ब्लॉग मित्र मंडली

13/10/11

वहां अश्आर मैं बेशक़ बहुत तल्ख़ी में कहता हूं

 एक ग़ज़ल बिना भूमिका के हाज़िर-ए-ख़िदमत है


बुलंदी की कई बातें ज़ुबां नीची में कहता हूं

ग़ज़ल उर्दू में कहता हूं, ग़ज़ल हिंदी में कहता हूं
यहां तक…भोजपुरी में, मादरी बोली में कहता हूं

ग़ज़ल फ़न है, मैं सब बातें फ़न-ए-फ़ित्री में कहता हूं
नहीं यह भी कॅ ख़ुदगरज़ी या मनमर्ज़ी में कहता हूं

जदीदी शाइरी करता, रिवायत भी निभाता हूं
मैं तर्तीबो - तबीअत से ग़ज़ल लुगवी में कहता हूं

रदीफ़ो - क़ाफ़िये हैं बाअदब हर शे'र में हाज़िर
तग़ज़्ज़ुल में हर इक मिसरा मैं पाबंदी में कहता हूं

मुहतरम हैं बड़े उस्ताद-आलिम परखलें आ'कर
मुकम्मल बहर में कहता;मगर मस्ती में कहता हूं

जहां हूं रू-ब-रू इंसानियत के गुनहगारों से
वहां अश्आर मैं बेशक़ बहुत तल्ख़ी में कहता हूं

ख़ुद-ब-ख़ुद संग में तब्दील कोई मोम कब होता 
वज़ह ढूंढें अगर कुछ लफ़्ज़ मैं तुर्शी में कहता हूं

मेहरबां सरस्वती मे'आर रखती क़ाइमो - दाइम
ग़ज़ल की ही मसीहाई पज़ीराई में कहता हूं

नहीं राजेन्द्र चिल्लाता ; ख़ुशगुलूई मेरा लहजा
बुलंदी की कई बातें ज़ुबां नीची में कहता हूं
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar



बहुत उलझा हुआ हूं आजकल 
ढंग से आपकी पोस्ट्स तथा मेल नहीं देख पा रहा हूं 
नाराज़ मत हो जाइएगा 

आपको सपरिवार त्यौंहारों के इस सीजन सहित
दीपावली की
अग्रिम बधाइयां-शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !   

53 टिप्‍पणियां:

Rohit Singh ने कहा…

आपको भी दिवाली की बधाई.....अग्रिम तौर पर

केवल राम ने कहा…

जहां हूं रू-ब-रू इंसानियत के गुनहगारों सेवहां अश्आर मैं बेशक़ बहुत तल्ख़ी में कहता हूं
हर एक लफ्ज में भाव पिरोया है अपने बहुत गहरा .....आपका आभार

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर ग़ज़ल पेश की है आपने!
हमें भी प्रेरणा मिली है आपसे ग़ज़ल लिखने के लिए!
आभार!

विभूति" ने कहा…

बेहतरीन प्रस्तुती.....

सागर ने कहा…

bhaut hi umda likha hai aapne...

Saurabh ने कहा…

आपका ’बुलान’ था औ’ मेरी भी थी साध कुछ
आपकी इस ड्यौढ़ी पे आ गया मैं आज हूँ ॥१॥

स्थान साधना के हित, गुणी जनों से है भरा
आप पे जो सज सके ढूँढता वो ताज हूँ ॥२॥

अर्चना है शारदा की, मान साधना का है, कि--
जो विजन में गूँजता मैं वही आवाज हूँ ॥३॥

देख के दुलारिये या तार मन के साधिये
कंपनों में जी रहा हूँ, मैं भी एक साज हूँ ॥४॥

-- सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)

रश्मि प्रभा... ने कहा…

bahut badhiyaa

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अभिव्यक्ति की आवारगी बनी रहे।

Pratik Maheshwari ने कहा…

राजेन्द्र जी,
आप तो जिस भी अंदाज़ में कहें, हम सुनेंगे हमेशा ही :)
सभी त्योहारों की शुभकामनाएं आपको भी!

