... नव वर्ष आ ...
नव वर्ष आ !
अधरों पर मीठी मुस्कान लिये ' आ !
विगत में जो आहत हुए , क्षत हुए ,
उन्हीं कंठ हृदयों में गान लिये ' आ !
मुरझाये मुखड़ों पर कलियां खिला !
युगों से भटकती है विरहन बनी ;
मनुजता को फिर से मनुज से मिला !
हर इक कैक्टस को कमल में बदल !
मरोड़े गए शब्दों की सुन व्यथा ;
उन्हें गीत में और ग़ज़ल में बदल !
आने से पहले ज़रा सोच ले !
नदी को समंदर को भी प्यास है !
तोहफ़ा सभी को कोई ख़ास दे !
भय भूख़ आतंक से मुक्त कर !
संताप जग के मिटाता हुआ !!
नव वर्ष आ , मुस्कुराता हुआ !!!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
(c) copyright by : Rajendra Swarnkar
अभी गला इतना ख़राब है कि बात करना भी मुश्किल से हो पाता है ।
आकाशवाणी द्वारा आयोजित काव्य गोष्ठी में दो वर्ष पहले प्रस्तुत इस गीत ‘नव वर्ष आ’ की रिकॉर्डिंग यहां रोहित भाई सहित आप सब के लिए आशीर्वाद की कामना के साथ
संलग्न कर रहा हूं ।
शीत ने अपने पांव पसारे
छुए वर्ष ने फिर से किनारे
मित्रों ! वर्ष 2010 की समापन घड़ियों में
मेरी ओर से आप सब को
वर्ष 2011 के लिए हार्दिक शुभकामनाएं और मंगलकामनाएं
57 टिप्पणियां:
वाह जी बहुत सुंदर संदेश दिया आप ने अपनी इस सुंदर कविता मे धन्यवाद
शानदार स्वागत है नववर्ष का!!
आपको नववर्ष की शुभकामनाएँ!!
राजेंद्र जी, बहुत ही सुंदर कविता ..........नववर्ष की आप को भी बधाई ..
फर्स्ट टेक ऑफ ओवर सुनामी : एक सच्चे हीरो की कहानी
राजेन्द्र जी बहुत सुन्दर रचना है। बधाई स्वीकारें।
जरा मित्रवर गा के भी सुना देते तो बेहतर होता। लगता दिल में समा रही है।
बहुत प्यार से बुला रहे है नये साल को , आशा करता हूँ कि नया साल आपकी उम्मीदों पर खरा उतरे अच्छी रचना बधाई
स्वागत और आप सबके बधाई।
नव वर्ष के स्वागत में रची गयी इस कविता को पढ़कर ह्रदय गद गद हो गया .....नव वर्ष की ढेर सारी शुभकामनायें
naye varsh ke swagat ke liye achchi kavita. mere shabdon men naye varsh kee nayee kiran ko maa kee nigahon se dekh le, sab kuch badla badla nazar aayega . miane ek bar Bikaner dekha hai .chah thee Meera Mandir dekhne kee Merta gaye Pushkar hokar phir Bikaner ghume Ragisthan men pahlee bar Nakhlishtan dekh. yetihasik shahar hai. dubara zane kee chah hai. fir ham Deshnok gaye, Karnee mata ke darshan kiye aur rat ruke. mai aab tak 113 dino kee Rajasthan kee shair kar chuka hun. Deshatan se hee main Prakriti ko pada hai.
बहुत सुन्दर नयी आशा संचार लिए मधुर कविता ! बधाई राजेंद्र भाई !
बहुत बेहतरीन कविता.... आपको भी परिवार सहित नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!
आपका ब्लॉग बहुत सुंदर है, और कविता भी, बधाई स्वीकारें ! नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!
saarthak aahwaan
सुन्दर कविता!!!
विलक्षण भाव लिए आपकी कविता ने मन मोह लिया ...
नववर्ष की आप और आपके सम्पूर्ण परिवार को शुभ कामनाएं.
नीरज
आपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!
