ब्लॉग मित्र मंडली

3/11/10

नन्हे दीप ! न डरना

 सरस्वती आशीष दें गणपति दें वरदान !
लक्ष्मी बरसाएं कृपा बढ़े आपका मान !! 
दीपावली की मंगलकामनाएं !

धन त्रयोदशी ! रूप चतुर्दशी ! और … आ गई दीवाली !

गहन तिमिर से घिरी अमावस्या की रात्रि !
अंधकार के नाश का दायित्व ले लिया है नन्हे दीयों ने   
और देखिए 
सकल सृष्टि मुसका रही , विहंसे दीप करोड़ !
आज अमा की रैन भी , लगे सुनहरी भोर !!
दीप प्रज्ज्वलित दिशि दसों ,तमदल शिथिल हताश !
नन्हे दीपक कर रहे , कल्मष का उपहास !!
दीयों ने मिल कर किया , आज सघन आलोक !
वैभव यश भू का निरख ' सकुचाए सुरलोक !!
पूर्णचंद्रमा - से लगें , मृदा - दीप सब आज !
यत्र तत्र सर्वत्र है , उजियारे का राज !!
दीवाली की रात को , तारे हुए उदास !
नन्हे दीयों ने किया भू पर शुभ्र उजास !!

महिमा है तो एक-एक नन्हे दीपक की
वह दीपक मैं हूं ! आप हैं ! हम में से हर एक है !
प्रस्तुत है गीत 
नन्हे दीप !  डरना
नन्हे तेरे हाथ-पांव हैं , नन्ही-सी औकात रे !
पीछे तेरे आंधी-तूफ़ां , आगे झंझावात रे !
नन्हे दीप ! न डरना , लड़ना , जलना काली रात रे !
ले आ तू मुट्ठी में सुनहरी , नूतन आज प्रभात रे !
उल्टी बहती हवा, ओ दीपक ! दिशा-दिशा खाने आए !
देख अकेला , तुझे कालिमा घेर-घेर कर धमकाए !
रेशे-रेशे व्याप्त कपट छल बैर कुचालें घात रे !
नन्हे दीप ! न डरना , लड़ना , जलना काली रात रे !
आज विलुप्त हुए हैं सच का साथ निभाने वाले, सुन !
बस्ती-बस्ती बसे बनैलेहाड चबाने वाले, सुन !
आदमखोर हुई है पूरी अब आदम की जात रे !
नन्हे दीप ! न डरना , लड़ना , जलना काली रात रे !
रात-बाद दिन आता, सूरज उगता, होता शुभ्र उजास !
तब तक तेरी लौ से दीपक दुखियारों को होती आस !
क्या छोटी-सी , और क्या लम्बी ? रात-रात की बात रे !
नन्हे दीप ! न डरना , लड़ना , जलना काली रात रे !
जलने पर छीजेगी तेरी काया … सुन , परमार्थ में !
दीपक ! तू भी अंधा मत बन जाना , जग ज्यों स्वार्थ में !
आस किसी से मत करना , है कठिन बहुत संगात रे !
नन्हे दीप ! न डरना , लड़ना , जलना काली रात रे !
-        राजेन्द्र स्वर्णकार

(c)copyright by : Rajendra Swarnkar
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देव प्रसन्न , प्रसन्न हैं धरती पर इंसान !
दीवाली मंगलमयी ! शुभ  सुखकर वरदान !!

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*¤*.¸¸´¨`»*¤* Happy Diwali *¤*«´¨`·.¸¸.*¤*
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41 टिप्‍पणियां:

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

bahut sundar ! Diwali kee hardik shubhkamnayen !

राजभाषा हिंदी ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई! राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है!
राजभाषा हिन्दी पर – कविता में बिम्ब!

Archana Chaoji ने कहा…

बहुत अच्छी रचना....शुभकामनाएं...

