सलिल वारि अंभ नीर जल पानी अमृत नाम
!
जल जीवनदाता ; इसे शत-शत करो प्रणाम
!!
वृक्ष लता क्षुप तृण सभी का जल पोषणहार
!
हर मनुष्य , हर जीव का , जल ही प्राणाधार
!!
जीव-जंतु सबके लिए , जल का शीर्ष महत्व
!
सर्वाधिक अनमोल जल , प्राणप्रदायी तत्व
!!
जल जीवन है प्राण है , यही सृष्टि का मूल
!
जल-क्षति , क्षति हर जीव की ; करें न ऐसी भूल !!
जल मत व्यर्थ गंवाइए , रखिए पूरा ध्यान
!
पृथ्वी पर जल के बिना संभव नहीं विकास
!
नहीं रहा जल उस घड़ी होगा महाविनाश
!!
जल के दम से आज तक मुसकाए संसार
!
वरना मच जाता यहां कब का हाहाकार
!!
हर प्राणी हर जीव की जल से बुझती प्यास
!
जल से ही ब्रह्मांड में है जीवन की आस
!!
जीवित ; जल के पुण्य से पृथ्वी के सब जीव
!
हरी-भरी धरती ; बिना जल होती निर्जीव
!!
सहज हमें उपलब्ध है …तो जल का अपमान
?
बिन पानी रह जाएगी धरा मात्र श्मशान
!
अभी समय है ! संभलजा , ओ भोले इंसान
!!
जीवन की संभावना , मात्र शून्य
, बिन नीर
!
जल-संरक्षण के लिए हो जाओ गंभीर !!
जल की नन्ही बूंद भी नहीं गंवाना व्यर्थ
!
सचमुच , जग में जल बिना होगा महा अनर्थ !!
है सीमित , जल शुद्ध ; कर बुद्धि सहित उपभोग
!
वर्षा-जल एकत्र कर ! मणि-कांचन संयोग
!!
अंधाधुंध न कीजिए , पानी को बरबाद
!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
87 टिप्पणियां:
सारे दोहे बता रहे, जल का खूब महत्व|
जल दिवस बता रहा,है यह अमूल्य तत्व||
सुंदर शब्दों से सजे सभी दोहे वाकई बहुत अच्छे हैं...
वाह जल पर लिखे अद्दभुत दोहे अतिसुन्दर चित्र भी मनमोहक हैं जल की उपयोगिता बहुत सुन्दरता से दर्शाई है ,प्रेरणा दाई पोस्ट बहुत पसंद आई.
सुंदर अर्थपूर्ण दोहे ....
शुभकामनायें .
सबके लिए लाभदायक लेख ...
कवियों के लिए एक अनछुआ विषय
आभार आपका !
जल ही जीवन है ,यह परम सत्य है , इस अनमोल द्रव्य कोबचाना सृष्टि को बचाना है .....साधुवाद जी /
सुन्दर सामयिक भाव और प्रस्तुति !
बिन पानी सब सून।
बांग्लाभाषी है भला, पिए नहीं बस खाय ।
भूलो सब जलपान को, जल तो रहा विलाय ।
जल तो रहा विलाय, कलेवा बदल कलेवर ।
ठूस-ठास कर खाय, ठोस दाना अब पेवर ।
जल-प्रदान का पुण्य, काम पित्तर आयेंगे।
देंगे वे जल-ढार, पिपासु बुझा पायेंगे ।।
अच्छे और उपयोगी दोहे हैं। प्रत्येक दोहे के बाद दोहरी स्पेस देकर उन्हें एक दूसरे से अलग करने पर विचार करें। इससे चाक्षुष सुख तो बढेगा ही, पढने में भी अधिक आसानी होगी।
बेहतरीन दोहे ! जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है,
विश्व जल दिवस के अवसर पर जागरूक करती उपरोक्त पोस्ट हेतु आभार....
amal karne ki zaroorat hai.....bahot achchi baat likhi hai.
सभी दोहे बहुत सार्थक ... पानी के महत्त्व को कहते हुये ... कुछ दिनों से आपका ब्लॉग नहीं खुल रहा था ... आज ठीक से खुला ...
लहराती , बल खाती , मचलती तस्वीर को देख कर ही हम तो आत्म विभोर हो गए भाई जी .
क्या कमाल करते हो !
जल पुराण पढ़कर जल की कीमत समझ आ रही है .
सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई और आभार .
