लक्ष्मी बरसाएं कृपा , बढ़े आपका मान !!
दीपावली की मंगलकामनाएं !
धन त्रयोदशी ! रूप चतुर्दशी ! और … आ गई दीवाली !
गहन तिमिर से घिरी अमावस्या की रात्रि !
अंधकार के नाश का दायित्व ले लिया है नन्हे दीयों ने
और देखिए
सकल सृष्टि मुसका रही , विहंसे दीप करोड़ !
आज अमा की रैन भी , लगे सुनहरी भोर !!
दीप प्रज्ज्वलित दिशि दसों ,तमदल शिथिल हताश !
नन्हे दीपक कर रहे , कल्मष का उपहास !!
दीयों ने मिल कर किया , आज सघन आलोक !
वैभव यश भू का निरख ' सकुचाए सुरलोक !!
पूर्णचंद्रमा - से लगें , मृदा - दीप सब आज !
यत्र तत्र सर्वत्र है , उजियारे का राज !!
दीवाली की रात को , तारे हुए उदास !
नन्हे दीयों ने किया भू पर शुभ्र उजास !!
महिमा है तो एक-एक नन्हे दीपक की
वह दीपक मैं हूं ! आप हैं ! हम में से हर एक है !
नन्हे तेरे हाथ-पांव हैं , नन्ही-सी औकात रे !
पीछे तेरे आंधी-तूफ़ां , आगे झंझावात रे !
नन्हे दीप ! न डरना , लड़ना , जलना काली रात रे !
ले आ तू मुट्ठी में सुनहरी , नूतन आज प्रभात रे !
उल्टी बहती हवा, ओ दीपक ! दिशा-दिशा खाने आए !
देख अकेला , तुझे कालिमा घेर-घेर कर धमकाए !
रेशे-रेशे व्याप्त कपट छल बैर कुचालें घात रे !
नन्हे दीप ! न डरना , लड़ना , जलना काली रात रे !
आज विलुप्त हुए हैं सच का साथ निभाने वाले, सुन !
बस्ती-बस्ती बसे बनैले, हाड चबाने वाले, सुन !
आदमखोर हुई है पूरी अब आदम की जात रे !
नन्हे दीप ! न डरना , लड़ना , जलना काली रात रे !
रात-बाद दिन आता, सूरज उगता, होता शुभ्र उजास !
तब तक तेरी लौ से दीपक दुखियारों को होती आस !
क्या छोटी-सी , और क्या लम्बी ? रात-रात की बात रे !
नन्हे दीप ! न डरना , लड़ना , जलना काली रात रे !
जलने पर छीजेगी तेरी काया … सुन , परमार्थ में !
दीपक ! तू भी अंधा मत बन जाना , जग ज्यों स्वार्थ में !
आस किसी से मत करना , है कठिन बहुत संगात रे !
नन्हे दीप ! न डरना , लड़ना , जलना काली रात रे !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
(c)copyright by : Rajendra Swarnkar
*¤*.¸¸.·´¨`»*¤* शुभ दीवाली *¤*«´¨`·.¸¸. *¤*
*¤*.¸¸.·´¨`»*¤*«´¨`·.¸¸*¤*
देव प्रसन्न , प्रसन्न हैं धरती पर इंसान !
दीवाली मंगलमयी ! शुभ सुखकर वरदान !!
*¤*.¸¸.·´¨`»*¤*«´¨`·.¸¸.*¤*
*¤*.¸¸.·´¨`»*¤* Happy Diwali *¤*«´¨`·.¸¸. *¤*
*¤*.¸¸.·´¨`»*¤*«´¨`·.¸¸*¤*
41 टिप्पणियां:
bahut sundar ! Diwali kee hardik shubhkamnayen !
बहुत अच्छी प्रस्तुति। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई! राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है!
राजभाषा हिन्दी पर – कविता में बिम्ब!
बहुत अच्छी रचना....शुभकामनाएं...
bahot sundar...nanhe dipo ki tarah...happy diwali.
Bhai Rajendra ji
Bahut sunder geet hai hardik badhai.
Dhanteras apko aur dhanwaan banaye
Roopchaudas apko aur roopwaan banaye
Deepawali apke jeevan men sukh aur samraddgi laye
Deepawali ki hardik shubh kaamnayen
Chandrabhan Bhardwaj
PRIY RAJENDRA JEE ,
SUNDAR SHABD AUR SUNDAR
BHAAV SONE PAR SUHAAGA LAGE HAIN .
AAPKEE QALAM HAMESHAA JADOO JAGAATEE HAI . DIWALI PAR DHERON
SHUBH KAMNAAYEN .
आपको समस्त परिवार सहित
दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभ-कामनाएं
धन्यवाद
संजय कुमार चौरसिया
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें।
स्वर्णकार जी बहुत अच्छा गीत है, बधाई.
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.
आपकी रचनाओं से आपके ब्रह्म ज्ञान का बोध होता है ।
बहुत मेहनत से लिखी है ये स्तुति और गीत ।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें राजेन्द्र जी ।
सुन्दर रचनायें, दीवाली की शुभकामनायें।
बहुत ही सुन्दर गीत लिखा है..
दीपों के इस महोत्सव के शुभ अवसर पर आप को भी ढेरों शुभकामनायें.
बहुत उम्दा!
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
बढ़िया मंगल गीत ! धन्यवाद !
हार्दिक शुभकामनाएं
बेहद खूबसूरत...
सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!
दोहों और गीत के माध्यम से ये उत्सवी प्रस्तुति और आपकी शुभकामनायें बधाई की पात्र हैं।
दीपोत्सव पर सपरिवार शुभकामनायें।
सुन्दर शब्दों और सुन्दर भावों से सजी अद्भुत रचनायें। अपको भी सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
दीवाली की रात को , तारे हुए उदास !
नन्हे दीयों ने किया भू पर शुभ्र उजास !!
सुन्दर अभिव्यक्ति.
आपको भी प्रकश पर्व की ढेरों शुभकामनायें.
हमेशा की तरह बहुत ही सुंदर...आपके परिवार को हम सबकी ओर से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं...दीपों-सा जगमगाए आपका जीवन
raajendr ji ,
bahut badhiya!
sundar shabd ,sundar vichar!
ab aap kee tabiyat kaisee hai?
raajendr ji ,
bahut badhiya!
sundar shabd ,sundar vichar!
ab aap kee tabiyat kaisee hai?
बहुत सुन्दर .......
आपको दीपावली कि शुभकानाए
----------
मेरा पोर्ट्रेट ......My portrait
बहुत ही सुन्दर और प्रेरक रचना ...दीपावली की हार्दिक शुभ कामनायें
बहुत सार्थक ,सकारात्मक भाव हैं रचना के ,
बहुत बधाई इस शुभ अवसर पर!
geeton ne man moh liya
आपको और आपके परिजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
आपको भी दीपवाली की हार्दिक शुभकानाएं.....सादर
bohot hi umda.... :)
diwali ki hardik shubhkamnaye.... :)
बहुत ही खूबसूरत भाव.....
आपको और आपके परिवार को मेरी ओर से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं...
तारों को क्यूँ उदास कर दिया अपने दीयों से राजेन्द्र जी .....?
अपने तो वही साथी हैं .....
नन्हें दीप न डरना गीत लाजवाब लगा .....
आपकी प्यारी सी गंभीर आवाज़ भी होती तो मज़ा कुछ और होता ....
दीपक को बिम्ब बना सखा रूप में सारी सीख दे दी आपने तो ....
दिवाली तो गयी अब होली की तैयारी कीजिये ....
राजेंद्र जी ... सबसे पहले तो देरी के लिए माफ़ी चाहूंगी ...
हमेश की तरह इस बार भी बहुत सुंदर प्रस्तुति ... बधाई स्वीकारें..
आशा करती हूँ की अब आपका स्वास्थ्य ठीक होगा...
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ....
भाईवर,
दीप का यह आह्वान उरग्राही है...श्लाघ्य भी!
उरग्राही...इसलिए कि छंद के अनुशासन में बँधी हर सुन्दर भाव हृदय में जगह बनाता हुआ आगे बढ़ता है...!
...और श्लाघ्य इसलिए कि भारतीय संस्कारों में ‘प्रसव’ से लेकर ‘शव’ तक की यात्रा जिस दीप को साक्षी बनाकर की जाती है, आपने उसी वरेण्य ‘दीप’ का आह्वान किया है!
मैं जानता हूँ... भाई कि ‘बधाई’ शब्द बहुत घिसा-घिसा-सा ( यानी, Cliche) लगने लगा है, तथापि इस शब्द की सच्ची आत्मा में उतरकर मैं इसका प्रयोग आपके लिए कर रहा हूँ...इसे स्वीकारें!
ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि तमाम ब्लॉग्ज़ के मेले में हर ‘अल्लम-गल्लम’ और भाषागत् रूप से ‘लड़खड़ाती व लँगड़ाती हुई’ रचना के भी माथे पर लोग इस शब्द को टाँक आते हैं...!
वैसे बात अगर उत्साहवर्द्धन की हो तो गुण-दोष दोनों पर इशारा करते हुए प्रेरित किया जा सकता है। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। इसका दुष्परिणाम यह कि बंदा मुग़ालते में रहकर आत्म-संतुष्ट हो जाता है... यह सोचकर कि ‘सब तारीफ़ कर रहे हैं तो अपन अच्छा लिख रहे हैं’...और फिर वह मन-ही-मन फूलकर ‘कुप्पा’ हो जाता है।
राजेन्द्र जी... आप जानते हैं कि पत्रिकाओं में तुलनात्मक रूप से ऐसा नहीं है। वहाँ काफी हद तक सच्चाई है... मैं लगभग डेढ़ दशक से वहाँ देखता आ रहा हूँ
भाईवर,
दीप का यह आह्वान उरग्राही है...श्लाघ्य भी!