Anupriya ने कहा…

bahot sundar...nanhe dipo ki tarah...happy diwali.

chandrabhan bhardwaj ने कहा…

Bhai Rajendra ji
Bahut sunder geet hai hardik badhai.
Dhanteras apko aur dhanwaan banaye
Roopchaudas apko aur roopwaan banaye
Deepawali apke jeevan men sukh aur samraddgi laye
Deepawali ki hardik shubh kaamnayen
Chandrabhan Bhardwaj

PRAN SHARMA ने कहा…

PRIY RAJENDRA JEE ,
SUNDAR SHABD AUR SUNDAR
BHAAV SONE PAR SUHAAGA LAGE HAIN .
AAPKEE QALAM HAMESHAA JADOO JAGAATEE HAI . DIWALI PAR DHERON
SHUBH KAMNAAYEN .

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

आपको समस्त परिवार सहित
दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभ-कामनाएं
धन्यवाद
संजय कुमार चौरसिया

vandana gupta ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें।

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

स्वर्णकार जी बहुत अच्छा गीत है, बधाई.
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.

डॉ टी एस दराल ने कहा…

आपकी रचनाओं से आपके ब्रह्म ज्ञान का बोध होता है ।
बहुत मेहनत से लिखी है ये स्तुति और गीत ।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें राजेन्द्र जी ।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सुन्दर रचनायें, दीवाली की शुभकामनायें।

Alpana Verma ने कहा…

बहुत ही सुन्दर गीत लिखा है..
दीपों के इस महोत्सव के शुभ अवसर पर आप को भी ढेरों शुभकामनायें.

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा!





सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

-समीर लाल 'समीर'

Satish Saxena ने कहा…

बढ़िया मंगल गीत ! धन्यवाद !
हार्दिक शुभकामनाएं

Shah Nawaz ने कहा…

बेहद खूबसूरत...

सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!

तिलक राज कपूर ने कहा…

दोहों और गीत के माध्‍यम से ये उत्‍सवी प्रस्‍तुति और आपकी शुभकामनायें बधाई की पात्र हैं।
दीपोत्‍सव पर सपरिवार शुभकामनायें।

निर्मला कपिला ने कहा…

सुन्दर शब्दों और सुन्दर भावों से सजी अद्भुत रचनायें। अपको भी सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।

sandhyagupta ने कहा…

दीवाली की रात को , तारे हुए उदास !
नन्हे दीयों ने किया भू पर शुभ्र उजास !!

सुन्दर अभिव्यक्ति.
आपको भी प्रकश पर्व की ढेरों शुभकामनायें.

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

हमेशा की तरह बहुत ही सुंदर...आपके परिवार को हम सबकी ओर से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं...दीपों-सा जगमगाए आपका जीवन

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

raajendr ji ,
bahut badhiya!
sundar shabd ,sundar vichar!

ab aap kee tabiyat kaisee hai?

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

raajendr ji ,
bahut badhiya!
sundar shabd ,sundar vichar!

ab aap kee tabiyat kaisee hai?

Chinmayee ने कहा…

बहुत सुन्दर .......

आपको दीपावली कि शुभकानाए

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मेरा पोर्ट्रेट ......My portrait

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत ही सुन्दर और प्रेरक रचना ...दीपावली की हार्दिक शुभ कामनायें

' मिसिर' ने कहा…

बहुत सार्थक ,सकारात्मक भाव हैं रचना के ,
बहुत बधाई इस शुभ अवसर पर!

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

geeton ne man moh liya
आपको और आपके परिजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

आपको भी दीपवाली की हार्दिक शुभकानाएं.....सादर

पंख ने कहा…

bohot hi umda.... :)
diwali ki hardik shubhkamnaye.... :)

Dr.Ajmal Khan ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत भाव.....

आपको और आपके परिवार को मेरी ओर से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं...

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

तारों को क्यूँ उदास कर दिया अपने दीयों से राजेन्द्र जी .....?
अपने तो वही साथी हैं .....

