- मेरी रचना को द्वितीय पुरस्कार के लिए चुना गया -
रक्षक फ़ाउंडेशन , Santa Clara , California , United States. द्वारा
देशभक्ति-काव्य रचनाओं पर आधारित "गौरव गाथा" प्रतियोगिता का आयोजन
कविताकोश के सहयोग से किया गया।
प्रतियोगिता 22 जून 2011 से 31 जुलाई 2011 तक चली।
इस प्रतियोगिता में मैंने ये दो काव्य रचनाएं भेजीं
वहां सम्मिलित 173 काव्य प्रविष्टियों में से
नहीं इस घर में नफ़रत - बैर-सी बेजा बलाएं हैं
न झांको खिड़कियों से , आ'के आंगन में कभी देखो
जहां सदियों से दुनिया के लिए जारी दुआएं हैं
पढ़े आवाम हर पल मंत्र बस इंसानियत के यां
दिगर गूंजे ख़ुलूसो-अम्न की पावन ॠचाएं हैं
मिसालें दे जहां , उस राम का इंसाफ़ ईमां है
लिये' शाइस्तगी राधा-कन्हैया की अदाएं हैं
मेरी पाकीज़गी के दस्तख़त गंगो-जमन मेरे
मेरे किरदार की अज़मत हिमालय-शृंखलाएं हैं
मेरे देवालयों की घंटियों की गूंज जन्नत में
मुक़द्दस नामों की तारीफ़ यां हम्दो-सनाएं हैं
खड़े मिलते हैं पग-पग रूबरू ख़ुद देवता हाज़िर
सम्ते हर आरती-वंदन है , पूजा-अर्चनाएं हैं
जहां को इल्मो - फ़न की रौशनी बख़्शी है हमने ही
हमारे दम से महकी-मुस्कुराती सब दिशाएं हैं
मैं अपनी सरज़मीं की क्या करूं ता'रीफ़ ; नादां हूं
अगरचे मेरी रग-रग में वफ़ाएं ही वफ़ाएं हैं
मिले ता'लीम-रोज़ी ; भूख दहशत दासता मिट कर
जहां के वास्ते राजेन्द्र ये शुभकामनाएं हैं
- राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
मेरी बनाई धुन में मेरे स्वर में मेरी रचना
©copyright by : Rajendra Swarnkar
वंदे मातरम् !
वंदे मातरम् !
उत्तप्त ध्वनि उ द् घो ष वंदे मातरम् जय मातरम् !
उत्फुल्ल ध्वनि स द् घो ष वंदे मातरम् जय मातरम् !
श्वास वंदे मातरम् ! उच्छ्वास वंदे मातरम् !!
मंत्र है , पावन ॠचा है , राष्ट्र का मन-प्राण है !
विहित वंदे मातरम् में संस्कृति का त्राण है !
निहित वंदे मातरम् में सृष्टि का कल्याण है !
जयति जय जय राष्ट्र !
वंदे मातरम् !!
जय मातरम् !!!
है हमारा कर्म यह , हर कर्म का प्रतिफल यही !
स्नेह में सौहार्द है यह , समर में संबल यही !
ओज है यह , तेज है यह , शौर्य शुचिता गर्व है !
बल भुजाओं का यही , अधरों की स्मित-मुस्कान है !
राष्ट्र-हित सन्नद्ध जन का लक्ष्य है , संधान है !!
सभ्यता-संस्कृति न अंगद-पांव-सी टस मस हुई !
शिवत्व के संस्पर्श से ज्योतित स्वयं कल्मष हुई !
पुण्य शाश्वत् यश चिरंतन पथ सनातन श्रेष्ठतम ;
नित्य अपराजेय अक्षुण्ण आत्मभू अभिमान है !
अनवरत् उत्कर्ष अरुणिम अभ्युदय उत्थान है !!
शूरवीर प्रताप ना बिसराएं वंदे मातरम् !
लक्ष्मी दुर्गा शिवाजी गाएं वंदे मातरम् !
भगतसिंह सुखदेव बिस्मिल राजगुरु आज़ाद की ,
और... हेडगेवार सावरकर सभी की जान है !
मातृ-सुत बंकिम की वंदे मातरम् पहचान है !!
जयति भारतवर्ष !
वंदे मातरम् !!
जय मातरम् !!!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
©copyright by : Rajendra Swarnkar
मेरी बनाई धुन में मेरे स्वर में मेरी रचना
आपकी बधाइयां सहर्ष साभार स्वीकार हैं
दोनों रचनाएं पढ़-सुन कर
दोनों रचनाएं पढ़-सुन कर
मूल्यांकन अवश्य करें
100 टिप्पणियां:
मित्र बधाईयाँ पुरस्कार के लिए , बेहतरीन सृजन के लिए सार्थक प्रयास के लिए ..........शुभकामनाओं के साथ ....
पुरुस्कार के लिये बहुत बहुत बधाई राजेंद्र जी
दोनों ही रचनाएं पाठक में भी देश्भक्ति जगाने में सक्षम हैं
ऐसी रचनाओं की बहुत ज़रूरत भी है
राजिंदर जी ,
आप की सफलता पर आप को बहुत-बहुत बधाई !
बहुत सुंदर रचनाएँ सुंदर आवाज के साथ .....
शुभकामनाएँ!
आशीर्वाद!
राजेंद्र जी, आपकी रचनायें मूल्यांकन की परिधि से परे हैं.रचनाधर्मिता की पूर्णता लिये जब कोई रचना जन्म लेती है तो वह समाज की हो जाती .जैसे कोई महान विभूति सिर्फ माता-पिता और अपने परिवार तक सिमटा नहीं रह सकता,देश और विश्व का हो जाता है.ऐसी उत्कृष्ट रचनाओं को पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिये ताकि नई पीढ़ी संस्कारवान बनें.मेरी व्यक्तिगत मान्यता है कि उत्कृष्ट साहित्य का सृजन माँ शारदा का प्रसाद और वरदान है जो साहित्यकार के माध्यम से जन-मानस तक पहुँचता है.
बहुत सुन्दर...बधाई
बहुत-बहुत मुबारक हो राजेंद्र जी!
हमारी भी यही शुभकामनायें हैं।
बहुत प्यारी रचना. आपकी आवाज़ के सुर मन को बाँधते हैं.
सुन्दर प्रस्तुति ||
बधाई ||
इन रचनाओं को तो हर क्षेत्र में पुरस्कार मिलेगा ही, इतनी उत्कृष्ठ जो हैं। आपको बधाई।
बधाई ... दोनों रचनाएँ बहुत अच्छी हैं ..वन्देमातरम बेहद पसंद आई
पुरुस्कार के लिये बहुत बहुत बधाई राजेंद्र जी
दोनों ही रचनाएं बहुत अच्छी हैं
ऐसी रचनाओं की बहुत ज़रूरत ..........
पुरूस्कार के लिये बहुत-बहुत बधाई के साथ शुभकामनाएं ।
पुरुस्कार के लिये हार्दिक बधाई राजेंद्र जी
राजेन्द्र जी , द्वितीय पुरस्कार के लिए हार्दिक बधाई .
इन उत्कृष्ट रचनाओं पर तो प्रथम मिलना चाहिए था .
शाम को आराम से बैठकर सुनेंगे .
दोनों ही रचनाएँ बहुत उच्च कोटि की हैं... आपको इस सफलता पर हार्दिक बधाई!
राजेंद्र जी पुरस्कार के लिए बहुत-बहुत बधाइयाँ .... आपकी दोनों रचनाएँ बहुत पसंद आई .. और धुन भी बहुत खूबसूरत है .
हार्दिक शुभकामनायें .
दोनों रचनाएँ शानदार हैं .ह्रदय में देश भक्ति की भावना जगाने में सक्षम हैं .पुरुस्कार हेतु हार्दिक शुभकामनायें .