Unknown ने कहा…

राजेंद्र जी बेहतरीन लफ्जों में कही गहरी बात दिलों तक पहुची ही नहीं कील की मानिंद धस गयी बधाई

नीरज गोस्वामी ने कहा…

आपकी रचनाएँ अब प्रशंशा के शब्दों की मोहताज़ नहीं रही...आपकी बेजोड़ रचनाओं के लिए प्रशंशा के शब्द कहाँ से खोज कर लाऊं? ताज महल की ख़ूबसूरती को कौनसे शब्द व्यक्त कर सकते हैं ? आपकी रचनाएँ दिल से महसूस की जाती हैं पढ़ कर मन आनंद से भर जाता है...
और हाँ अब उलझें नहीं सुलझें..और वो भी जल्दी...आप उलझे हुए अच्छे नहीं लगते...:-)

नीरज

आकर्षण गिरि ने कहा…

आपकी रचनाएं निस्संदेह एक से बढ़कर एक हैं... पठनीय जो सोचने को मजबूर करती हैं... इस खूबसूरत गजल के लिए बधाई...

vandana gupta ने कहा…

बहुत सुन्दर भाव संजोये है गज़ल मे।

***Punam*** ने कहा…

ख़ुद-ब-ख़ुद संग में तब्दील कोई मोम कब होता !
वज़ह ढूंढें अगर कुछ लफ्ज़ मैं तुर्शी में कहता हूँ !!



वक्त और इंसान जिंदगी की सबसे बड़ी पाठशाला हैं...!
आपकी ग़ज़ल का अंदाज़ कुछ यूँ ही बयां करता नज़र आता है...!!
आपकी कलम की कायल हूँ मैं और आपके ज़ज्बात और लफ्जों की साफगोई की भी...!!
माँ शारदे की कृपा आप पर यूँ ही बनी रहे....!!
आपको पढ़ कर कुछ अपने ज़ज्बातों को भी सुकून सा मिल जाता है.....!!

***Punam*** ने कहा…

ख़ुद-ब-ख़ुद संग में तब्दील कोई मोम कब होता !
वज़ह ढूंढें अगर कुछ लफ्ज़ मैं तुर्शी में कहता हूँ !!



वक्त और इंसान जिंदगी की सबसे बड़ी पाठशाला हैं...!
आपकी ग़ज़ल का अंदाज़ कुछ यूँ ही बयां करता नज़र आता है...!!
आपकी कलम की कायल हूँ मैं और आपके ज़ज्बात और लफ्जों की साफगोई की भी...!!
माँ शारदे की कृपा आप पर यूँ ही बनी रहे....!!
आपको पढ़ कर कुछ अपने ज़ज्बातों को भी सुकून सा मिल जाता है.....!!

सदा ने कहा…

शब्‍द-शब्‍द जब स्‍वयं बोले तो वो आपकी रचना हो जाती है ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ..आभार ।

रेखा ने कहा…

बहुत ही उम्दा और लाजबाब ..

रेखा ने कहा…

बहुत ही उम्दा और लाजबाब ..

रविकर ने कहा…

समय चाहिए आज आप से |
पाई फुर्सत बाढ़ - ताप से |
परिचय पढ़िए, प्रस्तुति प्रतिपल-
शुक्रवार के इस प्रभात से ||
समालोचना टिप्पण करिए-
अपने दिल की प्रेम-माप से |
चर्चा-मंच की शोभा बढती-
भाई-भगिनी चरण-चाप से ||
शुक्रवार --चर्चा-मंच
http://charchamanch.blogspot.com/

रविकर ने कहा…

समय चाहिए आज आप से, पाई फुर्सत बाढ़ - ताप से |
परिचय पढ़िए, प्रस्तुति प्रतिपल, शुक्रवार के इस प्रभात से ||
टिप्पणियों से धन्य कीजिए, अपने दिल की प्रेम-माप से |
चर्चा मंच

की शोभा बढे, भाई-भगिनी, चरण-चाप से ||

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

क्या कहूँ खामोश हूँ बस, बोल दे यह मेरा मौन
अहा! मौजे मसर्रत, के, गज़ल दरिया में बहता हूँ.

सादर बधाई बड़े भईया....

डॉ टी एस दराल ने कहा…

बेशक हौले से बहुत बड़ी बातें कह डाली भाई ।
अति सुन्दर ।
लेकिन आप भी कहाँ उलझे हैं आजकल ?

रचना दीक्षित ने कहा…

आपका लेखन अद्भुत है राजेंद्र जी. कोमल शब्द सुंदर शैली वह भी ताल लय के साथ और उस पर गूढ़ भाव सहजता से आपकी रचना में प्रवाहित होते है. बहुत धन्यबाद और आपको भी दीपावली की सपरिवार बधाई.

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

कहीं तुर्शी ,कहीं तल्ख़ी ,कहीं नर्मी,कहीं मस्ती
आप के कलाम में तो हर बार एक अलग ही अंदाज़ होता है
बधाई !!

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

जहां हूं रू-ब-रू इंसानियत के गुनहगारों से
वहां अश्आर मैं बेशक़ बहुत तल्ख़ी में कहता हूं
क्या बात है राजेन्द्र जी बहुत सुन्दर शेर है. पूरी ग़ज़ल ही सुन्दर है. बधाई.