बहुत बढ़िया....सामायिक रचना....
बस लोग समझें ...सिर्फ कविता समझ कर वाह वाह ना किया जाय....
सादर.
jal hi jeevan hai , jal bina sab suna ............bahut sunder rchna rajendra ji , hardik badhai .
जल जीवन है प्राण है, यही सृष्टि का मूल...
अत्यंत सार्थक दोहे आदरणीय राजेन्द्र भईया...
सादर.
इस निर्मल नीर प्रवाह से तृप्त हुए॥
आपने जल दिवस पर पानी रखा !! आभार
बढ़िया दोहे प्रस्तुत किये हैं आपने!
सार्थक , सुंदर , संदेशपरक दोहे
bahut sundar aur sarthak kavita ke liye aapko badhai.
सुन्दर! गंगा के पावन जल को बचाने के लिए डॉ. अग्रवाल आमरण अनशन कर रहे हैं. लेकिन सरकार के कान पे जूं नहीं रेंग रही है. जाने सरकार को गंगा और जल से क्या दुश्मनी है.
आज के दिन को समर्पित ये पंक्तियां सार्थक और बहुमूल्य हैं।
aadarniya rajendra ji ... saadar pranaam ... aaj itne din baad blog jagat mein lauti hoon ... aur aapke blog par aakar maano aisa lag raha hai ... jaise phir aapne pariwaar mein laut aayi hoon ... apna aashirwaad humesha banaye rakhiye ... aur racha ke baare mein kya kahun ... humesha ki tarha lajawaab ...
राजेन्द्र भाई..
बहुत ही सामयिक और सुन्दर दोहे...
अदा दी...
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♥(¯`'•.¸*♥♥*¸.•'´¯)♥
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*♥*-=-स्वागतम-=-*♥*
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बिन पानी सब सून.
जल ही जीवन है ,पानी बिना संसार असार है !
बहुत सुन्दर चिन्त नइन दोहों में व्यक्त हुआ है. !
.
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नव संवत् का रवि नवल, दे स्नेहिल संस्पर्श !
पल प्रतिपल हो हर्षमय, पथ पथ पर उत्कर्ष !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
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शस्वरं के सभी मित्रों को
*चैत्र नवरात्रि और नव संवत २०६९ की हार्दिक बधाई !*
*शुभकामनाएं !*
*मंगलकामनाएं !*
पानी पर बड़े पानीदार दोहे लिखे हैं भाई राजेन्द्र जी आपने ।-
जल की नन्ही बूँद भी नहीं गँवाना व्यर्थ,
सचमुच जग में जल बिना होगा महा-अनर्थ!
जवाब नहीं आपके इस दोहे का । बहुत बढि़या संदेश दिया है आपने।
बहुत सुन्दर रचना राजेंद्र जी ,
आज इंसान जिस तरह जमीन के सीने से निकाल इस अमृत को व्यर्थ बिखेर रहा हैं
तो ऐसा करके वह खुद अपने ही अस्तित्व पर सवाल खड़े कर रहा है . आज गोव में देखते हैं कुए ,बावड़ी में पानी नज़र ही नहीं आता .
भूमि सिचाई के लिए हर साल बोरवेल के पाइप को और गहराई में पेवस्त किया जा रहा है . कुछ सालों बात हालत बेकाबू होकर ही रहेगे.
सुन्दर सामयिक भाव और प्रस्तुति के लिए बधाई.
दोहे छलछल छलकते करते हमें सचेत
नव सम्वत्सर वर्ष पर अमल करें समवेत.
शुभ नव वर्ष............
नवसंवत्सर के अवसर पर आपका स्नेह मिला। आपको भी अशेष शुभकामनाएं।
जल पर बेहतरीन दोहे रचे हैं आपने। सभी एक से बढ़कर एक हैं। इसकी तो होर्डिंग बनवाकर चस्पा कर देनी चाहिए शहरों में...
जल जीवन है प्राण है,
यही सृष्टि का मूल!
जल-क्षति, जीवन की क्षति;
करें न ऐसी भूल!!
...................
माँ सरस्वती, माँ दुर्गा, माँ काली... सभी की कृपा आप पर बनी रहे।
जल की कहानी को इतिहास बनने से रोका जा सके तो बेहतर है !
आभार आपका !
जल का महत्व बताते सुंदर दोहे ...
सुंदर रचना पर और खूबसूरत विचारों पर ..
मुबारक हो !
