ब्लॉग मित्र मंडली

15/8/13

न शान-ए-हिंद में गद्दारों की गुस्ताख़ियां होतीं


नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे

चमन के सरपरस्तों से न गर नादानियां होतीं
न फिर ये ख़ार की नस्लें हमारे दरमियां होतीं

मुख़ालिफ़ हैं ये सच-इंसाफ़ के ; उलझे सियासत में
ख़ुदारा , पासबानों में न ऐसी ख़ामियां होतीं

असम छत्तीसगढ़ जम्मू न मीज़ोरम सुलगते फिर
न ही कश्मीर में ख़ूंकर्द केशर-क्यारियां होतीं

निभाती फ़र्ज़ हर शै मुल्क की गर मुस्तइद हो'कर
धमाके भी नहीं होते , न गोलीबारियां होतीं

सियासतदां जो होते मर्द , उनका खौल उठता ख़ूं
अख़ीरी जंग की फ़िर पाक से तैयारियां होतीं

न हिजड़ों को बिठाते हम अगर दिल्ली की गद्दी पर
न चारों ओर बहते ख़ून की ये नालियां होतीं

वतन के वास्ते राजेन्द्र ईमां दिल में गर रखते
न शान-ए-हिंद में गद्दारों की गुस्ताख़ियां होतीं

-राजेन्द्र स्वर्णकार
©copyright by : Rajendra Swarnkar
आज़ादी अभी अधूरी है !
क्या बधाई  दें
? 

60 टिप्‍पणियां:

Asha Joglekar ने कहा…

सियासत जाँ जो होते मर्द..........काश कि होते ।

बहुत दबंग गज़ल ।

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

जो कहा है सच कहा है,प्रखर स्वरों में कहा है,बहुत स्पष्ट और तीखें तेवरों में कहा है-इस सत्यप्रियता और शब्द-सामर्थ्य को मेरा नमन !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

समय लौट आयेगा फिर से स्वर्णिम अपना।

Ranjana verma ने कहा…

सच कहा हमारी आजादी अभी अधूरी है....... बहुत कम करने हैं........... स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें .....

Ranjana verma ने कहा…

सच कहा हमारी आजादी अभी अधूरी है....... बहुत कम करने हैं ....... स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ....

Ranjana verma ने कहा…

सच कहा हमारी आजादी अभी अधूरी है....... बहुत कम करने हैं ....... स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ....

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

वन्दे मातरम्,
बहुत खूब, राजेंद्रजी, उम्दा ग़ज़ल .

जो पकडे जा चुके 'रिश्वत' में फांसी उनको दे देते,
न फिर ईमान बिकता और न ये लाचारिया होती .
http://mansooralihashmi.blogspot.com

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत बढ़िया.............
दिल से निकले उद्गार.......
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई !!

सादर
अनु

Rajendra kumar ने कहा…

अतिसुन्दर,स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत बढिया गज़ल । स्वतन्त्रता दिवस की
हार्दिक शुभकामनायें

दिगम्बर नासवा ने कहा…

जायज है आपका आक्रोश ... शर्म आती है देश के नेताओं पे आज एक दिन ...
स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनायें ...

Sadhana Vaid ने कहा…

हर दिल की आग को बड़ी शिद्दत के साथ अपनी इस गज़ल के माध्यम से बयान कर दिया है आपने ! सच में बड़ी शर्मिंदगी का एहसास होता है जब इतने स्वार्थी और लालची नेताओं को गद्दी पर काबिज देखते हैं ! बहुत ही सुंदर गज़ल है ! स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !

Rohit Singh ने कहा…

मित्र आजादी की मुबारकवाद तो देंगे ही हम....बात एकदम सच लिखी है..हम लोग खुद ही इस दुर्दशा के जिम्मेदार हैं..जैसे हम लोग हैं वैसी ही शासन व्यवस्था हमा्री किस्मत होगी....चंद हम आप जैसे सिरफिरे लोगो के हाथ में तकात नहीं है...ओर हम एकजुट नहीं हैं..इसलिए भी ताकत नहीं है हम लोगो में....तो जबतक सब जाग नहीं जाते तब तक हमें ऐसी परेशानियों का सामना करना ही पड़ेगा...

yashoda Agrawal ने कहा…

आपने लिखा....हमने पढ़ा....
और लोग भी पढ़ें; ...इसलिए शनिवार 17/08/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सच्चाई को प्रदर्शित करती गजल !!

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सटीक और सशक्त अभिव्यक्ति...जय हिन्द!

Ramakant Singh ने कहा…

बेहतरीन ग़ज़ल सादर नमन

संध्या शर्मा ने कहा…

सटीक और सशक्त अभिव्यक्ति...जय हिन्द…वन्दे मातरम

अशोक सलूजा ने कहा…

नमस्ते सदा वत्सले मात्र्भुमें ...
वन्देमातरम !

