ब्लॉग मित्र मंडली

13/3/13

जो सुख पाया स्वप्न से , मन को ही आभास !


मित्रों ! कल्पना कीजिए ...नींद आई हुई हो , लेकिन जाग रहे हों ।
...ख़्वाब हो ...स्वप्न हो, लेकिन साकार लगे, हक़ीक़त लगे ।  
...कोई स्मृति में हो ...मन में हो, लेकिन साक्षात आंखों से दिखाई दे रहा हो । ...पराया हो’कर भी कोई अपना ही लगे । ...आपस में कोई रिश्ता न हो, लेकिन एक-दूजे पर पूर्ण अधिकार हो । ...जिससे एक शब्द भी न कह पाने की स्थिति हो, उससे मन की पूरी बात कह दी जाए । ...संभव न हो स्पर्श करना भी जिसे, उसे कंठ-हृदय से लगा लिया जाए, बाहों में भर लिया जाए । ...और ... ... ...  

क्या आपने ऐसा सपना देखा है जब ...आधी रात के बाद नींद खुलने पर भी आप बिस्तर पर घंटे भर तक आंखें बंद किए’ बैठे उसी दुनिया में खोए रहे हों , ...अगले कई दिन कई रात हर समय हर कहीं मन में बसे प्रिय के साथ सपने में मिलने के सुख-आनंद-परमानंद की अनुभूतियों की स्मृति में ही डूबे रहे हों ! ... ... ...क्या नाम दिया जाए उस रिश्ते को  ...जहां शरीर देह न हो , मन प्राण आत्मा हो ! ...जिस्म न हो , रूह हो ! ...वासना न हो , भावना हो ! ...काम न हो , प्रेम हो ! ...अपेक्षा न हो , अर्पण हो ! ...स्वार्थ न हो , समर्पण हो !  ...और ...और ...और ...  ... ...

प्रश्नों के उत्तर मिलते रहेंगे 
आइए, एक रचना पढें-सुनें 
मन बंजारे बावरे ! तेरे अद्भुत पांव !
जा पहुंचे पल में बहुत दूर-दूर के गांव !!
ना बाधाएं राह की , ना गलियां अनजान !
मन निकला जब घूमने , सफ़र हुआ आसान !!
प्रियतम से मिल कर गले , जी भर कर की बात !
पल में बीते दिन कई , बीती कितनी रात !!
रात पहर पिछले हुआ , महामिलन का योग !
ओ सपने ! आभार है... बना दिया संजोग !!
सपने ! तू कितना भला ! कितना प्यारा मीत !
साजन से मिलवा दिया , हार बना दी जीत !!
जी करता है... प्राण मैं सपने पर दूं वार !
विरह मिटा कर , मिलन का लाया यह त्यौंहार !!
मन में छवि प्रिय की बसी , मिलवाया साक्षात !
सपन सलोने ! आज फिर आना आधी रात !!
ओ सपने ! खोना नहीं , तू संपत्ति अनमोल !
मत खुल बैरन नींद तू , विष मधु में मत घोल !!
जो सुख पाया स्वप्न से , मन को ही आभास !
प्रेम में अब भी शेष है आस और विश्वास !!
उचट न जाना नींद तू , बीत न जाना रात !
टूट न जाना स्वप्न तू , गुम न जाए सौगात !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
मेरे द्वारा स्वरबद्ध मेरी यह रचना मेरे स्वर में

  सुनिए तबीयत और तसल्ली से

मिलेंगे होली पर 
शुकानाएं

28 टिप्‍पणियां:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत प्रभावी भावपूर्ण दोहे,,,

राजेन्द जी,,,आपसे नीचे दिए लिंक में सहयोग चाहता हूँ,,,आभार

Recent post: होरी नही सुहाय,

Shalini kaushik ने कहा…

.बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति आभार ''शालिनी''करवाए रु-ब-रु नर को उसका अक्स दिखाकर . .महिलाओं के लिए एक नयी सौगात WOMAN ABOUT MAN

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

स्वप्न में सही, पर घिर आये बादल सा एक जीवन..

