शाम का सूरज हूं
मोम हूं , यूं ही पिघलते' एक दिन गल जाऊंगा
फिर भी शायद मैं कहीं जलता हुआ रह जाऊंगा
मैं चराग़ों की पनाहों में कभी रहता नहीं
हैं अंधेरे साथ, तय यूं ही सफ़र कर जाऊंगा
काटदो बाज़ू मेरे , मेरी ज़ुबां तक खेंचलो
वक़्त ! माथे पर तुम्हारे , मात मैं लिख जाऊंगा
ख़ौफ़ मेरी आंच से नाहक़ ही क्यों राजेन्द्र है
शाम का सूरज हूं , थोड़ी देर में ढल जाऊंगा
- राजेन्द्र स्वर्णकार
(c)copyright by : Rajendra Swarnkar
~*~ यहां सुनिए ~*~
मेरी यही ग़ज़ल मेरे ही स्वर में मेरी ही बनाई धुन में
जी हां आज ही के दिन कभी
इस दुनिया से मेरी और मुझसे इस दुनिया की पहली मुलाकात हुई थी ।
आप सब का बहुत बहुत आभार !
53 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर.....अभी तक गुनगुना रहा हूँ आपकी ही धुन पर| शायद आज आपका जन्म दिवस है|
जन्म दिवस की ढेरों शुभकामनाएं|
ब्रह्माण्ड
क्या बात है सरकार! इतना ज़बरदस्त लेखन!!!! आपका नाम तो स्वर्णकार की जगह स्वर्णाक्षर होना चाहिए
पढने से सुनना और फिर पढना उत्तरोत्तर अच्छा लगता गया !
जन्म दिवस की ढेरों शुभकामनाएं|
बेहतरीन है साहब ..... बहुत बढ़िया शेर .... उम्दा ग़ज़ल.
शाम का सूरज हूँ , शाम को ढल जाऊँगा ---
खुदा करे वो शाम आए हजारों साल के बाद ।
जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवम शुभकामनायें राजेन्द्र जी ।
जन्मदिन का तोहफा बहुत सुन्दर लगा ।
बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
मराठी कविता के सशक्त हस्ताक्षर कुसुमाग्रज से एक परिचय, राजभाषा हिन्दी पर अरुण राय की प्रस्तुति, पधारें
शाम का नहीं सुबह का सूरज हैं आप...हमेशा उँचाइयों को छूते रहें, इसी कामना के साथ जन्मदिन की बधाई व शुभकामनाएं (पाबला जी के ब्लॉग से पता चला)
काट दो बाजू मेरे ...जुबां तक खेंच लो ...
वक़्त तुम्हरे माथे पर मात लिख जाऊँगा ..
इस हौसले और जज्बे को सलाम ...
गौर फरमाएं ...
किया जा सकता है घुटनों पर किसी को मजबूर
नहीं रोकी जा सकती मन की स्वतंत्र उड़ान
मुंह बंद तो फिर भी किया जा सकता है काट कर जुबान
ठूंसे नहीं जा सकते किसी जुबान पर अपने शब्द !
जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनायें ..!
rajender ji ... bahut hi achhi likhi hui aur swarbadhh ki hui ... dil ko chu lene waali ... badhaai swikaarein...
saath hi janmdin ki bhi subh kaamnayein...
राजेन्द्र जी,
जन्मदिवस की बहुत-बहुत बधाइयाँ एवं हार्दिक शुभकामनाएँ!
भाई राजेन्द्र जी,
जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाइयाँ एवं हार्दिक शुभकामनाएं |बहुत बढ़िया ग़ज़ल है उस पर आपकी आवाज ! वाह... वाह ... वाह ..|
आपको जन्मदिन की हार्दिक बधाई ! ठाकुरजी से आपके लिए यही प्रार्थना करतें है>>>>>>>>>>>>>
पश्येम शरदः शतं जीवेम शरदः शतं श्रुणुयाम शरदः शतं प्रब्रवाम शरदः शतमदीनाः स्याम शरदः शतं भूयश्च शरदः शतात्
@वक़्त तुम्हरे माथे पर मात लिख जाऊँगा
सिर्फ लिखने भर के लिए नहीं लिख रहा हूँ ................... आज तक जितने भी आत्मविश्वास पूर्ण लेख/वाक्य/शब्द पढ़े सुने है, उन सब पर भारी लगा है मुझे आपका यह कथन........... अत्यंत ओज -पूर्ण रचना
जन्मदिन की बधाई ...