नन्हें दीप न डरना गीत लाजवाब लगा .....
आपकी प्यारी सी गंभीर आवाज़ भी होती तो मज़ा कुछ और होता ....
दीपक को बिम्ब बना सखा रूप में सारी सीख दे दी आपने तो ....
दिवाली तो गयी अब होली की तैयारी कीजिये ....

Dr Xitija Singh ने कहा…

राजेंद्र जी ... सबसे पहले तो देरी के लिए माफ़ी चाहूंगी ...

हमेश की तरह इस बार भी बहुत सुंदर प्रस्तुति ... बधाई स्वीकारें..

आशा करती हूँ की अब आपका स्वास्थ्य ठीक होगा...

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ....

जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauhar ने कहा…

भाईवर,
दीप का यह आह्वान उरग्राही है...श्लाघ्य भी!

उरग्राही...इसलिए कि छंद के अनुशासन में बँधी हर सुन्दर भाव हृदय में जगह बनाता हुआ आगे बढ़ता है...!

...और श्लाघ्य इसलिए कि भारतीय संस्कारों में ‘प्रसव’ से लेकर ‘शव’ तक की यात्रा जिस दीप को साक्षी बनाकर की जाती है, आपने उसी वरेण्य ‘दीप’ का आह्वान किया है!

मैं जानता हूँ... भाई कि ‘बधाई’ शब्द बहुत घिसा-घिसा-सा ( यानी, Cliche) लगने लगा है, तथापि इस शब्द की सच्ची आत्मा में उतरकर मैं इसका प्रयोग आपके लिए कर रहा हूँ...इसे स्वीकारें!

ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि तमाम ब्लॉग्ज़ के मेले में हर ‘अल्लम-गल्लम’ और भाषागत्‌ रूप से ‘लड़खड़ाती व लँगड़ाती हुई’ रचना के भी माथे पर लोग इस शब्द को टाँक आते हैं...!

वैसे बात अगर उत्साहवर्द्धन की हो तो गुण-दोष दोनों पर इशारा करते हुए प्रेरित किया जा सकता है। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। इसका दुष्परिणाम यह कि बंदा मुग़ालते में रहकर आत्म-संतुष्ट हो जाता है... यह सोचकर कि ‘सब तारीफ़ कर रहे हैं तो अपन अच्छा लिख रहे हैं’...और फिर वह मन-ही-मन फूलकर ‘कुप्पा’ हो जाता है।

राजेन्द्र जी... आप जानते हैं कि पत्रिकाओं में तुलनात्मक रूप से ऐसा नहीं है। वहाँ काफी हद तक सच्चाई है... मैं लगभग डेढ़ दशक से वहाँ देखता आ रहा हूँ

जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauhar ने कहा…

भाईवर,
दीप का यह आह्वान उरग्राही है...श्लाघ्य भी!

उरग्राही...इसलिए कि छंद के अनुशासन में बँधी हर सुन्दर भाव हृदय में जगह बनाता हुआ आगे बढ़ता है...!

...और श्लाघ्य इसलिए कि भारतीय संस्कारों में ‘प्रसव’ से लेकर ‘शव’ तक की यात्रा जिस दीप को साक्षी बनाकर की जाती है, आपने उसी वरेण्य ‘दीप’ का आह्वान किया है!

मैं जानता हूँ... भाई कि ‘बधाई’ शब्द बहुत घिसा-घिसा-सा ( यानी, Cliche) लगने लगा है, तथापि इस शब्द की सच्ची आत्मा में उतरकर मैं इसका प्रयोग आपके लिए कर रहा हूँ...इसे स्वीकारें!

ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि तमाम ब्लॉग्ज़ के मेले में हर ‘अल्लम-गल्लम’ और भाषागत्‌ रूप से ‘लड़खड़ाती व लँगड़ाती हुई’ रचना के भी माथे पर लोग इस शब्द को टाँक आते हैं...!

