी…
ठहरना तुम
चुकानी चंद क़िस्तें और बाकी हैं !
ऐ मेरी हमनफ़स ! ऐ हमक़िरां !
मा’यूस मत होना
मेरी तक़्दीर में शायद शिकस्तें और बाकी हैं !!
अगरचे जल रही सीने में शम्अ तेरी उल्फ़त की
मगर तक़्दीर का बाज़ार लुट कर है अभी वीरां !
ख़ज़ाना तुम मुहब्बत का लिए’ आई हो घर मेरे
मगर …
दामन भी अपना खो चुका हूं हादसों में मैं
कहां रख पाऊंगा मह्फ़ूज़ तेरी मुस्कुराहट मैं ?
मेरी बग़िया के फूलों के भी जब के ज़र्द हैं चेहरे !
लहर ! लबरेज़ हो पाकीज़गी से तुम,
मगर … भोली !
कभी बुझती नहीं है तिश्नगी कुछ रेग़जारों की !
ज़माने भर की अग़्’यारी मेरेही साथ गुज़रेगी …
पता करता हूं मैं कितनी निशस्तें और बाकी हैं ?!
मेरी तक़्दीर में शायद शिकस्तें और बाकी हैं !!
शिकस्तें और बाकी हैं…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
हमनफ़स : मित्र
हमक़िरां : मुसाहिब/साथ बैठने वाला दोस्त
अग़्’यारी : प्रतिद्वंदिता/रक़ाबत/डाह/परायापन
निशस्त : बैठक/मज़्लिस/सभा
एक बार पुनः मैं हृदय से आभारी हूं
आप सब द्वारा मेरी मां के स्वास्थ्य के लिए की गई प्रार्थनाओं - दुआओं के लिए
मेरी माताजी पहले से बेहतर हैं
आपने मुझसे जितना स्नेह रखा है , उसके लिए कृतज्ञता के शब्द नहीं
हार्दिक आभार !
55 टिप्पणियां:
बेह्द गहन और उम्दा ख्यालातों से सजी प्रस्तुति।
हमेशा की तरह बेहतरीन नज्म
शुभकामनाये
कभी बुझती नहीं है तिश्नगी कुछ रेग़जारों की !
ज़माने भर की अग़्’यारी मेरेही साथ गुज़रेगी …
पता करता हूं मैं कितनी निशस्तें और बाकी हैं ?!
मेरी तक़्दीर में शायद शिकस्तें और बाकी हैं !!
शिकस्तें और बाकी हैं…
बहुत खूबसूरत नज़्म पेश की है ...
बेहतरीन नज्म
..आपका आभार
अगर किस्मत में किस्त और शिकस्त ही लिखी है त्प मुहब्बत ही क्यों की :)
Behtreen...... Jaankar achchha laga ki Ammi ki tabiyat ab achchhi hai... Khuda unhe jald Sehatyaab karey.... Ameen!
बेहद संजीदगी हे आपके कलाम में ...
बहुत दिन बाद पढ़ा आप को - आनंद आया|
चुकानी चंद किस्ते और बाकी है भाई राजेंद्र जी आज तो कमाल कर दिया आगे कुछ नहीं ....
आद. राजेन्द्र भईया
सादर नमस्कार...
शिकस्तें.... इस नज़्म पर कुछ कहने की कोशिश करना भी हिमाकत होगी...
पर इसे पढ़ कर नज़रों में एक अक्श उभर आया... ज़नाब साहिर का...
सचमुच.... आपको पढ़ कर बहुत कुछ सिखने को मिलता है...
सादर....
छोटा भाई
सुन्दर और अनुपम प्रस्तुति.
पढकर अच्छा लगा कि आपकी माताजी
स्वास्थ्य लाभ कर रहीं हैं.
माँ सदा सलामत रहें
आप पर कृपा आशीर्वाद की बरखा करती रहें.