उरग्राही...इसलिए कि छंद के अनुशासन में बँधी हर सुन्दर भाव हृदय में जगह बनाता हुआ आगे बढ़ता है...!
...और श्लाघ्य इसलिए कि भारतीय संस्कारों में ‘प्रसव’ से लेकर ‘शव’ तक की यात्रा जिस दीप को साक्षी बनाकर की जाती है, आपने उसी वरेण्य ‘दीप’ का आह्वान किया है!
मैं जानता हूँ... भाई कि ‘बधाई’ शब्द बहुत घिसा-घिसा-सा ( यानी, Cliche) लगने लगा है, तथापि इस शब्द की सच्ची आत्मा में उतरकर मैं इसका प्रयोग आपके लिए कर रहा हूँ...इसे स्वीकारें!
ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि तमाम ब्लॉग्ज़ के मेले में हर ‘अल्लम-गल्लम’ और भाषागत् रूप से ‘लड़खड़ाती व लँगड़ाती हुई’ रचना के भी माथे पर लोग इस शब्द को टाँक आते हैं...!
वैसे बात अगर उत्साहवर्द्धन की हो तो गुण-दोष दोनों पर इशारा करते हुए प्रेरित किया जा सकता है। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। इसका दुष्परिणाम यह कि बंदा मुग़ालते में रहकर आत्म-संतुष्ट हो जाता है... यह सोचकर कि ‘सब तारीफ़ कर रहे हैं तो अपन अच्छा लिख रहे हैं’...और फिर वह मन-ही-मन फूलकर ‘कुप्पा’ हो जाता है।
राजेन्द्र जी... आप जानते हैं कि पत्रिकाओं में तुलनात्मक रूप से ऐसा नहीं है। वहाँ काफी हद तक सच्चाई है... मैं लगभग डेढ़ दशक से वहाँ देखता आ रहा हूँ
भाईवर,
दीप का यह आह्वान उरग्राही है...श्लाघ्य भी!
उरग्राही...इसलिए कि छंद के अनुशासन में बँधा हर सुन्दर भाव हृदय में जगह बनाता हुआ आगे बढ़ता है...!
...और श्लाघ्य इसलिए कि भारतीय संस्कारों में ‘प्रसव’ से लेकर ‘शव’ तक की यात्रा जिस दीप को साक्षी बनाकर की जाती है, आपने उसी वरेण्य ‘दीप’ का आह्वान किया है!
मैं जानता हूँ... भाई कि ‘बधाई’ शब्द बहुत घिसा-पिटा-सा ( यानी, Cliche) लगने लगा है, तथापि इस शब्द की सच्ची आत्मा में उतरकर मैं इसका प्रयोग आपके लिए कर रहा हूँ...इसे स्वीकारें!
ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि तमाम ब्लॉग्ज़ के मेले में हर ‘अल्लम-गल्लम’ और भाषागत् रूप से ‘लड़खड़ाती व लँगड़ाती हुई’ रचना के भी माथे पर लोग इस शब्द को टाँक आते हैं...!
वैसे बात अगर उत्साहवर्द्धन की हो तो गुण-दोष दोनों की ओर इशारा करते हुए प्रेरित किया जा सकता है। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। इसका दुष्परिणाम यह कि बंदा मुग़ालते में रहकर आत्म-संतुष्ट हो जाता है... यह सोचकर कि ‘सब तारीफ़ कर रहे हैं तो अपन अच्छा लिख रहे हैं’...और फिर वह मन-ही-मन फूलकर ‘कुप्पा’ हो जाता है।
राजेन्द्र जी... आप जानते हैं कि पत्रिकाओं में तुलनात्मक रूप से ऐसा नहीं है। वहाँ काफी हद तक सच्चाई है... मैं लगभग डेढ़ दशक से वहाँ देखता आ रहा हूँ।
ati uttam behtreen rachna.diwali per bahut bahut badhai.god bless you.
aapki dono rachnai behad pasand aayi.
raajendr ji ... pata नहीं kaise choot gayi ये post आपकी ....
बहुत ही लाजवाब और umda likha है ... sundar prastuti है ....
Bahut hi sundar post. Many many happy return of the day.Thanks.
आपका ब्लॉग बहुत ही प्यारा है, "नन्हे-दीप"
रचना ने वाकई मन मोह लिया..... मेरे ब्लॉग आकर होंसला-अफजाई
का बहुत शुक्रिया. साथ बना रहे .
Bahut sunder,
apko S-PARIWAR deep parw ki hardik subhkamnaye.
Sadar
Ravi Rajbhar
Bahut sunder,
apko S-PARIWAR deep parw ki hardik subhkamnaye.
blogg ne man moh liya follow kar rahe hain...!!
hamare yaha bhi aye kuchh hame bhi sikhaye.
Sadar
Ravi Rajbhar
बहुत सुन्दर रचना ...
एक टिप्पणी भेजें