दोनों रचना अपनेआप में श्रेष्ठ हैं.........आपको बहुत -बहुत बधाई
पढ़े आवाम हर पल मंत्र बस इंसानियत के यां
दिगर गूंजे ख़ुलूसो - अम्न की पावन ॠचाएं हैं
मेरी पाकीज़गी के दस्तख़त गंगो - जमन मेरे
मेरे किरदार की अज़मत हिमालय - शृंखलाएं हैं
भाई जी क्या कहूँ...??? मन गदगद हो गया...आप इसी पुरूस्कार के नहीं हर पुरूस्कार के अधिकारी हो...माँ शारदा का वरद हस्त सदा आप पर यूँ ही बना रहे बस येही प्रार्थना करता करता हूँ...आपकी प्रतिभा विलक्षण है...आज नहीं तो कल दुनिया आपको पूजेगी...ये मुझे से कहीं भी कभी भी लिखवा लें...
राजेन्द्र जी..दोनो रचनाये अद्भुत है...बधाई आपको, आपकी विजय के लिये..आभार
बहुत-बहुत मुबारक हो.......
पुरुस्कार के लिये बहुत बहुत बधाई राजेंद्र जी....
वाह , वाह , वाह , राजेन्द्र भाई ।
आपकी आवाज़ में दोनों रचनाएँ सुनकर आनंद आ गया ।
दोनों ही रचनाएँ बहुत उत्क्रष्ट... हार्दिक बधाई॰
कमाल की रचनाएँ हैं दोनों| पुरस्कार की सही हक़दार| आपकी पोयट्री में प्रवाह और भावना दोनों की जादूगरी देखने को मिलती है| बहुत बहुत बधाई|
दोनों रचनाये तो सुंदर हैं ही और आपके स्वर में सुनकर मन अत्यंत आल्हादित हो गया. पुरस्कार की सही हक़दार हैं दोनों ही. बधाई और शुभकामनायें.
बहुत-बहुत बधाई..
बहुत बहुत मुबारक हो राजेंद्र जी !
सादर
मंजु
राजेन्द्र जी
आशीर्वाद
दोनों कवितायेँ बहुत सुंदर
बहुत बहुत शुभ कामनाएं
बहुत बधाई!
दौनों ही रचनाएँ बहुत अच्छी हैं |आपको पुरूस्कार के लिए हार्दिक बधाई |
आपकी आवाज और लेखन दोनो ही बहुत अच्छे लगते हैं |
आशा
दोनों ही रचनाएँ उत्तम ..बहुत -बहुत बधाई |
पुरस्कार के लिए हार्दिक बधाई । दोनों ही रचनाएँ बहुत अच्छी लगीं । शुभकामनाएँ ।
राजेंद्र जी, आप की सफलता पर आप को बहुत-बहुत बधाई !
बहुत सुंदर रचनाएँ सुंदर आवाज के साथ .....
शुभकामनाएँ!
दोनों रचनाएं एक से बढ़ कर एक हैं ! आपको हार्दिक बधाइयाँ तथा मुबारकबाद राजेन्द्र जी ! आपका यश एवं कीर्ति दिग्दिगंत में फैले यही शुभकामना है ! आपकी रचना पढ़ कर हमारी भी हर श्वास गा रही है 'वंदे मातरम, वंदे मातरम '
आभार !
प्रिय राजेन्द्र जी, सादर,
आपकी दोनो रचनाएं देश भक्ति से ओतप्रोत हैं। ओज और तेज से भरपूर आपकी रचनाओं को द्वितीय पुरस्कार के लिये बधाई। ऐसी रचनाओं का अधिक से अधिक सम्पादन और प्रचार आज के परिवेश में अत्यावश्यक है। एक समय था जब फिरंगिओं से देश को स्वतंत्र कराने के लिये साहित्य कारों की सबसे अहम भूमिका रही है। आज फिर समय पुकार रहा है ऐसे ही देश भक्त साहित्य कारों को। प्रभु आपकी कलम को शक्ति प्रदान करे। क्या मैं आपकी रचनाये अपने ब्लाग में छाप सकती हूँ ?
बधाई राजेंद्र जी .यह आपके लिए ही नही हम सबके लिए गर्व की बात है.आप इन्हें राजस्थान राज्य पुस्तक मंडल और एस आई ई आर टी को क्यों नही भेजते यह तो स्कूल के पाठ पुस्तकों मे शामिल होने योग्य कविता है.
पुनः बधाई
बहुत बहुत बहुत बहुत मुबारक हो राजेंद्र जी!!!
आपकी रचना भारत के हर कोण को छूती है|
पंक्तियाँ
मेरी पाकीज़गी के दस्तख़त गंगो-जमन मेरे
मायने रखती हैं! मैं आज कल bolgspot और व्यक्तिगत websites नहीं एक्सेस कर पाती इसलिए किसी भी खबर से अनजान हूँ| मुझे बहुत अच्छा लगा की आपने personel id पर शेयर किया| ललितजी और रक्षक foundeshan से वैसे भी मैं जुड़ा हुआ महसूस करती हूँ| आपकी रचना उत्तम दर्जे की है, इसलिए इसे पुरुस्कृत किया गया है|
आपके जीवन के इन सुखद क्षणों में मेरी भी शुभ कामनायें शामिल कीजिये!!!
Keep smiling.........
Kavita
राष्ट्र धर्म से प्रेरित रचना को द्वितीय पुरस्कार ! बहुत - बहुत बधाई !
बधाई हो...
मैं इंदु पुरी जी की बात से पूर्णतया सहमत हूँ...
और सच बताऊँ तो आपकी आवाज़ में इन्हें सुन क और भी मज़ा आ गया...
बहुत-बहुत धन्यवाद कि हमें ये opportunity मिली की कि हां आपको इतनी आसानी से पढ़ पा रहे हैं यहाँ...
शब्द जब इस प्रकार से व्यवहृत होते हैं, तो सार्थक हो जाते हैं...
लेखनी आपकी सिद्ध है ,इसलिए यह विस्मृत नहीं करती...परन्तु जो भाव आपने ढाले हैं इनमे...बस स्वतः नतमस्तक हो जाता है मन...
साधुवाद और आभार आपका इस सार्थक सुन्दर श्रृजन के लिए...
और बधाईयाँ तो क्या दूं...बधाइयाँ तो जीवन भर आपकी पीछे दौडती फिरेंगी...
माता आपसे ऐसे ही सात्विक रचवाती रहें...
RAJENDRA JI ,AAPKEE DONO RACHNAAYEN
SASHAKT HAIN . PURASKRIT HONE KE
LIYE AAPKO DHERON BADHAAEEYAN AUR
SHUBH KAMNAAYEN .
पुरूस्कार के लिये बहुत-बहुत बधाई के साथ शुभकामनाएं !!
वाह राजेन्द्र जी ... बाजुओं में जोश आ गया .. तरंगें उठने लगी हैं ... बहुत ही कमाल की रचना और उतनी ही लाजवाब गज़ल है ...
और आपकी आवाज़ भी कमाल कर रही है ... बधाई .. बधाई बहुत बधाई ...
बहुत बहुत बधाई आपको.सुन्दर रचनाएँ हैं.
..बहुत बधाई।
प्रतियोगिता में विजय के लिए बधाई.
सादर
मदन मोहन 'अरविन्द'
बहुत-बहुत बधाई राजेन्द्र जी ,
दोनों कविताओं के उद्घोष राष्ट्र के मन-प्राणों को गुँजा दें ,और नई चेतना का संचार कर देंयही कामना है .
आपके स्वरों में निबद्ध हो कर प्रभाव और घनीभूत हो उठा है .
अभिनन्दन आपका !
बहुत-बहुत बधाई राजेन्द्र जी ,
दोनों कविताओं के उद्घोष राष्ट्र के मन-प्राणों को गुँजा दें ,और नई चेतना का संचार कर देंयही कामना है .
आपके स्वरों में निबद्ध हो कर प्रभाव और घनीभूत हो उठा है .
अभिनन्दन आपका !
बेहतरीन सृजन के लिए और सार्थक प्रयास के लिए हार्दिक शुभकामनाएं.
रामराम
bahut achchhi rachna hai...... app ko badhai.
राजेन्द्र जी ,आपकी सफलता और पुरस्कार के लिए बहुत बहुत बधाई आपको.
आपकी रचनायें अमूल्य हैं,इनका मूल्यांकन करने में मैं सर्वथा असमर्थ हूँ.
आपके भावपूर्ण और कर्णप्रिय गायन ने मन्त्र मुग्ध कर दिया है.
अनुपम प्रस्तुतियों के लिए बहुत बहुत आभार.
हमारे दम से महकी मुस्कुराती सब दिशाऐं है।
बहूत खूब। अत्यंत सुंदर रचना। राजेन्द्र जी पुरस्कार के लिए तो बधाई है ही परन्तु सबसे ज्यादा बधाई इस खूबसूरत रचना के लिए। आपके विजेता होने से हम सभी गौरान्वित है। पुन: बधाई।
बेहद खूबसूरत ,रोम-रोम मे देश प्रेम जगाती रचनाये. आप एक नही अनेको पुरस्कार के हक्दार है.बधाई
बधाई...शुभकामनाएं ।
पुरस्कार के लिए बढ़ाई...!!
आपकी सभी रचनाएं पुरस्कार की परिधि के बाहर हैं!
माँ शारदा का वरदहस्त जिसके मस्तक पर हो उसके लिए उप्लाब्दियों की कमी कहाँ..??
आपके रचनाओं की तारीफ के लिए मेरे पास शब्द भी कम पड़ जाते हैं !
बस, बधाई स्वीकार करें....!!
बधाइयाँ ...शुभकामनायें
राजेंद्र जी!
सम्मान के हकदार तो आप हैं ही। उन्होंने इसे पहचाना इसके लिए उन लोगों को धन्यवाद और आपको ढेर सारी बधाई। .... मेरी तो रग रग में वफ़ाएं ही वफ़ाएं हैं। आजकल यह तत्व जीवन से गायब हो रहा है। पत्ती पत्ती झर जाओगे, बन के गंध बिखर जाओगे। यह हवा तुम्हें गी जाएगी पर तुम्हें नहीं सराहेगी। फिर भी वफ़ादार बने रहना सज्जनता की पुकार है। शुभकामना।
पुरुस्कार के लिये बहुत बहुत बधाई राजेंद्र जी
बहुत-बहुत बधाइयाँ .
पुरूस्कार के लिये बहुत-बहुत बधाई
दोनों रचनाएँ शानदार हैं
bahut bahut badhai
दोनों रचनाएँ प्रथम पुरस्कार पाने की हक़दार हैं. बधाई. इसी तरह धमाके करते रहें..
ढेरों बधाई ....शुभकामनाएं .....
हमारी तरफ से तो आप द्वितीय नहीं प्रथम हैं ....
रब्ब आपकी कलम को और हुनर बख्शे ....
आने में देर हुई क्षमा .....
lakh lakh vadhaaiyaan hon jee.....
Bahut-bahut badhaayian sir ji !!!!!!!!!
YOU ARE 'FIRST' FOR ME!!!!!!!!!!!!
आद राजेन्द्र भईया,
सादर नमस्कार...
"ये सच्ची तस्वीर-ए-हिंद है
यह आईना के मानिंद है
इन्हें पढ़सुन के जोश में दिल
संग गाता रहा जयहिंद है."
विजेता होने पर सादर बधाइयां...
भाई राजेन्द्र जी बहुत ख़ूब बधाई और शुभकामनायें
बहुत ख़ूब भाई राजेन्द्र जी नमस्ते |बधाई और शुभकामनायें
बहुत ख़ूब भाई राजेन्द्र जी नमस्ते |बधाई और शुभकामनायें
लेखनी चली तो लिख गए देश के लिए
सुगान किया तो गा गए देश के लिए
इससे बड़ा गौरव नहीं किसी देश के लिए
भारत भी प्रफ़ुल्लित है ऐसे देशवासी के लिए
पुरस्कृत हुए, ढेर सारी बधाइयाँ आपके लिए|
नमस्कार सर जी ,
दोनों रचनाएँ गज़ब की है ||
तारीफ़ क्या करूं , शब्द कम पर रहे ||
पुरुस्कार के लिये हार्दिक बधाई ||
आप मेरे ब्लॉग पे आये , इसके लिए तहे-दिल से शुक्रिया ||
आप मेरी नई रचना ढूंढ़ रहे थे ,
तो लीजिये आज में अपनी नई ग़ज़ल पोस्ट कर रहा || वक़्त मिले तो अवश्य आइयेगा ||
धन्यवाद !!!!
Dono rachnayein behad sundar... Congratulations!!!
BAHUT SUNDER DESHBHAKTI PER LIKHI ANOOTHI RACHANAAYEN.BAHUT BADHAAI AAPKO.MERE BLOG PER AANE KE LIYE SHUKRIYAA.MERI NAI POST AAPKI TIPADI KE INTAJAAR MAIN HAI.THANKS
bahut bahut bdhai...
राजेन्द्र जी दोनों ही रचनाएं उत्कृष्ट हैं मूल्यांकन करने की मेरी औकात तो नही पर दोनों ही रचनाएं मन में राष्ट्रभक्ति का जोश दिलाती हैं । आप का शत शत अभिनन्दन । आप की आवाज सोने पर सुहागे का काम कर रही है ।
वाह वाह ...बधाई भाई जी !
आप योग्य है , शारदा माँ की साक्षात् कृपा है आपकी लेखनी पर !
शुभकामनायें !
पुरस्कार की हार्दिक बधाई!
आपकी रचनाओं में हिंदी और उर्दू के शब्दों का खूबसूरत मिश्रण आनन्दित करता है. यही हमारी संस्कृति की पहचान है
raat galat jagah par comment de diyaa thaa rajendra ji...
so aaj waqt rahe hi pahunch gaye hain......
thodaa heavy blog hai aapkaa..khulne mein waqt letaa hai..
soch rahe hain ki aapko pahlaa puruskaar kyun nahin milaa...jab ki hamaare hisaab se iske adhikaari aap hi the......
baharhaal...
bahut bahut badhaayi....
.
# कुछ विशेष प्रतिक्रियाओं पर मेरी प्रतिक्रिया
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@ manu ji #soch rahe hain ki aapko pahlaa puruskaar kyun nahin milaa...jab ki hamaare hisaab se iske adhikaari aap hi the......
@ हरकीरत'हीर'जी #हमारी तरफ से तो आप द्वितीय नहीं प्रथम हैं ....
@ girish pankaj ji #दोनों रचनाएँ प्रथम पुरस्कार पाने की हक़दार हैं.
@ डॉ.दलसिंगार यादव जी #राजेंद्र जी! सम्मान के हकदार तो आप हैं
@ ***Punam ji*** #आपकी सभी रचनाएं पुरस्कार की परिधि के बाहर हैं!
@ कुश्वंश जी #आप एक नही अनेको पुरस्कार के हक्दार है.
@ नीरज गोस्वामी जी #आप इसी पुरूस्कार के नहीं हर पुरूस्कार के अधिकारी हो...
@ डॉ.टी एस दराल जी #इन उत्कृष्ट रचनाओं पर तो प्रथम मिलना चाहिए था .
@ अरुण कुमार निगम जी #आपकी रचनायें मूल्यांकन की परिधि से परे हैं.
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*प्रथमतः मैं प्रथम पुरस्कार विजेता रवीन्द्र कुमार श्रीवस्तव जी को बहुत बधाई देता हूं !*
मेरे प्रति स्नेह और अपनत्व के लिए आप सब के प्रति आभारी हूं ! कृतज्ञ हूं !
आप सबकी प्रतिक्रियाओं के अलावा भी बहुत सारे कॉल और मेल मिले
जिनमें मेरी रचनाओं को प्रथम नहीं चुने जाने पर
क्षोभ और निर्णायकों द्वारा गंभीरता से रचनाओं को नहीं पढ़-समझ पाने को ले'कर निराशा प्रकट की गई ।
देशभक्ति की भावनाओं पर आधारित एक राष्ट्रभक्ति गीत के नाते
प्रथम पुरस्कार विजेता मान्यवर रवीन्द्र कुमार श्रीवस्तव जी की इन पंक्तियों पर गहरा आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है -
"मेरे गीतों में उठा के सर है गाती मुफलिसी
हो के मैं मजबूर न ,चलता महल का रास्ता"
"बात इन में है नहीं अमिताभ के पतलून की "
"खो दिया कौशौर्य अपना माटी ने गुजरात की "
## इसके अलावा अनेक विद्वान गीतकारों ने बताया कि -
राष्ट्रभक्ति गीतों में हम अपने देश की
कमजोरियों , ख़ामियों , अभावों , नापसंद परिस्थितियों को ले'कर सार्वजनिक रूप से रोना रोने की जगह ,
मिट्टी को भी सोना मानते हुए संतुष्टि जतलाते हुए देश का गुणगान( अतिशयोक्ति पूर्ण भी ) ही करते हैं …
प्रथम पुरस्कार के लिए चुनी गई रचना में देश के अवगुण कितनी जगह गिनाए गए हैं आप स्वयं पढ़ कर देखें , ये रहा लिंक
http://rakshakfoundation.org/poem/index.php/entry/index/416
.