--
नव-वर्ष खड़ा द्वारे-द्वारे ।
नव-वर्ष खड़ा द्वारे-द्वारे ।
कुछ ने मँहगाई फैलादी,
कुछ हैं मँहगाई के मारे ।।
काँपे माता काँपे बिटिया,
भरपेट न जिनको भोजन है ।
क्या सरोकार उनको इससे
क्या नूतन और पुरातन है ।
सर्दी में फटे वसन फटे सारे ।
नव-वर्ष खड़ा द्वारे-द्वारे।
बहुत सुंदर संदेश दिया आप ने अपनी इस सुंदर कविता मे धन्यवाद
वाह बहुत सुन्दर नववर्ष यूँ ही इस रचना सा खुशनुमा आये यही दुआ है ..बेहतरीन लिखते हैं आप ..शुक्रिया
आहा , आहा ! राजेन्द्र भाई , नव वर्ष की शुभकामनायें भी इतने मनमोहक अंदाज़ में दी हैं कि मज़ा आ गया ।
आपको भी नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनायें ।
नव वर्ष के पावन उपलक्ष्य पर
आपकी सुमुधुर वाणी में
अनुपम अद्वितीय शब्द-गान सुन कर
मन को आलौकिक सुख प्राप्त हुआ
आप सब को नव वर्ष की मंगल कामनाएं
कमाल है..हरेक पंक्ति लाज़वाब..इतने सुन्दर भाव..अप्रितिम प्रस्तुति..नववर्ष की हार्दिक शुभ कामनायें
स्वर्णकार जी, मंगलकामनाओं से युक्त बहुत खूबसूरत रचना है, बधाई.
अम्न हो नये साल हर दिन चैन हो आराम हो
शाम जाते साल की सब रंज-ओ-गम की शाम हो
आपने देखें हैं जो सपने वो पूरे हों सभी
आपका हर आरज़ू हर चाहतों पर नाम हो
सहज आशाओं के भाव समेटे इस सुन्दर रचना के लिए आभार ....................
नववर्ष आपके लिए मंगलमय हो और आपके जीवन में सुख सम्रद्धि आये.
S.M.MASum
raj bhai...
ab to waakai ishwar se fariyaad hai ki muskurahat laane wala hee ho nav varsh.
"नए वर्ष! हर मन को विश्वास दे.
तोहफा सभी को कोई ख़ास दे. "
नए साल का स्वागत एक सुन्दर से तोहफे की आस के साथ.......वाह वाह क्या बात है
आपका लेखन बेहतरीन है,राजेंद्र जी.
किसी शायर का ये शेर याद आ रहा है:-
यकुम जनवरी है ,नया साल है.
दिसंबर में पूछेंगे क्या हाल है.
नया वर्ष मंगलमय हो.
आपको भी नव वर्ष की शुभकामनायें ।
कुछ पल तू अपने क़दम रोक ले !
आने से पहले ज़रा सोच ले !
ज़माने को तुमसे बहुत आस है !
नदी को समंदर को भी प्यास है !
नये वर्ष ! हर मन को विश्वास दे !
तोहफ़ा सभी को कोई ख़ास दे !
जन जन प्रसन्नचित हो आठों प्रहर !
भय भूख़ आतंक से मुक्त कर !
sundar kavitaa....har shabd sachchi bhavanaon se bhara huaa.itana behatar sochane vale kam hai.badhai. kavitaa kee gaharee sahityikataa bhi prabhavit karatee hai.
बहुत सुंदर भावनाओं से कर रहे हैं नववर्ष का स्वागत -
सुंदर कविता
बहुत सुंदर भावनाओं से कर रहे हैं नववर्ष का स्वागत -
सुंदर कविता
Rajendra ji....
First of all congratulations on this very meaningful and timely presented poem. Really very nice poem
I went through it many times.
Now
I WISH YOU, YOUR FAMILY MEMBERS AND ALL YOUR FRIENDS A VERY HAPPY, PROSPEROUS, PEACEFUL AND REWARDING NEW YEAR, 2011.......
MAY GOD BLESS YOU WITH HAPPINESS, SOUND HEALTH AND WHATEVER YOU WANT THIS YEAR................
सुंदर पंक्तियाँ...
आपको भी नव वर्ष की शुभकामनाएं।
rajendraji!
bahut sundar geet,hamesha ki tarah.
naya varsh waisa hi ho jaisa aapne chaha hai.
man anandit ho gaya!
rajendra jee
nav varsh ki subh kamnayen!!
aapne to apne subhkanaon se sir dil jeet liya...:)
वाह वाह वाह...क्या गीत रचा आपने...
मन प्रसन्न हो गया पढ़कर...
आपके शब्दों में हम अपने भी शब्द मिलाते हैं और नव वर्ष से यही गुहार लगते हैं...
सबके लिए मंगलमय हो नव वर्ष...
बेहद खूबसूरत रचना ..
बधाई राजेंद्र जी..
नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ..
Rajendra ji,
You write and recite very very beautifully.Heard you today,very very good voice.
do you sing songs with music also?
[thanks for visiting my blog.]
Happy New Year to you and your family.
'कुछ पल तू अपने क़दम रोक ले !
आने से पहले ज़रा सोच ले !'
बहुत ही अच्छी लगी आप की कविता .
नववर्ष का स्वागत करती हुई ....
'शीत ने अपने पाँव...'बेहद सुन्दर पंक्तियाँ .
............
आप का गीत प्लयेर पर सुन नहीं पा रही .दोबारा आ कर फिर सुनने प्रयास करूंगी..
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आप को भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ
बहुत सुंदर ब्लॉग और उससे भी बढ़ कर नववर्ष के स्वागत का अंदाज़. राजेंद्र जी आपके यहाँ आना अच्छा लगा.
शानदार संदेश के साथ नववर्ष का स्वागत किया है।
आपको और आपके परिवार को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।
कुछ पल तू अपने क़दम रोक ले !
आने से पहले ज़रा सोच ले !
ज़माने को तुमसे बहुत आस है !
नदी को समंदर को भी प्यास है !
नये वर्ष ! हर मन को विश्वास दे
Rajendra jee bahut hi sunder aawahan hai is vipada ki ghadi mein.
सुंदर कविता!
..आपको भी नव वर्ष की शुभकामनाएँ!!
राजेंद्र जी, एक सुंदर भावपूर्ण गीत के माध्यम से आपने नये साल के स्वागत में चार-चाँद लगा दिए..रचना के लिए बहुत बहुत बधाई.. आपको और आपके परिवार को नववर्ष की हार्दिक बधाई
बहुत सुंदर गीत...सुनकर तो मन प्रसन्न हो गया...आपको नव वर्ष बहुत-बहुत मुबारक हो...
गहन एहसासों को समेटे,आशाओं के उजास से दमकती,बेहद भावमयी और खूबसूरत अभिव्यक्ति.आभार.
आप को सपरिवार नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर,
डोरोथी.
शानदार कविता,
पढ़कर मजा आ गया और साथ में नववर्ष भी आ गया अतः मुझ अकिंचन की ओर से अशेष शुभकामनायें स्वीकार करें |
आपको भी नववर्ष की शुभकामनाएं...बहुत सुंदर..साथ ही सुनकर तो आनंद आ गया..
.
कविता पढ़ सुन के मजा आ गया :)
बहुत सुन्दर गीत...
ऐसे ही आएगा नव-वर्ष...
many-many best wishes for the upcoming year... to you and family...
वाह, वाह, राजेंद्र जी
बहुत सुंदर लिखा है आपने
नव वर्ष का आवाहन करती अत्यंत सुंदर कविता।
नव वर्ष की बधाई।
वाह ...बहुत खूबसूरत शब्दों के साथ नये वर्ष का स्वागत किया है इस रचना में ....
आपको नये वर्ष की शुभकामनाओं के साथ बधाई ।
राजेंद्र स्वर्णकार जी प्रणाम!
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें .....आशा है आप कुशल मंगल होंगे ....आप अपनी रचनाओ और टिप्पणियों के माद्यम से जो उत्साहवर्धन करते रहे है उस के लिए कोटि धन्यवाद् .....नए वर्ष में यही कामना है ....आपके शब्दों में......
"नये वर्ष ! हर मन को विश्वास दे !
तोहफ़ा सभी को कोई ख़ास दे !"
आपकी सेवा में एक रचना प्रस्तुत है समय मिले तो पढियेगा जरुर....
http://pradeep-splendor.blogspot.com/2010/12/blog-post.html
mdhur kvita ke liye bdhai .
aagt ke liye bdhai .
अनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
तय हो सफ़र इस नए बरस का
प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
सुवासित हो हर पल जीवन का
मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
शांति उल्लास की
आप पर और आपके प्रियजनो पर.
आप को सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर,
डोरोथी.
लो आया साल
बेहतर शब्दों में
बन गया मिसाल
एक हिन्दी ब्लॉगर पसंद है
भैया, आपको सुनना सुखद अनुभूति है....
आपको सुनते और पढ़ते हुए कुछ पंक्तियाँ घुमड़ आईं...
"आ नया वर्ष, तू तलवार बन के आ
विपत्तियों पर तीव्र तू प्रहार बन के आ
दुर्भावनाएं तमाम जल के भस्म हो गईं
नवरोज़ का तू दिव्य समाचार बन के आ
आ नया वर्ष, सुख अपार बन के आ..."
आपको सपरिवार सादर शुभकामनाएं.
I like your work and voice .best wishes for new year
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