शुभकामनाएँ!
मय आपके सभी चिठ्ठाकारों को बधाई और शुभकामनाएं . नवसंवत्सर की .
जहां ज़ल है वहीँ जीवन की संभावना है .शरीर का बहुलांश भी जल ही है .जीवन तत्व जल की महिमा रहीम ने तभी समझ ली थी जब सृष्टि में जल की किल्लत नहीं थी -
रहिमन पानी राखिये ,बिन पानी सब सून ,
पानी गए न ऊबरे ,मोती मानुस चुन .
यह दुर्भाग्य पूर्ण है आज हम उसी जल की तात्विकता नष्ट कर बैठे हैं .हमारे सभी जल स्रोत गंधाने लगें हैं .बढ़िया साहित्य रचके आपने पर्यावरण की हिमायत की है जो एक ज़िंदा शख्शियत है भौतिक अवधारणा मात्र नहीं है हमारा पर्यावरण हमारी अपनी प्रकृति ही है . डेढ़ अरब लोग आज दिन प्यासे हैं .पेय जल से वंचित है .आगे क्या होगा .बूँद बूँद सो भरे सरोवर .
जल की अहमियत प्रस्तुत करते बहुत सुन्दर दोहे!
पानी की हर धार मे
जीवों का संसार है
इसकी महिमा क्या हम गायें ?
ये जीवन का आधार है।बहुत अच्छी प्रस्तुति राजेन्द्र जी।
बहुत सुंदर और सार्थक दोहे...शुभकामनायें!
जल ही जीवन है बिन जल सब सून...सार्थक रचना...
सार्थक पोस्ट ..!
नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ|
सार्थकता लिए उत्कृष्ट लेखन ..आभार ।
समसामयिक रचना…………नव संवत्सर मंगलमय हो।
जल जीवन है प्राण है,
यही सृष्टि का मूल!
जल-क्षति, जीवन की क्षति;
करें न ऐसी भूल!!
बहुत खूबसूरत रचना है।
नववर्ष और नवरात्रि की बधाई एवं शुभकामनाएं।
विचारनीय पोस्ट...काश जल की इस महत्ता को समझा गया होता . एक सुंदर सन्देश देती हुई बहुत ही अच्छी पोस्ट.
सर आपको चैत्र नवरात्र और नव संवत की अनेकों मंगलकामनाएं....
सादर.
जल जीवन है प्राण है,
यही सृष्टि का मूल!
जल-क्षति, जीवन की क्षति;
करें न ऐसी भूल!!
बहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन सटीक रचना,......
my resent post
काव्यान्जलि ...: अभिनन्दन पत्र............ ५० वीं पोस्ट.
जल जीवन है प्राण है,
यही सृष्टि का मूल!
जल-क्षति, जीवन की क्षति;
करें न ऐसी भूल!!
बहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन सटीक रचना,......
my resent post
काव्यान्जलि ...: अभिनन्दन पत्र............ ५० वीं पोस्ट.
पञ्च तत्वों में से एक प्रमुखतम तत्व है जल उसकी तात्विकता नष्ट करके हमने आफत मोल ले ली है .जल से पैदा रोग और अप -व्यय जीवन का अप -विकास है छीजना है .ब्लॉग पे आप आये अच्छा लगा .उत्साह मिला .
नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें...
नवसंवत्सर की शुभकामनायें स्वीकारें .....
राजेन्द्र जी बहुत दिनों बाद आज आपके ब्लॉग पर आई हूँ .....लहराती जलधारा ने सबसे पहले सम्मोहित किया फिर दोहों ने ........बहुत बहुत बधाई सारगर्भित रचना के लिए !
सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई...
नूतन संवत्सर की मेरी भी शुभकामनाएँ राजेन्द्र जी, आप और आप के परिवार के लिए यह संवत्सर सुखमय हो।
इतना ध्यान देने लगेंगे हम तो तीसरे विश्व युद्ध का क्या होगा मित्रवर....जाहिर है जब शहरों में आसानी से पानी मिल रहा है तभी तो हम इसकी कद्र नही कर पा रहे हैं। व्य़र्थ बहता पानी हमें दिखता नहीं औऱ बात करते हैं समाज को बदलने की ....
pani kee mahima ka bahut sahaj varnan kiya hai.sath hi navsamvat kee shubhkamnayen bhi bahut hi sundar sanyojan se dee hain.aapko bhi nav samvat bahut shubh v mangalmay ho rajendra ji.हे!माँ मेरे जिले के नेता को सी .एम् .बना दो. धारा ४९८-क भा. द. विधान 'एक विश्लेषण '
जल ही जीवन है...इसका सही इस्तमाल करना चाहिए...