### यहां मैं स्पष्ट करदूं - कि मुझे ज़्यादा मलाल नहीं ,
बल्कि मैं आभारी ही हूं कि रक्षक फाउंडेशन ने मुझे कुछ देने का ही प्रयास किया है …
मेरे ख़ुद के शहर ,
मेरे राज्य की राजस्थानी भाषा अकादमी , बीकानेर (और हिंदी भाषा अकादमी , उदयपुर भी ) में तो
मुझे सबसे अंतिम से भी अंतिम ,
और गयेगुज़रों से भी गयागुज़रा रचनाकार गिनने-गिनवाने का अनवरत सुनियोजित सामूहिक षड़यंत्र चलता रहता है !!
पांडुलिपियों को प्रकाशित कराने के लिए अकादमियों द्वारा दिया जाने वाला प्रकाशनार्थ साधारण अर्थ सहयोग/अनुदान
पाने से मुझे वंचित कराया जाता रहा है ,(जो हर ऐरे-ग़ैरे नाकुछ लिखारे को भी आसानी से मिल जाता है)
पुरस्कार तो बहुत दूर की बात रही ।
…और विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं में भी ऐसे ही लोगों की मौज़ूदगी के कारण पुरस्कार से मैं और मुझसे पुरस्कार दूर ही रहा :)
…अब मैं कहीं अपनी प्रविष्टि सबमिट ही नहीं करता ।
रक्षक फाउंडेशन में मुझे चुना गया (चाहे दूसरे स्थान पर ही )
…क्योंकि यहां मेरे शहर के , और राज्य के लोग शायद दखल नहीं रखते …
गत वर्ष 'परिकल्पना : ब्लॉगोत्सव' में मुझे वर्ष का श्रेष्ठ गीतकार चुना गया … क्योंकि वहां भी शायद ऐसी ही स्थिति थी ।
### इनके अलावा
निष्पक्ष और गुणी निर्णायक होने की स्थिति में
मैंने (वर्ष 1988 से 2003 )अनेक अंतर्राष्ट्रीय प्रसारण संस्थानों द्वारा
(यथा - डॉयट्शे वैले : वॉइस ऑफ जर्मनी , रेड़ियो बर्लिन इंटर नेशनल , रेड़ियो चाइना इंटरनेशनल , रेड़ियो ताशकंद ,
रेड़ियो मॉस्को , रेड़ियो जापान , रेड़ियो काहिरा , रेड़ियो प्राग-चेकोस्लोवाकिया , रेड़ियो नीदरलैंड , वोइस ऑफ अमरीका , )आदि
अनेक देशों से निबंध लेखन, संगीत, चित्रकला और सामान्य ज्ञान प्रतियोगिताओं में लगभग सौ बार प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया है !
/ डॉयट्शे वैले पर दो बार मेरे निबंध एशिया में प्रथम स्थान पर रहे
/ एक बार चीनी दूतावास, नई दिल्ली में CRI China द्वारा पुरस्कृत-सम्मानित किया गया
मां सरस्वती की कृपा मेरा सबसे बड़ा पुरस्कार और सम्मान है …
सादर
राजेन्द्र स्वर्णकार
dono kavitayen laajabaab hai inhe to pratham aana chaahiye tha yah bhi bahut bada sammaan hai aapko dheron badhaai.god bless you.