वैसे बात अगर उत्साहवर्द्धन की हो तो गुण-दोष दोनों पर इशारा करते हुए प्रेरित किया जा सकता है। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। इसका दुष्परिणाम यह कि बंदा मुग़ालते में रहकर आत्म-संतुष्ट हो जाता है... यह सोचकर कि ‘सब तारीफ़ कर रहे हैं तो अपन अच्छा लिख रहे हैं’...और फिर वह मन-ही-मन फूलकर ‘कुप्पा’ हो जाता है।

राजेन्द्र जी... आप जानते हैं कि पत्रिकाओं में तुलनात्मक रूप से ऐसा नहीं है। वहाँ काफी हद तक सच्चाई है... मैं लगभग डेढ़ दशक से वहाँ देखता आ रहा हूँ

जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauhar ने कहा…

भाईवर,
दीप का यह आह्वान उरग्राही है...श्लाघ्य भी!

उरग्राही...इसलिए कि छंद के अनुशासन में बँधा हर सुन्दर भाव हृदय में जगह बनाता हुआ आगे बढ़ता है...!

...और श्लाघ्य इसलिए कि भारतीय संस्कारों में ‘प्रसव’ से लेकर ‘शव’ तक की यात्रा जिस दीप को साक्षी बनाकर की जाती है, आपने उसी वरेण्य ‘दीप’ का आह्वान किया है!

मैं जानता हूँ... भाई कि ‘बधाई’ शब्द बहुत घिसा-पिटा-सा ( यानी, Cliche) लगने लगा है, तथापि इस शब्द की सच्ची आत्मा में उतरकर मैं इसका प्रयोग आपके लिए कर रहा हूँ...इसे स्वीकारें!

ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि तमाम ब्लॉग्ज़ के मेले में हर ‘अल्लम-गल्लम’ और भाषागत्‌ रूप से ‘लड़खड़ाती व लँगड़ाती हुई’ रचना के भी माथे पर लोग इस शब्द को टाँक आते हैं...!

वैसे बात अगर उत्साहवर्द्धन की हो तो गुण-दोष दोनों की ओर इशारा करते हुए प्रेरित किया जा सकता है। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। इसका दुष्परिणाम यह कि बंदा मुग़ालते में रहकर आत्म-संतुष्ट हो जाता है... यह सोचकर कि ‘सब तारीफ़ कर रहे हैं तो अपन अच्छा लिख रहे हैं’...और फिर वह मन-ही-मन फूलकर ‘कुप्पा’ हो जाता है।

राजेन्द्र जी... आप जानते हैं कि पत्रिकाओं में तुलनात्मक रूप से ऐसा नहीं है। वहाँ काफी हद तक सच्चाई है... मैं लगभग डेढ़ दशक से वहाँ देखता आ रहा हूँ।

Rajesh Kumari ने कहा…

ati uttam behtreen rachna.diwali per bahut bahut badhai.god bless you.

sheetal ने कहा…

aapki dono rachnai behad pasand aayi.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

raajendr ji ... pata नहीं kaise choot gayi ये post आपकी ....
बहुत ही लाजवाब और umda likha है ... sundar prastuti है ....

प्रेम सरोवर ने कहा…

Bahut hi sundar post. Many many happy return of the day.Thanks.

lori ने कहा…

आपका ब्लॉग बहुत ही प्यारा है, "नन्हे-दीप"
रचना ने वाकई मन मोह लिया..... मेरे ब्लॉग आकर होंसला-अफजाई
का बहुत शुक्रिया. साथ बना रहे .

Ravi Rajbhar ने कहा…

Bahut sunder,
apko S-PARIWAR deep parw ki hardik subhkamnaye.

Sadar
Ravi Rajbhar

Ravi Rajbhar ने कहा…

Bahut sunder,
apko S-PARIWAR deep parw ki hardik subhkamnaye.

blogg ne man moh liya follow kar rahe hain...!!
hamare yaha bhi aye kuchh hame bhi sikhaye.
Sadar
Ravi Rajbhar

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना ...