काग़जी था शेर कल , अब भेड़िया ख़ूंख़्वार है
मेरी ग़लती का नतीज़ा ; ये मेरी सरकार है
सर से पा एहसांफ़रामोशी भरी है जिस्म में
और हर इक रग़ भी इसकी शातिरो-मक्कार है
वोट से मेरे ही पुश्तें इसकी पलती हैं मगर
मुझपे ही गुर्राए ... हद दर्ज़े का ये गद्दार है
मेरी ख़िदमत के लिए मैंने बनाया ख़ुद इसे
घर का जबरन् बन गया मालिक ; जो चौकीदार है
छीनता मेरे निवाले , चूसता मेरा लहू
कहता है अब जां मेरी लेने का यह हक़दार है
इसके दामन में मुझे देने की ख़ातिर है दग़ा
पास मेरे भी इसे देने को बस धिक्कार है
भ्रष्ट भी , निकृष्ट भी , हिटलर भी , तानाशाह भी
रूह कालिख में रंगी , इसका यही सिंगार है
लपलपाती जीभ से तकता है मुझको आजकल
भेड़ियों-गिद्धों का आदम रूप में अवतार है
निभ सकी इससे न अब तक अपनी ज़िम्मेदारियां
चंद दिन में रुख़्सती का दिख रहा आसार है
सब तेरी मनमानियां सहलीं मगर सुन ! आज से
फ़ैसला करने को जनता हिंद की तैयार है
पूजना शैतान को राजेन्द्र मज़बूरी नहीं
वोट ज्यूं ही इस क़लम का भी अहम क़िरदार है
राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
मित्रों ! हाथ में क़लम थाम रखी है तो निस्संदेह
आपका दायित्व वर्तमान परिस्थितियों में और भी बढ़ा है ।
दलगत आस्था से हर हाल में ऊपर उठ कर ही
ईमानदारी से न्याय की स्थापना के लिए
सोचने और निर्णय लेने का समय है ।
सोचने और निर्णय लेने का समय है ।
सबको सन्मति दे भगवान !
95 टिप्पणियां:
बहुत सटीक चोट इस तानाशाह सरकार पर, जो अपने आप को जनता से ऊपर समझने लगी है. आज सभी को एकजुट होकर अन्ना का साथ देना होगा. आभार
bahut - bahut badhai . bilkul sach kaha aapne ....... meri galti ka natija .
बहुत जोश भरे शब्दों में आज के हालात पर कटाक्ष करती रचना.. जनता अब जाग चुकी है...
"ab har ik satta samajh le jaan le zinda hain ham"
bahut umda aur samayaanukool hai ap ki ye rachna lekin us samay tak kuchh naheen badal sakta jab tak ham khud ko n sudhaaren
keval sarkar ko dosh kyon den jab matdan ke din vote dene na jaa kar picnic manaaen?
bahut umda aur samayanukool hai ap ki rachna
kisi bhi samajik dhaanche men aamool chool parivartan ke liye hamen apne desh ke prati eemandaar aur zimmedar banna padega
वर्तमान का खाका खींच दिया है आपने अपनी कविता में. बहुत बढ़िया...शानदार अभिव्यक्ति.
अत्यंत सार्थक रचना राजेन्द्र भईया....
सादर बधाई...
सम सामयिक हालात पर एक अति सटीक रचना, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
यह मेरी सरकार है
तभी तो हाहाकर है ...!
सोचने को विवश करती बेहद सटीक और सार्थक अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
जनआक्रोश को बहुत ही सुन्दर शब्दावली से सजाया है. एक-एक शब्द में बेहद तपिश है ...
bahut - bahut badhai . bilkul sach kaha aapne ....... meri galti ka natija .
वर्तमान स्थितियों का सटीक विश्लेषण । आभार सहित...
सत्य लिखा आप ने, बहुत सटीक, लेकिन जनता ने सोचा था यह हमे सुख देगे, लेकिन सच मे इन्होने दुख दिया, इस लिये अब नकेल इन की कसनी चाहिये ओर यह मोका हे, धन्यवाद
आदरणीय स्वर्णकार जी, आपने भ्रष्टाचारी व तानाशाही सरकार पर सटीक चोट की है| आपने जन आक्रोश को बहुत ही सुन्दर शब्दों में पिरोया है| अफ़सोस है की ऐसे भ्रष्टों को हमने चुना...
बहुत सुन्दर...