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

लाजवाब प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत सुंदर सटीक और सशक्त गजल ,,,बहुत बहुत बधाई...राजेंद्र जी

RECENT POST: आज़ादी की वर्षगांठ.

Onkar ने कहा…

सशक्त रचना

LAVKESH KAUSHIK ने कहा…

बहुत ही उम्दा गज़ल। मुबारकबाद।।

LAVKESH KAUSHIK ने कहा…

बहुत ही उम्दा गज़ल। मुबारकबाद।।

LAVKESH KAUSHIK ने कहा…

बहुत ही उम्दा गज़ल। मुबारकबाद।।

www.navincchaturvedi.blogspot.com ने कहा…

shandar, jandar, dhamakedar ............ rajendra ji tussi gr8 ho.............. kaash gaddaaron ke kaanon tak aap kee aawaaz pahunche.............

Aleena Itrat ने कहा…

bht khoobsurat shabdon se buni gai panktiyan ,
bht khoob janab

Aleena Itrat

मैखाने की मस्ती के मस्ताने हज़ारों हैं ने कहा…

वाह! राजेन्द्रजी क्या खूब कहा है,24 कैरट शुद्ध बात, गजल का गठन ऐसा कि बार बार पढ़ने का मन करे, भाव, शब्द चयन अद्वितीय| बहुत ही कसी हुई गजल| बधाई|
पर क्या कर सकते हैं? हम ही उन्हें सरपरस्त बनाते हैं या यों कहिए कि बनाने पर मजबूर हैं, कारण कि आँख बंद करके पत्थर फेकिए, मौकापरस्त पर ही गिरेगा-

रहनुमा
वे मक्कार हैं,
वे बदकार हैं,
देश डकार कर भी,
लेते नहीं डकार हैं,
फिर भी हम उन्हें चुनते हैं,
इस लिए हम पर धिक्कार हैं|
वे पीर हैं, वे जुमाँ हैं,
वे बद-जुबां है,
वे बद-गुमाँ हैं,
वे देश पर दाग बद-नुमाँ हैं,
फिर भी वे देश के रहनुमाँ हैं|

girish pankaj ने कहा…

ये ग़ज़ल दहला देने वाली है . दिल्ली सुने तो उसकी आत्मा जगे. इसी तरह लिखते रहें, यह समय प्रतिवाद करते रहने का है . एक बार फिर इस बड़ी रचना के लिए शुभ कामनाएं

नीरज गोस्वामी ने कहा…

भाई जी

सच्चे सोने सी खरी ग़ज़ल है आपकी .जोश के साथ साथ होश भी जगाती . आज के हालात की बेबाक बयानी . जय हो .किसी शेर पर मुठ्ठियाँ तन जाती है तो किसी पर शर्मिंदगी से सर झुक जाता है . ग़ज़ल क्या है दर्पण है जो है वो दिखा रहा है . वाह वाह वाह ....जियो भाई जी जियो.

नीरज

नीरज गोस्वामी ने कहा…

भाई जी

सच्चे सोने सी खरी ग़ज़ल है आपकी .जोश के साथ साथ होश भी जगाती . आज के हालात की बेबाक बयानी . जय हो .किसी शेर पर मुठ्ठियाँ तन जाती है तो किसी पर शर्मिंदगी से सर झुक जाता है . ग़ज़ल क्या है दर्पण है जो है वो दिखा रहा है . वाह वाह वाह ....जियो भाई जी जियो.

नीरज

नीरज गोस्वामी ने कहा…

भाई जी

सच्चे सोने सी खरी ग़ज़ल है आपकी .जोश के साथ साथ होश भी जगाती . आज के हालात की बेबाक बयानी . जय हो .किसी शेर पर मुठ्ठियाँ तन जाती है तो किसी पर शर्मिंदगी से सर झुक जाता है . ग़ज़ल क्या है दर्पण है जो है वो दिखा रहा है . वाह वाह वाह ....जियो भाई जी जियो.

नीरज

PRAN SHARMA ने कहा…

AAPKEE SASHAKT VANI HAR TARAF GOONJE . BAHUT KHOOB !