राजेन्द्र भाई , हमने तो आपकी रचनाएँ पढ़कर ही निश्चय कर लिया था कि ये प्रथम पुरस्कार की हक़दार हैं ।
अब लिंक पढ़कर तो चयनकर्ताओं की बुद्धि पर तरस आ रहा है । इतना ज़हर उगल कर कोई देश भक्ति की बात कैसे कर सकता है । देश पर गर्व तो तभी होगा जब अपनी उपलब्धियों और सकारात्मक बातों को उजागर करेंगे ।
हमारी तरफ से फिर से बधाई और शुभकामनायें ।
पुरस्कृत होने के लिए बधाई स्वीकार करें।
दोनों ही रचनाएं उच्च कोटि के सृजन हैं।
नमन, वंदन, अभिनंदन.
बहुत-बहुत-बहुत-बहुत-बहुत-बहुत (इतनी बहुत है न:)) बधाई।
------
क्यों डराती है पुलिस ?
घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।
प्रथम द्वितीय का चक्कर क्या है
रचनाधर्मी का धर्म है रचना करना, आप अपने नियमित कर्म में लगे रहें यही आशा करता हूं। वैसे भी पुरानी कहावत है कि कस्तुरी कुंडली बसै...दूसरी बार है कि घर का जोगी जोगड़ा, आन गांव का सिद्ध
पर प्रथम पुरस्कार वाली कविता सही में समझ नहीं आई..वो तो ऐसे लगा जैसे कोई अपने को अपमानित करके इज्जत पाने की आशा रखता हो....खुद अमेरिका में 75 लाख से ज्यादा लोग हैं जो गरीब की श्रेणी में आते हैं पर उनका जिक्र आसानी से कोई अमेरिकी नहीं करता...गरीबी की हद बिट्रेन में है..वहां का राजकुमार कंबल बांटता है सुर्खियां पाता है. पर कोई शर्म नहीं करता कि बिट्रेन में गरीब लोग रहते हैं ....ये तो बस कुछ हमारे ही लोग हैं...चाहे वो सत्यजीत राय ही क्यों न हों.. जिन्होंने परंपरा से ज्यादा गरीबी ही दिखाई दुनिया को अपने देश कि कई फिल्मों के माध्यम से...
ज्वलंत सफलता के लिए हार्दिक बधाई!...रचना बहुत ही सुन्दर है और देशभक्ति से ओतप्रोत है!
srvpratham aapko bahut saari shubkamnayen,badhai. aapki dono hi rachnayen dil men jgha banane vaali hain sabse badi baat aap likhte to hain hi achchha kintu aapki aavaj bahut madhur hai...yun hi gungunaante rahiye likhte rahiye hamari or se anginat shubhkamnayen..
khoobsoorat rachna ke puraskrit hone par bahut bahut badhaai..................
बहुत -बहुत बधाई , भाई राजेन्द्र जी !
आपकी रचनाएँ हैं ही उस स्तर की ....
वाह क्या कहना !
पुनः हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकारें ..
aapko bahut bahut badhai .bhagwan aapko sada safalta de
saader
rachana
rajendra ji, aapki rachana ke prashanshak to ham bahut pahale se hai....is uplabdhi par hame bahut khushi hui aur waise bhi yah pure blog jagat ke liye gaurav ki baat hai..
aap aise hi tarakki karate rahe yahi kamana hai hamari..
राजेन्द्र जी, हार्दिक बधाई! रचनायें तो हैं ही सुन्दर, आपका गायन भी लाजवाब!
देर से पहुँचने के लिए क्षमा मांगती हूँ.खबर पा कर बेहद प्रसन्नता हुई..
द्वितीय पुरस्कार के लिए हार्दिक बधाई .
रचनाएँ आप की दोनों ही उत्कृष्ट हैं..गायन हमेशा की तरह बेहद प्रभावी!
भविष्य में भी ऐसे ही अनेकों पुरस्कार आप को मिलें ....शुभकामनाएँ
गजल अच्छी लगी। धन्यवाद पढ़वाने के लिए। सुना भी। अच्छा लगा सुनकर। मेरे चिट्ठे पर आने के लिए धन्यवाद…
पुरुस्कार के लिये बहुत बहुत बधाई राजेंद्र जी
डा.रमा द्विवेदी
राजेन्द्र जी,आपकी इस सफलता के लिए अनेकानेक हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई ....सच में आप बहुत अच्छा लिखते हैं......
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