बहुत ही बढ़िया विषय ,,,,उत्कृष्ट रचना,,,,,
:-)
सुन्दर और भावपूर्ण सार्थक रचना |नव वर्ष पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
आशा
सुन्दर और भावपूर्ण सार्थक रचना |
नव वर्ष पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
आशा
भाई राजेंद्र जी, हार्दिक अभिवादन.
इन दोहों के लिये बधाई.
जल की अनिवार्यता जानी-बूझी बात है, इसके बावज़ूद समाज में जल के प्रति ऐसी अविवेकपूर्ण अन्यन्मनस्कता के भाव ! आपने सही कदम उठाया है राजेंद्र भाई. और चेताते हुए दोहों की रचना कर डाली.
रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून
पानी गये न ऊबरे, मोती मानुष चून !!
नव संवत्सर की शुभकामनाएँ.
--सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)
जल के महत्त्व को बाखूबी उतारा है आपने इन दोहों में ... बहुत ही सार्थक रचना है ... सच पूछो तो कहते हैं की अगला महायुद्ध जल के पीछे ही लड़ा जायगा ... ये जानते हुवे भी लोग जाग नहीं रहे ... आज की जरूरत को उतारा है आपने रचना में ...
सुंदर सामयिक सचेत करने वाली रचना ।
रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून ।
पानी बिना न ऊबरे मोती मानस चून ।
काश कि सब, क्या गरीब क्या अमीर, ये समझ जायें ।
सभी दोहे बहुत अच्छे हैं...
Atyant sunder evam janopyogi dohe.Saadhuvad.
Aparimit shubhkamnayen.
Sasneh-
-Arun Mishra.
आपको नव वर्ष शुभ हो ।
सभी दोहे बहुत अच्छे हैं...
jal jo nhota to jal jata jag sarthak post bdhai mere blog par svagat hae.
सच है जल ही जीवन है.
बहुत सुंदर गीत.
jal h to kal h ye hame manna hi padhega bahut hi achha sandesh deti hui panktiya....
जल की महिमा स्थापित करती बहुत ही खूबसूरत रचना राजेन्द्र जी ! नव वर्ष की आपको भी हार्दिक बधाइयां !
स्वर्णकार जी ...बहुत ही सुन्दर रचना लिखी है आपने ...लेकिन दुःख तो इस बात का है ..की अब भी यह समझाने की ज़रुरत पड़ती है लोगों को ...जब जब पानी फिकता देखते हैं तो वितृष्णा होती है उन लोगोंसे जो इस निर्दयता से उसे बहाते हैं ......आपको एक लिंक भेज रही हूँ देखिएगा ज़रूर
http://www.slideshare.net/gauravlalita/save-water
बहुत महत्वपूर्ण सूचना दी है आपने इस रचना के द्वारा ...जल हमारे लिए बहुत मूल्यवान है. इसको बचाना हर व्यक्ति का कर्त्तव्य है. आपने इस रचना के द्वारा बड़ी सुंदरता के साथ लोगों को आगाह किया है ....
वाह राजेन्द्र जी ! कमाल के दोहे ..जल के महता को बताते हुवे सार्थक पोस्ट ..और ऊपर से बहते पानी का लुभावना माहोल आपके चित्रों ने यहाँ पर उलट दिया है... अतिसुन्दर ...सादर
जल तो जीवन है आपके इसीस तरह आपके दोहे अमूल्य है ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति
आदरणीय राजेंद्रजी , आपको एव आपके परिवार को नव वर्षकी शुभकामनाये !
‘जल ही जीवन है...’ इस सत्य को दोहो के रूप में आपने बहुत खूबसूरती से उकेरा है...। बधाई...।
jal jeevan hain,
jal anmol hain,
jal hain poshanhaar.
bahut khubsurat rachna likhi hain
aapne...hame is anmol sampati ka bahut athiyaat se istemaal karna chahiye.