यही दुआ और कामना है मेरी.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
बहुत बढ़िया नज़्म लिखी है भाई । मानो दिल की बात कह दी हो ।
लेकिन इतनी मुश्किल तो न बनाओ कि ब्रेन का सारा ग्रे मेटर यूज करना पड़ जाए ।
बहुत दिनों के बाद गली में आज चाँद निकला । अच्छा लगा ।
bhut hi sunder abhivakti...
bhut hi sunder abhivakti...
लाज़वाब नज़्म..हरेक पंक्ति दिल को छू जाती है ...आभार
खुबसुरत नज्म है। गहन ख्यालों की अनुभुति लिए। आभार।
बेहतरीन नज़्म!
प्यारी नज्म।
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति...
सुन्दर नज्म मिली पढने को
# आदरणीया वंदना जी , आपका स्नेह अभिभूत कर देता है … आभार !
# प्रिय भाई दीपक सैनी जी , आपका अपनत्व मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है । धन्यवाद !
# आदरणीया संगीता स्वरूप जी , शुक्रिया उत्साहवर्द्धन के लिए !
दिल्ली आ नहीं पाया , अन्यथा आपके दर्शन का सौभाग्य मिलता 'परिकल्पना सम्मान समारोह'में …
आपको पुरस्कृत-सम्मानित होने पर बधाई !
# प्रियवर संतोष कुमार जी , स्नेह-सदाशयता बनाए रहें … आभार !
# आदरणीय चंद्रमौलेश्वर प्रसाद जी , प्रणाम !
… आप तो जानते हैं , मुहब्बत हो जाती है , की नहीं जाती ।
न तक़्दीर पर वश है न प्यार पर :)
# शाहनवाज भाई , आभारी हूं
और आपकी दुआओं के लिए परमात्मा के साथ आप सबका भी शुक्रगुज़ार हूं ।
'परिकल्पना सम्मान समारोह'में दिल्ली आ पाता तो आपसे भी मुलाकात का अवसर मिलता …
ख़ैर अगली बार …
# आदरणीया दर्शन कौर धनोए जी , प्रणाम !…आभारी हूं हौसला बढ़ाने के लिए !
# नवीन भाई , शुक्रिया !
हां , परिस्थितियोंवश नेट पर बहुत दिनों से लगभग दूरी-सी चल रही थी …
अब सक्रिय होने का प्रयास रहेगा ।
आदरणीय राजेंद्र जी प्रणाम !
"अगरचे जल रही सीने में शम्मा तेरी उल्फ़त की ..."
चाहे जिन्दगी कितने ही सितम क्यों ना ढाये....ये शम्मा ऐसी शम्मा है जो हर तूफ़ान में रोशन रहती है, कभी प्रेरणा बनकर तो कभी ऊर्जा बनकर...
"कहाँ रख पाउँगा महफूज तेरी मुस्कराहट मै ?"
अपनी शिकस्तों में भी उनकी मुस्कराहट का ख्याल है....मुहब्बत है पर बेचारगी का आलम है....हर अगयाऱी के लिए तैयार है दीवाना .....क्युकी शमा अब भी रोशन है ....
बहुत ही बेहतरीन जज्बात और पेशगी ......
आपकी माता जी का स्वस्थ्य अब बेहतर है जानकार बहुत प्रसन्नता हुई.....
अगर समय मिले तो हमारे यहाँ आने का भी प्रयास कीजियेगा....बहुत दिन हो गए...
# सम्माननीय सुनील कुमार जी , हृदय से आभार स्वीकार करें ।
# आदरणीय हबीब भाईजान , आप इतना प्यार देते हैं कि मन विकल हो जाता है …
साहिर साहब जैसा कुछ कर पाएं तो लेखनी धन्य हो जाएगी । आप अपनी दुआएं मेरे लिए मह्फ़ूज़ रखिएगा …
आभार !