राजेंद्र साहब..........किसी ने कहा बड़ी बात ये नहीं की हम दुनिया में क्या है, बड़ी बात ये है की हम दुनिया में हैं.............तो आपको दुनिया में एक बरस और होने की बधाई.............ग़ज़ल हमेशा की तरह लाजवाब है ........शुभकामनाये|
आपको जन्मदिन की हार्दिक बधाई
जन्म दिन की अनंत शुभकामनाएं...
स्वस्थ रहें ,प्रसन्न रहें,सुखी रहें !!!
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल लिखी है आपने.....आनंद आया पढ़कर ...
एक खूबसूरत रचना के साथ जन्म दिन ...
बहुत बहुत बधाई आपको .
जन्म दिन पर ढेरों शुभकामनाये.
बहुत सुन्दर........जन्मदिन पर हार्दिक शुभ कामनायें......
वक्त्! माथे पर तेरे मात मै लिख जाऊँगा
बहुत खूब जरूर लिखें गे आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें।
आपकी बेहतरीन ग़ज़ल और मधुर स्वर का आनंद एक बार फिर लिया... जीवन की सांझ में पहुंचना भी जीवन का एक कटु सत्य है... कोई सूरज ४ दिन कम दुनिया को प्रकाशित करता है और कोई ४ दिन ज्यादा, बस और ज्यादा फर्क नहीं.. दुआ है आप चिरायु हों अभी तो आप युवा हैं.. आपकी रचनाएं तरुण हैं भाईसाब.
ब्लॉगर साथी राजेन्द्र सिंह जी को गुफ्तगू परिवार की ओर से जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाये और बधाई.
राजेन्द्र जी,
जन्मदिवस की बधाईयां, आपका जीवन उत्तरोत्तर प्रगति और विकास करे। शुभाकांषा!!
और शुभकामनायें!!
'घणा ज जीवो'
जन्म दिवस की ढेरों शुभकामनाएं|
bahut subdar gazal
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल गायकी के लिए बधाई राजेंद्र भईया. आपको जन्मदिन की शुभकामनाये. आपकी आवाज और आपकी कलम को सलाम.
एक शेर नजर है-
"आफ़ताबे मगरिब तू उदास क्यूँ है
पसे रात सहर एक दूसरा तो है:"
काट दो बाजू मेरे...बहुत खुद्दार गज़ल है राजेंद्र जी...वाह...
जनम दिन की ढेरों शुभकामनाएं...इश्वर आपकी हर मनोकामना पूर्ण करे...
नीरज
आपको आपका जन्मदिन मुबारक हो!
प्रणाम !!
इस बेहतरीन ब्लॉग के किसी भी पोस्ट पर मै कुछ कह सकूँ इतनी मेरी सामर्थ्य नहीं बस आपको मै अपनी ओर से सुन्दर लेखन के लिए अशेष शुभकामनायें प्रेषित कर रहा हूँ कृपया स्वीकार करें.........
जन्मदिन कि ढेरों बधाइयाँ ...
ग़ज़ल बहुत सुन्दर है !
शाम का सूरज हूँ , शाम को ढल जाऊँगा ---
....बहुत सुंदर रचना.
जन्मदिन की हार्दिक बधाईयां और शुभकामनाएं.
रामराम.
जन्मदिन की हार्दिक बधाईयां और शुभकामनाएं.
जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं सर और आपकी पंक्तियां हमेशा की तरह कमाल हैं
शाम का सूरज हम सबकी थकान ले भारी हो डूब जाता है।
खौफ मेरी आंच से नाहक ही क्यों राजेन्द्र है
शाम का सूरज हूँ थोड़ी देर में ढल जाऊंगा ......
राजेन्द्र जी आज जन्मदिन के मौके पे ऐसी रचना क्यों .....?.
ये उदासी बहुत कुछ कह रही है ....
इतने पाक -साफ इंसान की आच भला किसी को नुक्सान पहुंचा सकती है .....?
अपना रास्ता तो सभी को खुद ही बनाना होता है ....
कोई चलेगा तो ही बनेगा न .....?
खैर ब्लॉग जगत में ये सब चलता रहता है .....
आवाज़ का दर्द छू गया .....
जन्मदिन मुबारक .....!!
"जन्मदिवस की शुभकामनाएँ"
रचना का रस पिया, मधुर है.
badhai...janmdin ki....badhai..pyare-pyare sheron ki....badha...isi tarah likhte rahane ki. shubhakamanae..
bahuthi behtreen gazal,
aapko blog ki salgirah mubarak ho
bahut hi achha hai ye
aapko janmdin ki badhaye
deepti sharma
बहुत बढिया...
जन्म दिवस पर वाग्देवी की कृपा आप पर सदैव बनी रहे ऐसी शुभकामना है....
शब्द और आवाज़ दोनों मन भाये... बहुत ही उम्दा प्रस्तुति ....शुभकामनायें स्वीकारें
जोश से लबरेज़ लफ्ज़, और आवाज़ का जादू ....
अच्छा समायोजन..
शुभकामनाएं...
जन्मदिन की हार्दिक बधाई सर
देर से ही हमारी भी जन्मदिन की बधाईयाँ स्वीकारें..
गजल और आपकी आवाज में गजल दोनों ही बहुत अच्छे लगे।
राजेंद्र जी ..बहुत बढ़िया ग़ज़ल पढ़ी आपने..एक सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई
गज़ल बढ़िया है लेकिन मुकम्मल होने के लिए एक शेर और चाहिये ।
aapki ghazal shaam ka suraj aaj hi padhi..bahut sunder lagi.oh yes ...belated happy b,day.
ख़ूबसूरत ग़ज़ल और इतने अछ्चे दिन
काट दो बाज़ू मेरे मेरी ज़ुबां तक खेंच लो
वक़्त ............
बहुत उम्दा और बाहौसला शेर लेकिन मक़ते से हम इत्तेफ़ाक़ नहीं करते
कई दिन बाद आना हुआ है...
सबसे पहले तो जन्मदिन कि बधाई स्वीकारें...
तत्पश्चात..
ग़ज़ल के मक्ते पर हमें इस्मत मैम से सहमत ही समझिये...
मैं चरागों की पनाहों में कभी रहता नहीं...
बहुत जानदार शे'र...
कई दिन बाद आना हुआ है...
सबसे पहले तो जन्मदिन कि बधाई स्वीकारें...
तत्पश्चात..
ग़ज़ल के मक्ते पर हमें इस्मत मैम से सहमत ही समझिये...
मैं चरागों की पनाहों में कभी रहता नहीं...
बहुत जानदार शे'र...
Rajendra Bhai
aaj aapki ghazal padh paya hoon. do-teen baar padhi hai bahut sunder zghazal kahi hai aapne Khaskar makta padh kar to wah wah khud wa khud nikal gai.
Zabah rajendra ko karata tujhe main muaf kar deta
magar tu katl karane ko chala mere sukhnawar ko
bahut sunder hardik badhai.
Abhi auron ki comments padh kar maloom hua ki aapka janmdin bhi tha. Baad men hi sahi par janm din ki dheron hardik shubh kaamnayen
Tum jio hazaron saal saal ke din hon pachas hazar.
Chandrabhan Bhardwaj
belated happy birthday rajendra ji..
shandar gajal khubsurat aawaz k sath....bhadai...thanks.archana
sundar rachnaa ..shaam kaa suraj... vaah .. bemishal... shayad aapka janmdin hoga us din..mai late aayi hoo... shubhkaamnaye..
Baar Padhne par bhi ghazal ke alfaaz ki shabnami tazagi barkarar hai..Sada bahar ghazal ke liye Badhyi
बहुत ही प्रभावशाली गायन है आपका! माँ सरस्वती ने आपके हाथ मे लेखनी और कंठ मे राग बन के विराजमान है!
आप वंदनीय है आदरणीय राजेंद्र जी!
शुभकामनाए प्रेषित करती हूँ!!
एक टिप्पणी भेजें