रविकर ने कहा…

बहुत बढ़िया-

आदरणीय-

मनसायन आयन मन्मथ भायन मानस वेग बढ़ा कसके |

रजनी सजनी मधुचन्द मिली, मकु खेल-कुलेल पड़ा लसके |

अब स्वप्न भरोस करे मनुवा पिय आय रहो हिय में बस के ।

खट राग लगे कुल रात जगे मन मौज करे रजके हँसके |।

vandana gupta ने कहा…

बहुत खूबसूरत भाव संयोजन

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बहुत सुंदर .शुभकामनायें.

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी प्रविष्टि कल के चर्चा मंच पर है
धन्यवाद

शिवनाथ कुमार ने कहा…

कभी कभी स्वप्न कितना खुबसूरत होता है ,,,
सुन्दर प्रस्तुति ...

Alpana Verma ने कहा…

किस की तारीफ़ पहले करूँ...स्वरबद्ध प्रस्तुति की या चित्रमय भावपूर्ण ग़ज़ल की ..दोनों रूप में प्रस्तुति अति उत्तम.

Anita ने कहा…

बहुत सुंदर रचना..स्वप्न से यथार्थ तक...

सदा ने कहा…

अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ... आभार

सुनील गज्जाणी ने कहा…

jai ho aap ki rajendra jee , bahut bahut badhai , sadhuwad umdaa rachna ke liye .
saadar

रश्मि शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर..सच में सपने कभी-कभी उम्‍मीद की कि‍रण दे जाते हैं..अनजाने ही

रश्मि शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर...बधाई

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

सुन्दर भाव लिए खूबसूरत रचना ...बधाई
भ्रमर 5

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

waah ....very touching ..no words to say ......

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

रंग बाँट कर फागुनी,कहाँ चले चितचोर
भरा नहीं मन का कलश,ये दिल मांगे मोर ||

प्यास बढ़ाते दोहे....

Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति,सपने हैं उम्‍मीद की कि‍रण, आभार राजेन्द जी

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

भाव एवं संगीत का सुन्दर संगम -सपने सच का आभास भी देने लगें तो कितने सार्थक लगते हैं !

रचना दीक्षित ने कहा…

बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति और आवाज में तो जादू है.

अनेकानेक शुभकामनाएँ.

Dr. Vandana Singh ने कहा…

एक खूबसूरती से "ऑरगनाइस्ड" ब्लॉग पर आ कर जो खुशी महसूस होती है उसके साथ ही पठन सामग्री की प्रासंगिकता और प्रभावी प्रस्तुति से प्रभावित हुई...
हार्दिक शुभकामनायें सहित...
सादर...

सुज्ञ ने कहा…

होली की हार्दिक शुभकामनायें!!!

Rohit Singh ने कहा…

इतनी संगीतमय तो नहीं..हां गुलाल की खुशबु और प्यार से भरी होली की हार्दिक शुभकामनाएं मित्रवर

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

आपको सपरिवार होली की अनंत शुभकामनाएँ !!

***Punam*** ने कहा…

"उचट न जाना नींद तू,बीत न जाना रात...!
टूट न जाना स्वप्न तू,गुम न जाये सौगात....!"

राजेन्द्र जी...
भावविभोर करने वाली रचना है...!

"न जाने कितने स्वप्न...
न जाने कितने ख्वाब..
कुछ पूरे ..
कुछ अधूरे...
तैर गए आँखों में..!
हर सपने की एक ही चाहत..
काश कि पूरा हो जाये...!
हर ख्वाब की एक ही हसरत...
काश कि हकीकत में तब्दील हो जाये...!
ये जिंदगी...
हकीकत में ख्वाबों की ताबीर भले ही हो..
फिर भी जिंदगी के रंग हैं ये...
इन सपनों से ही है जिंदगी...!
कुछ ऐसे ख्वाब...
जो रोज देखे जाते हैं....
कुछ ऐसे स्वप्न...
जो कभी पूरे ही नहीं हो पाते हैं...
तभी तो कहा है किसी ने...
"कल के सपने आज भी आना..."

आपकी चौखट पर आना
और बिना कुछ पाए जाना...
मुश्किल ही नहीं...
नामुमकिन है....!!

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

बहुत अच्छी रचना. शुभकामनाएँ.

Dr. Shorya ने कहा…

बहुत सुंदर .शुभकामनायें

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

:))