…और छोटा भाइतो मैं हूं …:)
# आदरणीय राकेश कुमार जी , प्रणाम !
मैं अब पुनःसक्रिय होने का यत्न कर रहा हूं नेट पर …
स्नेहाशीष बनाए रहें … आभार !
# डॉक्टर दराल भाई साहब , प्रणाम !
हां, मैं दिल की बातें रचनाओं में कह दिया करता हूं :)
…और …'गली में चांद'… ! क्या बात है !
आपके नित नये रंग चमत्कृत कर देते हैं …
मुबारकबाद आपकी प्यार भरी नज़्मों के लिए … आऊंगा , दरवाज़ा खुला रखिएगा :)
# सुषमा जी , उत्साहवर्द्धन हेतु हृदय से आभार !
# कैलाश जी भाईसाहब , प्रणाम !
दिल से शुक्रिया !
# प्रिय अमित चंद्र जी ,
आपका प्यार पाकर धन्य हूं…
# मनोज कुमार जी ,
आपके श्रीमुख से मिले दो शब्द भी मेरा सौभाग्य है ।
# प्रियवर प्रवीण जी ,
ॠणी हूं आपका !
निभाते रहें …कृपया !
# स्नेही बंधु आशुतोष जी , आभारी हूं आपका …
# प्रिय भाई प्रदीप जी ,
मुहब्बत में महबूब का ख़याल रखना हर हाल में ज़रूरी है न :)
आपका बहुत बहुत शुक्रिया !
अब हाज़िर होता हूं बस … एकाध दिन में
हुआ हूँ बेजुबाँ पढ़कर आपकी शाइरी को मैं.
गूंगे दर्द की कराह निकलकर वाह करती है.
बहुत ही सुन्दर नज़्म है...
माँ अब अच्छी हैं, जानकार अच्छा लगा !
शुभकामनायें आपको !
आदरणीय राजेंद्र जी प्रणाम
बहुत सुन्दर नज्म
सादर
meri takdeer me shayad shikasten aur baaki hain.............
waah kam AAH jyada nikal rahi hai..
ye behtareen rachna seedha dil ki gaharaai tak pahuchni.......
lekin sir, kabhi kabhi shikast hona bhi achha lagta hai......
bahut behtareen rachna....
ek request aur hai....
"Shaswaram" shabd ki thodi vyakhya kardenge to aapka aabhari rahunga....
Rajendra ji bahut dino baad aapki nai najm saamne aai.superb,superb...bahut behatreen najm.congrats.
आदरणीय राजेन्द्र जी..
सादर अभिवादन!
आपकी ये नज़्म तो दिल में उतर गई. हर शब्द उम्दा, और हर पंक्ति लाजवाब है.
इस उम्दा प्रस्तुति के लिए आपका आभार.
माताजी के लिए भी ढेरों शुभकामनाएँ.
बेहद सुंदर कृति, बहुत बहुत बधाई !
आपकी रचना की हर एक लाइन अपनी बात बेखूबी से और अच्छे अंदाज़ में कहती है । पढ़कर अच्छा लगा । धन्यवाद ।
waah bahut khoob .....
pahli baar aai hun aapke blog par ...ab aana hota rahega..
aap ki nazm me ek tajgi hai .madhurta hai shdon ka to kya kahen
bahut khoob.aap mere blog pr aaye aap ka bahut bahut dhnyavad
saader
rachana
तेरे हिस्से का जितना हूँ .......पड़ा हूँ मैं कहीं गिरवीं ....उफ़ ! मोहब्बत में इमानदारी की नायाब नजीर पेश करदी है आपने ...नज़्म की हर पंक्ति उतरती चली गयी.......मगर शिकस्त की बात क्यों करते हैं ज़नाब ? शह और मात का खेल ही तो है ज़िंदगी.