आदरणीयराजेन्द्र स्वर्णकार जी
प्रणाम
नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें जी
"जल ही जीवन है"
कमाल के दोहे, बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना, इस रचना के लिए आभार
देरी से आने के लिये क्षमा
आपका अपना
सवाई सिंह
पुराने लोग कहते है कि , जल , पैसे और कपड़ो को हमेशा ही बचा कर रखना चाहिए . पर आजकल जल का जो दुरूपयोग होता है , उसे देखकर दुःख होता है .... और ऐसे माहौल में आपकी ये सुन्दर रचना ,एक eye opener की तरह है . आपको बहुत साधुवाद !!
विजय
आदरणीय राजेंद्रजी , आपको एव आपके परिवार को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाये !
सादर.
यशोदा
आदरणीय राजेद्र जी,
जल से अभिसिंचित रचना मन को भिगो गयी| साधुवाद!
सादर
अमित
राजेंद्र जी ,
बहुत सुन्दर ,प्रभावी ,प्रस्तुति ,विषय-वस्तु तो सर्वकालिक ,सार्वदेशिक
उपयोगी | सार्थक सन्देश को बहुत आकर्षक ढंग से प्रेषित करने के
लिए बधाई,
महिपाल,२९/३/१२ ,ग्वालियर
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!
वाह ! ! ! ! ! बहुत खूब राजेन्द्र जी
सुंदर सार्थक सटीक रचना,बेहतरीन भाव प्रस्तुति,....
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
बहुर सुन्दर अभिव्यक्ति जल ही जीवन है और आपके दोहे ने जीवन्तता और बढ़ा दी है --------बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर
एक-से-बढ़कर एक दोहे...
हमारी संस्कृति भी अनूठी है....करवा चौथ पर पानी की बचत की जाती है,... लेकिन निर्जला एकादशी पर उसका दान किया जाता है. प्यासों को रोक-रोककर पिलाया जाता है.
भक्ति करने में सूर्य को अर्घ्य देना हो, शिवलिंग पर जल चढ़ाना हो, गंगा-स्नान हो, कुम्भ का स्नान हो, सूर्य व चंद्र ग्रहण पर स्नान हो, अस्थि-विसर्जन हो, छठ-पूजा हो ... न जाने कितने ही रिवाज हैं जो बिना जल के नहीं निपटते. हमारे लगभग सभी संस्कारों में जल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. आचमन करने से लेकर अर्घ्य देने तक, गंगाजल छिडकाव से लेकर मार्जन तक सभी क्रियाओं में जल आवश्यक है.
मुझे बचपन में ही सिखा दिया गया था कि पीने वाले पानी की बरबादी नहीं करनी चाहिए. ये बात मेरे मन में बैठ चुकी थी.
छुटपन में एक बार मैं हरिद्वार गया ... वहाँ गंगा के तेज प्रवाह को देखकर पहले तो घबरा गया... फिर मेरे मुख से अचानक निकला "यहाँ कितना सारा पानी बेकार बहे जा रहा है."
मुझे बाद में बोध हुआ कि नदियों में तो पानी बिखरा ही मिलेगा. उसे तो कहीं ओर सुरक्षा दी जानी चाहिए. घर में किफायत से इस्तेमाल करने से नालियों में गंदा पानी कम होगा और वह नालों के रास्ते नदियों को गदला कमतर करेगा.
मेरी एक और आदत है वह यह कि खाने के बर्तन धोते हुए उसके बचे पानी को पौधों में पहुँचाता हूँ और खुश होता हूँ. मुझे लगता है कि मैंने पानी का सही-सही पूरा प्रयोग कर लिया."
उत्तम दोहे..उत्तम विचार......उत्तम संदेश
...सब कुछ उत्तम ही उत्तम है सर जी।
आपको श्रीरामनवमी की शुभकामनाएँ......
आदरणीय,आपकी यह चेतावनी सी देती रचना और
साथ के चित्रों ने मन मोह लिया ....अब भी न चेतेंगे तो कब......होली और नव-संवत्सर की ,
शुभ-कामनाएं आपको सपरिवार......!!
साभार....
आदरणीय,आपकी यह चेतावनी सी देती रचना और
साथ के चित्रों ने मन मोह लिया ....अब भी न चेतेंगे तो कब......होली और नव-संवत्सर की ,
शुभ-कामनाएं आपको सपरिवार......!!
साभार....
आदरणीय,आपकी यह चेतावनी सी देती रचना और
साथ के चित्रों ने मन मोह लिया ....अब भी न चेतेंगे तो कब......होली और नव-संवत्सर की ,
शुभ-कामनाएं आपको सपरिवार......!!
साभार....
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