इसे भी देखें-
एक 'ग़ाफ़िल' से मुलाक़ात याँ पे हो के न हो
क्या बात है....सही है गलती हमारी है....जानकर भी गलती करते रहेंगे....वोट डालने के वक्त फिर से भूल जाएंगे....छोटी छोटी घूस देने से बाज आएंगे नहीं....फिर कोसेंगे की कैसी सरकार है..हर बार अन्ना का समर्थन करने आएंगे लेकिन निजी जीवन में सुधरेंगे नहीं....
बहुत ही सार्थक एवं समयानुकूल गज़ल. बहुत ही उम्दा..
bhai ji
kya likhun---itni jabardast vyng koi aap jaisa hi gyani likh sakta hai .rachna ke madhyam se bahut hi karari chit ki hai aapne .aaj ke haqikat se rubru karati aapki post bahut bahut hi achhi lagi
bahut bahut badhi
v naman kr saath
ponam
bhai ji
kya likhun ---
aapne to aaj ki sachchai par itni gahri chot ki hai hai ki vo aap jaise virle hi kar sakte hai .
bahut hi prasangik aur samyik post
bahut bahut badhai
v naman
poonam
sach hai rajendra ji , choosta mera lahoo , cheenta mere niwale ,
Ab jaan lene ka haqdaar hai ,
achha sher hai
गुरुवर राजेंद्र जी,
आप हमारे ब्लॉग पे आये, टिपण्णी किये इसके लिए धन्यवाद ... मेरा स्वर गाने लायक होता तो ज़रूर ग़ज़ल गाकर सुनाता ... फ़िलहाल इस लायक तो बन जाऊं कि कुछ अच्छा लिख पाऊं ...
आप अपने इस रचना में अपने विचार जिस तरह से प्रकट किया है वो कबीले तारीफ़ है ... आपका ही नहीं करोड़ों भारतीयों का यही विचार है ... आपने अपने साथ करोड़ों का हाले दिल बयां किया है ... बधाई !
मेरे ब्लॉग पे आते रहिएगा ! आपका स्वागत है !
आपने इस निकम्मी और भक्षक सरकार को धिक्कारने में कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन मन है कि मानता ही नहीं। लगता है कि अभी भी कुछ कमी रह गयी है। कपिल सिब्बल, निरूपम जैसे व्यक्ति कहते हैं कि सभी सांसदों में एकजुट होकर जनता को बताना चाहिए कि संसद उनसे बड़ी है, ऐसा तो कभी भी किसी राजशाही ने भी नहीं बोला होगा। पता नहीं कैसे लोग कांग्रेस जैसे तानाशाहों को अपना नेता चुन लेते हैं?
दलगत राजनीति से ऊपर उठना ही होगा ||
एक स्वर में --
अन्ना आगे बढ़ो
हम तुम्हारे साथ हैं ||
सार्थक प्रस्तुति .....
bahut sashakt aur saarthak prastuti rajendra ji !
आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ..
आइये हम सब भ्रष्टाचार मुक्त भारत निर्माण के लिए-- सम्माननीय अन्ना हजारे जी के नेतृत्व में-- जन लोकपाल बिल बनाने के लिए--संवेदनहीन एवं तानाशाह सरकार के विरुद्ध जारी देशव्यापी जन आन्दोलन को अपना पूर्ण समर्थन देकर इसे सफल बनाएँ.....
अति सुन्दर और सटीक शब्दों में आपने यथार्थ को उजागर किया है.सरकार तो हम सभी के सिरों पर अपनी कार रख चला रही है.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
हाँ जी.. गलती हो गयी थी.. अब सब सुधार रहे हैं.. गलतियां हो जाती हैं सभी से.. एक मौका मिला है सुधारने को..
बहुत सटीक चोट .......
सुन्दर प्रस्तुति........
स्वर्णकार जी, क्या हो रहा है, कुच समझ नहीं आ रहा है.
सही है गलती हमारी है...स्वर्णकार जी
बहुत खरी खोटी सुना दी । चलिए मन की भड़ास तो निकली ।
शायद ऐसा करके ही मन थोडा हल्का तो रहेगा ।
बाकि तो समय ही बताएगा ।
ek dam steek rachna...
सारे भारतीय ही सहमत होंगे आपकी बात से..
कोई अतिश्योक्ति नहीं....सीधे-साधे शब्दों में एकदम सच्ची बात कही आपने...आपके लेखन को बधाई
बहुत सही बयान करती रचना |
बहुत बहुत बधाई |
आशा
bahut hi acchi panktiyan likhi hai aapne rajendra ji .sach hai humne ungli di inne haath pakad liya ,humne thodi chut di to gala pakadne par utaaru ho gae hain.....
bahut bahut shanyawad aapka aapne mere blog ko visit kiya aur link chora.
aap bhi padhe
pradhanmantri nirdosh hai(vyangatmak kaviya)
http://meriparwaz.blogspot.com/2011/08/blog-post_17.html
wah......ekdam gazab ka toofan hai apki kavita men.......
प्रिय राजेंद्र जी, नमस्कार
देश की जनता के दिल में ऐसी ही कसक देखी जा रही है. अब महसूस होता है कि मजबूरी के दिन पतले हो जाएँगे.
आपका
भारत भूषण
बहुत ही सुंदर रचना आज के हालात पर कटाक्ष करती हुई
शब्दों से बखूबी मार लेते हैं आप .....
सब तेरी मनमानियां सहलीं मगर सुन आज से,
फ़ैसला करने को जनता हिंद की तैयार है।
जोश और उत्साह जगाती प्रेरक रचना।
रिजेक्ट करने का अधिकार भी मिल जाये तो हम कुछ बेहतर लोगो को भेज पाएंगे. और आपको हमको भी आगे आना होगा, सिर्फ वोट के लिए नहीं, बल्कि चुनाव लड़ने के लिए भी.
बधाई एक और खूबसूरत रचना पर ...
शुभकामनायें आपको !
बहुत सटीक....सबको सन्मति दे भगवान!!!
क्या ग़ज़ब का लिखा है!पढ़कर दिल खुश हो गया !
आप को श्री कृष्णजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
आपको एवं आपके परिवार "सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया"की तरफ से भारत के सबसे बड़े गौरक्षक भगवान श्री कृष्ण के जनमाष्टमी के पावन अवसर पर बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें लेकिन इसके साथ ही आज प्रण करें कि गौ माता की रक्षा करेएंगे और गौ माता की ह्त्या का विरोध करेएंगे!
मेरा उदेसीय सिर्फ इतना है की
गौ माता की ह्त्या बंद हो और कुछ नहीं !
आपके सहयोग एवं स्नेह का सदैव आभरी हूँ
आपका सवाई सिंह राजपुरोहित
सबकी मनोकामना पूर्ण हो .. जन्माष्टमी की आपको भी बहुत बहुत शुभकामनायें
सटीक चोट
इस तानाशाही सरकार पर ये करारी चोट है.बहुत सटीक और सार्थक रचना धन्यवाद..आप को श्री कृष्णजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ...
बड़े प्यारे इंसान हो यार !
खैर ....
जन्माष्टमी की शुभकामनायें स्वीकार करें !
# सतीश सक्सेना जी
दिल ने दिल से बात की , बिन चिट्ठी बिन तार … … …
:)
Aapka ana mere blog par..mujhe utsahit kar gaya..tippani ke liye dhanyawaad...
aapto sach me bada jabardast likhte hain mitra...ek aur sashakt aur saamayik sundar rachna k liye badhaaiyaan....
सार्थक रचना आपकी रचना का जवाब नहीं दोस्त जी |
जय हिंद |
भाई राजेन्द्र जी सबसे पहले आपको गज़ल के लिए धन्यवाद |मेरी गज़ल की त्रुटियों की और ध्यान दिलाने के लिए आभार
भाई राजेन्द्र जी सबसे पहले आपको गज़ल के लिए धन्यवाद |मेरी गज़ल की त्रुटियों की और ध्यान दिलाने के लिए आभार
सुविचारित- सार्थक रचना ,
अब तो सन्मति दे भगवान !
aadam rup me bhediya-giddho ka avatar hai..bahut badiya..ek ek baat satik aur man ki baat hai.. bahut badiya
सबको सन्मति दे भगवान
जय हिंद
सबको सन्मति दे भगवान
जय हिंद
sateek v sarthak abhivyakti .aabhar
SATYMEV JAYTE
मुझे तो लगता है कि सरकार को हमारे नेताओं को सन्मति दे भगवान. बहुत सामायिक रचना.
दिल को छू गयी आपकी यह रचना...बहुत ही सुन्दर व संवेदनशील..
waah.......sateek aur dhaardaar
ek behad sashakt rachna... aaj ki dalgat rajineeti per prahaar... dosh ku de doosron ko jab hum khud hi chun ker nakara or bhrashth logo ko kursee per aseen kerte hain....pr samay a gaya hai, agar ab bhi na jage to phir kab?
बहुत ही सुंदर रचना
बहुत सटीक और सार्थक सन्देश देती हुई रचना .....काश अभी चुनाव आने ही वाला होता ...
सही बात है....ये सब हमारी ही गलती का नतीजा है और इसे ख़त्म करना भी हमारी ही जिम्मेदारी है....कब तक गलती करते रहेंगे.. सन्देश देती सार्थक रचना...
कागज़ी था शेर कल,अब भेड़िया खूंख्वार है,
मेरी ग़लती का नतीजा; ये मेरी सरकार है.
शशक्त अभिव्यक्ति है, इस निराशा जनक माहौल में. आम लोगो के दिल की बात कह रही है आपकी पूरी रचना. इसे पूरी शिद्दत से मैने भी महसूस किया. हम जिस अव्यवस्था के शिकार है , बहुत हद तक उसके ज़िम्मेदार हम भी है, ग़लत नुमाइंदे चुनने से लेकर हर ग़लत बात और नाइंसाफी को चला लेने का गुनाह करके. नगर पालिका, कलेक्टोरेट , राजकीय और केन्द्रीय दफ्तर और अदालत तक भी जिस गहराई से यह भ्रष्टाचार व्याप्त है उसे अकेले कोई हुकूमत नहीं नियंत्रित कर सकती , विशेषकर जबकि प्रदेशो और केंद्र की सरकारे भी उसमे लिप्त हो. हमें हर स्तर पर एक 'अन्ना' की आवश्यकता है, निर्भय अभिव्यक्ति करने वाले 'राजेन्द्र स्वर्णकार' की भी.आपकी क़लम यूँही सच्चाई की आवाज़ बुलंद करती रहे...... शुभ कामनाओं सहित,
मंसूर अली हाश्मी.
राजिंदर जी .
मैं हरकीरत"हीर" जी के साथ हूँ ..
शब्दों से बखूबी मार लेते हैं आप .....
खुश और स्वस्थ रहें !
भाई स्वर्णकार जी ! आपने सही कहा -'मेरी गलती का नतीज़ा , यह मेरी सरकार है '
द असल आज़ादी मिलने पर सबसे बड़ी गकती हुई -अंग्रेज़ों की भ्रष्ट हृदयहीन मशीनरी को ज्यों का त्योन स्वीकार कर लेना ।दफ़्तरों की लूट -खसोट नहीं बदली । भ्रष्टाचार के हुर बताने वाले अधिकारी और मातहत वे ही थे जो अंगेजों के चापलूस थे । इन्हें न गरीब जनता से पहले मतलब था और न बाद में । इसी बची-खुछ ब्यूरोक्रेसी ने हमारे नेताओं को भी वही आत्मज्ञान दे दिया । नतीज़ा सामने है । जो नेता बटुए में पैसे रखता था , वह अल्मारियों में ठूँसने लगा । जो पूँजीपति 2-4 प्रतिशत लाभ कमाता था, अब गरीब की रोटी छीनकर सैंकड़ों गुना कमाने लगा । हमारे नेता इसी को तरक्की कह रहे हैं । आँकड़े यही बताते हैं, जो न पकाए जाते हैं , न खाए जाते हैं , न बिछाए जाते हैं ।
प्रभावशाली रचना के लिए मेरी हार्दिक बधाई !!
हमेशा की तरह आपका यह गीत भी अपने समय के यथार्थको दिखाने वाला है. दरअसल हर सच्चा रचनाकार अपने समय के सच को इसी तरह ईमानदारीपूर्वक पेश करता है.
"चंद दिन में दिख रहा रुख्सती का आसार है"
राजेन्द्र भाई ! इस भविष्यवाणी के लिए आपके मुंह में घी-शक्कर......और दाल-बाटी-चूरमा भी ....और बाद में वाडीलाल की आइसक्रीम भी.
बेचैनी हो रही है ज़ल्दी रुख्सती करवाइए.
मन तो करता है अभी तुरत गद्दि से उतारे. आपकी
कविता ने सारे भारतियो के मन की बात कह दी .
बेहद समयिक और सही रचना.