मैं भी आपके हिस्से का कहीं गिरवीं पड़ा हूँ .......अपने हिस्से को सम्हाल कर रखियेगा. मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि आपकी इस नज़्म ने मुझे चुरा लिया है या मैंने इस नज़्म की आत्मा को चुरा लिया है ......बड़ी मुश्किल में डाल दिया है आपने ...ख़ैर पता करता हूँ किसने किसको चुरा लिया है ...पता लगते ही इत्तिला करूंगा आपको भी. माता जी को प्रणाम कहिएगा.
waah rajendra ji ,
tere hisse ka jitna hun , pada hun main girvi , kya baat hai
ise apni aawaaz bhi de dijiye ......
Rajendra ji ....
Really very nice NAZM. Congrats.
राजेंद्र जी,
इस बेहतरीन रचना और तदोपर हमेशा कि तरह दिलकश प्रस्तुति के लिए आभार ...
आपकी माताजी का स्वास्थ में और बेहतरी हो यही कामना है ...
इस बेहतरीन शब्द रचना के लिये आपका बहुत-बहुत आभार ।
बहुत सादगी से दिल की बात रख दी बहुत सुन्दर धन्यवाद
राजेंद्र जी, प्रणाम
आपकी रचनाओं में सब कुछ होता है..भाव,शब्द,विचार,ज्ञान और मनोरंजन भी..क्यों ना हम बार बार पढ़े..आज की प्रस्तुति भी कमाल की..
प्रणाम स्वीकारें....रचना बहुत अच्छी लगी....धन्यवाद
कहाँ महफ़ूज़ रख पाऊँगा तेरी मुस्कराहट मैं--
बहुत ही सुंदर नज़्म राजेंद्र जी.
takdeer me shikasten aur baaki hain .....bahut hi amazing rachna hai
# प्रतुल जी
किसी की टिप्पणी जो आह भरती , वाह करती है
वो रचनाकार के गुण से हमें आगाह करती है
:)
# दिवस दिनेश गौड़ जी , आभार !
# सतीशजी भाईसाहब , प्रणाम !
आपकी शुभकामनाओं के दम पर ही हैं हम … :)
# बहन तृप्ति जी , मातृ-शक्ति को मैं सदैव प्रणाम करता हूं …
और आप उल्टे मुझे …:)
समय निकाल कर आ जाया कीजिए प्लीज़ …
# CS देवेन्द्र K शर्मा "Man without Brain" :)
शुक्रिया !
हां , शिकस्त न हो तो रचना कौन करे फिर ?
आते रहा करो दोस्त !
# शस्वरं शब्द संक्षिप्तिकरण है
हैडर पर देखें शब्द + स्वर + रंग इन तीन शब्दों के पहले अक्षरों श+ स्व + रं को ले'कर बना है …
आपने पूछा मुझे अच्छा लगा ।
ब्लॉग के शुरूआती दिनों में आचार्य संजीव वर्मा सलिल जी
और फिर रूप चन्द्र शास्त्री मयंक जी ने भी तथा एक दो अन्य ब्लॉगर्स ने भी
इस संबंध में उत्सुकता ज़ाहिर की थी ।
# आदरणीया राजेश कुमारी जी , प्रणाम !बहुत बहुत शुक्रिया !
आपका हमेशा हर पोस्ट पर इंतज़ार रहता है …
# विरेन्द्र सिंह चौहान जी ,
धन्यवाद … आभार … सब शब्द छोटे हैं आपके स्नेह के सामने मेरे भाई !