मदन शर्मा ने कहा…

बहुत सुन्दर ग़ज़ल पेश की है आपने!
आप के कलाम में तो हर बार एक अलग ही अंदाज़ होता है..... आपको भी दीपावली की सपरिवार बधाई.

Vivek Jain ने कहा…

सुन्दर ग़ज़ल,
साभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Arvind Mishra ने कहा…

मुकम्मल बहर में कहता मगर मस्ती में कहता हूँ -यह संतुलन तो गालिबन अजीम शायरों में ही हो सकता है ..सलाम है इस शख्सियत को ....!

Akhil ने कहा…

"Mukkmal Bahar men kahta magar masti men kahata hun.."

bas sir yahi gyaan hamaare saath bhi baantiye agar ho sake to...
itni khoobsurt aur mukkmal gazal ke liye dhero badhai..

shashi purwar ने कहा…

khoobsurat abhivyakti ......... bahut -bahut hardik shubhkamnaye

Amrita Tanmay ने कहा…

मनभावन रचना..शुभकामना..

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

शानदार ग़ज़ल के लिए दिली मुबारकबाद कुबूल फरमाएं, राजेंद्र जी।

www.navincchaturvedi.blogspot.com ने कहा…

आज दोबारा पढ़ा इस ग़ज़ल को। कल कप्यूटर अचानक धोखा दे गया था। फिर से पढ़ा, और आप की अपने स्टाइल वाली ग़ज़ल का आनंद लिया। आप जो कहते हैं बेबाक कहते हैं, बेलाग-लपेट के कहते हैं। यह तत्व बहुत ज़रूरी होते हैं सार्थक और प्रगतिशील सृजन के लिए। बधाई स्वीकार करें।

गुजर गया एक साल

mridula pradhan ने कहा…

tareef ke liye shabd hi nahin hain.....kamaal ka likhe hain.

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

बहुत अच्छी ग़ज़ल लगी ---देवर जी ..क्या बात हैं ! आपकी ग़ज़ल मेरी बहना के कानो तक नहीं पहुँच सकी शायद ???
एक के बाद एक त्यौहार आए और गए --और आ रहे हैं --सबकी तरफ से आपको बहुत -बहुत शुभकामनाए ..

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

bahut sundar gazal...

कुमार राधारमण ने कहा…

कुछ शब्दों के अर्थ भी दे देते,तो अधिक ग्राह्य होता।

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

"रदीफो-काफिये है बाअदब हर शेर मे हाजिर,
तगज्जुल मे हर इक मिसरा मैं पाबन्दी से कह्ता हूँ."

इस declaration मे गज़ब का आत्म विश्वास है,फन मे महारत और पुख्तगी ही इसका सबब है.बहुत सलीके की बामक्स्द शायरी करते है आप .

अनुपमा पाठक ने कहा…

बुलंदी की कई बातें जुबां नीची में कहता हूँ
वाह!

शुभकामनाएं आपको भी!

Madhu Tripathi ने कहा…

rajendra ji
aaj aapke blog ko dhoondh payee
shayriya padkar talkhi aur barfi dono swad maila
ap hamare blog par sadar amantrit hai

madhu tripathiMM
tripathi873@gmail.com
http://kavyachitra.com

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह बहुत खूब ... क्या मस्ती है इस गज़ल में ... सभी जुबानों पर आपका दबदबा है .. आप सच में लाजवाब कहते हैं ..

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

बेशक राजेन्द्र जी .....
बिलकुल सही लिखा है आपने अपनी सुन्दर ग़ज़ल में
रचनाकार 'निराला' हो तो अच्छा लगता है !

P.N. Subramanian ने कहा…

बहुत खूबसूरत. शायरी को ग़ज़ल बना जाना फनकार की ही फितरत हो सकती है.

Rajesh Kumari ने कहा…

bahut umda ghazal.aapko shubhkamnaayen.

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

आपको भी दिवाली की बधाई.

Asha Joglekar ने कहा…

वाह वाह वाह बडी भारी भरकम गज़ल पेश की है राजेन्द्र जी और वह भी उस्ताद आलिमों को चुनौती देकर । आप उलझे हैं पर हम आपकी प्रतिक्रिया को तरस रहे हैं ।

Unknown ने कहा…

बेहद उम्दा गजल...शुभ कामनायें आपको...

Ankur Jain ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति...दिवाली की बधाई.

Satish Saxena ने कहा…

आपके पदचिन्ह हमेशा पहचाने जायेंगे ....
शुभकामनायें भाई !

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत बढिया .. शुभकामनाएं !!

Asha Lata Saxena ने कहा…

दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएं |
आशा

Arvind Mishra ने कहा…

दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं आपको और परिवार को राजेन्द्र जी

kalaam-e-sajal ने कहा…

achhi ghazal hai