भाई राजेंद्र जी व्यवस्था की पीठ पर हंटर मारती आपकी गज़ल बहुत ही अच्छी लगी बधाई और शुभकामनाएं |
भाई राजेंद्र जी व्यवस्था की पीठ पर हंटर मारती आपकी गज़ल बहुत ही अच्छी लगी बधाई और शुभकामनाएं |
राजेन्द्र जी,
हमेशा की तरह रचना बढ़िया है !
आपका कभी कभार भी ब्लॉग पर
आना अच्छा लगता है आभार
स्नेह के लिये !
राजेन्द्र जी आप की कलम ने आम आदमी के आक्रोश को सहज ही व्यक्त कर दिया है।
सच ही कहा है कि ऐसा कृतघ्न सत्ता तंत्र हमारी ही ग़लती का नतीजा है।
निष्कर्ष सुखद होंगे।
भाई राजेंद्रजी ,
बड़े ही सटीक शब्दों को पिरो कर आपने जो "कांटो" की माला बनाई है , निश्चय ही माला के ये कांटे जहरीले शरीर में चुभ चुभ कर विष को विषयांतर करने में सक्षम है.
देखिये , सीधी सी बात है - दूध पिलाते समय एक क्षण भी माँ अपने बच्चे को छोड़ कर कहीं नहीं जाती है , परन्तु हमने भूल की है , दूध की बोतल तो बच्चे को ही पकड़ाई थी , और लग गए ' अपने ' को संवारने ! दूध कौन पी गया , जानने की चेष्टा ही नहीं की , और अब जब बच्चा रोते रोते बेहाल हो गया तब हमारी आँख खुली , गलती हमारी - खामियाजा भी हमारा !! वोट देने के लिए वोट दे दिया , बस ! हो गयी इति !! " संभल कर रहना होगा हमको , छुपे हुए गद्दारों से " १०० % मतदान और वो भी बुद्धि का सकारात्मक सहारा लेकर - तभी होगा कल्याण . इस सरकार ने तो लालू को भी भला कहला दिया !!!!!
पुनः आपको बधाई , हमारी सरकार के लिए कांटो की माला बनाने पर ......
जुगल किशोर सोमाणी , जयपुर
Jugalkishore Somani jugalkishoresomani@yahoo.co.in
बहुत सटीक रचना है...मेरी बधाई स्वीकारें...।
प्रियंका
राजेंद्र जी, बहुत ही ओजपूर्ण है आपकी शैली...हमारे माननीयों को आज पहला सबक मिल गया...संसद में जब जनता की बात नहीं रक्खी जाएगी तो संसद को चुनौती मिलेगी...आज अन्ना का अनशन ख़त्म हुआ...सभी को हार्दिक बधाइयाँ...
ऐतिहासिक क्षण का गवाह बन कर आया हूं। संसद में आज नेताओं ने कहा ... पब्लिक आवर मास्टर।
bahut hi steek prastuti....jai hind
bahut uttam sahi likha hai ab hume hi apni galti ko sudharna hoga.soch samajh kar achchi saaf sarkar banani hogi.very nice thoughts.
शब्दो का करारा प्रहार्।
आज की घिनौनी राजनीति का चेहरा बड़ी खूबी के साथ बेनकाब किया है राजेन्द्र जी ! बहुत ही बेहतरीन रचना है ! बधाई स्वीकार करें !
sashakt lekhan.
Aabhar
अत्यंत सार्थक रचना
राजेन्द्र जी ,
नमस्कार,
आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगसपाट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|
वर्तमान सरकार और उसकी नीतियों पर चोट करती बहुत शानदार रचना |
मेरे ब्लॉग में आते रहे |
मेरी कविता
I couldn't agree with you more..
आदरणीया मौसी जी
मैं मानता हूं ,कोई किसी से हर बात पर हमेशा सहमत नहीं रह सकता ।
बेनामी के रूप में की गई आपकी टिप्पणी के लिए आभारी हूं ! आप अधिकारपूर्वक अपने नाम से भी टिप्पणी करती तो भी मैं ससम्मान यहां छापता ।
# अगर फिर से इस सदर्भ में बेनामी टिप्पणी आई तो समझ जाऊंगा कि वो आपकी नहीं , मेरे किसी अन्य आत्मीयजन की टिप्पणी है , जो संकोचवश अपना नाम नहीं बता रहे …
This surely makes great sense!
You are completely right on this one..
What a really great read!!!
घर का मालिक बन गया ... जो चौकीदार है ! ... एक एक शे'र लाजवाब ! ... जबर्दस्त !
एक टिप्पणी भेजें