Poonam Matia ने कहा…

न गद्दारों की यूँ गुस्ताखियाँ होती ........वाह .....जब जब आपका लेखन पढ़ती हूँ .....लिखने पढने का जोश बढ़ जाता है .साधुवाद एवं धन्यवाद

डॉ.त्रिमोहन तरल ने कहा…

achchhi ghazal hai Swarnkarji.badhai

Shilpa Mehta : शिल्पा मेहता ने कहा…

वन्दे मातरम।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

देश की परिर्स्थिति का सुन्दर चित्रण किया है आपने इस देशबक्ति से ओत-प्रोत ग़ज़ल में।
--
भाई-बहन के पवित्र प्रेम के प्रतीक रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनाएँ!

vijay kumar sappatti ने कहा…

राजेन्द्र जी , बहुत दिनों के बाद आपके ब्लॉग पर आ रहा हूँ. माफ़ी चाहूँगा .
देशप्रेम से भरी हुई ग़ज़ल के लिए मेरे पास शब्द नहीं है ..आपके ब्लॉग पर आना हमेशा ही ख़ुशी दे जाता है .. सच्ची

दिल से बधाई स्वीकार करे.

विजय कुमार
मेरे कहानी का ब्लॉग है : storiesbyvijay.blogspot.com

मेरी कविताओ का ब्लॉग है : poemsofvijay.blogspot.com

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

पूर्ण स्वराज मिलना बाकी है अभी भी.वाकई.

ZEAL ने कहा…

very nice.

vicky.swarnkar ने कहा…

nice

Asha Joglekar ने कहा…

बहुत तेजस्वी ओजस्वी गजल ।

अनुपमा पाठक ने कहा…

ओजस्वी स्वर!
प्रखर भाव!

राष्ट्र पर्व एवं अन्य त्योहारों की शुभकामनाएं!
सादर!

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत सुन्दर सशक्त ग़ज़ल ,बधाई राजेंद्र जी !

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

kash ki aisee batten sab ki samajh men aati ....

Neeraj Neer ने कहा…

वन्दे मातरम् ! बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल लिखी आपने . यूँ वतन के लिए जोश भरने वाले ग़ज़ल कम ही लिखे ज्जाते हैं. नपे तुले शब्दों में अतुल्य भाव प्रवाह .. बहुत खूब .
पांच अंगुलियाँ हैं बिखरी हुई, मुठ्ठी गर बन जाए,
न शर्मिंदगी, न लाचारी न दुश्वारियां होती ..
आपका बहुत आभार

Majaal ने कहा…

जोश-ए -भरपूर शायरी सुन कर आपकी,
हमारी तरफ से भी खूब तालियाँ होती !

Unknown ने कहा…

बहुत जोशीली प्रस्तुति ...
सच कहा आपने आज़ादी अभी अधूरी है

virendra sharma ने कहा…

वाह एक एक लफ्ज़ हिन्दुस्तान के दिल की आवाज़ का कह दिया इस तराने में ,आज के बे दिल फ़साने में। इसे सुन्दर भी कैसे कहें जबकि भदेस है यहाँ सब कुछ।

virendra sharma ने कहा…

वाह एक एक लफ्ज़ हिन्दुस्तान के दिल की आवाज़ का कह दिया इस तराने में ,आज के बे दिल फ़साने में। इसे सुन्दर भी कैसे कहें जबकि भदेस है यहाँ सब कुछ।

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

सार्थक अभिव्यक्ति
सच्चे देश भक्ति के जज़्बात को नमन
हार्दिक शुभकामनायें

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

वाह...जोश से भरी ग़ज़ल...बहुत शानदार !!
एक साथ स्वतंत्रता दिवस, रक्षाबंधन एवं कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ !!:)

Naveen Mani Tripathi ने कहा…

gajal ke madhyam se ap ne katu saty ko paribhashit kr diya hai ....hardik badhai bhai sahab.

Unknown ने कहा…

bahut accha poem...

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

वाह! राजेन्द्रजी क्या खूब कहा है,24 कैरट शुद्ध बात, गजल का गठन ऐसा कि बार बार पढ़ने का मन करे, भाव, शब्द चयन अद्वितीय| ...
चन्द्र पाल जी के सब्द ही मेरे समझें .....

आपकी भेजी तस्वीर ब्लॉग पे लगा दी है ....!!

Unknown ने कहा…

वाह सर क्या बात है,बहुत ही बेहतरीन देश भक्ति पूर्ण रचना लहू में जैसे अंगार घोल दिए हो किसी ने
आपको समर्पित
जब भी ये बाजू फड़केंगे,सीने में आग लगी होगी
नापाक पाक मिटाने को,जब भागमभाग लगी होगी
गलियां गलियां बस्ती बस्ती शहर सभी चढ़ दौड़ेंगे
देश के वीरो में इक दिन ऐसी अलख जगी होगी

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

गज़ल भी इतनी जोश खरोश भरी हो सकती है यह आपकी गज़ल पढ़ कर जाना ..... आभार ।

Anupama Tripathi ने कहा…

gahan abhivyakti ...

Rachana ने कहा…

bahut sunder gazal badhai aapko
rachana

संतोष पाण्डेय ने कहा…

पूरी तरह सहमत हूं। इन कमबख्तों ने देश को बेच खाया।