सम्हाल लिया कीजिए … … …
# आदरणीया अनिता जी , प्रणाम !
कृतज्ञ हूं …
# रजनीश तिवारी जी , आपकी प्रोफाइल नहीं खुल रही …
आपके कमेंट ने आनन्द दिया …
अभी ख़ुशफ़हमी ही पाल लेता हूं कि बेख़ूबी अनजाने में छपा है
आप ख़ूबी ही कहना चाह रहे होंगे …:)
आपकी प्रतिक्रिया सर-आंखों पर …
# सुमन मीत जी , स्वागत है हृदय से !
मैं कई बार आया हूं आपके यहां … बिना जोड़-तोड़ किए कि आप आईं या नहीं :)
अब आपका आना होता रहेगा … यह मेरे लिए बहुत बड़ा उपहार है …
# रचना जी ,अरे अरे अरे !:) आपका इतना तारीफ़ करना …
मुझसे कुछ कहते नहीं बन रहा … आइएगा आगे भी !
# प्रियवर कौशलेन्द्र जी , आपके अंदाज़ ही निराले हैं !
और तो कुछ नहीं पता, हां, आपकी टिप्पणी ने ज़रूर मेरा दिल चुरा लिया है :)
स्नेह-संपर्क बनाए रहें … आभार!
# आदरणीया मीनू भगिया जी , शुक्रिया ! आभार !
# हीरजी ,
# ise apni aawaaz bhi de dijiye ......
दी तो है …
आपको सुनाई भी दे रही है
कैसी लगी नज़्म ?
हा हाऽऽ …मज़ाक कर रहा हूं …
आगे किसी रचना को गा'कर लगाऊंगा … वादा !
# राजीव पांछी जी , आपके आने का शुक्रिया !
फिर आइएगा …
# भाई इंद्रनील जी , आपका बहुत बहुत आभार !
# आदरणीया सदा जी , पधारने का हृदय से धन्यवाद !
# आदरणीया माहेश्वरी कानेरी जी , बहुत धन्यवाद!
# भाई विनोद कुमार पांडेय जी , स्नेह-सम्मान के लिए आभारी हूं ।
# भूषण जी , प्रणाम … और आभार !
# दीदी रश्मि प्रभाजी , प्रणाम !आने का शुक्रिया !
बहुत खूबसूरत नज़्म....
हर पंक्ति लाजवाब.....
भाव और शिल्प .....दोनों में बेजोड़
...................बहुत-बहुत बधाई राजेन्द्र जी !
आदरणीय राजेंद्र जी प्रणाम
बहुत सुन्दर नज्म
सुंदर रचना ...विचारों की गहन अभिव्यक्ति.
आपकी पोस्ट पर आके बहुत कुछ सिखने को मिल रहा है.
धन्यवाद आपका!!
आदरणीय राजेंद्र जी प्रणाम
बहुत सुन्दर नज्म
सुंदर रचना ...विचारों की गहन अभिव्यक्ति.
आपकी पोस्ट पर आके बहुत कुछ सिखने को मिल रहा है.
धन्यवाद आपका!!
आदरणीय राजेंद्र जी प्रणाम
बहुत सुन्दर नज्म
सुंदर रचना ...विचारों की गहन अभिव्यक्ति.
आपकी पोस्ट पर आके बहुत कुछ सिखने को मिल रहा है.
धन्यवाद आपका!!
वाह...वाह...वाह...
और आगे कुछ कहने को तो जी ही नहीं चाह रहा...
दिल को छू लेने वाली दिलकश नज़्म .....बहुत बहुत सुन्दर...
"पता करता हूं मैं कितनी निशस्तें और बाकी हैं ?!
मेरी तक़्दीर में शायद शिकस्तें और बाकी हैं !!"
सही कहा आपने ...
और ये पता करते करते जिन्दगी चुक जाती है...!
शिकस्त में जो मज़ा है वो जीत में कहाँ.
बहुत खूब लिखा है ,राजेन्द्र भाई.
आपकी कलम को सलाम.
सुन्दर नज़्म | अच्छी लगी | साधुवाद एवं शुभकामनायें |
-अरुण मिश्र.
गज़ब! क्या पिरोया है भावों को शब्दों में.. मज़ा आ गया...
सुख-दुःख के साथी पर आपके विचारों का इंतज़ार है..
आभार
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